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लोकसभा में दिए राहुल गांधी के भाषण पर चली कैंची, इन शब्दों को हटाया गया

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सोमवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।सोमवार को राहुल गांधी ने बतौर नेता विपक्ष अपना पहला भाषण दिया। राहुल गांधी ने अपने भाषण में भाजपा और केन्द्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस सांसद ने संसद में 90 मिनट का भाषण दिया और हिंदू, अग्निवीर समेत 20 मुद्दों पर बोले।ढाई घंटे के अपने भाषण के दौरान राहुल ने कई विवादित बातें बोलीं जो सत्ता पक्ष खासकर बीजेपी को नागवार गुजरीं। अब राहुल की स्पीच से इन विवादित हिस्सों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है। खुद स्पीकर ओम बिरला ने इसके निर्देश दिए हैं।

हिंदुओं को लेकर उनके बयान समेत भाषण के कुछ हिस्सों को अब सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है। जनसंपर्क शाखा के संयुक्त निदेशक बैकुंठनाथ महापात्र(लोकसभा सचिवालय) ने अपने पत्र में लिखा कि माननीय महोदय/महोदया लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की ओर से इन विवादित हिस्सों को निरस्त/गैर-रिकॉर्डेड कर दिया गया है।

इधर, राहुल गांधी के विवादित भाषण की कुछ लाइनों पर आपत्ति जताने वाले बीजेपी नेताओं ने उनसे माफी की मांग की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,जेपी नड्डा, अश्विनी वैष्णव और एनडीए के नेता चिराग पासवान सहित सत्ता पक्ष के कई सांसदों ने राहुल से माफी मांगने को कहा।

राहुल गांधी, सरकार को घेरने के लिए भगवान शिव, गुरुनानक और जीसस क्राइस्ट की तस्वीर लाए थे। राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान भगवान शिव की तस्वीर दिखाई और कहा कि शिव जी किसी से न डरना सिखाते हैं और न ही किसी को डराना। राहुल गांधी ने 20 मुद्दों पर सरकार को घेरा। इसमें हिंदू, अग्निवीर, किसान, मणिपुर, नीट, बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी, एमेसपी, हिंसा, भय, धर्म, अयोध्या, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, प्रधानमंत्री और स्पीकर शामिल हैं।

राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि 'जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं, वह 24 घंटे हिंसा, नफरत और झूठ बोलते रहते हैं। ये हिंदू हैं ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है कि सच के साथ खड़ा होना चाहिए और सच से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। अहिंसा फैलानी चाहिए।'

धन्यवाद प्रस्ताव पर आज लोकसभा में जवाब देंगे पीएम मोदी, राहुल गांधी पर कर सकते हैं पलटवार*
#pm_narendra_modi_lok_sabha_motion_of_thanks_debate
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रपति के अभिभाषण से जुड़े धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देंगे। पीएम मोदी लोकसभा में शाम 4 बजे के आसपास चर्चा का जवाब देंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने सुबह एनडीए सांसदों की मीटिंग बुलाई है। इसमें पीएम मोदी सांसदों के साथ सदन के अंदर की रणनीति पर चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि पीएम मोदी लोकसभा में राहुल गांधी पर बड़ा हमला कर सकते हैं। धन्यवाद प्रस्ताव सोमवार को शुरू हुई चर्चा देर रात तक चलती रही। चर्चा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी अपनी बात रखी। राहुल गांधी ने हिंदुत्व, अयोध्या, जम्मू-कश्मीर, अग्निवीर समेत कई अहम मुद्दों को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करेंगे। आपको बता दें कि सोमवार को पहली बार लोकसभा में नेता विपक्ष बने राहुल गांधी बोले थे। राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत से ही सरकार को घेरने की कोशिश की। लेकिन फिर राहुल गांधी ने हिंदुओं के मुद्दे पर ऐसा बयान दे दिया, जिसके बाद लोकसभा का पारा अचानक हाई हो गया। राहुल ने बीजेपी पर देश में हिंसा, नफरत तथा डर फैलाने का आरोप लगाया और दावा किया कि ये लोग हिंदू नहीं हैं। राहुल गांधी के इस बयान के बाद लोकसभा में दोनों तरफ से जबरदस्त हंगामा हुआ। राहुल के इस दावे का सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विरोध भी जताया। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर विषय है। सत्ता पक्ष ने राहुल गांधी से अपने बयान पर माफी मांगने की मांग की। साथ में लोकसभा स्पीकर से कार्रवाई की गुहार लगाई। राहुल गांधी ने लोकसभा में 90 मिनट तक भाषण दिया। इस दौरान राहुल ने किसान, मणिपुर, नीट, अग्निवीर समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अग्निवीर सरकार के लिए यूज एंड थ्रो मजदूर हैं। सरकार अग्निवीर की मौत को शहीद नहीं मानती। उसे शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है। राहुल गांधी के इस बयान पर तुरंत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया। राजनाथ सिंह ने कहा नेता प्रतिपक्ष अग्निवीर योजना पर सदन को गुमराह न करें। वहीं, किसानों के मुद्दे पर भी राहुल गांधी ने सरकार को घेरने की कोशिश की। राहुल ने किसानों को उचित एमएसपी नहीं दिए जाने का भी दावा किया। इस पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी को इसे साबित करने का चैलेंज दे दिया।
मेधा पाटकर को 5 माह की सजा, मानहानि मामले में दिल्ली की कोर्ट ने सुनाया फैसला

#medha_patkar_sentenced_to_5_months_imprisonment_in_defamation_case

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर आपराधिक मानहानि मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई।दिल्ली की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 23 साल पुराने मानहानि के एक मामले में पांच महीने के साधारण कारावास की सोमवार को सजा सुनाई। कोर्ट ने मेधा पाटकर पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया और जुर्माने की राशि वीके सक्सेना को देने का निर्देश दिया।यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने उनके खिलाफ उस वक्त दायर किया था जब वह (सक्सेना) गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमुख थे।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को मानहानि का दोषी पाया और उन्हें सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने उम्र का हावला देने वाली दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह केस 25 साल तक चला। ‘प्रोबेशन’ पर रिहा करने के पाटकर के अनुरोध को खारिज करते हुए जज ने कहा, "तथ्यों... नुकसान, उम्र और बीमारी (आरोपी की) को देखते हुए, मैं अधिक सजा सुनाने के पक्ष में नहीं हूं।" इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष तक की साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। हालांकि, अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के तहत उनकी सजा को 1 अगस्त तक निलंबित कर दिया ताकि वह आदेश के खिलाफ अपील कर सके।

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटकर ने कहा, "सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता. हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की, हम केवल अपना काम करते हैं. हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे।"

क्या था मामला?

पाटकर और सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से ही एक कानूनी लड़ाई जारी है, जब पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के विरुद्ध एक वाद दायर किया था। पाटकर ने दावा किया था कि ये विज्ञापन उनके और एनबीए के लिए अपमानजनक थे। इसके जवाब में, सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ मानहानि के दो मामले दर्ज कराए थे। पहला, टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान उनके बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए और दूसरा, पाटकर द्वारा जारी एक प्रेस बयान से जुड़ा था। सक्सेना तब अहमदाबाद के एक एनजीओ ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष थे। पाटकर की सजा के लिए आदेश देते हुए जज ने कहा कि प्रतिष्ठा किसी भी व्यक्ति की सबसे मूल्यवान संपत्तियों में से एक है।

राहुल गांधी ने कहा अग्निवीर के बलिदान पर मुआवजा नहीं दिया जा रहा, राजनाथ सिंह बोले-सदन को किया जा रहा गुमराह

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाए। सोमवार को लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा, मोदी सरकार अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं देती। उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जाता।वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अग्निवीर योजना पर दिए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए या युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है।

दरअसल, राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा के उन्होंने हाल ही में अग्निवीर अजय सिंह के परिवार से बात की। जनवरी में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में एक लैंडमाइन विस्फोट में अजय सिंह ने सर्वोच्च बलिदान दिया था।राहुल गांधी ने कहा ‘उस घर में तीन बहनें बैठी हुईं रो रहीं थीं। मैंने उस युवक की फोटो देखी और उसकी शक्ल फिल्मी कलाकार जैसी थी। छटे से घर का अग्निवीर लैंडमाइन ब्लास्ट में अग्निवीर शहीद हुआ। मैं उसे शहीद कह रहा हूं लेकिन, नरेंद्र मोदी सरकार उसे शहीद नहीं कहती। नरेंद्र मोदी उसे अग्निवीर कहते हैं। उस घर को पेंशन नहीं मिलेगी। उस घर को मुआवजा नहीं मिलेगा, शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा। आम जवान को पेंशन मिलती है और हिंदुस्तान की सरकार आम जवान की मदद करेगी लेकिन अग्निवीर को जवान नहीं कहा जाता है। अग्निवीर, इस्तेमाल करो और फेंको (यूज एंड थ्रो) मजदूर है।’

राहुल गांधी ने आगे कहा कि अग्निवीर, सेना की नहीं बल्कि केंद्र सरकार की योजना है और केंद्र सरकार जबरन इस योजना को देश के सैनिकों पर थोप रही है। उन्होंने आगे कहा, ‘चीन की सेना में जवानों को पांच वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि भारत में अग्निवीरों को छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है। नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा, ‘केंद्र सरकार ने अग्निवीरों के मन में भय पैदा कर दिया है। चीन के प्रशिक्षित सैनिकों के सामने जब छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त अग्निवीर राइफल लेकर खड़ा होता है, तो उसके मन में भय पैदा होता है। केंद्र सरकार एक जवान और दूसरे जवान के बीच में फूट डालने का काम कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक को पेंशन मिलेगी और शहीद का दर्जा मिलेगा और अग्निवीर को ये सब नहीं मिलेगा।

राहुल गांधी के बयान पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, युद्ध के दौरान या सेना की सुरक्षा के दौरान अगर कोई अग्निवीर का जवान शहीद होता है तो उसे एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाता है। राहुल गांधी अग्निवीरों पर गलत बयान न दें। वो सदन को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।

चीन को क्यों आई पंचशील समझौते की याद, भारत समेत कई देशों के साथ संघर्ष के बीच जिनपिंग की ये कौन सी चाल?

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अमेरिका और यूरोपीय संघ से बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए हाल के वर्षों में एशियाई, अफ्रीकी और अमेरिकी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगे चीन का भारत और अन्य विकासशील देशों के साथ संघर्ष हुआ है। यही नहीं, विस्तारवादी चीन के अपने पड़ोसियों के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं।भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय में लगातार तनाव बढ़ा है। पूर्वी लद्दाख और कई स्थानों पर भारतीय जमीन पर कब्जा किए बैठा चीन अब विश्व से उस समझौते पर चलने की अपेक्षा कर रहा है जिसका पहला बिंदु संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान है। बात हो रही है पंचशील के सिद्धांतों की।

दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्तमान समय के संघर्षों के अंत के लिए पंचशील के सिद्धांतों की वकालत की है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को बीजिंग में पंचशील सिद्धांत के जारी होने की 70वीं वर्षगांठ मनाई। इस दौरान उन्होंने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की तारीफ करते हुए इसे दुनिया में जारी संघर्षों को खत्म करने के लिए आज भी अहम बताया। शी ने कहा, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था।

निःसंदेश, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पंचशील की तारीफ कर सबको हैरान कर दिया। हैरानी, इसलिए क्यों राष्ट्रपति जिनपिंग ने पंचशील सिद्धांतों की वकालत पश्चिमी देशों और कई क्षेत्रीय देशों के साथ चल रहे चीन के साथ टकराव के बीच की है। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी इसमें आश्चर्य जैसा नहीं देखते हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि शी जिनपिंग ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की प्रशंसा की है। चेलानी ने आगे लिखा, अपने भाषण में जो बात चीन ने नहीं बताई वह यह है कि लगभग (पंचशील समझौते के) आठ साल बाद 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण करके सभी पंचशील सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन किया। ये सिद्धांत थे- एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ' तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व'।

ब्रह्म चेलानी ने आगे लिखा, चीन अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों में उन सिद्धांतों का उल्लंघन करना लगातार जारी रखे हुए है। उन्होंने 1954 के पंचशील समझौते को आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी भूलों में से एक बताया। उस समझौते के माध्यम से भारत ने बिना कुछ हासिल किए तिब्बत में अपने ब्रिटिश विरासत वाले क्षेत्रीय अधिकारों को छोड़ दिया और चीन के तिब्बत क्षेत्र को मान्यता दी। समझौते की शर्तों के तहत, भारत ने तिब्बत से अपने मिलिट्री एस्कॉर्ट को वापस बुला लिया और वहां संचालित डाक, टेलीग्राफ और टेलीफोन सेवाओं को चीन को सौंप दिया।

बता दें कि पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था। अतीत में चीनी नेतृत्व ने पहली बार पांच सिद्धांतों यानी 'एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ', तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व' को संपूर्णता के साथ निर्दिष्ट किया था।'

शी ने सम्मेलन में कहा, 'उन्होंने चीन-भारत और चीन-म्यामांर संयुक्त वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को शामिल किया था। इन वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को द्विपक्षीय संबंधों के लिए बुनियादी मानदंड बनाने का आह्वान किया गया था।' शी ने अपने संबोधन में कहा कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए। उन्होंने कहा कि पंचशील सिद्धांत आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय की समान संपत्ति बन चुके हैं।

क्या है पंचशील समझौता या पंचशील सिद्धांत

पंचशील के सिद्धांतो को पहली बार 1954 में तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार व संबंध को लेकर भारत और चीन के बीच हुए समझौते में शामिल किया गया था। चीन में इसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत जबकि भारत में पंचशील का सिद्धांत कहा जाता है। इसका मूल उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की व्यवस्था कायम करना था। वस्तुतः पंचशील सिद्धांतों के माध्यम से ऐसे नैतिक मूल्यों का समुच्चय तैयार करना था, जिन्हें प्रत्येक देश अपनी विदेश नीति का हिस्सा बना सके और एक शांतिपूर्ण वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सके। पंचशील सिद्धांतों के अंतर्गत शामिल किए गए प्रमुख पांच सिद्धांत निम्नानुसार हैं-

• प्रत्येक देश एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का परस्पर सम्मान करेंगे।

• गैर-आक्रमण का सिद्धांत अपनाया गया। इसके तहत तय किया गया कि कोई भी देश किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं करेगा।

• समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश एक दूसरे के आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

• इसके तहत तय किया गया कि सभी देश एक दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करेंगे तथा परस्पर लाभ के सिद्धांत पर काम करेंगे।

• सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत इसमें ‘शांतिपूर्ण सह अस्तित्व’ (Peaceful Coexistence) का माना गया है। इसके तहत कहा गया है कि सभी देश शांति बनाए रखेंगे और एक दूसरे के अस्तित्व पर किसी भी प्रकार का संकट उत्पन्न नहीं करेंगे।

पंचशील समझौता और भारत-चीन युद्ध

1954 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एन लाई ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि पंचशील सिद्धांत उपनिवेशवाद के अंत और एशिया व अफ्रीका के नए राष्ट्रों के उद्भव में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे। इस दौर से ही भारत ने ‘हिंदी चीनी भाई-भाई’ का नारा दिया और चीन पर अत्यधिक भरोसा किया। भारत ने वर्ष 1955 में चीन को इंडोनेशिया में आयोजित होने वाले एशियाई अफ्रीकी देशों के बांडुंग सम्मेलन में भी आमंत्रित किया था। इसी बीच अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के मध्य विवाद चल रहा था। चीन इन दोनों ही भारतीय क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताता था। इन विवादों के कारण भारत और चीन के संबंध धीरे-धीरे बिगड़ते जा रहे थे। चीन संपूर्ण तिब्बत को अपना हिस्सा मानता था और इसी बीच भारत ने तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को भारत में शरण दे दी थी, इससे चीन अत्यधिक रुष्ट हो गया था। भारत और चीन के बीच वर्ष 1954 में हस्ताक्षरित हुए इस पंचशील समझौते की समयावधि 8 वर्षों की थी, लेकिन 8 वर्षों के बाद इसे पुनः आगे बढ़ाने पर विचार नहीं किया गया। पंचशील समझौते की समयावधि समाप्त होते ही ऊपर वर्णित मुद्दों को आधार बनाकर वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में भारत न सिर्फ पराजित हुआ, बल्कि उसके विभिन्न हिस्सों पर चीन ने कब्ज़ा भी कर लिया। भारत के वे हिस्से आज भी चीन के कब्जे में ही हैं।

मानसून में मुसीबत बन सकते हैं ऋषिकेश-बदरीनाथ नेशनल हाईवे के 44 लैंडस्लाइड जोन, 14 जेसीबी के साथ बचाव दल की तैनाती

बरसात के दौरान ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सक्रिय भूस्खलन जोन कहर बनकर टूट सकते हैं. मानसून दस्तक दे चुका है, लेकिन अभी तक ट्रीटमेंट न होने से राजमार्ग पर पहाड़ियों से मलबा व बोल्डर गिरने की आशंका बनी हुई है. एनएच पर ऋषिकेश से लेकर रुद्रप्रयाग तक कुल 44 सक्रिय लैंडस्लाइड जोन की डीपीआर तैयार की गई है. इनमें से दो से तीन भूस्खलन क्षेत्र एनएच विभाग के लिए भी परेशानी का सबब बने हुए हैं.

 एनएच लोक निर्माण विभाग मानसून को लेकर भले ही पूरी तैयारियों के दावे कर रहा हो, लेकिन बरसात के दौरान राजमार्ग पर सक्रिय भूस्खलन जोन विभाग के लिए चुनौती बन सकते हैं. यहां ऋषिकेश ब्रह्मपुरी से लेकर रुद्रप्रयाग तक कुल 44 छोटे-बड़े लैंडस्लाइड जोन हैं. इनमें चमधार, बछेलीखाल व अटाली गंगा के समीप सक्रिय भूस्खलन जोन प्रशासन के साथ-साथ यात्रियों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकते हैं. हालांकि राजमार्ग बाधित होने की स्थिति में बिना समय गंवाए यातायात के लिए मार्ग सुचारू किया जा सके, इसके लिए 14 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं. इनमें 11 मशीनें टेंडर द्वारा एनएच विभाग ने अनुबंधित की हैं.

 देवप्रयाग से कौड़ियाला के बीच पड़ने वाले 10 भूस्खलन क्षेत्रों में स्लोप प्रोटेक्शन का कार्य गतिमान है. ब्रहमपुरी-कौड़ियाला के बीच के 12 जोनों का टेंडर हो चुका है, जल्द कार्य शुरू हो जाएगा. इसके अलावा कुल एनएच पर 44 भूस्खलन क्षेत्रों की डीपीआर तैयार की गई है. इसमें सबसे अधिक खर्चा चमधार भूस्खलन क्षेत्र में आयेगा. यहां 150 मीटर ट्रीटमेंट के लिए करीब 34 करोड़ खर्च किए जायेंगे.

यहां इतने भूस्खलन जोन हैं सक्रिय

ऋषिकेश से लेकर रुद्रप्रयाग तक 44 भूस्खलन जोनों की डीपीआर एनएच लोनिवि ने तैयार की है. इनमें ब्रह्मपुरी से कौड़ियाला तक 12 जोन, कौड़ियाला से देवप्रयाग तक 10, देवप्रयाग से श्रीनगर तक 7, श्रीनगर से रुद्रप्रयाग तक 5 जोन सक्रिय हैं. इसके अलावा अन्य 10 छोटे-बड़े जोन बछेलीखाल, सिंगटाली समेत एनएच पर सक्रिय हैं.

केजरीवाल पर अनुराग ठाकुर का जोरदार हमला, बोले- वर्क फ्रॉम होम तो सुना था, वर्क फ्रॉम जेल भी देख लिया

#anurag_thakur_attack_on_delhi_cm_arvind_kejriwal_work_from_jail

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पूर्व खेल मंत्री और हिमाचल के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों की गठबंधन 'इंडिया' पर जमकर निशाना साधा।इस दौरान भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने गरीबों को और गरीब किया। जनता ने भी कांग्रेस को बार-बार नकारा है और तीसरी बार देश में स्थिर सरकार बनाई है।वहीं, ठाकुर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बी निशाने पर लिया।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि हमने वर्क फ्रॉम होम तो सुना था, लेकिन वर्क फ्रॉम जेल नहीं सुना है, लेकिन अब वो भी देख लिया। आज दिल्ली के शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक जेल में हैं। इनके कानून मंत्री को भी फर्जी मार्कशीट मामले में जेल हुई। उन्होंने कहा कि जो लोग बच्चों की कसम खाकर कहते थे कि एक-दूसरे के साथ नहीं आएंगे उन्होंने गठबंधन बना लिया। अनुराग ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा कि 'सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे क्या से क्या हो गए देखते-देखते।'

विपक्ष पर निशाना साधते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब ये भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का मुकाबला दो चुनावों में नहीं कर पाए तो एक ऐसा गठबंधन बनाया, जो जेल वाले और बेल वाले ने मिलकर बनाया, कुछ जेल में थे, कुछ बेल पर थे। कुछ यहां पर भी बेल वाले हैं। इन्होंने अपने सहयोगी चुने, शराब घोटाले वाले, जमीन घोटाले वाले चुने और तो और वो सब चुने जो जेल और बेल पर थे। इस दौरान अनुराग ठाकुर ने कहा कि इनकी पार्टी तो ऐसी है, जिसका नेता जो अपने आप को दुनिया का सबसे ईमानदार नेता बताता है और वो इतना ईमानदार निकला कि देखो आज जेल में हैं। हमने तो वर्क फ्रॉम होम तो सुना था, वर्क फ्रॉम जेल देखने का अवसर इन लोगों ने दिया कि जेल सरकार कैसे चलती है।

लोकसभा में भाषण के दौरान राहुल गांधी ने कर दी ऐसी हरकत, स्पीकर ने दिखा दी नियम पुस्तिका, पक्ष विपक्ष दोनों ओर से हुआ जमकर हंगामा

संसद सत्र के चलते सोमवार का दिन बहुत हंगामे भरा रहा। दोपहर के वक़्त जैसे ही लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बोलना आरम्भ किया हंगामे की शुरुआत भी हो गई। अपने भाषण के चलते राहुल गांधी ने बोलते हुए भगवान शंकर की तस्वीर लहराई। इस के चलते स्पीकर ने उन्हें नियम पुस्तिका दिखा दी। राहुल ने कहा, 'आज मैं अपने भाषण की शुरुआत अपने भाजपा और RSS के दोस्तों को हमारे आइडिया के बारे में बताने से कर रहा हूं, जिसका उपयोग हम संविधान की रक्षा करने के लिए करते हैं।' 

राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भी सीधे हमले किए। उन्होंने कहा कि मैं बायोलॉजिकल हूं। लेकिन पीएम बायोलॉजिकल नहीं हैं। राहुल गांधी जब अपनी स्पीच दे रहे थे, तब स्पीकर ने किसी बात पर उन्हें टोका। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शिवजी की फोटो दिखा दी तथा आप गुस्सा हो गए। अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा, 'हिंदुस्तान ने कभी किसी पर हमला नहीं किया। इसकी वजह है। हिंदुस्तान अहिंसा का देश है, यह डरता नहीं है। हमारे महापुरुषों ने यह संदेश दिया- डरो मत, डराओ मत। शिवजी बोलते हैं- डरो मत, डराओ मत और त्रिशूल को जमीन में गाड़ देते हैं। दूसरी तरफ जो लोग अपने आपको हिंदू बोलते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा एवं नफरत-नफरत-नफरत करते हैं। आप हिंदू हो ही नहीं। सनातन धर्म में स्पष्ट लिखा है, सच का साथ देना चाहिए।' 

राहुल गांधी ने भगवान शिव को अपने लिए प्रेरणा बताते हुए कहा कि उनसे विपरीत हालातों में संघर्ष की प्रेरणा मिली। उनके बाएं हाथ में त्रिशूल का मतलब अहिंसा है। हमने सच की रक्षा की है बिना किसी हिंसा के। भाजपा को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनके लिए सिर्फ सत्ता मायने रखती है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन पर फर्जी मुकदमे लगा दिए गए हैं। राहुल ने कहा, 'ED ने मुझसे पूछताछ की, अधिकारी भी हैरान थे। INDIA ब्लॉक के नेताओं को जेल में रखा गया। OBC -एससी-एसटी की बात करने वालों पर मुकदमे किए जा रहे हैं।'

कर्नाटक में दो कांग्रेस नेताओं को लेकर आमने-सामने आए हिन्दू समुदाय, सिद्धरमैया और शिवकुमार में शुरू हुआ सत्ता संघर्ष

कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में एक वोक्कालिगा संत द्वारा सिद्धारमैया के स्थान पर डी के शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर राजनीति गरमा गई है। राज्य में कांग्रेस नेताओं को लेकर हिन्दुओं में दो फाड़ हो गई है, एक पक्ष सिद्धारमैया का समर्थन कर रहा है, तो दूसरा डी के शिवकुमार का। अब राज्य में अहिंदा (पिछड़ा वर्ग) कार्यकर्ताओं ने सिद्धारमैया के प्रति अपना समर्थन घोषित किया है और कहा है कि यदि ऐसा कोई कदम उठाया गया तो वे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

दरअसल, सिद्धारमैया अहिंदा आंदोलन का चेहरा और रणनीतिकार हैं, जो अल्पसंख्यातरु (अल्पसंख्यक), हिंदुलिदावरु (पिछड़ा वर्ग) और दलितरु (दलित) के लिए शुरू हुआ है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अहिंदा के कर्नाटक अध्यक्ष प्रभुलिंगा डोड्डामणि ने ऐलान किया है कि, "हम हमेशा सीएम सिद्धारमैया के साथ उनकी रीढ़ की हड्डी की तरह खड़े रहेंगे।" डोड्डामणि ने आगे कहा कि, "इस तरह का बयान देने से धार्मिक आघात पहुंचेगा। संत को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। स्वामीजी सभी के लिए हैं, किसी एक खास समुदाय तक सीमित नहीं हैं। अगर वे हमारे प्रिय सिद्धारमैया को सत्ता से हटाने की कोशिश करेंगे, तो हम चेतावनी देते हैं कि कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व ही नहीं रहेगा।"

उल्लेखनीय है कि, अहिंदा ने राज्य में कांग्रेस को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डोड्डामनी ने कहा, "अहिंदा संगठन की ओर से हम चाहते हैं कि हमारे सर (सिद्धारमैया) अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करें। अगर बदलाव को लेकर कोई बहस होती है, तो हम हर जिले और तालुका में इसका विरोध करेंगे और उनके साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।" वहीं, डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं, जो कर्नाटक की कुल आबादी का 15 प्रतिशत है। सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आने वाले OBC नेता हैं, जिन्होंने पिछड़े वर्ग को अच्छे से साध रखा है। अब इन्ही दो कांग्रेस नेताओं के पीछे हिन्दू समुदाय में फूट पड़ गई है और वो आपस में ही उलझ गए हैं। 

बताया जा रहा है कि, सिद्धारमैया की मांग ने ही पर कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संघर्ष को बढ़ावा दिया है। सिद्धारमैया ने कहा कि उनके प्रदर्शन का आकलन करना और नेतृत्व परिवर्तन पर फैसला करना पार्टी हाईकमान पर निर्भर है, जबकि शिवकुमार ने भी ऐसी चर्चाओं को खारिज करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से ऐसी मांगों से दूर रहने को कहा है। सिद्धारमैया ने कहा कि, मैं वही करूंगा जो पार्टी हाईकमान कहेगा। भाजपा भी इस चर्चा में शामिल हो गई और आरोप लगाया कि, कांग्रेस पार्टी में सत्ता संघर्ष चल रहा है। वहां कोई शासन नहीं है।

'हिंदू' पर राहुल गांधी ने कर दी ऐसी टिप्पणी कि PM मोदी ने बीच में टोका, अमित शाह भी भड़के

 लोकसभा में आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बहस शुरू की तथा संविधान के बहाने मोदी सरकार पर जमकर हमला किया. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत संविधान की कॉपी हाथ में लेकर की. इस दौरान राहुल गांधी ने एक ऐसा बयान दे दिया जिससे हंगामा खड़ा हो गया. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने खड़े होकर विरोध जताया तथा कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर बात है.

राहुल गांधी ने कहा, 'मोदीजी ने अपने भाषण में एक दिन कहा कि हिंदुस्तान ने कभी किसी पर हमला नहीं किया. इसकी वजह है. हिंदुस्तान अहिंसा का देश है, यह डरता नहीं है. हमारे महापुरुषों ने यह संदेश दिया- डरो मत, डराओ मत. शिवजी बोलते हैं- डरो मत, डराओ मत और त्रिशूल को जमीन में गाड़ देते हैं. दूसरी ओर जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा..नफरत-नफरत-नफरत... आप हिंदू हो ही नहीं. हिंदू धर्म में साफ लिखा है सच का साथ देना चाहिए.'

राहुल गांधी के बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा आरम्भ कर दिया. प्रधानमंत्री मोदी अपनी चेयर पर उठकर खड़े हुए तथा इसे गंभीर बात बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर बात है. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एवं भाजपा पूरा हिंदू समाज नहीं है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता ने जो कहा, उन्हें इसकी माफी मांगनी चाहिए. इस धर्म पर करोड़ों लोग गर्व से हिंदू बोलते हैं. मैं उनको गुजारिश करता हूं कि इस्लाम में अभय मुद्रा पर एक बार वो इस्लामिक विद्वानों की राय वो ले लें. गृह मंत्री अमित शाह ने आपत्ति व्यक्त करते हुए उनसे माफी की मांग की. शाह ने कहा कि राहुल बोलना चाहते हैं कि देश के करोड़ो हिंदू हिंसक हैं? कहा कि क्या नेता प्रतिपक्ष माफी मांगेंगे? हिंसा को किसी धर्म से जोड़ना गलत है. आगे अमित शाह ने कहा कि राहुल को देश से माफी मांगनी चाहिए.

अमित शाह ने कहा, 'इस्लाम में अभय मुद्रा (जो राहुल गांधी ने बात कही है), इस पर इस्लाम के विद्दानो का मत इस पर ले लें, गुरुनानक जी के अभय मुद्रा के मुद्दे पर SGPC का मत इस पर ले लें. अभय बात तो इनको करने का कोई अधिकार नही है आपातकाल में इन्होंने पूरे देश को भयभीत किया है, आपातकाल के समय वैचारिक आतंक था. दिल्ली में दिन दहाड़े हजारों सिख भाइयों का कत्लेआम हुआ. ये अभय की बात कर रहे हैं. नेता विपक्ष को पहले भाषण में सदन के संग पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.'