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आज का राशिफल, 01 जुलाई 2024 : जानिये राशि के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?*

मेष राशि- एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है। लक्ष्मी का योग बना हुआ है। स्वास्थ्य में बहुत अच्छा बदलाव या एक एनर्जी आ रही है। प्रेम, संतान, व्यापार, परिवार सब कुछ खुशहाल दिख रहा है। काली जी को प्रणाम करते रहें। वृषभ राशि- खर्च बहुत अधिक हो रहा है। स्वास्थ्य थोड़ा सा चिड़चिड़ापन वाला है। प्रेम संतान का साथ है। व्यापार भी लगभग ठीक चल रहा है। लाल वस्तु का दान करें। मिथुन राशि- आय के नए मार्ग बन रहे हैं। रुका हुआ धन भी वापस मिल रहा है। यात्रा का योग बन रहा है। स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। प्रेम संतान बहुत अच्छा है, व्यापार बहुत अच्छा है। बजरंगबली की शरण में बने रहें, उन्हें प्रणाम करते रहें अच्छा होगा। कर्क राशि- व्यापार का विस्तार होगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम का साथ होगा। संतान आज्ञा का पालन करेगी। शुभ समय। लाल वस्तु पास रखें। सिंह राशि- भाग्य साथ देगा। यात्रा का योग बनेगा। धर्म कर्म में हिस्सा लेंगे। कार्यों की विघ्न बाधा खत्म होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम और संतान सब बहुत अच्छे से रहेंगे। लाल वस्तु पास रखें। कन्या राशि- चोट चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। परिस्थितियां प्रतिकूल हैं बचकर पार करें। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम संतान ठीक है। व्यापार भी लगभग ठीक रहेगा। लाल वस्तु का दान करें। तुला राशि- जीवनसाथी के साथ चली आ रही परेशानी दूर होगी। नौकरी चाकरी की स्थिति सुदृढ़ होगी अच्छी होगी। प्रेमी प्रेमिका की मुलाकात संभव है। शादी ब्याह तय हो सकता है कुंवारों के। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार बहुत अच्छा है। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें। वृश्चिक राशि- शत्रु भी मित्र बनने की कोशिश करेंगे। नतमस्तक होंगे। कार्यों की विघ्न बाधा खत्म होगी। स्वास्थ्य थोड़ा नरम गरम, प्रेम संतान अच्छा, व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु पास रखें। धनु राशि- स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम संतान का साथ है। व्यापार बहुत अच्छा है। लिखने पढ़ने में समय व्यतीत करेंगे। शुभ समय है। लाल वस्तु पास रखें। मकर राशि- भूमि भवन वाहन की खरीदारी होगी। भौतिक सुख सुविधा में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम संतान का साथ है। व्यापार बहुत अच्छा है। काली जी को प्रणाम करते रहें। कुंभ राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। अपनों का साथ होगा। एक नयापन सा रहेगा व्यापार में। स्वास्थ्य अच्छा है, प्रेम संतान का भरपूर सहयोग है। व्यापार तो अच्छा बताया ही है हमने। लाल वस्तु का दान करें। मीन राशि- धन का आवक बढ़ेगा। कुटुंबों में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम संतान का साथ होगा। लाल वस्तु पास रखें।
उज्जैन की गढ़कालिका मंदिर, जहाँ होती है पूजा से भक्तों की मनोकामना पूरी, महाकवि कालिदास पर भी थी माँ की कृपा, तभी हुए थे जीवन में सफल

सनातन डेस्क 

महाकाल कि धार्मिक नगरी उज्जैन का नाम आते हीं श्रद्धा से सर झुक जाता है. इस नगरी में शिव सक्षात् विराजमान हैं. उनकी जीवंत शक्तियां को लेकर लोगों में आस्था है जनके दर्शन मात्र से लोगों का कल्याण होता है. वहीँ इस नगरी में शिव के साथ माँ शक्ति भी विराजमान हैं.  

 इसी उज्जैन में महाकवि कालिदास की आराध्य देवी गढ़कालिका का भी मंदिर है। वैसे तो गढ़ कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है, किंतु उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है.

 पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे। नवरात्रि के समय यहां पर तांत्रिक पूजा का बड़ा महत्व है. अष्टमी और नवमी पर यहां रात्रि में तंत्र मंत्र द्वारा पूजा-पाठ अर्चना की जाती है.

महाकवि कालिदास के संबंध में मान्यता है कि जब से वह इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा. कालिदास रचित 'श्यामला दंडक' महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है. ऐसा कहा जाता है कि महाकवि कालिदास के मुख से सबसे पहले यही स्तोत्र प्रकट हुआ था. यहां प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व मां कालिका की पूजा आराधना कर कलश यात्रा निकाली जाती है.

यहां विराजमान मूर्ति सतयुग के समय की मानी जाती है

नवरात्रि में गढ़ कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है.

तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी मूर्ति सतयुग काल के समय की है. बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है.

 बाद यह कहा जाता है कि ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया।

लिंग पुराण में भी कथा है कि जिस समय रामचंद्रजी युद्ध में विजयी होकर अयोध्या जा रहे थे, वे रुद्रसागर तट के निकट ठहरे थे. इसी रात्रि को भगवती कालिका भक्ष्य की खोज में निकली हुईं इधर आ पहुंचीं और हनुमान को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु हनुमान ने महान भीषण रूप धारण कर लिया.

तब देवी डरकर भागीं। उस समय अंश गालित होकर पड़ गया. जो अंश पड़ा रह गया, वही स्थान कालिका के नाम से विख्यात है.

इसी मंदिर के निकट लगा हुआ स्थिर गणेश का प्राचीन और पौराणिक मंदिर है. इसी प्रकार गणेश मंदिर के सामने भी एक हनुमान मंदिर प्राचीन है, वहीं विष्णु की सुंदर चतुर्मुख प्रतिमा है. खेत के बीच में गोरे भैरव का स्थान भी प्राचीन है. गणेशजी के निकट ही से थोड़ी दूरी पर शिप्रा की पुनीत धारा बह रही है. इस घाट पर अनेक सती की मूर्तियां हैं। उज्जैन में जो सतियां हुई हैं; उनका स्मारक स्थापित है. नदी के उस पार उखरेश्वर नामक प्रसिद्ध श्मशान-स्थली है.

 

यहां पर नवरा‍त्रि में लगने वाले मेले के अलावा भिन्न-भिन्न मौकों पर उत्सवों और यज्ञों का आयोजन होता रहता है. मां कालिका के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. 

कालिका माता से क्षम

अगर किसी मानसिक कलह, तनाव या परेशानी से जूझ रहे हैं तो शुक्रवार के दिन मां कालिका के मंदिर में जाकर उनसे अपने द्वारा किए गए सभी जाने-अनजाने पापों की क्षमा मांग लें और फिर कभी कोई बुरा कार्य नहीं करने का वादा कर लें. ध्यान रहे, वादा निभा सकते हों तो ही करें अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। यदि आपने ऐसा 5 शुक्रवार को कर लिया तो तुरंत ही आपके संकट दूर हो जाएंगे.

 

11 या 21 शुक्रवार कालिका के मंदिर जाएं और क्षमा मांगते हुए अपनी क्षमता अनुसार नारियल, हार-फूल चढ़ाकर प्रसाद बांटें. 

माता कालिका की पूजा लाल कुमकुम, अक्षत, गुड़हल के लाल फूल और लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करके भी कर सकते हैं. भोग में हलवे या दूध से बनी मिठाइयों को भी चढ़ा सकते हैं.

 

अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं. अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं, तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन बहुत ही सुखद हो जाता है.

नियति ने हमारे लिए जो भी निर्धारित किया,हमें उसे यह मान लेना चाहिए कि वह अच्छे के लिए किया है!

विनोद आनंद 

हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है उसका निर्धारण नियति ने पहले कर रखा है. इसी लिए किसी भी मुसीबत या घटना के कारण हताश निराश ना हो जाएँ. हमें सभी परिस्थियों का मुकाबला धैर्य और बिना घबराये करना चाहिए. 

क्योंकि नियति के खेल को ना तो हम बदल सकते हैं और नहीं उस से निकल सकते हैं.

 हाँ! यह मान सकते हैं जो कुछ भी हुआ वह भले के लिए हुआ है. हो सकता है इसमें ईश्वर ने मेरे लिए इस में भी कुछ भला सोच रखा हो! जीवन के इस दृष्टांत को अगर हम मान ले तो ना तो हम किसी अप्रत्याशित घटना से घबराकर कोई गलत कदम उठायेंगें और नहीं हम अपने जीवन में किसी मुसीबत से हार जायेंगे.आइये आप को छोटा सा प्रसंग इस कहानी के जरिये बताने की कोशिस करते हैं कि जो कुछ होता है अच्छे के लिए होता है यह सिद्ध हो जाये.

एक राजा अपने मंत्री के साथ आखेट पर निकले। वन में हिरन को देख राजा ने तीर प्रत्यंचा पर चढ़ाया ही था कि जंगल में से एक सूअर निकला और राजा को धक्का देकर भागा।

 इस अप्रत्याशित आघात के कारण तीर की नोक से उनकी उंगली कट गई। रक्त बहने लगा और राजा व्याकुल हो उठे।

राजा की उंगली से खून बहता देखकर मंत्री बोले- 'राजन्! भगवान जो करता है, अच्छे के लिए करता है।

" राजा काफी पीड़ा में थे। मंत्री की बात सुनकर क्रोध से भर उठे। उन्होंने मंत्री को आज्ञा दी कि वो उसी समय उनका साथ छोड़ अन्य राह पकड़ लें। 

मंत्री ने आदेश को सहर्ष स्वीकार किया और भिन्न दिशा में निकल पड़े।

इधर राजा थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि उन्हें जंगल में नरभक्षी कबीले के लोगों ने घेर लिया। वे उन्हें पकड़कर अपने सरदार के पास ले चले। राजा को बलि देने की तैयारी हो ही रही थी कि कबीले के पुजारी ने राजा की कटी उंगली देखकर कहा कि "इसका तो अंग भंग है, इसकी बलि स्वीकार नहीं हो सकती।"

राजा को जीवनदान मिला तो उन्हें तुरंत मंत्री की याद आई। सोचने लगे कि मंत्री ठीक कहते थे - भगवान जो करता है, अच्छे के लिए ही करता है। मुझे उनका साथ नहीं छोड़ना चाहिए था ।

ऐसा सोचते वे आगे बढ़ रहे थे कि उन्हें मंत्री नदी किनारे भजन करते दिखाई पड़े। 

राजा ने प्रेमपूर्वक मंत्री को गले लगाया और उन्हें सारा घटनाक्रम कह सुनाया। इसके बाद राजा ने उनसे प्रश्न किया- "मेरी उंगली कटी, इसमें भगवान ने मेरा भला किया, पर तुम्हें मैंने अपमानित करके भगाया, इससे भला तुम्हारा क्या भला हुआ ?"

मंत्री मुस्कराए और बोले - "राजन् ! यदि आपने मुझे भिन्न राह पर न भेजा होता और मैं आपके साथ होता तो अंग भंग के कारण नरभक्षी आपकी बलि न देते, पर मेरी बलि चढ़नी सुनिश्चित थी। इसलिए भगवान जो करते हैं, अच्छा ही करते हैं।"

आज का राशिफल,30 जून 2024 : जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष:- शुभ समाचार सुनने को मिल सकता है। नौकरी में परिवर्तन की तलाश में हैं तो अवसर मिल सकता हैं। धन निवेश से अच्छा लाभ मिलेगा। प्रबंधन क्षेत्र के छात्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। त्याग एवं सहयोगात्मक भावना होगी। कुछ तनावपूर्ण रिश्तों का अंत संभव है।

वृष:- नियोजित कार्य बहुत अधिक परिणाम नहीं दिखाएगा। परिणाम जो भी हों, सकारात्मक होंगें। आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए दिन शुभ है। उधार दिया पैसा पाने के लिए सौहार्दपूर्ण समझौता करना श्रेयकर रहेगा। कोर्ट के बाहर मुकदमे का निपटारा होगा।

मिथुन:- नौकरी में बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं। विदेश यात्रा भी संभव है। अपनी संभावनाओं के उत्थान की आशा भी कर सकते हैं, क्योंकि वर्तमान नौकरी से अधिक पसंदीदा स्थान पर स्थानांतरित हो सकते हैं। धन में बढ़ोतरी होगी। छात्र पढ़ाई में अच्छा करेंगे।

कर्क:- व्यवसायियों को नए रुझान और रास्ते मिलेंगे, जो उनकी नकदी में वृद्धि करेंगे। वित्तीय स्थिति बहुत मजबूत होगी। आपके द्वारा की गई बचत, परिवार के लिए लाभकारी साबित होगी। बुजुर्ग बच्चों को सफलता प्राप्त करते हुए देख खुश होंगे। नशा से दूर रहें।

सिंह:- दिन कुछ परेशानी लिए हो सकता है। काम के दौरान वैचारिक मतभेदों को लेकर सहयोगियों के साथ संघर्ष में आ सकते हैं। इसलिए व्यावहारिक रहने की जरूरत है। कुछ दोस्त और रिश्तेदार आपके बारे में अलग राय रखेंगे। दूसरों का पक्ष ले सकते हैं।

कन्या:- अधीनस्थ या सहयोगी को संवेदनशील मुद्दों को समझाने में मदद कर सकते हैं। व्यापारी वर्ग ग्राहकों की पसंद में दिलचस्पी लेंगे। आसानी से आर्थिक लाभ अर्जित कर पाएंगे। अविवाहित युवक और युवतियों को जीवनसाथी मिल सकता है। अच्छी ख़बरें मिलेगीं।

तुला:- आर्थिक पक्ष अस्थिर हो सकता है। आलोचक और शत्रु आपके लिए समस्याएं पैदा करेंगे। कूटनीति के प्रयोग से उन्हें चुप करा सकते हैं। दैनिक कार्यक्रम व्यस्त रहेगा। नौकरीपेशा पूर्व में अपने द्वारा किए गए शुभ कृत्यों के लिए मान्यता प्राप्त करेंगे।

वृश्चिक:- जोखिम लेने की क्षमता पर अंकुश लगाना बेहतर होगा। पहले से भी जोखिम उठाए हैं तो उन्हें उपयुक्त रूप से पुरस्कृत किया जाएगा। निवेश समझदारी से करें अन्यथा आर्थिक पक्ष अस्थिर हो सकता है। काम की वजह से यात्रा पर जाना पड़ सकता है।

धनु :-प्रेम संबंधों में लिप्त जातक अपने साथी के साथ भावनात्मक परिवेश में एक नया समीकरण विकसित कर पाएंगे। व्यावसायिक और व्यापारी सभी गतिविधियों में काफी प्रगति होने की संभावना है। आर्थिक रूप से भी समय उत्कृष्ट है। सेहत का ख्‍याल रखें।

मकर :- व्यापारिक सन्दर्भ में विलय हो सकते हैं। कठिन समय है। कार्य स्थल पर बार-बार परिवर्तन भ्रमित कर सकता है। प्रेम संबंधों के लिए अच्छा समय है। बुजुर्ग अपनी संस्कृति, जीवन शैली और तीर्थयात्रा के प्रति अधिक रुचिवान होंगें। विवाहितों को जीवनसाथी से तनाव मिल सकता है।

कुंभ:- व्यापारिक एव व्यावसायिक सन्दर्भ में महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। अपने प्रयासों से चौतरफा सफलता प्राप्त करेंगे। किए गए किसी भी निवेश में लाभ प्राप्त करेंगे। मन संतुष्ट एव शांत रहेगा। यदि जीवनसाथी की खोज कर रहे हैं, तो यह समय अच्छा है।

मीन:- दिन शानदार साबित होगा। कठिन समय के बाद आखिरकार अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ सुकून देख सकेंगे। कड़ी मेहनत और श्रम के लिए इनाम की उम्मीद कर सकते हैं। नौकरी में पदोन्नति मिलेगी। प्रेम संबंधों में सावधानी बरतें। स्वास्थ्य लाभ होगा।

आज का पंचांग, 30 जून 2024: आइए जानते हैं आज पूजा का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय


आज आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। साथ ही आज पंचक भी समाप्त हो रहे हैं। आइए जानते हैं आज पूजा का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय कब से कब तक रहने वाला है।  

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 09, शक सम्वत् 1946, आषाढ़, कृष्ण, नवमी, रविवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 17, जिल्हिजा 23, हिजरी 1445 (मुस्लिम) तदनुसार अंगे्रजी तारीख 30 जून सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल सायं 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक। नवमी तिथि मध्याह्न 12 बजकर 20 मिनट तक उपरांत दशमी तिथि का आरंभ।

रेवती नक्षत्र प्रातः 07 बजकर 34 मिनट तक उपरांत अश्विनी नक्षत्र का आरंभ। अतिगण्ड योग सायं 04 बजकर 14 मिनट तक उपरांत सुकर्मा योग का आरंभ। गर करण मध्याह्न 12 बजकर 20 मिनट तक उपरांत विष्टि करण का आरंभ। चन्द्रमा प्रातः 07 बजकर 34 मिनट तक मीन उपरांत मेष राशि पर संचार करेगाआज के व्रत त्योहार पंचक समाप्त प्रातः 07 बजकर 34 मिनट तक। गण्डमूल विचार।

सूर्योदय का समय 30 जून 2024 : सुबह 5 बजकर 26 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 30 जून 2024 : शाम में 7 बजकर 23 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 30 जून 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 6 मिनट से 4 बजकर 46 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक। अमृत काल सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 30 जून 2024 :

राहुकाल शाम में 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 5 बजकर 32 मिनट से 6 बजकर 27 मिनट तक। भद्राकाल का समय रात में 11 बजकर 21 मिनट से अगले दिन सुबह 5 बजकर 27 मिनट तक। पंचक काल सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 34 मिनट तक।

उपाय : आज सूर्यदेव को जल रोली और चावल मिलाकर चढ़ाएं।

आज का राशिफल, 29जून 2024:जानिये आज राशिफल. के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष राशि– आज का दिन ईश्वरभक्ति और आध्यात्मिक प्रवृत्तियों में बितेगा.आपको थोडी़ बहुत प्रतिकूलताओं का सामना करना पडे़गा. स्वास्थ्य के विषय में कलविशेष ध्यान देना पडेगा. व्याधि के कारण अधिक खर्च होने की भी संभावना है. परिवारजनों के साथ संयम बरतें. आकस्मिक धनलाभ आपके मन के भार को हलका करेगा. बकाया धन व्यापारियों को मिल सकता है.

शुभ अंक:1 शुभ रंग: गुलाबी

वृष राशि– आज आप का कल का दिन मिश्र फलदायी है. शारीरिकरूप से आप को अस्वस्थता का अनुभव होगा. फिर भी आप मानसिकरुप से स्वस्थ रहेंगे. शरीर में स्फूर्ति कम रहने के कारण कार्य करने का उत्साह कम रहेगा. ऊपरी अधिकारियो की अप्रसन्नता भी आपको अखरेगी. आनंद-प्रमोद के पीछे धन का खर्च होगा. प्रवास की संभावना है.

शुभ अंक:2 शुभ रंग:काला

मिथुन राशि– आज आप को व्यापार-सम्बंधित कार्यों में लाभ होगा. उगाही, प्रवास, आय आदि के लिए अच्छा दिन है. सरकार तथा मित्रों, सम्बंधियो से लाभ होगा. उनसे भेंट – उपहार मिलने से आनंद होगा परंतु अग्नि, जल और अकस्मात से दूर रहें. व्यावसायिक कार्य के प्रति भागदौड़ बढेगी.

शुभ अंक:3, शुभ रंग: गुलाबी   

कर्क राशि– आज का दिन आप के लिए लाभकारी है.गृहस्थ जीवन का संपूर्ण आनंद आप ले सकेंगे.मित्रों के साथ सुंदर स्थल पर प्रवास का आयोजन होगा.आय में वृद्धि के योग है. भोजन अच्छा मिल सकता है.विदेश से समाचार मिलेंगे.संतान विषयक चिंता रहेगी.

शुभ अंक:1 शुभ रंग: लाल  

सिंह राशि– आज आपको दुर्घटना से बचने,शल्यचिकित्सा न करवाने एवं तकरार से बचने की जरुरत है.बातचीत में किसी के साथ भ्रांति न हो इसका ध्यान रखें.शारीरिक कष्ट और मानसिक चिंताओं से आप परेशान रहेंगे. आनंद-प्रमोद के पीछे विशेष खर्च होने की संभावना है.स्वजनों के साथ कलह होने का प्रसंग बन सकता है.

शुभ अंक:5 शुभ रंग: गुलाबी 

कन्या राशि– आज आप का दिन शुभफलदायी है. कलआपकी रचनात्मक और कलात्मक शक्ति निखरेगी. शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का खास ध्यान रखें. सृजनात्मक कार्य आप कर सकते हैं. विचार की दृढता से आप काम को अच्छी तरह से पूरा कर पाएँगे.आर्थिक विषयों पर व्यवस्थित योजना बन सकेगा.

शुभ अंक:6 शुभ रंग:हरा   

तुला राशि– आज का दिन आपके लिए शुभ फल देनेवाला है. अपनी मीठी वाणी से किसी का भी दिल आप जीत सकते हैं. आपके कार्य सिद्ध होने की काफी संभावना है. परिवार में आनंद का वातावरण रहेगा. परिवारजनों के साथ सुखपूर्वक समय बितेगा. आर्थिक लाभ होने की संभावना है. आरोग्य अच्छा रहेगा. प्रवास की योजना बनने की संभावना है.

शुभ अंक:7 शुभ रंग:सफेद   

वृश्चिक राशि– आज आप का कलका दिन शुभफलदायी है. आरोग्य की दृष्टि से कलआपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. भाई-बंधुओं के साथ समय आनंदपूर्वक बितेगा. उनसे लाभ भी होगा. किसी सुंदर स्थल पर घुमने जाना हो सकता है. मित्रों और स्वजनों के साथ भेंट होगी. कार्य सफलता से मित्र प्रसन्न होंगे. भावुक संबंधों के बंधन में बंध सकते हैं.

शुभ अंक:8 शुभ रंग: गुलाबी   

धनु राशि– आज मानसिक रुप से स्वस्थ दिन बीतेगा. भोजन के साथ कुछ मीठा भी खाएँगे. आयात-निर्यात से संबंधित विषयों में सफलता प्राप्त होगी. कल आपमें आनंद एवं स्फूर्ति का भाव रहेगा. मन चिंतन,मनन और शांत रहेगा. स्त्रीयों के साथ मनभेद एवं तनाव हो सकती है. धन का व्यय होगा. यश मिलेगा. समयानुसार भोजन मिलेगा.

शुभ अंक:9 शुभ रंग:पीला  

मकर राशि– आज आप तन एवं मन की स्वस्थता का अनुभव करेंगे. कलनया काम शुरु करने की योजना बनेगी,परंतु काम प्रारंभ न करने की जरूरत हैं. कोरांटी रहे अपने एवं अपनों के लिए. किसी जगह पर मानहानि होने की संभावना है. संतान सम्बंधी कार्यों के पीछे व्यय करना पड़ेगा. पाचनक्रिया सम्बंधी बीमारियों से पीड़ित रहेंगे.

शुभ अंक:2 शुभ रंग:क्रीम   

कुम्भ राशि– आज आपका शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. सारा दिन आप आनंद और उल्लास में बिताएंगें. दिन के सभी कार्य योजनानुसार संपन्न होंगे. धन से सम्बंधित लाभ की संभावना रहेगी. मायके से अच्छे समाचार मिलेंगे तथा मायके से लाभ होगा. व्याधिग्रस्त व्यक्तियों का स्वास्थ्य सुधरेगा. ऑफिस के उलझे हुए कार्य संपन्न होंगे. लॉकडाउन का ध्यान रखे.

शुभ अंक:3 शुभ रंग:काला

मीन राशि– आज का दिन गृहस्थ एवं दांपत्य जीवन के लिए बहुत उचित है. जीवनसाथी के साथ समय बीत सकता है और प्रेम का सुखद अनुभव पा सकेंगे. आर्थिक लाभ तथा प्रवास की संभावना है. विचारों में उग्रता तथा अधिकार की भावना बढेगी. आप के कार्य की प्रशंसा भी हो सकती है.संभवतः वाद-विवाद से दूर रहें. वाहनसुख अच्छा रहेगा.

शुभ अंक:1 शुभ रंग: गुलाबी

आज का पंचांग- 29 जून 2024, जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग..?

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आषाढ़

अमांत- ज्येष्ठ

तिथि

अष्टमी - 02:19 पी एम तक

नक्षत्र

उत्तर भाद्रपद - 08:49 ए एम तक

योग

शोभन - 06:54 पी एम तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 05:26 ए एम

सूर्यास्त- 07:23 पी एम

चन्द्रोदय- 12:42 ए एम, जून 30

चन्द्रास्त- 12:50 पी एम

अशुभ काल

राहू- 08:55 ए एम से 10:40 ए एम

यम गण्ड- 02:09 पी एम से 03:54 पी एम

कुलिक-08:55 ए एम से 10:40 ए एम

आडल योग-  08:49 ए एम से 05:27 ए एम, जून 30

दुर्मुहूर्त- 05:26 ए एम से 06:22 ए एम, 06:22 ए एम से 07:18 ए एम

वर्ज्यम्- 08:12 पी एम से 09:43 पी एम

शुभ काल

अभिजित मुहूर्त - 12:15 पी एम से 01:08 पी एम

अमृत काल - 05:17 ए एम, जून 30 से 06:48 ए एम, जून 30

ब्रह्म मुहूर्त - 04:38 ए एम से 05:21 ए एम

प्रेरक प्रसंग: अहंकार विनाश का कारण होता है,अहंकारी व्यक्ति अपने जीवन में कैसे धोखा खाता है जानिये इस कहानी के जरिये

  - विनोद आनंद 

अहंकार एक ऐसी पवृति है कि इसके वश में आये हर व्यक्ति को जीवन में धोखा खाना पड़ता है.आज इतिहास का पन्ना पलट कर देखिये सफल से सफल मनुष्य हो उसके विनाश का कारण उनका अहंकार हीं होता है. अगर रावण अहंकारी नहीं होता तो राम रावण युद्ध नहीं होता और एक साधारण वनबासी राम से इतने ताकतवर विशाल सैन्य से सुज्जित रावण का विनाश नहीं होता. महाभारत में भी दर्योधन का अभिमान हीं उसे ले डूबा और विशाल सेना महान योद्धाओं का साथ भी साधारण सा पांच पांडव से वाह अपनी रक्षा नहीं कर पाया.

इसी लिए अहंकार विनाश का कारण होता है. अहंकार से आप कि सारी चलकियां भी धरी के धरी रह जाती है. आप जीवन में कितना भी सफल क्यों न हो लेकिन अपनी क्षमता, अपनी ताकत, अपनी धन्, अपने कौशल, अपनी सुंदरता किसी भी चीज पर कभी अहंकार नहीं करें. 

अहंकार में आप कैसी नादानी कर बैठते हो और धोखा भी खाते हो आओ एक छोटी सी कहानी कर जरिये आप को समझाता हुँ.

 एक गांव में एक मूर्तिकार (मूर्ति बनाने वाला) रहता था। वह ऐसी मूर्तियां बनता था, जिन्हें देख कर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था। 

आस-पास के सभी गांव में उसकी प्रसिद्धि थी, लोग उसकी मूर्तिकला के कायल थे। इसीलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था। जीवन के सफर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उसे लगने लगा कि अब उसकी मृत्यु होने वाली है, वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएगा। उसे जब लगा कि जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है तो वह परेशानी में पड़ गया। 

यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई। उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियां बनाई और खुद उन मूर्तियों के बीच जा कर बैठ गया।

दंग रह गए यमदूत, जानिए फिर क्या हुआ....

यमदूत जब उसे लेने आए तो एक जैसी ग्यारह आकृतियों को देखकर दंग रह गए। वे पहचान नहीं कर पा रहे थे कि उन मूर्तियों में से असली मनुष्य कौन है। वे सोचने लगे अब क्या किया जाए। अगर मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो सृष्टि का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा। 

अचानक एक यमदूत को मानव स्वाभाव के सबसे बड़े दुर्गुण अहंकार को परखने का विचार आया। उसने मूर्तियों को देखते हुए कहा, कितनी सुन्दर मूर्तियां बनी हैं, लेकिन मूर्तियों में एक त्रुटी है। काश मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता, तो मैं उसे बताता मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है।

यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा, उसने सोचा, मेने अपना पूरा जीवन मूर्तियां बनाने में समर्पित कर दिया, भला मेरी मूर्तियों में क्या गलती हो सकती है? वह बोल उठा “कैसी त्रुटी”… झट से यमदूत ने उसे पकड़ लिया और कहा “बस यही गलती कर गए तुम अपने अहंकार में कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करती”…!! इस कहानी की शिक्षा यही है कि अहंकार ने हमेशा इन्सान को परेशानी और दुःख के सिवा कुछ नहीं दिया।

इसी लिए कभी भी अपनी किसी कला, क्षमता, धन सम्पदा, सुंदरता अपनी ताकत और किसी भी चीज पर अहंकार नहीं करें

आध्यत्मिक केंद्र :- आज व्यस्त और तनावपूर्ण जिंदगी में अगर आपको सकून कि तलाश है तो जाऐं वेल्लिंगिरी पर्वत पर स्थित ईशा फाउंडेशन

आलेख- विनोद आनंद 

आज व्यस्त और तनावपूर्ण जिंदगी में सकून तलाश कि अगर जरुरत है तो कई स्वयंसेवी संस्थाओं में से एक ईशा फाउंडेशन है.जहाँ आप मनोरम प्रकृति के गोद में जाकर ध्यान योग और मेडिटेशन के जरिये अपने व्याकुल मन को शांत कर सकते हैं.

यह केंद्र उन सभी लोगों की सहायता करने के लिए एक पवित्र स्थान है जहाँ अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो वह भी कर सकते हैं , ईशा संस्थान वर्तमान में एक समृद्ध समुदाय के लिए आवश्यक सुविधाओं का विस्तार और विकास कर रहा है। 

चाहे कोई व्यक्ति यहाँ पूर्णकालिक या अंशकालिक रूप से रहना चाहे, परिवार को साथ रहना चाहे, या दूर से काम करना चाहे, उसके लिए आवास के विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं।

ईशा फाउंडेशन क्या करता है?

ईशा फाउंडेशन, एक जीवंत आध्यात्मिक आंदोलन, व्यक्तिगत विकास का समर्थन करने, मानवीय भावना को पुनर्जीवित करने, समुदायों के पुनर्निर्माण और पर्यावरण को बहाल करने के लिए कई बड़े पैमाने पर मानव सेवा परियोजनाओं को भी लागू करता है।

ईशा फाउंडेशन एक स्वयंसेवी संगठन है और यह दुनिया भर में इनर इंजीनियरिंग पूरा करने वाले स्वयंसेवकों को निस्वार्थ कर्म के माध्यम से आगे बढ़ने का अवसर देता है। स्वयंसेवा आपको ईशा योग केंद्र का गहन अनुभव प्राप्त करने का अवसर देता है।

ईशा फाउंडेशन के गुरु कौन है?

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने साल 1983 में अपने 7 साथियों के साथ योग क्लास की शुरुआत की थी। आज उनका 'ईशा योग फाउंडेशन' किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कोयंबटूर से करीब 30 किलोमीटर दूर वेल्लिंगिरी की पहाड़ी पर स्थित ईशा फाउंडेशन योग के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र बन गया है।150 एकड़ में फैला है ईशा फाउंडेशन,जहाँ 112 फिट ऊंचे 'आदियोगी' की विशाल मूर्ति भी स्थापित है जो यहाँ कि भव्यता और मनोरम दृश्य को चार चाँद लगा देता है.

ईशा आश्रम में रहने का खर्चा कितना है?

कोयंबटूर में ईशा योग आश्रम में जाने के लिए आपको कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ेगा क्योंकि प्रवेश निःशुल्क है। यदि आप ध्यानलिंग और लिंग भैरवी के दर्शन के लिए कुछ घंटे या एक दिन बिताना चाहते हैं तो आपको कुछ भी भुगतान नहीं करना होगा।लेकिन अगर आप स्थायी रूप से यहाँ निवास करना चाहते हैं इसका शुल्क तय है जिसकी जानकारी ईशा फाउंडशन के साइट पर मिल जाएगा.

आज ईशा फाउंडेशन केरल में है जिसका कुल सम्पति 1,500 करोड़ रुपये हैं. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव भी करोड़ों के मालिक हैं. उनकी कुल नेटवर्थ 18 करोड़ रुपये की है.

क्या हम ईशा फाउंडेशन में रह सकते हैं?

उन सभी लोगों की सहायता करने के लिए जो एक पवित्र स्थान पर अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, ईशा संस्थान वर्तमान में एक समृद्ध समुदाय के लिए आवश्यक सुविधाओं का विस्तार और विकास कर रहा है। चाहे कोई व्यक्ति यहाँ पूर्णकालिक या अंशकालिक रूप से रहना चाहे, परिवार को साथ लाना चाहे, या दूर से काम करना चाहे, उसके लिए आवास के विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं।

ईशा फाउंडेशन क्यों जाएं?

ईशा आत्म-परिवर्तन के लिए एक पवित्र स्थान है, जहाँ आप अपने आंतरिक विकास के लिए समय समर्पित कर सकते हैं। यह केंद्र योग के सभी चार प्रमुख मार्ग प्रदान करता है - क्रिया (ऊर्जा), ज्ञान (ज्ञान), कर्म (कार्रवाई), और भक्ति (भक्ति), जो दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करता है

ईशा फाउंडेशन क्या करता है?

ईशा फाउंडेशन, एक जीवंत आध्यात्मिक आंदोलन, व्यक्तिगत विकास का समर्थन करने, मानवीय भावना को पुनर्जीवित करने, समुदायों के पुनर्निर्माण और पर्यावरण को बहाल करने के लिए कई बड़े पैमाने पर मानव सेवा परियोजनाओं को भी लागू करता है।

दुर्गम गुफा के अंदर कर्नाटक का अनोखा नरसिंह झिरा मंदिर जहाँ होती है भक्तों कि मनोकामनायें पूरी, गुजरना होता है कमर भर पानी के बीच से


सनातन डेस्क

हमारा देश भारत हजारों मंदिरों और तीर्थ स्थलों से भाड़ा हुआ है जहाँ लोग पूजा करते हैं और ईश्वर से अपनी मनो कामनाये पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हैं 

शास्त्रों के अनुसार, ऐसे स्थानों की संख्या लगभग साठ हजार करोड़ है। इनमें से प्रत्येक तीर्थ महत्वपूर्ण है और अपने साधक को आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करने की शक्ति रखता है। 

विशेष रूप से, दक्षिण भारत में भगवान नरसिंह को समर्पित मंदिरों की भरमार है।

यहाँ भगवान नरसिंह के मंदिर घने जंगलों में हैं, कुछ विशाल नदियों के किनारे हैं, कुछ दुर्गम गुफाओं में हैं, कुछ झरनों के किनारे हैं, कुछ ज़मीन के नीचे हैं और सिर्फ़ एक मंदिर ऐसा है जहाँ पानी के भीतर भगवान नरसिंह की पूजा होती है। 

नरसिंह झिरा गुफा मंदिर या नरसिंह झरना गुफा मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित एक स्थान है, जहां भगवान विष्णु के 4 वें अवतार, दिव्य सिंह अवतार का स्थल माना जाता है।

 यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जहाँ भक्तगण भगवान नरसिंह की पूजा करने के लिए पानी में से गुजरते हुए एक अनोखी तीर्थ यात्रा करते हैं। लोग मंत्रों के रूप में भक्ति के साथ गोविंदा-गोविंदा और नरसिंह हरि-हरि शब्दों का उच्चारण करते हैं। 

इस मंदिर को लेकर कई मान्यतायें है

लोग इसे कई नामों से भी जानते हैं झरानी नरसिंह गुफा मंदिर, झरनी नरसिंह स्वामी,

झरनी नरसिंह मंदिर,समेत कई नाम हैं जो इस मंदिर के लिए प्रचलित है.

यह मंदिर इतना क्यों महत्वपूर्ण है...?

आइये हम आपको बताते हैं कि कर्नाटक में झरनी नरसिंह मंदिर इतना महत्वपूर्ण क्यों है, जो हजारों किलोमीटर दूर से लोगों को आकर्षित करता है। 

झरनी नरसिंह मंदिर का महत्व 

मंदिर के अंदर स्थापित देवता स्वयंभू हैं, जो शालिग्राम का रूप धारण करते हैं - यह दर्शाता है कि देवता स्वयं प्रकट हुए हैं और उनमें जबरदस्त शक्ति है। इस मंदिर की एक असाधारण विशेषता गीले कपड़े पहनकर दर्शन करने की अनूठी प्रथा है, जो इसे दुनिया में कहीं भी पाए जाने वाले किसी भी अन्य पूजा स्थल से अलग एक अद्वितीय पूजा स्थल बनाती है।

ऐसा माना जाता है कि नरसिंह झिरा मंदिर की तीर्थयात्रा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

इसके अलावा, ऋषि विदुर कभी झरनी नरसिंह मंदिर के पवित्र परिसर में निवास करते थे, जिसके कारण इसे विदुरनगर का दूसरा नाम मिला। इसके अलावा, महाभारत में एक प्रमुख व्यक्ति, शक्तिशाली राजा नल ने इसी स्थान पर दमयंती से मुलाकात की थी।

एक अनोखी परंपरा के तहत तीर्थयात्री मंदिर में प्रवेश करते समय अपने बच्चों को कंधे पर उठाकर ले जाते हैं। माना जाता है कि मंदिर का औषधीय जल त्वचा संबंधी बीमारियों से पीड़ित भक्तों को राहत पहुंचाता है। साथ ही, यह मंदिर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद चाहने वाले दंपत्तियों के लिए विशेष महत्व रखता है।

नरसिंह मंदिर का इतिहास

इतिहास के अनुसार, भगवान नरसिंह ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था, जो नारायण के भक्त प्रह्लाद को नुकसान पहुँचाना चाहता था। इसके बाद, भगवान ने झारासुर (जलासुर) नामक एक अन्य राक्षस का भी सामना किया और उसे पराजित किया। उल्लेखनीय है कि झारासुर भगवान शिव का एक परम भक्त था।

जब झारसुर अपने जीवन के अंत के करीब था, तो उसने भगवान नरसिंह से उस गुफा में निवास करने की प्रार्थना की, जिसे वह अपना घर कहता था, ताकि वहाँ आने वाले भक्तों की भीड़ को आशीर्वाद दे सके। भगवान नरसिंह ने कृपापूर्वक झारसुर की इच्छा पूरी की और गुफा के भीतर ही रहे, जबकि झारसुर भगवान नरसिंह के दिव्य चरणों में एक बहती हुई धारा में बदल गया। 

इसी कारण से, इस मंदिर को "जल नरसिंह स्वामी मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, झरनी नरसिंह मंदिर के गर्भगृह के भीतर एक शिव लिंग है, जिसकी झारसुर ने पूजा की थी।

यह भी कहा जाता है कि झारासुर नामक राक्षस ने अपने नाखूनों से इस गुफा की खुदाई की थी। खास बात यह है कि आज भी गुफा की दीवारों पर उसके नाखूनों के निशान देखे जा सकते हैं।

इस मंदिर की तीर्थयात्रा के लिए सबसे अनुकूल समय सर्दियों का मौसम है। इस क्षेत्र में गर्मियाँ असाधारण रूप से झुलसाने वाली होती हैं। इसलिए, दिसंबर और जनवरी श्री झरनी नरसिंह मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम है। 

इस मंदिर कि कुछ जानकारी जो आपके लिए है जरुरी

बीदर नरसिंह स्वामी मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

कर्नाटक में नरसिंह मंदिर तक जाने के लिए हवाई, रेल या सड़क मार्ग का सहारा लिया जा सकता है। 

वायुमार्ग: बीदर का निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद का बेगमपेट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 120 किलोमीटर दूर है।

रेल द्वारा: बीदर हैदराबाद और बैंगलोर दोनों के साथ कुशल रेल संपर्क का आनंद उठाता है। यात्री गुलबर्गा शहर के लिए ट्रेन का विकल्प भी चुन सकते हैं, उसके बाद बीदर के लिए बस यात्रा कर सकते हैं, जिसमें आमतौर पर लगभग ढाई घंटे लगते हैं।

सड़क मार्ग से: बैंगलोर-हैदराबाद मार्ग पर NH 7 और NH 9 के माध्यम से नियमित निजी बस सेवाएँ चलती हैं, जिनकी यात्रा लगभग 16 घंटे की होती है। बीदर हैदराबाद से लगभग 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और तेलंगाना में ज़हीराबाद लगभग 31 किलोमीटर दूर है।

 

यह मंदिर उत्तरी कर्नाटक के बीदर जिले में एक गुफा में स्थित है, जहाँ पानी 300 मीटर तक बहता है। यह मंदिर बीदर शहर से एक किलोमीटर दूर है। देवता के चरणों तक पहुँचने के लिए आपको कमर तक गहरे पानी से गुजरना पड़ता है। यह मंदिर मणिचूला पहाड़ी श्रृंखला के नीचे स्थित है और यह सुबह आठ बजे खुलता है। यह भगवान नरसिंह का 300 मीटर लंबा पानी से भरा गुफा मंदिर है।झरनी

अनूठी खासियत:

नरसिंह झिरा गुफा मंदिर, शक्तिशाली भगवान नरसिंह को समर्पित है, और इसे नरसिंह जर्ना गुफा मंदिर और झरानी नरसिंह मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। नरसिंह झिरा गुफा मंदिर की मूर्ति एक स्वयंभू रूप है - दूसरे शब्दों में, देवता स्वयं प्रकट हुए हैं और बहुत शक्तिशाली हैं। भगवान विष्णु के चौथे अवतार, भगवान नरसिंह, आधे मानव और आधे शेर हैं।

हर साल लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस मंदिर में बड़ी संख्या में आते हैं। यह पवित्र मंदिर बीदर की एक गुफा में स्थित है।

अवलोकन

झरनीयह प्रसिद्ध गुफा मंदिर एक गुफा के अंत में दीवार पर शक्तिशाली देवता भगवान नरसिंह को स्थापित करता है, और यह एक वास्तुशिल्प आश्चर्य है। कहा जाता है कि इस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से पानी की एक बारहमासी धारा लगातार बह रही है। भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए गुफा जैसी सुरंग के माध्यम से 300 मीटर तक कमर तक गहरे पानी में चलना एक रोमांचकारी अनुभव है। यह बीदर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

नरसिंह झिरा गुफा मंदिर अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है। मंदिर एक गुफा में स्थित है जहाँ पानी 300 मीटर की ऊँचाई तक बहता है

स्थल पुराण

नरसिंह झिरा मंदिर के बारे में एक मिथक है जिसमें उल्लेख है कि शक्तिशाली भगवान नरसिंह ने सबसे पहले हिरण्यकश्यप का वध किया और फिर राक्षस जलसुर का वध किया जो भगवान शिव का कट्टर भक्त था। भगवान नरसिंह द्वारा मारे जाने के बाद, राक्षस जलसुर पानी में बदल गया और भगवान नरसिंह के पैरों से बहने लगा। और आज भी भगवान के पैरों से पानी बहता रहता है और गुफा को भरता है।

इसलिए, भगवान तक पहुँचने के लिए हमें 300 फ़ीट लंबी गुफा से होकर गुजरना होगा, जिसमें लगभग 4 फ़ीट गहरा पानी है। गुफा की छत से लटके चमगादड़ रोमांच को और बढ़ा देते हैं। हाल ही में लाइटिंग और वेंटिलेशन लगाया गया है। आपको नरसिंह झिरा गुफा मंदिर के बाहर स्थित पानी के फव्वारे में जल्दी से स्नान करना होगा।

गुफा के अंत में दो देवता हैं - भगवान नरसिंह और एक शिव लिंग जिसकी राक्षस जलासुर ने पूजा की थी। यहाँ बहुत कम जगह होने के कारण लगभग आठ लोग खड़े होकर इस शानदार नज़ारे को देख सकते हैं। बाकी लोगों को पानी में इंतज़ार करना होगा।