लोकसभा में आपातकाल को लेकर हंगामा, जानें अध्यक्ष ओम बिरला ने इमरजेंसी पर क्या-क्या कहा?
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18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज बुधवार को लोकसभा में ध्वनिमत से बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। इस दौरान पीएम मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी परंपरा के अनुसार आसन तक लेकर गए। ओम बिरला ने 18वीं लोकसभा के अपने पहले संबोधन में आपातकाल को याद किया।लोकसभा अध्यक्ष का अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की कड़े शब्दों में निंदा की और कांग्रेस पर जमकर बरसे. साथ ही साथ सदन में दो मिनट का मौन रखा गया। इस बीच विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।हंगामे को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी।
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आज लोकसभा में आपातकाल पर पेश किए गए प्रस्ताव पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'ये सदन 1975 में देश में आपातकाल(इमरजेंसी) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।
उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था। भारत की पहचान पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर है। भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का संवर्धन हुआ, हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा की गई, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई। ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी थीं और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। इमरजेंसी का वो समय हमारे देश के इतिहास में एक अन्याय काल था, एक काला कालखंड था। आपातकाल लगाने के बाद उस समय की कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय किए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावना को कुचलने का काम किया।
स्पीकर के आपातकाल पर दिए संबोधन और कल गुजरी आपातकाल की बरसीं पर मौन रखा गया। इस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी।









लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई, जिसके कारण चुनाव कराने की नौबत आई है। आज 18वीं लोकसभा के स्पीकर के लिए चुनाव होने हैं।लोकसभा में स्पीकर चुनने के लिए सुबह 11 बजे वोटिंग होगी। सत्ता पक्ष यानी एनडीए की ओर से ओम बिरला और कांग्रेस की ओर से के सुरेश के बीच मुकाबला है।48 साल में पहली बार ऐसा होगा, जब आम सहमति नहीं बन पाने की वजह से स्पीकर के लिए चुनाव कराया जाएगा। ऐसे में सबकी नजर संख्या बल पर होगी। भाजपा-कांग्रेस के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। एक-दूसरे के खेमे में सेंध लगाने की कोशिश भी हो सकती है। भाजपा के सामने जहां हर हाल में जीत के इतर राजग में एकजुटता बनाए रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस के सामने इंडिया ब्लॉक में शामिल दलों को एकसूत्र में बांधे रखने की। दोनों ही खेमे एकदूसरे के गठजोड़ में सेंध लगाने की कोशिश में भी जुट गए हैं। विपक्ष के पास पर्याप्त नंबर नहीं हैं, फिर भी कांग्रेस की अगुवाई में इंडिया अलायंस ताल ठोंक रहा है। गठबंधन के पास 236 सांसद हैं। इसके अलावा निर्दलीय समेत अन्य 13 सांसद हैं। अगर ये 13 सांसद इंडिया गठबंधन को वोट देते हैं, तब भी संख्या 249 रह जाएगी, लेकिन स्पीकर पद का चुनाव जीतने के लिए इंडिया गठबंधन को 271 वोटों की जरूरत होगी। उसके पास 22 सांसद कम हैं पहले कहा जा रहा था कि शायद तृणमूल कांग्रेस स्पीकर के चुनाव में इंडिया अलायंस का साथ नहीं देगी, लेकिन रात में हुई बैठक में उनके नेता नजर आए। उधर, भाजपा के नेतृत्व में एनडीए के दल भी एकजुट नजर आ रहे हैं। संख्या बल की दृष्टि से भाजपा की अगुवाई वाले राजग को आरामदायक बहुमत हासिल है। एनडीए के पक्ष में 293 सांसद हैं जो जीत के लिए जरूरी संख्या से 21 ज्यादा हैं। आंकड़ों को देखें तो लोकसभा में अभी 240 अकेले बीजेपी के पास हैं। जबकि टीडीपी के 16 और जेडीयू के 12 सांसदों समेत 53 सांसदों का उन्हें समर्थन है। उधर, आंध्र प्रदेश के जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी ने भी एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है। इससे एनडीए के पास आंकड़ा बढ़कर 293 हो गया है। बीजेपी के नेताओं ने कुछ और दलों और निर्दलीय सांसदों से भी बात की है। सूत्रों के मुताबिक, आकाली दल, नगीने से सांसद चंद्रशेखर, शिलांग से सांसद डॉ रिक्की एंड्रयू भी NDA उम्मीदवार के समर्थन में वोट कर सकते हैं। भाजपा की चुनौती यह है कि मतदान के दौरान राजग में यह एकजुटता बनी रहे। एक भी दल का राजग उम्मीदवार से किनारा करना, गठबंधन में फूट पड़ने का संदेश देगा। यही वजह है कि स्पीकर चुनाव के पहले एनडीए फ्लोर मैनेजमेंट करने में लगी हुई है। आज एनडीए के नेता ब्रेकफास्ट पर बैठकें करेंगे। महाराष्ट्र के सभी सांसद महाराष्ट्र सदन में, तो यूपी के सांसद पंकज चौधरी के घर नाश्ते पर मिलेंगे। सर्बानंद सोनोवाल के घर पर असम समेत सभी पूर्वोत्तर सांसद और आंध्र प्रदेश के सांसद 50 अशोक रोड नाश्ते पर मिलेंगे। कर्नाटक के सांसद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के घर नाश्ते पर मिलेंगे।




Jun 26 2024, 14:15
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