केंद्र सरकार की बिहार को बड़ी सौगात : नबीनगर NSTPS बिजली परियोजना क्षमता विस्तार को दी मंजूरी, औरंगाबाद के साथ-साथ बिहार की बदलेगी तस्वीर
औरंगाबाद : केंद्र सरकार ने बिहार को एक बड़ी सौगात दी है। सरकार ने एनटीपीसी लि. के पूर्ण स्वामित्व की 1980 मेगावाट ताप विद्युत उत्पादन क्षमता वाली औरंगाबाद के नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (NSTPS) के क्षमता विस्तार स्टेज-2 को मंजूरी दे दी है। स्टेज-2 के तहत एनएसटीपीएस में 800-800 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली तीन नई इकाइयां स्थापित की जाएंगी। तीन नई इकाइयों की स्थापना से एनएसटीपीएस की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1,800 मेगावाट से बढ़कर 4,380 मेगावाट हो जाएगी। इससे यह परियोजना सर्वाधिक बिजली उत्पादन करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी ताप विद्युत परियोजना बन जाएगी। केंद्र द्वारा दी गई मंजूरी के तहत एनएसटीपीएस के क्षमता विस्तार के लिए 25 हजार करोड़ से अधिक का निवेश होगा। यह निवेश बिहार में किसी भी परियोजना के लिए अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। परियोजना के 2,400 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता विस्तार के लिए शीघ्र ही निविदा की जाएगी।
25 हजार करोड़ के निवेश से बदल जाएगी औरंगाबाद की तस्वीर
केंद्र सरकार और उर्जा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एनएसटीपीएस के स्टेज-2 के तहत 800-800 मेगावाट (कुल 2,400 मेगावाट) बिजली उत्पादन क्षमता वाली तीन नई इकाइयों को धरातल पर उतारने के लिए 25 हजार करोड़ से अधिक का निवेश किया जाएगा। यह बिहार में किसी भी परियोजना के लिए अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा। इस निवेश से इस पूरे इलाके की तस्वीर बदल जाएगी। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि आएगी। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए साधन उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही पुनर्वास और पुनर्स्थापना तथा नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में भी काफी मदद मिलेगी। इस मद में जिले में, खासकर परियोजना प्रभावित इलाके में करोड़ों रुपये से बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इतनी बड़ी परियोजना के लिए व्यापक मानव संसाधन की आवश्यकता होगी और इस निवेश से प्रत्येक आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहन मिलेगा।
फिलहाल नबीनगर में दो बिजली परियोजनाएं कार्यरत हैं। इनमें एक 1,000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली भारतीय रेल और एनटीपीसी का संयुक्त उपक्रम भारतीय रेल बिजली कंपनी लि. (बीआरबीसीएल), जबकि दूसरी एनटीपीसी लि. के पूर्ण स्वामित्व वाली नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एनएसटीपीएस) है। इसकी वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता 1,980 मेगावाट है। इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण से औरंगाबाद की तस्वीर बदली है। इस बार केंद्र ने इन दोनों परियोजनाओं से भी अधिक बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र के विकास में कितना बड़ा बदलाव आएगा और आधारभूत संरचना का भी किस हद तक विकास हो सकेगा। परियोजना के स्टेज-2 में बड़ी राशि के निवेश और परियोजना के पूरा होने पर बिहार को विभिन्न प्रकार के टैक्स के मद में प्रतिवर्ष करोड़ों का राजस्व बढ़ेगा।
NSTPS बिजली परियोजना क्षमता विस्तार को मंजूरी
देश की दूसरी सबसे बड़ी बिजली उत्पादन वाली परियोजना बनेगी NSTPS
एनएसटीपीएस के स्टेज-2 के पूरा होने पर नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन देश का सर्वाधिक ताप विद्युत उत्पादन करने वाला देश का दूसरा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा। स्टेज-2 के पूरा होने से परियोजना से कुल 4,380 मेगावाट बिजली उत्पादित होगी। वर्तमान में विंध्याचल सुपर थर्मल पावर स्टेशन देश का पहला और सबसे अधिक बिजली उत्पादन करने वाला बड़ा प्रोजेक्ट है। जहां लगभग 4,800 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। गौरतलब है कि एनएसटीपीएस में प्रथम चरण में 660-660 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली तीन इकाइयां स्थापित हैं जो वर्तमान में कुल 1,980 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं।
मेगा थर्मल पावर स्टेशन का मिलेगा दर्जा
एनएसटीपीएस की उत्पादन क्षमता में 2400 मेगावाट की वृद्धि होने के बाद इस परियोजना का दर्जा सुपर थर्मल पावर स्टेशन से बदलकर मेगा थर्मल पावर स्टेशन का हो जाएगा। इससे इस परियोजना को मशीनरी और निर्माण आदि में कर की छूट के अलावा कई अन्य प्रकार की सुविधा हासिल होती रहेगी।
परियोजना से बिहार को होगा बड़ा लाभ
एनएसटीपीएस के स्टेज-2 प्रोजेक्ट की स्थापना से बिहार को सर्वाधिक फायदा होने वाला है। इसके पूरा होने से बिहार की बिजली के लिए दूसरे राज्यों की बिजली परियोजनाओं पर निर्भरता दूर हो जाएगी। साथ ही अगले चार वर्षों में बढ़ने वाली बिजली की आवश्यकता की भी पूर्ति इस परियोजना के माध्यम से आसानी से हो सकेगी। बिहार को बिजली के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बल्कि अपने ही राज्य खासकर औरंगाबाद में उत्पादित 4,380 मेगावाट बिजली से राज्य की बिजली आवश्यकताओं की आधा से अधिक की पूर्ति हो सकेगी। साथ ही स्टेज 2 में बड़े पैमाने पर निवेश और इसके पूरा होने पर बिहार को विभिन्न प्रकार के टैक्स के मद में भी प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का राजस्व बढ़ेगा।
NSTPS बिजली परियोजना क्षमता विस्तार को मंजूरी
एनएसटीपीएस के बिजली उत्पादन क्षमता में विस्तार की स्टेज-2 परियोजना के लिए किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मामले में निविदा की प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य आरंभ हो सकता है, क्योंकि कई तरह की सुविधाएं और संसाधन इस परियोजना के पास पहले से ही उपलब्ध हैं। उदाहरण के रूप में इस परियोजना के पास आज भी 1,400 एकड़ सरप्लस जमीन उपलब्ध है। मतलब साफ है कि परियोजना के स्टेज-2 के लिए भूमि अधिग्रहण की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं करनी होगी। साथ ही परियोजना में पहले से ही रेलवे ट्रैक, वॉटर पाइपलाइन और कूलिंग पांड आदि कई तरह की आधारभूत संरचनाएं पहले से ही उपलब्ध हैं। इसलिए इन बुनियादी संरचनाओं का नए सिरे से निर्माण करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि इन्ही संरचनाओं का आंशिक विस्तार कर इनका स्टेज-2 के लिए इस्तेमाल हो सकेगा।
माना जा रहा है कि इन आधारभूत संरचनाओं की पूर्व से ही उपलब्धता की वजह से एनएसटीपीएस के क्षमता विस्तार को मंजूरी दी गई है, क्योंकि 800-800 मेगावाट की तीन नई इकाइयों यानी 2,400 मेगावाट और बिजली उत्पादन के लिए एनएसटीपीएस के पास इन संरचनाओं की पहले से मौजूदगी की स्थिति इससे बेहतर विकल्प कोई और हो ही नहीं सकता था। साथ ही स्टेज-2 के निर्माण पर सुरक्षा के लिए भी कोई अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि यहां पहले से ही यह सारे इंतजाम हैं। यहां भूमि समेत कई सारे संसाधन पहले से ही मौजूद होने और कोयले के आवंटन के लिए कोलियरियों के प्लांट से निकटता के कारण बिजली के उत्पादन खर्च में भी कमी आएगी। इस कारण यहां से उत्पादित बिजली भी सस्ती होगी, जिसका सीधा लाभ बिहार और उपभोक्ताओं को मिल सकेगा। इस तरह एनएसटीपीएस में नई इकाइयों का निर्माण खुद एनटीपीसी के लिए भी बेहद लाभदायक है। संभवतः इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा यहां क्षमता विस्तार को मंजूरी दी गई है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Jun 24 2024, 20:25