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बांसुरी स्वराज ने दिलाई मां सुषमा स्वराज की याद, जानें क्या है मामला
#bansuri_swaraj_take_oath_as_lok_sabha_mp_in_sanskrit

दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने सोमवार को लोकसभा की सदस्यता ग्रहण की। बांसुरी स्वराज के शपथ ग्रहण को देखकर उनकी मां और बीजेपी की दिग्गज नेता दिवंगत सुषमा स्वराज की याद ताजा हो गई। दरअसल, बांसुरी स्वराज ने संस्कृत भाषा में 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। इससे पहले सुषमा स्वराज जब साल 2014 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुई थी, तब उन्होंने भी बतौर संसद सदस्य संस्कृत में शपथ ली थी।

शपथ लेने के बाद उन्होंने ट्वीट किया, “नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में आज 18वीं लोकसभा के संसद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करने का गौरव प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिभाशाली नेतृत्व में हम सब विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बांसुरी स्वराज पहली बार सांसद चुनी गई हैं। बांसुरी स्वराज ने नई दिल्ली लोकसभा सीट से 453185 मत हासिल की है। उन्होंने के तीन बार के विधायक रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सोमनाथ भारती को 78370 मतों से पराजित किया। बांसुरी स्वराज को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मौका मिला जहां से दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सहित कई प्रमुख नेताओं ने चुनाव लड़ा है।
जेपी नड्डा को मिली बड़ी जिम्मेदारी, राज्यसभा में बनाए गए सदन के नेता, पीयूष गोयल की लेंगे जगह
#jp_nadda_as_leader_of_house_in_rajya_sabha
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को राज्यसभा में नेता सदन बनाया गया है। नड्डा राज्यसभा में पीयूष गोयल की जगह लेंगे।नड्डा के पास केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उर्वरक व रसायन मंत्रालय का जिम्मा भी है। राज्यसभा की वेबसाइट पर भी नड्डा का नाम बतौर सदन का नेता अपडेट किया गया है।

बता दें कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पीयूष गोयल मुंबई उत्तर से मैदान में उतारा था। मुंबई में पार्टी के लिए जीत दर्ज करते हुए पीयूष गोयल अब लोकसभा सांसद बन चुके हैं। वे 4 जून को लोकसभा सांसद चुने गए और 24 जून को निचले सदन में शपथ ली। गोयल को 5 जुलाई 2010 को राज्यसभा सांसद चुना गया था। 14 जुलाई 2021 को उन्हें सदन का नेता घोषित किया गया था।

कांग्रेस ने नड्डा को राज्यसभा में सदन का नेता नामित किए जाने पर उन्हें बधाई दी और कहा कि यदि सदन के नेता सभी को समायोजित करेंगे तो विपक्ष सहयोग करेगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जेपी नड्डा जी को राज्यसभा में सदन के नेता के रूप में नामित किए जाने पर बधाई। जैसा कि वेंकैया नायडू (पूर्व उपराष्ट्रपति एवं उच्च सदन के पूर्व सभापति) ने कहा था - यदि सदन के नेता समायोजित कर सकते हैं, तो विपक्ष सहयोग कर सकता है।’’
अनशन पर बैठी केजरीवाल की मंत्री आतिशी की बिगड़ी तबीयत, डॉक्टरों ने दी हॉस्पिटल में एडमिट होने की सलाह, जानें पूरा मामला
#doctors_advised_atishi_to_be_admitted_to_hospital
दिल्ली में जल संकट पर सियासी पारा बढ़ा हुआ है। जल मंत्री आतिशी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं। अनशन का आज चौथा दिन है।पानी सत्याग्रह पर बैठी मंत्री आतिशी को मेडिकल टीम ने आज जांच करने के बाद अस्पताल में एडमिट होने की सलाह दी है।हालांकि, आतिशी ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया।21 जून से दिल्ली की जलमंत्री आतिशी 28 लाख दिल्लीवालों को हरियाणा से उनके हक का पानी दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं।


देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों जल संकट गहराया हुआ है। जल संकट को लेकर अनशन पर बैठीं जल मंत्री आतिशी का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। अनशन के चौथे दिन सोमवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य की जांच की।  उनके स्वास्थ्य में भारी गिरावट को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है।

चिकित्सकों के मुताबिक 21 जून को अनशन पर बैठने के पूर्व उनका वजन 65.8 किलो था, जो अनशन के चौथे दिन घटकर 63.6 किलो पर पहुंच गया। मात्र 4 दिन में ही वजन 2.2 किलो घट गया। अनशन के पहले दिन की तुलना में चौथे दिन जल मंत्री आतिशी के ब्लड शुगर लेवल में 28 यूनिट की गिरावट आई है। उनका ब्लड प्रेशर लेवल भी कम हुआ है। जिस तेजी से उनका शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर और वजन घटा है, चिकित्सकों ने उसे खतरनाक बताया है। जल मंत्री आतिशी का कीटोन स्तर भी बढ़ता जा रहा है। उनके शरीर में कीटोन की मात्रा का इस प्रकार बढ़ना उनकी सेहत के लिए खतरनाक होगा

वहीं, आतिशी का कहना है, मेरी जान से ज्यादा दिल्ली की जनता को पानी दिलाना जरूरी है। जब तक दिल्लीवालों को उनके हक का पानी नहीं मिल जाता, उनका अनशन जारी रहेगा।आतिशी ने वीडियो मैसेज जारी किया है। डॉक्टर बता रहे हैं मेरा कीटोन लेवल खतरनाक है। डॉक्टर ने कहा कि मुझे अनशन से उठ जाना चाहिए। दिल्ली में पानी लाने के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हूं। मैं अपना अनशन जारी रखूंगी।
अनशन पर बैठी केजरीवाल की मंत्री आतिशी की बिगड़ी तबीयत, डॉक्टरों ने दी हॉस्पिटल में एडमिट होने की सलाह, जानें पूरा मामला
#doctors_advised_atishi_to_be_admitted_to_hospital
दिल्ली में जल संकट पर सियासी पारा बढ़ा हुआ है। जल मंत्री आतिशी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं। अनशन का आज चौथा दिन है।पानी सत्याग्रह पर बैठी मंत्री आतिशी को मेडिकल टीम ने आज जांच करने के बाद अस्पताल में एडमिट होने की सलाह दी है।हालांकि, आतिशी ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया।21 जून से दिल्ली की जलमंत्री आतिशी 28 लाख दिल्लीवालों को हरियाणा से उनके हक का पानी दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं।


देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों जल संकट गहराया हुआ है। जल संकट को लेकर अनशन पर बैठीं जल मंत्री आतिशी का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। अनशन के चौथे दिन सोमवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य की जांच की।  उनके स्वास्थ्य में भारी गिरावट को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है।

चिकित्सकों के मुताबिक 21 जून को अनशन पर बैठने के पूर्व उनका वजन 65.8 किलो था, जो अनशन के चौथे दिन घटकर 63.6 किलो पर पहुंच गया। मात्र 4 दिन में ही वजन 2.2 किलो घट गया। अनशन के पहले दिन की तुलना में चौथे दिन जल मंत्री आतिशी के ब्लड शुगर लेवल में 28 यूनिट की गिरावट आई है। उनका ब्लड प्रेशर लेवल भी कम हुआ है। जिस तेजी से उनका शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर और वजन घटा है, चिकित्सकों ने उसे खतरनाक बताया है। जल मंत्री आतिशी का कीटोन स्तर भी बढ़ता जा रहा है। उनके शरीर में कीटोन की मात्रा का इस प्रकार बढ़ना उनकी सेहत के लिए खतरनाक होगा

वहीं, आतिशी का कहना है, मेरी जान से ज्यादा दिल्ली की जनता को पानी दिलाना जरूरी है। जब तक दिल्लीवालों को उनके हक का पानी नहीं मिल जाता, उनका अनशन जारी रहेगा।आतिशी ने वीडियो मैसेज जारी किया है। डॉक्टर बता रहे हैं मेरा कीटोन लेवल खतरनाक है। डॉक्टर ने कहा कि मुझे अनशन से उठ जाना चाहिए। दिल्ली में पानी लाने के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हूं। मैं अपना अनशन जारी रखूंगी।
अब केरल नहीं केरलम कहिए, विधानसभा में प्रस्ताव पारित, बस केंद्र की मंजूरी का इंतजार
#kerala_assembly_passes_new_resolution_to_change_state_name_as_keralam कर्नाटक विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से केरल राज्य का नाम केरलम करने का प्रस्ताव पारित किया है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव का कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया।बता दें कि बीते साल अगस्त में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन तकनीकी मुद्दों के कारण इसे फिर से पेश करना पड़ा। दरअसल, केन्द्र ने पुराने प्रस्ताव को वापस लौटाते हुए उसमें सुधार की बात कही गई थी, जिसके बाद सदन ने नया प्रस्ताव पारित किया।ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के विधायक एन शमसुदीन ने इसमें संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसे बहुमत से खारिज कर दिया गया। अब यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र की मंजूरी मिलते ही केरल का नाम केरलम हो जाएगा।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव में मांग की गई कि संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर 'केरलम' करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। आईयूएमएल विधायक एन शमसुद्दीन ने प्रस्ताव में संशोधन पेश करते हुए अधिक स्पष्टता लाने के लिए शब्दों को पुनर्गठित करने का सुझाव दिया। हालांकि, सदन ने संशोधन को खारिज कर दिया।

शुरुआत में प्रस्ताव में संविधान की पहली अनुसूची और आठवीं अनुसूची दोनों में संशोधन की मांग की गई थी। हालांकि, केंद्रीय गृह विभाग की सलाह के बाद जिसमें सुझाव दिया गया था कि केवल पहली अनुसूची में ही बदलाव की आवश्यकता है। प्रस्ताव को संशोधित किया गया और फिर से पेश किया गया।

सीएम पिनाराई विजयन ने बताया कि अब नए सिरे से प्रस्ताव लाया गया है, जो राज्य के लोगों की आकांक्षा के अनुरुप है। उन्होंने कहा कि अभी मलायलम में केरल को केरलम कहा जाता है, मगर आधिकारिक रिकॉर्ड में केरल लिखा जा रहा है। इसका नाम बदलना जरूरी है।

‘केरलम’ एक ऐसा नाम है, जिसकी ऐतिहासिक और साहित्यिक जड़ें गहरी हैं, लेकिन अंग्रेजों ने ‘केरल’ नाम को लोकप्रिय बनाया। राज्य के गठन के 65 साल से भी अधिक समय बाद मलयाली लोगों ने अभी तक सभी आधिकारिक दस्तावेजों में ‘केरलम’ नाम को आधिकारिक तौर पर पुनः प्राप्त नहीं किया है। मलयालम में राज्य को ‘केरलम’ कहा जाता है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में भी इसे अंग्रेजी में ‘केरल सरकार’ लिखा जाता है।

बता दें कि देश में भाषा के आधार पर कई शहरों के नाम बदले गए हैं। इससे पहले 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओड़िशा किया गया है। उत्तराखंड के नाम भी दो बार बदले जा चुके हैं। उत्तरांचल और उत्तराखंड नाम को लेकर लंबे समय तक उलटफेर चलता रहा। इसके अलावा बंबई, मद्रास, औरंगाबाद, फैजाबाद, मुगलसराय जैसे शहरों के नाम बदले गए हैं। 1995 में महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने बंबई का नाम बदलकर मुंबई कर दिया। 1996 में मद्रास को नया नाम चेन्नई बना। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले भी छत्रपति संभाजी नगर कहलाता है। योगी आदित्यनाथ के दौर में फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या और मुगलसराय को दीन दयाल उपाध्याय नगर किया गया।
एक और संकट में फंसा देवगौड़ा परिवार, प्रज्वल रेवन्ना के बाद भाई सूरज रेवन्ना अप्राकृतिक यौन शोषण मामले में गिरफ्तार
#jds_leader_hd_revanna_son_and_mlc_suraj_revanna_sent_to_14_day_judicial_custody
देवगौड़ा परिवार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कई महिलाओं के साथ यौन शोषण करने के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना के बाद भाई सूरज रेवन्नै को भी पुलिस ने यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार कर लिया है।प्रज्वल रेवन्ना के बड़े भाई सूरज रेवन्ना पर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता ने अप्राकृतिक यौन शोषण का आरोप है। पार्टी के एक पुरुष कार्यकर्ता के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार जेडीएस के विधान परिषद सदस्य सूरज रेवन्ना को रविवार को यहां एक मजिस्ट्रेट अदालत के सामने पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मामले की जांच दिन में ही आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दी गई थी। इसके बाद सूरज को हासन से बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया। 42वें अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत (एसीएमएम) के जज के सामने उनके घर पर पेश किया गया।

सूरज रेवन्ना पर हासन जिले के होलेनरसिपुरा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में कुछ दिन पहले एक पार्टी कार्यकर्ता का कथित तौर पर यौन शोषण करने का मामला दर्ज किया गया। 27 साल के एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत की थी कि होलेनरसीपुरा के विधायक एचडी रेवन्ना के सबसे बड़े बेटे सूरज रेवन्ना ने 16 जून को घन्नीकाडा स्थित अपने फार्महाउस में उसका यौन शोषण किया। इस पर पुलिस ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।

जिसके बाद सूरज पर आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें अप्राकृतिक यौनाचार के अपराध भी शामिल हैं। सूरज से हासन के सीईएन पुलिस थाने में रातभर पूछताछ की गई और फिर सुबह उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उसे मेडिकल जांच के लिए हासन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) ले जाया गया।

सूरज रेवन्ना जेडी(एस) विधायक एचडी रेवन्ना के बेटे और केंद्रीय मंत्री व कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं। पेशे से डॉक्टर सूरज पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के परिवार के सातवें सदस्य हैं जो कर्नाटक में संवैधानिक पद पर चुने गए हैं। उन्होंने जनवरी 2022 में विधान परिषद के लिए हासन स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।

सूरज रेवन्ना की गिरफ्तारी के साथ ही एचडी रेवन्ना के दोनों बेटे अब सलाखों के पीछे हैं, जबकि खुद रेवन्ना और उनकी पत्नी भवानी रेवन्ना कथित अपहरण के एक मामले में जमानत पर बाहर हैं। सूरज से पहले हासन से पूर्व सांसद और उनके छोटे भाई प्रज्वल रेवन्ना जेल में बंद है, जिन पर बलात्कार के आरोप लगे हैं और उन्हें 31 मई को गिरफ्तार किया गया था।प्रज्वल रेवन्ना पर कई महिलाओं से यौन उत्पीड़न के आरोप हैं और उनके खिलाफ रेप-छेड़छाड़ के अलावा ब्लैकमेलिंग और धमकी देने के आरोपों से जुड़े अब तक तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं।
पीएम मोदी ने इमरजेंसी को बताया “काला धब्बा”, खरगे-राहुल ने बोला हमला, जानें क्या कहा

#pm_modi_called_emergency_a_black_spot_on_democracy_then_kharge_hit_back

18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। उन्होंने लोकसभा चुनाव और तीसरी बार चुने जाने पर जनता को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने आपालकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस ने जमकर हमला बोला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राहुल गांधी तक ने पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी के इमरजेंसी पर दिए गए बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि बार-बार वह एक ही बात करते हैं, उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। पीएम मोदी की आपातकाल वाली टिप्पणी पर वे कहते हैं, “वे यह बात 100 बार कहेंगे। बिना इमरजेंसी की घोषणा किए आप यह कर रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि एक ही बात को बार-बार कर के आप कब तक हुकुमत करना चाहते हैं? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि आप आपातकाल की याद दिला रहे हैं, लेकिन वे पिछले 10 वर्षों के अघोषित आपातकाल को भूल गए हैं, जो लोगों ने खत्म कर दिया था।

वहीं, खरगे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल का सहारा लेते हुए भी पीएम पर निशाना साधा है। खरगे ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि पीएम हमेशा जिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं उसे आज जरूरत से ज्यादा बोल गए है, इसे कहते हैं कि रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया। पीएम के भाषण को टारगेट करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश ने पीएम से आशा लगाई थी कि वो अपने भाषण में अहम मुद्दों की बात करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोगों ने सोचा था कि वह NEET व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि इसमें उनके सरकार की धांधली और भ्रष्टाचार है जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने नहीं ली। न ही उन्होंने हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए रेल दुर्घटना के बारे में कुछ कहा। आगे उन्होंने लिखा कि एक साल से ज्यादा समय मणिपुर में हिंसा हो रही है लेकिन न ही पीएम मोदी वहां गए और न ही हाल की हिंसा का जिक्र किया।

वहीं, रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह जो आक्रमण संविधान पर कर रहे हैं, वो हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है और वो हम नहीं होने देंगे इसलिए हमने शपथ लेते समय संविधान पकड़ा था...हिंदुस्तान के संविधान को कोई शक्ति नहीं छू सकती..."

बता दें कि लोकसभा सत्र शुरू होने से पहेल पीएम ने आज इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले इसकी घोषणा को भारतीय लोकतंत्र पर एक "काला धब्बा" बताया। पीएम ने आगे कहा, "भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से नकार दिया गया, संविधान के हर हिस्से को टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया, देश को जेलखाना बना दिया गया, लोकतंत्र को पूरी तरह से दबा दिया गया। अपने संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र की, लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए, देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा करने की हिम्मत न कर सके जो 50 साल पहले किया गया था। हम जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे। हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुसार सामान्य लोगों के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।"

केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली कोई राहत, जमानत पर रोक के खिलाफ अब 26 जून को सुनवाई
#supreme_court_posts_delhi_cm_arvind_kejriwal_plea_for_june_26  दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटोले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उनकी जमानत पर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से रोक लगाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांक‍ि उनकी सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं म‍िली।जमानत पर रोक के खिलाफ अब 26 जून को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।जस्टिस मनोज मिश्रा और एसवीएन भट्टी की अवकाश पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट को अपना आदेश देने दीजिए। हम आपको 26 जून को सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े ईडी के मामले में जमानत आदेश पर उच्च न्यायालय की रोक हटाने का अनुरोध किया। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने केजरीवाल की याचिका का विरोध किया और कहा कि हाईकोर्ट उनकी रोक याचिका पर फैसला सुनाने वाला है। सिंघवी ने कहा कि जमानत मिलने के बाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक नहीं है।जो कैदियों के संबंध में दिया गया था। केजरीवाल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के 10 मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी। सिंघवी ने दलील दी क‍ि मान लीजिए कि हाईकोर्ट ने ईडी की याचिका खारिज कर दी, तो उस समय की भरपाई कैसे की जा सकेगी जो केजरीवाल ने निचली अदालत से मिली जमानत के बाद बिना कारण जेल मे बिताए हैं। जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि एक-दो दिन में हाईकोर्ट से फैसला आदेश आने की संभावना है। सिंघवी ने कहा क‍ि मैं अंतरिम तौर पर क्यों नहीं रिहा हो सकता? निचली अदालत से मेरे पक्ष में फैसला आ चुका है। जस्टिस मिश्रा ने कहा क‍ि अगर हम अभी कोई आदेश पारित करते हैं तो हम मामले पर हाईकोर्ट से पहले ही फैसला सुना देंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक सिंघवी से कहा कि अगर वह हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ सीएम केजरीवाल की याचिका पर कोई आदेश पारित करता है, तो यह मामले को लेकर पूर्वाग्रह होगा। बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वे पिछले शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे, लेकिन हाईकोर्ट ने संघीय जांच एजेंसी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी जमानत पर स्टे दे दिया। बता दें कि निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को इस पर अंतरिम रोक लगा दी। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट की एक अवकाशकालीन पीठ ने कहा था कि अगले आदेश तक जिस फैसले को चुनौती दी गई है, उसे अमल में नहीं लाया जा सकेगा। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को 24 जून तक लिखित दलील दाखिल करने को कहा था। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है।
लोग डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिए है परंतु यहाँ डॉक्टर- शैतान का रूप में है देखिए
लोग डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिए है परंतु यहाँ डॉक्टर- शैतान का रूप में है देखिए
18वीं लोकसभा का हंगामेदार आगाज, INDIA गठबंधन के सांसदों ने संविधान की प्रति लेकर किया विरोध प्रदर्शन
#18th_lok_sabha_session_india_alliance_protest_in_parliament

18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो गया है। जैसा की आशंका जताई जा रही थी, वैसे ही सत्र की हंगामेदार शुरूआत हुई है।विपक्ष का संसद भवन में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। उसने सरकार पर संविधान तोड़ने का आरोप लगाया।18वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कैबिनेट मंत्रियों के बाद राज्य मंत्रियों ने सदन की सदस्यता की शपथ ग्रहण की।

प्रोटेम स्पीकर की शपथ के बाद 10 बजकर 30 मिनट पर सदन की कार्रवाई शुरू हुई। सबसे पहले सांसदों की शपथ का कार्यक्रम शुरू हुआ। पीएम मोदी ने सदन के नेता के तौर पर सबसे पहले शपथ लेने पहुंचे। इसके बाद राजनाथ सिंह, अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्री एक-एक शपथ लेने पहुंचे। जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शपथ के लिए पहुंचे तो विपक्ष ने नीट, नीट, नीट और शेम शेम शेम बोलते हुए नारेबाजी की। सभी विपक्षी सांसदों ने उनका जमकर विरोध किया।

इससे पहले विपक्ष के सभी सांसदों ने हाथों में संविधान की काॅपी लेकर विरोध किया। संसद सत्र शुरू होने से पहले इंडिया गठबंधन के सभी सांसद संसद भवन में गांधी प्रतिमा के सामने एकत्रित हुए और उन्होंने संविधान की कॉपी लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी भी विरोध प्रदर्शन में मौजूद थीं और उन्होंने भी संविधान की कॉपी लहराई। उन्होंने कहा कि संसद में संविधान बोलेगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपरा को खत्म किया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी भी शामिल हुई।

वहीं, संसद सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कल आपातकाल के 50 साल पूरे हो जाएंगे। इस दिन लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा था। इमरजेंसी में देश को जेलखाना बना दिया था। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर कड़े प्रहार किए। पीएम मोदी ने कहा कि देश को अच्छे विपक्ष की आवश्यकता है। उम्मीद है विपक्ष इस बार सार्थक चर्चा करेगा और लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखेगा। हम जनता का विश्वास और मजबूत करेंगे। हमारे पास दो बार सरकार चलाने का अनुभव है। लोग नहीं चाहते कि संसद में नखरे और ड्रामा हो। पीएम ने कहा कि माननीय सभी सांसदों से देश को बहुत अपेक्षाएं हैं. मैं उनसे अपील करूंगा कि वे जनहित के मुद्दे उठाएं।