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सैम पित्रोदा के चाइनीज-अफ्रीकन वाले बयान पर भड़के रॉबर्ट वाड्रा, बताया “बकवास”

#robert_vadra_reaction_sam_pitroda_statement

सैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। बुधवार को अपने रंगभेद वाले बयान पर मचे सियासी घमासान के बीच सैम पित्रोदा ने ये कदम उठाया।सैम ने अंग्रेज़ी अख़बार को दिए इंटरव्यू में पश्चिम में रहने वालों की तुलना अरब, उत्तर भारत के लोगों की तुलना गोरों, दक्षिण भारत में रहने वालों की तुलना अफ्रीका और पूर्व में रहने वाले लोगों की तुलना चीन में रहने वाले लोगों से की थी। भारतीयों के रंग के लेकर की गई इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने भी किनारा कर लिया था।हालांकि इस्तीफा देने के बाद भी पित्रोदा अपनों के निशाने पर हैं।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने पित्रोदा बयान पर प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने पित्रोदा के बयान को 'बकवास' करार दिया है।

सैम पित्रोदा के विवादित बयानों पर रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि अगर कोई रिटायर होकर दुनिया के किसी कोने में बैठा है, तो वह चाहता है कि उसका नाम ऊंचा हो और उसी के लिए वो फालतू के बयान देता है।रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि सुर्खियों में बने रहने के लिए अगर पित्रोदा सोफे पर बैठकर कुछ भी कहते हैं, तो वो केवल बकवास है। जब वाड्रा से पूछा गया कि क्या सैम पित्रोदा बीजेपी के इशारे पर टिप्पणी कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वाड्रा ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि इससे पहले वो कुछ और बोलें उन्हें रिटायर कर देना चाहिए। 

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, … जब आप इस(गांधी) परिवार से जुड़े होते हैं, तो बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है, आपको कोई भी कदम उठाने से पहले सोचना होगा। सैम पित्रोदा ने जो कहा है, उससे मैं बिल्कुल असहमत हूं. उन्होंने बकवास की बात की है। जो व्यक्ति इतना पढ़ा-लिखा हो वह ऐसा कैसे कह सकता है? वाड्रा ने कहा कि वे राजीव गांधी के बहुत करीबी थे लेकिन उन्हें थोड़ा जिम्मेदार होना चाहिए। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनके एक बयान से बीजेपी को अनावश्यक मुद्दे उठाने का मौका मिल जाता है।

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के पूर्व चेयरमैन सैम पित्रोदा ने अंग्रेज़ी अख़बार को दिए इंटरव्यू में भारतीयों की विविधता का जिक्र करते हुए टिप्पणी की थी। वह भारत के विविधतापूर्ण संस्कृति पर अपने विचार रख रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह विवादित बयान दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि उत्तर भारत के लोग तो सफेद गोरे जैसे नजर आते हैं, जबकि पूर्वी भारत के लोग चाइनीज जैसे दिखते हैं। इस बयान में आगे पित्रोदा ने कहा कि दक्षिण भारतीय लोग अफ्रीकी जैसे और पश्चिम भारत के लोग अरब के लोगों जैसे दिखते हैं। उन्होंने आगे कहा था कि भारत जैसे विविधता वाले देश में फिर भी सभी एक साथ रहते हैं।

*राहुल गांधी ने अडानी-अंबानी से पैसे लिए! पहली बार दोनों उद्योगपतियों का नाम लेकर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर बोला हमला, मिले ये जवाब*
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आज तक कांग्रेस ने अडानी-अंबानी के नाम पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरा है। उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अदानी का नाम अकसर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषणों में सुनाई देता रहा है। हालांकि, अब स्थिति बदलती दिख रही है। अब अडानी-अंबानी के नाम पर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला करने के लिए नया सियासी हथियार मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आरोप लगाया कि जब से चुनाव घोषित हुआ है, इन्होंने (राहुल गांधी) अंबानी, अदानी को गाली देना बंद कर दिया। यही नहीं, उन्होंने कांग्रेस पर सभी हमलों को रोकने के लिए अडानी और अंबानी से काला धन उठाने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अंबानी और अडानी को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस नेता हमलावर हो रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी के बयान का जवाब देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के टेम्पु का ड्राइवर कौन और खलासी कौन है, यह पूरा देश जानता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर कहा, वक्त बदल रहा है। दोस्त दोस्त ना रहा। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी पीएम मोदी पर सियासी हमला किया। गहलोत और डोटासरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए बयान जारी करते हुए कहा कि अब तो पीएम मोदी ने भी मान लिया है कि अडानी और अंबानी के पास कालाधन है। राहुल गांधी का पीएम मोदी को जवाब अडानी-अंबानी पर पीएम मोदी के बयान पर राहुल गांधी ने जवाब दिया। राहुल गांधी ने कहा, "नमस्कार मोदी जी, थोड़ा सा घबरा गए क्या। आमतौर पर आप बंद कमरों में अदानी और अंबानी जी की बात करते हो। आपने पहली बार पब्लिक में अंबानी, अदानी बोला। आपको ये भी मालूम है कि ये टेम्पो में पैसा देते हैं। निजी अनुभव है क्या?" राहुल बोले, "एक काम कीजिए, सीबीआई और ईडी को इनके पास भेजिए। पूरी जानकारी करिए। जांच करवाइए। जल्दी से जल्दी करवाइए। घबराइए मत मोदी जी। मैं देश को फिर दोहराकर कह रहा हूं कि जितना पैसा नरेंद्र मोदी जी ने इनको दिया है न.. उतना ही पैसा हम हिंदुस्तान के ग़रीबों को देने जा रहे हैं। इन्होंने 22 अरबपति बनाए हैं। हम करोड़ों लखपति बनाएंगे।" खरगे ने कहा- दोस्त दोस्त ना रहा…! राहुल गांधी ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने ट्वीट कर कहा, वक्त बदल रहा है। दोस्त दोस्त ना रहा…! तीन चरणों के चुनाव पूरे हो जाने के बाद आज प्रधानमंत्री जी अपने मित्रों पर ही हमलावर हो गए हैं। इससे पता चल रहा है कि मोदी जी की कुर्सी डगमगा रही है। यही परिणाम के असली रुझान है। आज से पहले नोटों से भरे बोरे कहां खाली होते थे-गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी के बयान का पलटवार करते हुए कहा कि 'चलो यह खुलासा तो प्रधानमंत्री जी ने बेबाकी से कर ही दिया कि अडानी-अंबानी के पास अकूत कालाधन मौजूद है जिस पर हाथ डालने की हिम्मत वे 10 साल में नहीं कर पाये।' गहलोत ने आगे लिखा कि 'अब मोदी जी को ये भी बता देना चाहिए कि आज से पहले नोटों से भरे बोरे और टेम्पो किनके यहां खाली होते थे। क्या कहा था पीएम मोदी ने? तेलंगाना के करीमनगर में पीएम मोदी ने बुधवार को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस से प्रश्न पूछा कि आखिर लोकसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद अंबानी और अडानी का नाम लेना क्यों बंद कर दिया? प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कांग्रेस के शहजादे पिछले 5 साल से सुबह उठते ही माला जपना शुरू करते थे। जबसे उनका राफेल वाला ग्राउंडेड हो गया। तब से उन्होंने एक नई माला जपना शुरू किया। 5 साल से एक ही माला जपते थे, '5 उद्योगपति', फिर धीरे-धीरे कहने लगे 'अंबानी', 'अडानी'। पीएम मोदी ने कहा, ''लेकिन जब से चुनाव घोषित हुआ है, इन्होंने अंबानी, अदाणी को गाली देना बंद कर दिया है।ग्रेस के शहजादे से पूछना चाहता हूं कि उन्हें अडानी, अंबानी से कितना माल मिला है? कालाधन के बोरे भर के रुपए मारे हैं? क्या सौदा हुआ है कि आपने रातों-रात अंबानी, अडानी को गाली देना बंद कर दिया। जरूर दाल में कुछ काला है।
कल है अक्षय तृतीया, इस विधि से करें पूजा, जल्द प्रसन्न होगी मां लक्ष्मी, खरीदारी और दान दक्षिणा का भी है विशेष महत्व

इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. अक्षय तृतीया के दिन विशेष वस्तुओं की खरीदारी तथा दान-धर्म का कार्य करना बेहद ही शुभ माना जाता है. किन्तु, इस दिन सोना खरीदना भी बेहद शुभ बताया गया है. इस बार अक्षय तृतीया बहुत ही विशेष मानी जा रही है क्योंकि इस बार अक्षय तृतीया पर धन योग, गजकेसरी योग, शुक्रादित्य योग, रवि योग एवं सुकर्मा योग का निर्माण होने जा रहा है. अक्षय तृतीया पूजा विधि अक्षय तृतीया के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें तथा पूजा का संकल्प लें. एक चौकी पर नारायण एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. फिर पंचामृत एवं गंगाजल मिले जल से स्नान कराएं. इसके बाद चंदन एवं इत्र लगाएं. फिर पुष्प, तुलसी, हल्दी या रोली लगे चावल, दीपक, धूप आदि अर्पित करें. संभव हो तो सत्यनारायण की कथा का पाठ करें या गीता का 18वां अध्याय पढ़ें. भगवान के मंत्र का जाप करें. इसके अतिरिक्त नैवेद्य अर्पित करें तथा अंत में आरती करके अपनी भूल की क्षमा याचना करें. अक्षय तृतीया का महत्व अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. इस दिन देवी लक्ष्मी की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. माता लक्ष्मी के साथ प्रभु श्री विष्णु की पूजा भी अवश्य करें. ऐसा करने से घर में सदैव खुशहाली बनी रहेगी. अक्षय तृतीया के दिन अबूझ मुहूर्त होता है तो इस दिन किया गया हर काम शुभ और फलदायी होता है.
भारत में तेजी से घट रही है हिंदुओं की आबादी, 65 सालों में मुसलमानों की जनसंख्या में 43 फीसदी का इजाफा

#hindusshareinindiapopulationshrunk8_percent

भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी में बड़ी गिरावट देखी गई है। वहीं, मुस्लिमों की आबादी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल ने ये आंकड़ा जारी किया है। सरकारी पैनल ने 65 साल की स्टडी की है, जिसमें ये खुलासा हुआ। भारत ही नहीं, नेपाल और म्यांमार में भी हिंदुओं की संख्या घटी है। स्टडी के मुताबिक, मुस्लिम बहुल देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुसलमानों की संख्या बढ़ी है। बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी 18 पर्सेंट बढ़ी है तो पाकिस्तान में ये आंकड़ा 10 फीसदी है।

इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसदी कम हो गई है। वहीं, इसी दौरान मुस्लिमों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आसान भाषा में समझें तो 1950 में हिंदू 84.68 प्रतिशत थे। हालांकि, 2015 में हिंदुओं की हिस्सेदारी 78.06 फीसदी पर आ गई। इस दौरान हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी हुई। वहीं, 1950 में मुस्लिम भारत में 9.84 फीसदी थे। 2015 में बढ़ोतरी के साथ ये संख्या 14.09 फीसदी हो गई है। 1951-2015 के बीच मुस्लिमों की आबादी में 43.15 फीसदी का इजाफा देखा गया।

बांग्लादेश-पाकिस्तान, नेपाल में भी घटे हिंदू

इसके विपरीत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की संख्या बढ़ गई और अल्पसंख्यकों की संख्या सिमट गई। 1971 में अस्तित्व में आए बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में इस तरह की सबसे बड़ी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में मुसलमानों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। अफगानिस्तान में भी मुस्लिम आबादी 88.75 फीसद से बढ़कर 89.01 फीसद पहुंच गई। नेपाल में तीन प्रमुख धर्मों में से बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 4 प्रतिशत की गिरावट आई। बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में 3 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि मुस्लिम आबादी में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

म्यांमार में बौद्ध आबादी में भी आई गिरावट

दक्षिण एशियाई देशों में 65 साल में आए जनसांख्यिकी परिवर्तन की तस्वीर पेश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी 78.53 फीसद से घटकर 70.80 फीसद रह गई है। जबकि श्रीलंका में बहुसंख्यक बौद्धों की आबादी में 64.28 से बढ़कर 67.65 फीसद हो गई है। श्रीलंका की तरह ही भूटान में भी बौद्धों की आबादी में जबरदस्त इजाफा हुआ है और यह 71.44 फीसद से बढ़कर 84.07 फीसद पहुंच गई।

भारत में तेजी से घट रही है हिंदुओं की आबादी, 65 सालों में मुसलमानों की जनसंख्या में 43 फीसदी का इजाफा*
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भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी में बड़ी गिरावट देखी गई है। वहीं, मुस्लिमों की आबादी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल ने ये आंकड़ा जारी किया है। सरकारी पैनल ने 65 साल की स्टडी की है, जिसमें ये खुलासा हुआ। भारत ही नहीं, नेपाल और म्यांमार में भी हिंदुओं की संख्या घटी है। स्टडी के मुताबिक, मुस्लिम बहुल देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुसलमानों की संख्या बढ़ी है। बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी 18 पर्सेंट बढ़ी है तो पाकिस्तान में ये आंकड़ा 10 फीसदी है। इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसदी कम हो गई है। वहीं, इसी दौरान मुस्लिमों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आसान भाषा में समझें तो 1950 में हिंदू 84.68 प्रतिशत थे। हालांकि, 2015 में हिंदुओं की हिस्सेदारी 78.06 फीसदी पर आ गई। इस दौरान हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी हुई। वहीं, 1950 में मुस्लिम भारत में 9.84 फीसदी थे। 2015 में बढ़ोतरी के साथ ये संख्या 14.09 फीसदी हो गई है। 1951-2015 के बीच मुस्लिमों की आबादी में 43.15 फीसदी का इजाफा देखा गया। *बांग्लादेश-पाकिस्तान, नेपाल में भी घटे हिंदू* इसके विपरीत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की संख्या बढ़ गई और अल्पसंख्यकों की संख्या सिमट गई। 1971 में अस्तित्व में आए बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में इस तरह की सबसे बड़ी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में मुसलमानों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। अफगानिस्तान में भी मुस्लिम आबादी 88.75 फीसद से बढ़कर 89.01 फीसद पहुंच गई। नेपाल में तीन प्रमुख धर्मों में से बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 4 प्रतिशत की गिरावट आई। बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में 3 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि मुस्लिम आबादी में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। *म्यांमार में बौद्ध आबादी में भी आई गिरावट* दक्षिण एशियाई देशों में 65 साल में आए जनसांख्यिकी परिवर्तन की तस्वीर पेश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी 78.53 फीसद से घटकर 70.80 फीसद रह गई है। जबकि श्रीलंका में बहुसंख्यक बौद्धों की आबादी में 64.28 से बढ़कर 67.65 फीसद हो गई है। श्रीलंका की तरह ही भूटान में भी बौद्धों की आबादी में जबरदस्त इजाफा हुआ है और यह 71.44 फीसद से बढ़कर 84.07 फीसद पहुंच गई।
खालिस्तान आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले में रूस की अमेरिका को दो टूक, कहा-बेबुनियाद आरोप लगाना भारत का अपमान

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खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रचने वाले आरोपों पर रूस ने भारत को साथ दिया है। उसने पन्नू की हत्या के प्रयास की साजिश के मामले में भारत पर लगातार निराधार आरोप लगाने के लिए अमेरिका को आड़े हाथों लिया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने भारत पर लगाए गए अमेरिका के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए आरोपों को खारिज कर दिया है।रूस ने कहा कि वाशिंगटन ने अब तक कोई विश्वसनीय जानकारी या सबूत नहीं दिया है, जिससे यह साबित हो सके कि गुरपतवंत सिंह पन्‍नू की हत्‍या की साजिश रचने में भारत किसी भी तरह से संलिप्‍त था।

अमेरिका ने नहीं दिया कोई सबूत

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा से प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पन्नू को मारने की साजिश रचने वाले आरोपों पर सवाल किया गया था। इस पर जवाब देते हुए जखारोवा ने कहा, "हमारी जानकारी के मुताबिक अमेरिका ने अभी तक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है, जिससे सिद्ध हो सके कि भारत पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल था। धार्मिक आजादी के उल्लंघन की बात अमेरिका की भारत को लेकर कमजोर समझ को दर्शाती है।"

भारत का एक संप्रभु देश के तौर पर अपमान

रूसी विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि अमेरिका भारत ही नहीं कई और देशों के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के बेबुनियाद आरोप लगाता रहा है। उनकी कार्रवाई स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप दिखाती है। अमेरिका ऐसा कर भारत का एक संप्रभु देश के तौर पर अपमान कर रहा है। जाखारोवा ने आगे कहा कि अमेरिका भारत के खिलाफ लगातार झूठे आरोप लगा रहा है। उसे भारत की राष्ट्रीय मानसिकता और इतिहास की समझ नहीं है।

एयर इंडिया एक्सप्रेस का ‘मास सिक लीव’ मामले में बड़ा एक्शन, सामूहिक छुट्टी पर गए 25 कर्मचारी निष्कासित

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एयर इंडिया एक्सप्रेस एयरलाइंस ने सामूहिक छुट्टी पर गए कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती दिखी है।एअर इंडिया एक्सप्रेस ने ‘सिक लीव’ पर गए कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है और टर्मिनेशन लेटर थमा दिया है। बताया जा रहा है कि सिक लीव पर गए कर्मचारियों में से 25 को निष्कासित कर दिया है। क्रू मेंबर्स में से एक को भेजे गए टर्मिनेशन लेटर में एयरलाइन ने कहा कि केबिन क्रू मेंबर्स का “लगभग एक ही समय में बीमार” होना इस बात की ओर इशारा करती है कि वह उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया है। बता दें कि बड़ी संख्या में कर्मचारियों को सामूहिक छुट्टी लेने से एयर इंडिया एक्सप्रेस की कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं थी। इसके चलते यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था।

रिपोर्ट की मानें तो एअर इंडिया एक्सप्रेस ने बुधवार को कुछ सीनियर केबिन क्रू सदस्यों का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिया, जिन्होंने ‘बीमार होने’ की सूचना दी थी, जिससे कंपनी को उड़ान संचालन में बाधा उत्पन्न हुई थी। ड्यूटी पर नहीं आने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के पीछे के कारण का उल्लेख करते हुए एयरलाइंस ने कहा कि बिना किसी उचित कारण के संबंधित कर्मचारी जानबूझकर काम से दूर हुए। उड़ान भरने से ठीक पहले गायब होने की कोई वजह भी नजर नहीं आ रही है। कंपनी का कहना है कि मास लेवल पर सिक लीव लेना भी नियमों का उल्लंघन है।

अपने एक कर्मचारी को भेजे गए बर्खास्तगी के पत्र में एअरलाइन ने कहा कि उड़ान भरने से ठीक पहले भारी संख्या में एअरलाइन चालक दल के सदस्यों के बीमार होने की सूचना मिली। पत्र में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से बिना किसी उचित कारण के काम से ठीक पहले उनकी जानबूझकर अनुपस्थिति की ओर इशारा करता है। कंपनी ने अपने कर्मचारियों को लिखे बर्खास्तगी पत्र में कहा, ‘आपका कृत्य न केवल सार्वजनिक हित को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि इससे कंपनी को शर्मिंदगी, गंभीर प्रतिष्ठा क्षति और गंभीर मौद्रिक नुकसान भी हुआ है।’

बता दें कि टाटा समूह के स्वामित्व वाली कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस के केबिन क्रू ने कथित कुप्रबंधन के विरोध में बुधवार को सामूहिक छुट्टी ली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को एयर इंडिया एक्सप्रेस का परिचालन लगभग ठप होने से करीब 15 हजार यात्री प्रभावित हुए। एयर इंडिया एक्सप्रेस खाड़ी के देशों में सबसे ज्यादा उड़ानों का संचालन करती है। ऐसे में केबिन क्रू की कमी के चलते भारत से खाड़ी के देशों को जाने वाली कई उड़ानें रद्द हुईं। बड़ी संख्या में उड़ानों के रद्द होने और यात्रियों की परेशानी को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बुधवार को एयर इंडिया एक्सप्रेस से रिपोर्ट मांगी है और एयरलाइन को कर्मचारियों के साथ मुद्दे तुरंत हल करने को कहा है। 

सूत्रों के मुताबिक, एअर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में विलय होने वाला है, इसलिए दोनों एयरलाइंस के पायलट और केबिन क्रू को लग रहा है कि उनकी जॉब खतरे में है। इसलिए सभी लोग प्रोटेस्ट कर रहे हैं। बीती रात से यह प्रोटेस्ट बड़ा हो गया है, जिसके कारण 70 से ज्यादा फ्लाइट कैंसल हुई हैं। इनमें मिडल ईस्ट और गल्फ देशों की सबसे ज्यादा फ्लाइट शामिल हैं।

RBI ने लागू किया नया नियम! दिया सख्‍त निर्देश, अब इन बैंकों से 20,000 रुपये से ज्‍यादा नहीं मिलेगा कैश...

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए सख्‍त निर्देश जारी किया है, जिसमें मुताबिक कोई भी एनबीएफसी कस्‍टमर्स को 20,000 रुपये से ज्‍यादा का कैश लोन नहीं दे सकती है. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269SS के तहत किसी भी व्‍यक्ति को 20 हजार रुपये से ज्‍यादा का कैश अमाउंट लोन के तौर पर पाने की अनुमति नहीं है. 

रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI अब इसी नियम की सख्‍ती करना चाहता है, ताकि NBFC कंपनियों को जोखिम का सामना नहीं करना पड़े और नियमों की अनदेखी नहीं हो. RBI ने ये निर्देश ऐसे समय में जारी किए हैं, जब एक NBFC कंपनी, IIFL फाइनेंस पर कई नियमों को तोड़ने का आरोप लगा है. रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ कंपनियों ने कानून द्वारा तय की गई सीमा से ज्यादा लोन कैश में दिया और वसूला था. 

NBFC को RBI ने पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है और कहा है कि नियम के मुताबिक किसी भी कस्‍टमर को 20 हजार रुपये से ज्‍यादा का कैश लोन नहीं बांट सकते हैं. ऐसे में किसी भी एनबीएफसी को 20,000 रुपये से अधिक का लोन अमाउंट नकद में नहीं देनी चाहिए. 

पिछले कुछ दिनों के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने कई एनबीएसी कंपनियों पर कार्रवाई कर चुका है. इन कंपनियों ने आरबीआई के नियमों की अनदेखी की थी. इसमें कैश लोन ज्‍यादा देने के नियम का भी उल्‍लघंन था. ऐसे में आरबीआई ने नियमों को याद दिलाते हुए NBFCs को ऐसा निर्देश दिया है, ताकि लापरवाही और नियमों की अनदेखी पर रोक लगाई जा सके. 

गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक द्वारा IIFL फाइनेंस को लोन मैनेजमेंट में बड़ी खामियों के कारण नए कस्‍टमर्स के लिए अपने गोल्‍ड लोन संचालन को तुरंत रोकने का निर्देश दिया था. IIFL फाइनेंस का गोल्‍ड लोन परिचालन इसके कारोबार में बड़ा कंट्रीब्‍यूट करता है, जो इसके कारोबार का एक तिहाई हिस्‍सा है. इस फाइनेंस कंपनी ने सोने की शुद्धता और वजन पर अपर्याप्‍त जांच, कैश लोन ज्‍यादा देना, मानक नीलामी प्रक्रियाओं से विचलन और कस्‍टमर्स अकाउंट चार्ज में पारदर्शिता की कमी जैसे नियमों की अनदेखी की थी.

कौन हैं कांग्रेस के सैम पित्रोदा, जिनके “नस्लीय टिप्पणी” वाले बयान पर मचा है बवाल

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सैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। सैम पित्रोदा अपने बाबाक बयानों को लेकर जाने जाते हैं। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पित्रोदा ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसपर बहस छिड़ गई है। उन्होंने भारतीयों की विविधता का जिक्र करते हुए टिप्पणी की। अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन को दिए एक इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा कि 'हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। लोकसभा चुनावों की बीच उनके इस बयान से सियासी पारा और हाई हो गया है।

चुनावी माहौल में विरासत कर के बाद सैम पित्रोदा के ताजा बयान से सियासत और गरमा गई है। अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन को दिए एक इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा कि 'हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम सभी बहन-भाई हैं।' पित्रोदा ने कहा कि भारत में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के रीति-रिवाज, खान-पान, धर्म, भाषा अलग-अलग हैं, लेकिन भारत के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के लोग 75 वर्षों तक एक सुखद वातावरण में रहे हैं, कुछ लड़ाइयों को छोड़ दें तो लोग साथ रह सकते हैं।

एक तरफ पित्रोदा के इस बयान पर भाजपा हमलावर है। तो वहीं, कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से पल्ला झाड़ते हुए इसे उनका निजी बयान बताया है। बता दें कि अपनी पार्टी को उलझन में डालने का सैम पित्रोदा का पुराना रिकॉर्ड है और अपने विवादित बयानों की वजह से वह हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। सैम पित्रोदा की पहचान सिर्फ इतनी नहीं है कि वो कांग्रेस के नेता है। उनकी शख्सियत एक राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार, सलाहकार, उद्योगपति और तकनीकी विशेषज्ञ की रही है। तकनीकी के क्षेत्र में उन्होंने कई आविष्कार किए हैं। उनकी प्रारंभिक पहचान बतौर आविष्कारक की रही है।  

भारत में सूचना क्रांति के अग्रदूत

पित्रोदा ने 1974 में उन्होंने वेस्कॉम स्विचिंग कंपनी में योगदान किया और फिर अगले ही साल 1975 में इलेक्ट्रॉनिक डायरी का आविष्कार करके अपनी क्षमता का परिचय दिया। अगले चार साल के भीतर उन्होंने 580 DSS स्विच बनाई और उसे 1978 में उसे लॉन्च कर दिया। इससे बाद सैम पित्रोदा ने बतौर इंजीनियर टेलीकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में जितने भी आविष्कार किए उन सभी को पेटेंट कराना शुरू कर दिया। आज की तारीख में सैम पित्रोदा के नाम करीब 100 पेटेंट हैं। मोबाइल से आर्थिक लेन-देन की टेक्नोलॉजी का पेटेंट भी सैम पित्रोदा के पास ही है। सैम पित्रोदा को भारतीय सूचना क्रांति का अग्रदूत माना जाता है। 80 के दशक में भारत की दूरसंचार और प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखने का श्रेय पित्रोदा को ही दिया जाता है। कांग्रेस सरकार के बुलावे पर साल 1984 में वो भारत वापस आए और दूरसंचार नीति को दिशा देने का काम किया।सैम पित्रोदा भारत के दूरसंचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी रहे हैं।

गुजराती परिवार से ताल्लुक रखते हैं पित्रोदा

सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। सैम पित्रोदा का जन्म 17 नवंबर 1942 को ओडिशा के टीटलागढ़ में हुआ था। सैम पित्रोदा मूलत: गुजराती परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके परिवार के बारे में कहा जाता है कि वो गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित रहा है. सैम पित्रोदा ने बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से भौतिकी शास्त्र में एमए किया था। सैम पित्रोदा सन् 1964 में ही अमेरिका चले गए थे। शिकागो में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की। दो साल पढ़ाई करने के बाद सन् 1966 में वो शिकागो में ही नौकरी करने लगे। हालांकि सैम पित्रोदा ने अमेरिका में स्थायी तौर पर रहना कुबूल नहीं किया। सैम पित्रोदा सन् 1981 में भारत लौट आए। उनका मिशन भारत में टेलीकम्यूनिकेशन सिस्टम को मॉडर्न बनाना और उसे आगे बढ़ाना था। उनकी मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से हुई। इंदिरा गांधी से विचार-विमर्श करने और सहमति मिलने के बाद सैम पित्रोदा सन् 1984 से स्थायी रूप से भारत रहने आ गए और दोबारा भारतीय नागरिकता हासिल कर ली। भारत में उन्होंने टेलीकॉम फील्ड में कई अनुसंधान और विकास कार्यों को बढ़ावा दिया।

राजीव गांधी के रह चुके हैं सलाहकार

राजीव गांधी की वजह से ही सैम पित्रोदा की राजनीति में एंट्री हुई थी। सैम पित्रोदा को राजीव गांधी का करीबी माना जाता है।पित्रोदा सन् 1987 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार बने और टेलीकम्यूनिकेशन, वाटर, लिट्रेसी, टीकाकरण, डेयरी और तिलहन के क्षेत्र में तकनीकी मिशन की शुरुआत की। सैम पित्रोदा ने राजीव गांधी के साथ करीब एक दशक तक काम किया।समय के साथ कांग्रेस पार्टी में उनका दबदबा बढ़ता गया और अब वो राहुल गांधी के भी करीबी माने जाते हैं। साल 2017 में राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सैम पित्रोदा को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

इंदौर में भाजपा को सता रहा नोटा का डर, कांग्रेस का एक फैसला BJP के लिए बना सिरदर्द! भाजपा की महिला पार्षद ने निकलवाए पोस्टर

इंदौर में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने और भाजपा में शामिल होने के बाद बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस का अब यहां पर कोई भी प्रत्याशी नहीं है और कांग्रेस लोगों से नोटा पर वोट देने की अपील कर रही है। 

कांग्रेस की इस मुहिम से अब भाजपा नेता परेशान दिखने लगे हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की विधानसभा एक के वार्ड छह से पार्षद संध्या यादव का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में पार्षद संध्या ऑटो रिक्शा के पीछे लगे नोटा अभियान के पोस्टर को हटाती हुई दिख रही हैं। बुधवार को कांग्रेस नेत्री शोभा ओझा ने यह वीडियो ट्वीट किया है।

कांग्रेस ने इसे तानाशाही बताया है। वहीं पार्षद का कहना है कि एक जागरूक नागरिक के तौर पर उन्होंने यह पोस्टर हटाया। जनता कांग्रेस को 13 मई को जवाब देगी। वहीं मामले में कांग्रेस नेत्री शोभा ओझा ने कहा कि ये तानाशाही है। इस तरह से भाजपा के द्वारा लोगों को डराया जा रहा है। लोग खुलकर नोटा को सपोर्ट कर रहे हैं।

पार्षद ने कहा, 50 रुपए देकर कांग्रेस ने लगवाया पोस्टर

वीडियो में पार्षद यादव ऑटो चालक से कह रही हैं कि मोदीजी को वोट नहीं दोगे। ये नोटा क्या है। पार्षद के साथ मौजूद व्यक्ति ने भी कहा कि मोदीजी ने इतना कुछ किया है। दूसरे ऑटो रिक्शा में भी यदि पोस्टर लगे हों तो उसे भी हटा दें। वीडियो इंदौर में एरोड्रम थाने के सामने का है।

संध्या यादव ने कहा कि एक जागरूक नागरिक के तौर पर उन्होंने ऑटो रिक्शा से पोस्टर हटाया। रिक्शा चालक से जब पूछा तो उसे पता ही नहीं था कि नोटा क्या है। उसे कांग्रेसियों ने 50 रुपए दिए थे और कहा था कि थोड़ी देर पोस्टर लगे रहने देना। बाद में हटा देना। नोटा कोई उम्मीदवार तो नहीं है। जिस प्रकार स्वच्छता में इंदौर नंबर वन आया है, उसी तरह मतदान में भी नंबर वन आएगा। कांग्रेस जनता को भ्रमित कर रही है। 

पार्षद संध्या ने कहा कि अक्षय बम ने भाजपा की विचारधारा से प्रभावित होकर पार्टी जॉइन की है। अक्षय बम के भाजपा में आने पर ताई के विरोध को लेकर पार्षद यादव ने कहा कि ताई हमारी वरिष्ठ नेता हैं, उनके बारे में मुझे कुछ भी नहीं कहना है।