अपने ही गढ़ में घिरे राजा बरांव क्षेत्र में किया होता विकास तो जीत की राहें होती आसान
विश्वनाथ प्रताप सिंह,प्रयागराज। लोकसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे सियासी पारा भी चढ़ रहा है। अब ना लाल बहादुर शास्त्री है ना बीपी सिंह और ना ही हेमवती नंदन बहुगुणा सरीखी शख्सियत लेकिन इलाहाबाद के सियासी रोमांच में कमी नहीं।
सपा से दो बार लगातार सांसद रहे रेवती रमण सिंह के सामने बेटे उज्जवल रमण सिंह की चुनौती कम नहीं।मोदी लहर में असली इम्तिहान भी यहीं है क्योंकि अब उज्जवल रमण के सामने इस बार एक नहीं कई चुनौतियां हैं मोदी की लहर है तो बसपा के उम्मीदवार रमेश पटेल से जुड़ रहा वोटो का तिलिस्म और कांग्रेस का नया चोला पहने उज्जवल रमण सिंह का उत्साह। जाहिर है कि बरांव परिवार से जुड़े कुंवर रेवती रमण सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।
ज्ञात हो कि शंकरगढ़ पाठा क्षेत्र का मतदाता अबकी बार विकास के मुद्दों पर वोट करने का ऐलान कर चुका है। वही क्षेत्रवासी सवाल कर रहे हैं कि बीते 10 साल पहले सपा से दो बार सांसद रहे कुंवर रेवती रमण सिंह ने अपने कार्यकाल में कौन सा विकास कार्य पाठा क्षेत्र में किया उसका ब्यौरा सार्वजनिक करें। विकास की बात तो दूर क्षेत्र में जनहित मुद्दों को लेकर पूर्व सांसद ने कितने दौरे किए हैं बताएं, यही सच्चाई है कि वोटों की फसल काटने के बाद पाठा क्षेत्र को मुड़कर भी नहीं देखा, हां अगर क्षेत्र का दौरा किया है तो सिर्फ चहेतों के घर दावत तक ही सीमित रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र की जनता पूर्व सपा सांसद से सपा के गुंडाराज का भी हिसाब मांग रही है। एक बुजुर्ग अनुभवी ने कहा कि नाराजगी रेवती रमण सिंह से नहीं है नाराजगी सपा के उन कार्यकर्ताओं से है जिनकी अराजकता को सपा सरकार में सह मिली थी। इस क्षेत्र को उद्योग धंधों की जरूरत है बेरोजगारी दूर करने की दिशा में जनप्रतिनिधियों ने कुछ भी नहीं किया अगर किया है तो सिर्फ जनता को ठगने का और अपनी तिजोरी भरने का काम किया है।
पाठा क्षेत्र में आज स्थिति यह है कि 70 फ़ीसदी यहां की आबादी पलायन करने पर मजबूर है मगर नेता वोटों की फसल काटने में हर बार झूठे सपने दिखाकर कामयाब हो जाते हैं और जनता अपने को ठगा महसूस करते हुए हाथ मलकर रह जाती है।
May 04 2024, 14:53