क्या EVM के वोट और VVPAT पर्चियों का होगा मिलान? सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा।लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग जारी है और इसी बीच आज ही सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले से यह तय कर देगा कि क्या चार जून को जब लोकसभा चुनाव की गिनती होगी तो उस दौरान ईवीएम के वोटों से वीवीपैट की पर्चियों का मिलान होगा या नहीं। बता दें कि कई संगठनों ने याचिका दाखिल करके ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग की है। इस मामले में 24 अप्रैल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ आज यानी शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के साथ अनिवार्य रूप से क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल है। इससे पहले अदालत ने बुधवार को ईवीएम के कामकाज से संबंधित कुछ तकनीकी पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी को बुलाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई और चुनाव आयोग की ओर से स्पष्टता दिए जाने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं अब ईवीएम वोटों की वीवीपैट पर्चियों से 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए।
बुधवार को फैसला सुरक्षित रखते हुए शीर्ष कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता, न ही एक सांविधानिक निकाय के लिए नियंत्रक अथॉरिटी के रूप में कार्य कर सकता है। गलत काम करने वाले के खिलाफ कानून के तहत नतीजे भुगतने के प्रावधान हैं। कोर्ट सिर्फ संदेह के आधार पर परमादेश नहीं दे सकता। अदालत ने कहा कि वह मतदान मशीनों के फायदों पर संदेह करने वालों और मतपत्रों पर वापस जाने की वकालत करने वालों की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकती।





दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव की शुरुआत 19 अप्रैल को हो गई थी। आज इस महोत्सव का दूसरा चरण है। दूसरे चरण में 13 राज्यों के मतदाता 88 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। दूसरे चरण में 1202 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं जिनमें 1098 पुरूष एवं 102 महिलाएं हैं। सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक मतदान होगा। हालांकि, चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि मतदान बंद होने का समय संसदीय क्षेत्र के अनुसार अलग हो सकता है। बिहार में बांका, मधेपुरा, खगड़िया और मुंगेर निर्वाचन क्षेत्रों के कई मतदान केंद्रों पर गर्मी को देखते हुए मतदाताओं की सुविधा के लिए मतदान का समय बदल दिया गया है। *इन सीटों पर होगा मतदान* दूसरे चरण में केरल की सभी 20, कर्नाटक की 14, राजस्थान की 13, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश में 8-8, एमपी में 6, असम-बिहार में 5-5, छत्तीसगढ़ व बंगाल में 3-3 व मणिपुर, त्रिपुरा व जम्मू-कश्मीर में एक-एक सीटों पर वोट डाले जाएंगे। राज्य सीटें उम्मीदवार असम 5 61 बिहार 5 50 छत्तीसगढ़ 3 41 जम्मू कश्मीर 1 22 कर्नाटक 14 247 केरल 20 194 मध्य प्रदेश 6 80 महाराष्ट्र 8 204 मणिपुर 1 4 राजस्थान 13 152 त्रिपुरा 1 9 उत्तर प्रदेश 8 91 पश्चिम बंगाल 3 47 *सुरक्षा के लिए खास उपाय* चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण और सुचारू मतदान के लिए कई निर्णायक कदम उठाए हैं। मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित करने के लिए मतदान केंद्रों पर पर्याप्त रूप से केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है। सभी मतदान केंद्रों पर माइक्रो ऑब्जर्वर की तैनाती के साथ-साथ 50 प्रतिशत से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की जाएगी। 251 पर्यवेक्षक मतदान से कुछ दिन पूर्व अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं। वे अत्यधिक सतर्कता बरतने के लिए आयोग की आंख और कान के रूप में कार्य करते हैं। इसके अलाव कुछ राज्यों में विशेष पर्यवेक्षकों को तैनात किया गया है। *पहले चरण में 65.5 प्रतिशत हुआ मतदान* इससे पहले पिछले शुक्रवार यानी 19 अप्रैल को हुए पहले चरण के मतदान में कुल 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीट पर लगभग 65.5 प्रतिशत मतदान हुआ। पहले चरण में तमिलनाडु (39), उत्तराखंड (पांच), अरुणाचल प्रदेश (दो), मेघालय (दो), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (एक), मिजोरम (एक), नगालैंड (एक), पुडुचेरी (एक), सिक्किम (एक) और लक्षद्वीप (एक) में चुनाव संपन्न हो चुका है।
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आगरा में जनता को संबोधित किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा में इंडिया गठबंधन पर जोरदार हमला बोला। कांग्रेस पर लोगों की संपत्ति की जांच के कथित प्लान का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा, इंडी गठबंधन वाले कान खोलकर सुन लें कि जब तक मोदी जिंदा है, ऐसा कोई भी पाप करने से पहले आपको मोदी से निपटना पड़ेगा। हमारा संकल्प है, जो भ्रष्टाचारी हैं, उनकी जांच होगी, जिन्होंने गरीबों को लूटा है, वो लूट का पैसा गरीबों को वापस मिलेगा। प्रधानमंत्री ने इंडी गठबंधन के उस आरोप का करारा जवाब दिया जिसमें संविधान खत्म करने का आरोप लगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान बनाने वाले बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान करती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगरा में कहा कि ‘कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है, जो आए दिन बाबा साहेब का अपमान करती है, संविधान का अपमान करती है और सामाजिक न्याय की तो धज्जियां उड़ा देती है। इसी कांग्रेस ने कभी कर्नाटक में, कभी आंध्र प्रदेश में, कभी अपने घोषणा पत्र में बार-बार धर्म के आधार पर आरक्षण की वकालत। पीएम ने आगे कहा कि अब कांग्रेस ने ठान लिया है कि वो धर्म के आधार पर रिजर्वेशन लाकर रहेगी। इसके लिए कांग्रेस ने तरीका निकाला है कि 27% का ओबीसी का जो कोटा है, उसमें से कुछ चोरी कर लिया जाए, छीन लिया जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया जाए। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस का इंडी गठबंधन घोर तुष्टीकरण में डूबा है। उन्होंने जो घोषणापत्र जारी किया है उसमें शत-प्रतिशत मुस्लीम लीग की छाप है। कांग्रेस का पूरा घोषणापत्र सिर्फ वोट बैंक को मजबूत करने के लिए समर्पित है। हमारा घोषणापत्र देश को मजबूत करने के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा, हमने देश में तुष्टीकरण की राजनीति देखी है, इस वजह से देश टुकड़ों में बंट गया है। इसने सच्चे और ईमानदार के हक को डूबोया है। इस वजह से मोदी तुष्टीकरण को समाप्त करने संतुष्टिकरण को ओर बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी तुष्टिकरण को समाप्त करके, संतुष्टिकरण की ओर आगे बढ़ रहा है। हमारा रास्ता तुष्टिकरण का नहीं, संतुष्टिकरण का है। सबका साथ, सबका विकास का मंत्र भी उसी का महामार्ग है। हमारा सेक्युलरिज्म भी वही है कि जो भी योजना जिसके लिए बने, बिना धर्म, जाति, भेदभाव के उसका लाभ सबको मिलना चाहिए। सच्चा सामाजिक न्याय भी यही है जब आप बिना भेदभाव, बिना अपने-पराए, बिना रिश्वतखोरी सबका हक पूरा करें।
*मंडी सीट पर ठाकुर-ब्राह्मण उम्मीदवारों का है दबदबा* *ज्यादातर बार राजपूत और ब्राह्मण सांसद ही चुने गए* *ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर पर लगा दांव* *मंडी में राज परिवार और स्टारडम के बीच मुकाबला* हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट चर्चा में है। इस सीट से बीजेपी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मैदान में उतारा है। जिसने इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। फिल्म अभिनेत्री और फिल्मी क्वीन कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से पहली बार सियासत में कदम रखा है। उनके सामने हिमाचल प्रदेश के शाही परिवार से संबंध रखने वाले विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पू्र्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। दोनों प्रत्याशियों की वजह से मंडी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हिमाचल की चार लोकसभा सीटों में से मंडी सीट पर हर किसी की नजर है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है। इस लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 बार ये सीट बीजेपी के पास गई है। मंडी लोकसभा सीट हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों में से एक है। 12 लाख मतदाताओं की आबादी वाले इस जिले में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, लेकिन 2014 और 2019 में मोदी लहर में ये सीट बीजेपी के पाले में गई थी। मंडी लोकसभा सीट में राजपूत वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इस सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है। पहले लोकसभा चुनाव में एससी उम्मीदवार के रूप में गोपी राम की जीत को छोड़ दें तो अब तक हर सांसद राजपूत या ब्राह्मण रहा है। कुछ मौके ऐसे भी आए जब दो राजपूत चेहरे आमने-सामने थे। 6 जिलों में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र में अभी तक दोनों ही दलों ने ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है। कंगना रनौत भी राजपूत बिरादरी से आती है। बीजेपी ने जातिय समिकरण को साधने के कंगना को मैदान में उतारा है। हालांकि, यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाता काफी अधिक है। लेकिन उसके बावजूद भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा मंडी संसदीय क्षेत्र से ब्राह्मण या ठाकुर जाति के लोगों को ही चुनावी मैदान में उतारा जाता है। मंडी संसदीय क्षेत्र में अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो यहां पर 13 लाख 59 हजार मतदाता है। जिनमे 6 लाख 90 हजार पुरुष और 6 लाख 68 हजार महिलाएं शामिल हैं। जातीय समीकरण की अगर बात करे तो अनुसूचित जाति के यहां पर 29.85 प्रतिशत वोट है। जबकि ब्राह्मण वोट 21.4 प्रतिशत है। ठाकुर जाति के वोट यहां पर 33.6 फ़ीसदी है। मंडी जिले में 10 विधानसभा सीटें आती है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। मंडी की 10 में से 9 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। प्रदेश की 68 सीटों में से सिर्फ 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 9 सीटें तो मंडी से जीती थी। ये भी एक वजह है कि बीजेपी के लिए सबसे सेफ लोकसभा सीट से कंगना रनौत टिकट दिया है। पार्टी को उम्मीद है कि इस सीट को बीजेपी आसानी से जीत जाएगी।
कन्नौज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रत पाठक ने यूपी निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ अपने चुनावी मुकाबले की तुलना भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच से की है। पार्टी द्वारा निर्वाचन क्षेत्र से एक और उम्मीदवार की घोषणा करने के तीन दिन बाद, यादव आज इस सीट से अपना नामांकन दाखिल करेंगे।अखिलेश यादव ने जब तेज प्रताप को यहां भेजा तो उन्हें समझ आ गया, अगर मैच तेज प्रताप से होता तो भारत बनाम जापान का क्रिकेट मैच होता ,अब मैच भारत बनाम पाकिस्तान (सुब्रत पाठक बनाम अखिलेश यादव) जैसा होगा,'' पाठक ने कहा। 2019 में आम तौर पर। चुनाव में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने कन्नौज से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराया था। बुधवार शाम को समाजवादी पार्टी ने एक्स (सोशल मीडिया )पर लिखा कि अखिलेश यादव आज कन्नौज से अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।पार्टी ने हिंदी में पोस्ट किया, ''राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कल दोपहर 12 बजे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कन्नौज लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।'' घोषणा से पहले, अखिलेश यादव ने सीट से समाजवादी पार्टी की जीत पर विश्वास जताया था।उन्होंने कहा, ''यहां सवाल सीट से ऐतिहासिक जीत का है। इस चुनाव में भाजपा इतिहास बन जाएगी क्योंकि लोगों ने इंडिया ब्लॉक के लिए अपना मन बना लिया है। लोग राजग के खिलाफ मतदान करने जा रहे हैं।'' यह फैसला पार्टी द्वारा उनके भतीजे तेज प्रताप यादव को कन्नौज से अपना उम्मीदवार घोषित करने के कुछ दिनों बाद आया है। लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप 2014 से 2019 के बीच मैनपुरी से सांसद थे। वह समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं।अखिलेश यादव ने तीन बार 2000, 2004 और 2009 में कन्नौज सीट जीती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 2012 में निर्वाचन क्षेत्र खाली कर दिया था। डिंपल यादव 2019 तक कन्नौज की सांसद थीं।अखिलेश यादव फिलहाल यूपी विधानसभा में विधायक हैं।
Apr 26 2024, 09:28
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