पहले चरण में मोदी सरकार के आठ मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, किसके नाम दबेगा ईवीएम?
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लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हो चुका है।इस चरण में कई बड़े चेहरों की किस्मत दांव पर हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो, पहला चरण निर्णायक होगा, क्योंकि इसमें भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के कई राजनीतिक दिग्गजों के भाग्य का फैसला होने वाला है। खासतौर पर पहले चरण में के आठ केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर।
इन मंत्रियों में नागपुर से चुनाव लड़ रहे सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, अलवर से चुनाव मैदान में उतरे पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, डिब्रूगढ़ सीट से मैदान में उतरे आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अरुणाचल पश्चिम में चुनाव लड़ रहे पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू, राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जम्मू कश्मीर की उधमपुर सीट से चुनाव लड़ रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालियान और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं। जानते हैं कि, पहले चरण में किस हाईप्रोफाइल सीटों पर सभी की निगाहें रहेंगीः-
नितिन गडकरी (नागपुर): केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र की नागपुर सीट से लगातार तीसरी जीत की कोशिश कर रहे हैं। इस सीट पर गडकरी और नागपुर पश्चिनम से कांग्रेस के विधायक और उम्मीदवार विकास ठाकरे के साथ मुकाबला है। नितिन गडकरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं और वह दोनों कार्यकाल में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे हैं। 2019 के चुनावों में, गडकरी ने 55.7 प्रतिशत के भारी वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की थी। उन्होंने मौजूदा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को हराया था।
किरेन रिजिजू(अरुणाचल पश्चिम): मोदी सरकार के एक और मंत्री किरेन रिजिजू एक बार फिर से अरुणाचल पश्चिम सीट से चुनाव मैदान में हैं। रिजिजू 2019 में भी यहां से जीते थे। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी है। 2019 में अरुणाचल पश्चिम सीट पर 78.50% मतदान हुआ था।
सर्बानंद सोनोवाल(डिब्रूगढ़): असम के पूर्व मुख्यमंत्री सोवोनाल डिब्रूगढ़ सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। वह मोदी सरकार में आयुष मंत्री हैं। 2019 में डिब्रूगढ़ से भाजपा के रामेस्वर तेली जीते थे। 2024 चुनाव में सर्बानंद सोनोवाल का मुकाबला लुरीनज्योति गोगोई से होगा जो कांग्रेस के सहयोगी दल एजेपी के उम्मीदवार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में डिब्रूगढ़ सीट पर 81.9% लोगों ने वोटिंग की थी।
संजीव बालियान (मुजफ्फरनगर): उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से इस बार केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तीसरी बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ सपा से जाट नेता हरेंद्र मलिक और बसपा से दारा सिंह प्रजापति उम्मीदवार हैं। 2014 और 2019 के चुनाव में बालियान ने इस सीट से जीत हासिल की थी। मुजफ्फरनगर में ठाकुर मतदाता नाराज माने जा रहे हैं, तो जाट वोटों में बिखराव भी उनके लिए चुनौती बना हुआ है, तो मुस्लिम वोटर सपा के साथ एकजुट हैं। ऐसे में बालियान की राह आसान नहीं है।
अर्जुनराम मेघवाल (बीकानेर): अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व मंत्री गोविंद राम मेघवाल को उतारा है। अर्जुनराम मेघवाल बीकानेर सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं और अब चौथी बार चुनावी मैदान में हैं।
भूपेंद्र यादव (अलवर सीट): राजस्थान की अलवर लोकसभा सीट से बीजेपी ने दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भूपेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। उनके खिलाफ कांग्रेस से विधायक ललित यादव उम्मीदवार हैं। साल 2019 में अलवर से बाबा बालक नाथ ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को टिकट दिया है।
जितेंद्र सिंह(उधमपुर): केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह एक बार फिर जम्मू कश्मीर की उधमपुर सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। 2019 में यहां से जितेंद्र सिंह ही जीते थे। उनके सामने इस बार कांग्रेस से चौधरी लाल सिंह हैं। पिछले चुनाव में उधमपुर सीट पर 79.7% लोगों ने वोटिंग की थी।
फग्गन सिंह कुलस्ते(मंडला): केंद्रीय मंत्री कुलस्ते मध्य प्रदेश की मंडला सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2019 साल यहां से फग्गन सिंह कुलस्ते जीते थे। इस बार उनके सामने ओंकार सिंह मरकाम कांग्रेस का चेहरा हैं। 2019 में इस सीट पर 81.5% लोगों ने मतदान किया था।





दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव की शुरुआत आज हो गई है। पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हो रहा है। पहले चरण में 1600 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान हैं। इस चरण में नौ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल की किस्मत भी दांव पर है। वोटिंग सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक जारी रहेगी। हालांकि, कुछ राज्यों में वोटिंग खत्म होने का समय अलग भी है। *देश के इन राज्यों में मतदान, जानिए क्षेत्रवार सीटों के आंकड़ेः-* • तमिलनाडु 39 • राजस्थान 12 • उत्तर प्रदेश 8 • मध्य प्रदेश 6 • उत्तराखंड 5 • बिहार 4 • जम्मू-कश्मीर 1 • छत्तीसगढ़ 1 • पश्चिम बंगाल 3 • असम 5 • अरुणाचल 2 • मणिपुर 2 • मेघालय 2 • मिजोरम 1 • नगालैंड 1 • सिक्किम 1 • त्रिपुरा 1 • महाराष्ट्र 5 • अंडमान-निकोबार 1 • लक्षद्वीप 1 • पुडुचेरी 1 *युवा भारी संख्या में वोटिंग करें, बनाएं रिकॉर्ड- पीएम मोदी* मतदान शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा, लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव आज से शुरू हो रहा है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में 21 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की 102 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। इन सभी सीटों के मतदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें और वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाएं। पहली बार वोट देने जा रहे अपने युवा साथियों से मेरी यह विशेष अपील है कि वे भारी संख्या में मतदान करें। लोकतंत्र में हर वोट कीमती है और हर आवाज का महत्त्व है। *बनाए गए हैं 1. 87 लाख मतदान केंद्र* पहले चरण के चुनाव में चुनाव आयोग के मुताबिक 18 लाख से अधिक मतदान अधिकारी 16.63 करोड़ से अधिक मतदाताओं का स्वागत करेंगे. 1. 87 लाख मतदान केंद्र बनाए गए हैं. मतदाताओं में 8.4 करोड़ पुरुष, 8.23 करोड़ महिला और 11,371 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं। *सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम* मतदान और सुरक्षा कर्मियों को लाने-ले जाने के लिए 41 हेलीकॉप्टर, 84 विशेष ट्रेनें और लगभग 1 लाख वाहन तैनात किए गए हैं. चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से चुनाव कराने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए हैं



केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार केन्द्रीय एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप झेल रही है। सरकार की ओर से विपक्षी नेताओं पर जानबूझकर सरकारी एजेंसियों की ओर से कार्रवाई करने के आरोप लगते रहे हैं। इस बीच आंकड़ों से पता चलता है कि बीते 10 वर्षों में भाजपा शासनकाल के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन मोड में है।मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत ईडी की छापेमारी के मामलों में 2014 से पहले के 9 वर्षों की तुलना में पिछले 10 साल में 86 गुना बढ़ोतरी हुई है। वहीं पिछली समान अवधि की तुलना में गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती लगभग 25 गुना बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के बीच के आंकड़ों की जुलाई 2005 से लेकर मार्च 2014 तक के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि ईडी की सक्रियता में बीते 10 वर्षों में काफी तेजी आई है। आंकड़ों से पता चलता है कि ईडी ने पिछले 10 वर्षों के दौरान पीएमएलए के तहत 5,155 मामले दर्ज किए जबकि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान कुल 1,797 एफआईआर दर्ज की गईं। इस तरह दोनों अवधि की तुलना करने पर पता चलता है कि मामलों में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार 2014 के वित्तीय वर्ष में पीएमएलए के तहत किसी को दोषी ठहराया गया और अब तक 63 लोगों को इस कानून के तहत दंडित किया गया है। ईडी ने 2014-2024 की अवधि के दौरान देशभर में मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 7,264 छापे मारे जबकि इससे पिछली अवधि में यह आंकड़ा केवल 84 था। इस तरह छापेमारी के मामलों में 86 गुना वृद्धि हुई। आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले दस वर्षों के दौरान कुल 755 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई जबकि संप्रग काल में 29 गिरफ्तारियां हुईं और 5,086.43 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। इस तरह गिरफ्तारियां 26 गुना ज्यादा बढ़ गई जबकि संपत्तियों की जब्ती से जुड़े आंकड़े में भी 24 गुना का उछाल आया। यूपीए के कार्यकाल में जहां 102 चार्जशीट दाखिल की गईं, वहीं एनडीए के 10 सालों में ये संख्या 1281 तक पहुंच गई। यूपीए के समय कुल मामलों के मुकाबले चार्जशीट दाखिल करने का प्रतिशत 6% से भी कम था, जबकि एनडीए के तहत ये आंकड़ा करीब 25% हो गया। जब ईडी किसी मामले की जांच पूरी कर लेती है और उन्हें पैसा साफ करने का (पहली नज़र में) सबूत मिल जाता है, तो वो कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करती है। इसका मतलब है कि कोर्ट आरोपी के खिलाफ आरोप तय कर सकता है और मुकदमा शुरू हो सकता है। पीएमएलए कानून को साल 2002 में बनाया गया था और 1 जुलाई 2005 को इसे लागू कर दिया गया था। यह कानून टैक्स की चोरी रोकने, काले धन और धन शोधन पर रोकथाम के लिए बनाया गया था। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार, विरोधियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि सत्ताधारी दल का एजेंसी पर कोई दबाव नहीं है और यह स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती है।


Apr 19 2024, 09:02
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