लोकसभा चुनाव 2024: क्या इस बार अपना गढ़ बचा पाएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया?
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एमपी की सबसे हाई प्रोफाइल सीट
सिंधिया राजपरिवार का है गढ़
17 में से 13 चुनावों में सिंधिया परिवार का परचम
गुना से अब तक 9 बार कांग्रेस जीती
5 बार कमल खिला
2002 से 2014 तक ज्योतिरादित्या सिंधिया रहे सांसद
2019 में हारे अपनी पाँचवीं चुनावी लड़ाई
क्या इस बार बचा सकेंगे अपना गढ़
मध्यप्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल गुना लोकसभा सीट को सिंधिया राजपरिवार का गढ़ माना जाता रहा है।यहां अब तक हुए चुनावों में बीजेपी इस सीट पर तभी जीती जब विजयाराजे सिंधिया खुद पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरीं। गुना से अब तक 9 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी, एक बार जनसंघ, एक बार स्वतंत्र पार्टी चुनाव भले ही जीती हो पर दिलचस्प यह है कि अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में चार चुनावों को छोड़ दिया जाए तो 13 बार जीत का परचम लहराने वाला कोई सिंधिया ही था।
गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की राजनीति की उन धुरियों मे से एक हैं जहां से पूरे प्रदेश की राजनीति निर्धारित होती रही है। ग्वालियर राजघराने से संबंध रखने वाली ये लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है। यहां से सिंधिया परिवार की तीन पीढ़िया चुनाव लड़ते आ रही हैं। यहां से राजमाता विजय राजे सिंधिया चुनाव लड़ी हैं फिर इस सत्ता को माधवराज सिंधिया ने संभाला इसके बाद अब राजघराने की तीसरी पीढ़ी यानी ज्योतिरादित्या सिंधिया का इस सीट पर दबदबा है।
माधवराव सिंधिया की आकस्मिक मौत के बाद इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव लड़ा था और अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 2002 के बाद से 2014 तक सिंधिया यहां से सांसद रहे हैं। वहीं 2019 के चुनाव में सिंधिया से बीजेपी ने इस सीट को छीन लिया था। 2002 से 2014 तक लगातार चार बार गुना लोकसभा सीट से जीतते आ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पाँचवीं चुनावी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी के कृष्णपाल सिंह यादव से भारी अंतर से हर गए।
पिछली बार लोकसभा के लिए बीजेपी ने इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रहे केपी यादव को टिकट दिया था। उन्होंने सिंधिया के किले को मोदी लहर में ध्वस्त कर दिया था। 2014 का चुनाव 1 लाख 20 हजार 792 वोटों से जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 में बीजेपी प्रत्याशी डॉ. केपी यादव ने 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से हरा दिया था। 14 बार लगातार अजेय रहने वाले सिंधिया राजपरिवार के किसी प्रत्याशी की गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में यह पहली हार थी। हैरानी की बात यह थी कि बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया के खास लोगों में शुमार थे।
वहीं, कांग्रेस से नाराज सिंधिया भी बीजेपी में आ गए है। कांग्रेस में रहते हुए भी ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना लोकसभा सीट से ही लगातार चुनाव लड़े हैं। अब सिंधिया बीजेपी से प्रत्याशी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार अपना गढ़ बचा पाएंगे?
Apr 01 2024, 15:29