आखिर पवन सिंह ने आसनसोल से क्यों वापस ली उम्मीदवारी? टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर नाम वापस लिया
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लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी ने शनिवार को 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश की 195 सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर दिया। बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में भोजपुरी गायक पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। बीजेपी की ओर से आसनसोल सीट से उनके नाम का ऐलान किया था तो उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए बीजेपी आलाकमान को धन्यवाद दिया।हालांकि, दूसरे दिन ही उन्होंने कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की वजह नहीं बतायी है, लेकिन ट्वीट करके जरूर कहा कि किसी कारणवश चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
आखिर 24 घंटे से भी कम समय में ऐसा क्या हो गया कि पवन सिंह ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। पवन सिंह की उम्मीदवारी वापिस लिए जाने को लेकर अभी तक पार्टी की तरफ से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। हालांकि उनके चुनाव मैदान से पीछे हटने की बड़ी वजह अब सामने आने गई है। पवन के इस तरह से पीछे हटने की वजह बंगाल भाजपा नेताओं का दबाव है। पवन सिंह को टिकट मिला तो इसका विरोध पार्टी के अंदर ही हुआ और कई नेताओं ने पवन सिंह को हटाने के लिए अमित शाह और जेपी नड्डा को लेटर लिख दिया। पार्टी नेताओं का मानना है कि पवन सिंह को टिकट मिलने से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर स्टैंड कमजोर पड़ जाता। वो भी ऐसे समय में जब बीजेपी संदेश खाली में महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचार के लिए मोर्चा खोले हुए है। उनका टिकट बंगाल बीजेपी के नेताओं के कहने पर ही पार्टी हाईकमान ने वापस ले लिया है।
वहीं, पवन सिंह को टिकट मिलने के बाद से ही टीएमसी ने भोजपुरी गायक की उम्मीदवारी को लेकर हमला बोल दिया था। तृणमूल कांग्रेस ने पवन सिंह के जरिये बीजेपी पर महिला विरोधी होने का आरोप लगा रही है। पार्टी समर्थकों का कहना था कि पीएम मोदी एक तरफ तो नारी शक्ति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वहीं दूसरी तरफ स्त्री द्वेषी, महिला के साथ दुर्व्यवहार करने वाले को चुनाव मैदान में उतारते हैं। पवन सिंह के खिलाफ अपनी पत्नी के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था। इतना ही नहीं एक मशहूर भोजपुरी अभिनेत्री के साथ उनके दुर्व्यवहार की खबरें भी मीडिया में सुर्खियां बनी थीं।
टीएमसी का कहना था कि बंगाल की महिलाएं आपको करारा जवाब देंगी। विपक्षी दल पवन सिंह को बंगाल से बाहर रखने की मांग कर रहे थे। बंगाल में पवन सिंह के महिला विरोधी, अश्लील गानों को लेकर भी विरोध हो रहा था। भोजपुरी में पवन सिंह ने बंगाली महिलाओं को लेकर कुछ गीत और एल्बम बनाए हैं। उनको लेकर वे लगातार आलोचना का सामना कर रहे थे। विरोधियों का कहना था कि पवन सिंह ऐसे वीडियो बनाते हैं जो बेहद अश्लील, स्त्री विरोधी और स्त्रीद्वेषी होते हैं। अपने वीडियो में वे बंगाल की महिलाओं को निशाना बनाते हैं। टीएमसी की नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने 'हम हसीना बंगाल के' गाने के साथ पवन सिंह की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े किए थे।
बता दें कि पवन सिंह भोजपुरी फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्रीज में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। पवन सिंह का बहुत बड़ा फैनबेस है। पवन सिंह की लोकप्रियता का आलम यह है कि उनका गाना यूट्यूब पर रिलीज होते ही एक ही दिन में चार से पांच मिलियन व्यूज बटोर लेता है। भोजपुरी के दबदबे को इस बात से समझा जा सकता है कि भाजपा ने अब तक चार भोजपुरी अभिनेताओं पर दांव लगाया है। उसमें से तीन दिनेश लाल यादव निरहुआ, मनोज तिवारी और रवि किशन पहले से ही भाजपा के सांसद हैं। मनोज तिवारी जैसे भोजपुरी गायक और अभिनेता ना सिर्फ दिल्ली से लोकसभा का चुनाव जीतते हैं बल्कि दिल्ली में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभालते हैं। यही वजह है कि भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह को भाजपा ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल सीट से चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की है। हालांकि बीजेपी के मंसूबों पर पानी फिर गया।
Mar 05 2024, 09:36