किसानों ने ठुकराया सरकार का प्रस्ताव, मांगे नहीं मानने पर 21 फरवरी को “दिल्ली कूच” करने का दिया अल्टीमेटम
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सरकार के प्रयास के बाद भी किसानों का आंदोलन लंबा खींचता नजर आ रहा है। 12 फरवरी से आंदोलन कर रहे किसानों ने सरकार की मांग को सिरे से नकार दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने 5 फसलों पर 5 साल के लिए एमएसपी देने की बात कही थी। यह प्रस्ताव 18 फरवरी को चंडीगढ़ में किसानों के साथ बातचीत के दौरान दिया गया था। किसान अभी भी सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी को लेकर अड़े हुए हैं। इसके साथ ही किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने सरकार को किसानों की मांगे मानने के लिए 21 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है।
एमएसपी की कानूनी गारंटी पर रविवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बैठक हुई। चंडीगढ़ में किसानों और सरकार के बीच हुई बैठक में सरकार ने कुछ फसलों पर एमएसपी को लेकर सहमति जताई। इसमें मक्का, दालें और कपास की खेती शामिल है। बातचीत में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित तीन केंद्रीय मंत्री सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। लेकिन इस बैठक के कोई खास परिणाम निकलते नहीं दिख रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को सिर्फ दाल या मक्का पर नहीं, बल्कि सभी 23 फसलों पर गारंटी देनी चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में फसलों को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी दी थी, जिसे वह पूरा नहीं कर रही है। किसानों के साथ बातचीत में सरकार ने अभी यह नहीं बताया है कि वे एमएसपी किस फॉर्मूले को लागू कर देंगे। इसके साथ ही किसान संगठन ने कहा, "इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों की कर्ज माफी, बिजली बोर्ड के प्राइवेटाइजेशन, 60 साल के ऊपर के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन और लखीमपुर खीरी कांड में न्याय के सवाल पर चुप्पी साध रखी है।
21 फरवरी को दिल्ली के लिए कूच करेंगे किसान
राजस्थान के ग्रामीण किसान मजदूर समिति के मीडिया प्रभारी रणजीत राजू ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की सहमति नहीं बन सकी है। सभी फोरमों में बात करने के बाद अब किसान नेताओं ने फैसला लिया है कि 21 फरवरी को दिल्ली के लिए कूच करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार लाठियां भांजेगी तो खाएंगे, गोले दागेंगे तो उसका भी सामना करेंगे।
क्या है किसानों की मांगें?
-MSP पर कानूनी मान्यता: किसानों की पहली और सबसे जरूरी मांग ये है कि सरकार MSP को लेकर कानून बनाए, ताकि किसानों की फसल का उचित दाम मिल सके।
-स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना: किसानों की दूसरी मांग स्वामीनाथन आयोग कि सिफारिशों को लागू करना है। इस रिपोर्ट में MSP कुल लागत मूल्य से कम से कम 50% अधिक रखने की सिफारिश की थी। इसे C2+50 फॉर्मूला कहा जाता है। किसान चाहते हैं कि सरकार इसे लागू करे।
-किसानों के लिए पेंशन: किसानों की तीसरी मांग किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन है। किसानों की लंबे समय से मांग है कि उन्हें और खेतिहर मजदूरों को भी बुढ़ापे में पेंशन मिले।
-इन मांगो के अलावा किसानों की कुछ और मांगे भी हैं। किसान कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज पुलिस मामलों को वापस लेने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम को बहाल करने और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मरने वालों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान फिलहाल पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर से लगभग 200 किमी दूर दिल्ली से डेरा डाले हुए हैं।
Feb 19 2024, 20:59