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सऊदी अरब के साथ दोस्‍ती करेंगी हूती व‍िद्रोही, क्या एकजुट हो रहीं इस्लामिक ताकतें?

#yemen_houthi_rebels_ready_to_make_peace_with_saudi_arabia

यमन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती विद्रोही सउदी अरब से दोस्ती के लिए तैयार हो गए हैं। यमन के हूती विद्रोहियों ने कहा है कि वह सऊदी अरब के साथ शांति चाहते हैं और इसकी कोशिशों के लिए तैयार हैं। बता दें कि हूती विद्रोही और सऊदी अरब के बीच दुश्मनी रही है।सऊदी अरब यमन के हूती विद्रोहियों को आतंकवादी मानता रहा है।

हूती ग्रुप के उप विदेश मंत्री हुसैन अल-एजी ने सऊदी अरब की यमन पर हमलों के लिए अमेरिका और यूके के साथ नहीं जाने के लिए भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सऊदी अरब के प्रति विशेष आभार व्यक्त करते हैं और उनके साथ शांति वार्ता करने के लिए उत्सुक है। अल एजी ने सऊदी के साथ शांति स्थापित ना होने देने के लिए अमेरिका पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा, अमेरिका किसी समझौते तक पहुंचने के प्रयासों में बाधा डाल रहा है। अमेरिका और उससे जुड़े यमनी समूहों की तरफ से पेश की जा रही चुनौतियों के बावजूद यमन रियाद के साथ शांति के लिए तैयार है। अमेरिका पर सख्त रुख दिखाते हुए हूती नेता ने कहा, अमेरिका और ब्रिटेन ने 12 जनवरी से यमन में 300 से ज्यादा हमले किए हैं। इन हमलों के लिए अमेरिका को भारी कीमत" चुकानी होगी। अमेरिका हम पर हमला कर रहा है और हमारे वह प्रतिशोध से बच नहीं पाएगा। हम अपने देश के खिलाफ आक्रामकता पर कभी भी चुप नहीं रहेंगे। ना ही हमलों से डरकर हम इसका गाजा और फिलिस्तीन के प्रति अपने रुख को बदलेंगे।

हूती कौन हैं?

यमन के अल्पसंख्यक शिया समुदाय को हूती कहा जाता है। ये जैदी शिया समूह से ताल्लुक रखते हैं, जो शियाओं में भी अल्पसंख्यक समूह माना जाता है।इनका उदय 80 के दशक में हुआ। यह यमन के उत्तरी क्षेत्र में शिया मुस्लिमों की लड़ाई लड़ रहा सबसे बड़ा संगठन है। इस संगठन का नाम हूती संगठन सन् 2004 में यमन की तत्कालीन सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वाले हुसैन अल हूती के नाम पर रखा गया। 

हूती विद्रोह क्या है? 

बता दें कि 1990 के दशक में यमन में सऊदी अरब के बढ़ते वित्तीय एवं धार्मिक प्रभाव की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप हूती आंदोलन प्रारंभ हुआ। हूती उत्तरी यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा के विस्तार के विरोध में हैं। इसी के फलस्वरूप आज से करीब 20 वर्ष पूर्व 2004 में यमन के उत्तरी भाग में इसने गृहयुद्ध का रूप ले लिया।यह गृहयुद्ध यमन में सत्तानशीं सुन्नी सरकार के खिलाफ था। बहुत से लोग इसे ‘सदाह युद्ध’ कहकर भी पुकारते हैं। इसके बाद सन् 2011 से पूर्व जब यमन में सुन्नी नेता अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी, तब बड़े पैमाने पर शियाओं के दमन की घटनाएं हुईं। ऐसे में शियाओं में सुन्नी समुदाय के तानाशाह नेता के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा और वे विद्रोह पर उतर आए।

ईरान की मदद से हो रहा शांति समझौता

2015 में सऊदी अरब ने कई खाड़ी देशों से गठबंधन कर यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले शुरू किए थे। इनमें सऊदी अरब को संयुक्त अरब अमीरात से भी मदद मिली, लेकिन बाद में वह अलग हो गया। इसके जवाब में हूती विद्रोही भी सऊदी अरब पर मिसाइल और ड्रोन हमले करते रहे हैं। इन हमलों में सऊदी अरब को काफी नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका शुरू में हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी का साथ दिया था, लेकिन बाइडेन प्रशासन ने अपनी नीति बदल ली और सऊदी को अकेला छोड़ दिया।माना जा रहा है कि हूती विद्रोहियों के साथ बातचीत ईरान के हस्तक्षेप के काऱण हो रही है। कुछ दिनों पहले तक सऊदी अरब और ईरान कट्टर दुश्मन हुआ करते थे। सऊदी अरब दुनियाभर के सुन्नी मुसमलानों के नेता बनने का दावा करता है, वहीं ईरान शिया मुसलमानों का। इसके अलावा कूटनीतिक क्षेत्र में भी दोनों के बीच काफी तनाव था। लेकिन, चीन की मदद से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बहाल हो चुके हैं। 

कितनी है हूतियों की ताकत?

यमन की ज़्यादा आबादी हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में रहती है। उनका संगठन देश के उत्तरी हिस्से में टैक्स वसूलता है और अपनी मुद्रा भी छापता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हूती आंदोलन के विशेषज्ञ, अहमद अल-बाहरी के हवाले से कहा था कि 2010 तक हूती विद्रोहियों के पास 1,00,000 से 1,20,000 तक समर्थक थे। इनमें हथियारबंद लड़ाके और बिना हथियारों वाले समर्थक शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र यह भी कहता है कि हूती विद्रोहियों ने बच्चों को भी भर्ती किया था, जिनमें से 1500 की साल 2020 में हुई लड़ाई में मौत हो गई थी और अगले साल कुछ सौ और बच्चे मारे गए थे। हूती लाल सागर के एक बड़ी तटीय इलाक़े पर नियंत्रण रखते हैं। यहीं से वे जहाज़ों को निशाना बना रहे हैं। यूरोपियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस के एक विशेषज्ञ हिशाम अल-ओमेसी कहते हैं कि इन हमलों से उन्हें सऊदी अरब के साथ जारी शांति वार्ता में अपना पलड़ा भारी करने में मदद मिली है। वह कहते हैं, ये दिखाकर कि वे बाब अल-मंदब यानी कि लाल सागर के पतले से समुद्री रास्ते को बंद कर सकते हैं, उन्होंने सऊदी अरब पर रियायतें देने का दबाव बढ़ा दिया है।

मध्य प्रदेश के हरदा की पटाखा फैक्ट्री में धमाका, 6 की मौत, बड़ी संख्या में लोग जख्मी

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मध्य प्रदेश के हरदा जिले में भीषण हादसा हुआ है।यहां मगरधा रोड पर स्थित पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हो गया है।इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई और 100 के करीब लोग घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि यह फैक्ट्री लंबे समय से अवैध रूप से संचालित हो रही थी। इस फैक्ट्री में लगभग डेढ़ सौ लोग काम कर रहे थे, जो इस घटना में हताहत हुए हैं। इस फैक्ट्री में काम करने वाले कई लोगों के दबे होने की आशंका है। घायलों को इलाज के लिए रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया।

सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। फायर ब्रिगेड की टीम फैक्ट्री में लगी भीषण आग को बुझाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, हालांकि अभी तक आग काबू नहीं हो सका है।

मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, अब तक मौके पर पहुंची बचाव टीम ने 50 से अधिक लोगों का रेस्क्यू किया है। यह सभी लोग जख्मी हालत में हैं। इसलिए इन्हें अस्पताल पहुंचाया गया है।

हरदा में हुई इस घटना का मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संज्ञान लिया है। उन्होंने इस मामले में आपात बैठक बुला ली। मुख्यमंत्री यादव ने तत्काल घटना का संज्ञान लेते हुए मंत्री प्रद्युम्न सिंह तौमर, उदय प्रताप सिंह, एसीएस अजीत केसरी, डीजी होम गार्ड अरविंद कुमार हेलीकॉप्टर से जाने के निर्देश दिए।

उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश, जानें बिल में क्या-क्या

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उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी बिल को पेश कर दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में आज समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश कर दिया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने "वंदे मातरम और जय श्री राम" के नारे लगाए गए। अब यूसीसी पर आज केवल चर्चा होगी। एक दिन के लिए यूसीसी का पारण टल सकता है। कल यूसीसी बिल पास हो सकता है। विधानसभा से पास होने के बाद इसको राज्य में लागू कर दिया जाएगा। उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। 

बिल पेश करने से पहले क्‍या बोले सीएम धामी?

आज सुबह ही सीएम धामी ने बिल को पेश किए जाने से पहले कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के नागरिकों को एक समान अधिकार देने के उद्देश्य से आज विधानसभा में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया जाएगा। यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण है कि हम यूसीसी लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने वाले देश के पहले राज्य के रूप में जाने जाएंगे।

करीब ढाई लाख सुझावों के बाद तैयार हुआ ड्राफ्ट

इससे पहले, 2 फरवरी को सीएम पुष्कर सिंह धामी को यूसीसी ड्राफ्ट सौंप दिया गया था। 740 पन्नों के यूसीसी ड्राफ्ट को तैयार करने में दो साल लग गए। 27 मई 2022 को धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री धामी ने समिति का तीन बार कार्यकाल बढ़ाया। अब समिति ने करीब ढाई लाख सुझावों और 30 बैठकों में रायशुमारी के बाद ड्राफ्ट तैयार हुआ। जिसे 2 फरवरी 2024 को पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया था।

यूसीसी बिल में ये हैं प्रावधान

-तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।

-तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा।

-पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्री के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग अलग ग्राउंड हैं।

-गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार।गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।

-संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा।

-अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।

-सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी।

-शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नही मिलेगा. ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।

-लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा।

-उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक।

-नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्री को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा।

-एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा।

पाकिस्तान में आम चुनाव को लेकर अमेरिका चिंतित, कहा- हम करीब से लगातार रख रहे नजर

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पाकिस्तान में आठ फरवरी को आम चुनाव होने हैं। पूरे देश में चुनावी माहौल देखा जा रहा है। राजनीतिक पार्टियां जमकर प्रचार अभियान में लगी हुई हैं। इस दौरान कई जगहों पर हिंसक वारदातें हो चुकी हैं। पाकिस्तान में राजनीतिक कार्यक्रमों को हिंसा का पुराना इतिहास है। ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान की चुनावी प्रक्रिया पर करीब से नजर रख रहा है और वह वहां अभिव्यक्ति, एकत्र होने और संघ बनाने की स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर चिंतित है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया कि 'हम लगातार करीब से पाकिस्तान की चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखे हुए हैं। हम चाहते हैं कि इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हों और अभिव्यक्ति की आजादी, विधायी अधिकारों का सम्मान होना चाहिए। वेदांत पटेल ने कहा 'हम हिंसा की घटनाओं, मीडिया की आजादी पर प्रतिबंध, इंटरनेट की आजादी पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं। पाकिस्तान के लोगों को अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल कर अपने भविष्य के नेता का चुनाव करने के अधिकार है और इसके लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और बिना किसी डर के चुनाव होने चाहिए।

अमेरिकी समाचार द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में राजनेताओं पर हो रही कार्रवाई साफ दिखाई दे रही है और इन्हीं वजहों से पाकिस्तान के चुनाव की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। पाकिस्तानी सेना का चुनाव में दखल है और पीटीआई के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। 

अमेरिका ने पाकिस्तान यात्रा को लेकर अपने नागरिकों को सख्त चेतावनी जारी की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने शनिवार को अमेरिकी नागरिकों को 8 फरवरी को पाकिस्तान में होने वाले आगामी आम चुनावों के दौरान सतर्कता बरतने की चेतावनी दी है। अपने यात्रा परामर्श में अमेरिका ने पाकिस्तान में चुनाव के दिन तक होने वाले मार्च, रैलियों और भाषणों जैसी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े संभावित व्यवधानों और सुरक्षा चिंताओं का जिक्र किया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने ट्रैवल एडवाइजरी में चुनाव से पहले, उसके दौरान और उसके तुरंत बाद की अवधि में इंटरनेट और सेलुलर सेवाओं (मोबाइल कम्यूनिकेशन) में व्यवधान की भी आशंका जताई है। विदेश विभाग ने अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षा के लिए सलाह भी दिया है, जिनमें बड़े सार्वजनिक समारोहों वाले क्षेत्रों से बचना, प्रदर्शन वाली जगहों के पास सावधानी बरतना, व्यक्तिगत सुरक्षा योजनाओं की समीक्षा करना, अपडेट के लिए स्थानीय मीडिया कवरेज पर नजर बनाए रखना, खुद को लो प्रोफाइल बनाए रखना, पहचान पत्र रखना और स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करना शामिल है।

दिल्ली में आप के खिलाफ ईडी की बड़ी कार्रवाई, केजरीवाल के निजी सचिव और सांसद एनडी गुप्ता के यहां रेड

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आम आदमी पार्टी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार के यहां छापा मारा है। ईडी ने 10 ठिकानों पर रेड मारी है।सूत्रों के मुताबिक आप के राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के घर भी ईडी की छापेमारी चल रही है।इसके अलावा, दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मेंबर शलभ के यहां भी छापेमारी की जा रही है।

ईडी की टीम मनी लॉड्रिंग के मामले में ये छापेमारी कर रही है। आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता, केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार के अलावा दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य शलभ कुमार के घर पर ईडी की टीम पहुंची है। उनके घर की तलाशी ली जा रही है।

दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले ये छापेमारी हुई। आतिशी ईडी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली थी।आम आदमी पार्टी दिल्ली ने सोमवार को सोशल मीडिया हैंडल एक्स के जरिए कहा था कि आतिशी मंगलवार यानी 6 फरवरी को सुबह 10 बजे ईडी को लेकर कुछ खुलासे करेंगी। आतिशी आज प्रेस वार्ता शुरू करतीं उससे पहले ईडी ने आप के कई नेताओं के घर पर रेड शुरू कर दी।

प्रणब मुखर्जी की बेटी की कांग्रेस को बड़ी नसीहत, बोलीं-पार्टी की बेहतरी के लिए गांधी परिवार से बाहर देखने की जरूरत

#sharmistha_mukherjee_said_congress_should_think_about_who_should_be_the_face_of_the_party

देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। देश के 28 राज्यों और विधानसभा वाले 2 केंद्रशासित प्रदेशों को मिलाकर अब 16 ऐसे राज्य हैं जहां या तो बीजेपी या फिर उसके गठबंधन एनडीए की सरकार है और 12 राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले 7 राज्य ऐसे थे जहां कांग्रेस की सरकार थी या फिर पार्टी वहां सत्ता में भागीदार थी। लेकिन अब यह संख्या घटकर 6 रह गई है। पार्टी की इस हालात पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस को बड़ी नसीहत दी है।शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी बुरी तरह हारे। दोनों चुनावों में वो पार्टी की चेहरा थे। अगर कोई पार्टी किसी खास नेता के नेतृत्व में लगातार हार रही है तो पार्टी को इस बारे में सोचने की दरकार है।कांग्रेस को सोचना चाहिए कि पार्टी का चेहरा कौन होना चाहिए।

सोमवार को 17वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से इतर पत्रकारों से बातचीत में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस देश में अब भी मुख्य विपक्षी दल है। इसका स्थान निर्विवाद है, लेकिन यह प्रश्न है कि इसे मजबूत कैसे किया जाए? इस पर विचार करना पार्टी नेताओं का काम है। उन्होंने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी डायरी में लिखा है। इसके अलावा कोई जादू की छड़ी नहीं है।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आगे अपने पिता का जिक्र करते हुए कहा कि आज मेरे पिता होते तो कांग्रेस के मौजूदा हालत से काफी परेशान होते। उन्होंने कांग्रेस की मौजूदा हालातों को लेकर चिंता जताई। पार्टी में जो इस समय हालत है, उसे देखकर मुझे परेशानी होती है। 

वहीं, उन्होंने बीजेपी में जाने की अफवाह को खारिज कर दिया। शर्मिष्ठा ने कहा कि मेरा किसी भी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा बनने का कोई इरादा नहीं है। मैं हार्ड कोर कांग्रेसी हूं। मैं कहीं नहीं जा रही। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी को लेकर चिंतित हूं। अब पार्टी नेतृत्व के लिए नेहरू-गांधी परिवार से बाहर देखने की जरूरत है।पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने आगे कहा कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, आप उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस विचारधारा का अस्तित्व गलत है। इसलिए बातचीत होना जरूरी है।

कौन हैं स्पेस में सबसे ज्यादा दिन बिताने वाले रूसी एस्ट्रोनॉट, जानें कितने समय से हैं अंतरिक्ष में

#878daysinspacerecordbrokenbyrussiancosmonaut_oleg

रूस ने अंतरिक्ष में बड़ा कमाल कर दिखाया है।रूसी कॉस्मोनॉट ओलेग कोनोनेंको ने अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय तक रहने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है। उन्होंने 878 से अधिक दिन में स्पेस में रह कर नया रिकॉर्ड अपने नाम किया है।ऐसा करके उन्होंने अपने ही देश के अंतरिक्ष यात्री गेन्नेडी पडल्का का रिकॉर्ड तोड़ दिया। गेन्नेडी ने अंतरिक्ष में 878 दिन बिताए थे। वहीं, ओलेग अभी भी स्पेस में बने हुए हैं।

5 जून तक अंतरिक्ष में रह सकते हैं

बताया जा रहा है कि 59 वर्षीय ओलेग 5 जून तक अंतरिक्ष में बने रह सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो स्पेस में रहते हुए उनके 1 हजार दिन पूरे हो जाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिए इंटरव्यू में ओलेग ने रूसी समाचार एजेंसी TASS को बताया, मुझे अपनी उपलब्धियों पर गर्व है, लेकिन मैं अपना पसंदीदा काम करने के लिए अंतरिक्ष में उड़ान भरता हूं, रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं। ओलेग धरती से करीब 427 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा कर रहे हैं।

2008 से अब तक पांच बार स्पेस में ट्रैवल किया

कोनोनेंको ने रूसी एजेंसी तास के दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्हें बचपन से ही स्पेस में जाने की इच्छा थी। वे अपना पसंदीदा काम करने के लिए अंतरिक्ष में आना पसंद करते हैं। कोनोनेंको ने 2008 से अब तक पांच बार स्पेस में ट्रैवल किया है।

ड्राइवर के बेटे का अंतरिक्ष से लगाव

21 जून, 1964 को तुर्कमेनिस्तान में जन्मे ओलेग को बचपन से अंतरिक्ष को समझने में दिलचस्पी थी। उनके पिता दिमित्री इवानोविच एक कंपनी में बतौर ड्राइवर काम करते थे और मां ताइसिया तुर्कमेनाबात एयरपोर्ट पर कम्युनिकेशन ऑपरेटर थीं। ओलेग ने इसी देश से हाईस्कूल किया। इसके साथ स्थानीय भाषा में सर्वाधिक नम्बर पाने का कीर्तिमान हासिल किया।

पीएम मोदी ने नेहरू और इंदिरा गांधी पर साधा निशाना, बोले-वे भारतीयों को आलसी कहते थे

#pmnarendramodistatementonnehruandindiragandhi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने विपक्ष पर खूब निशाना भी साधा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को लेकर भी बयान दिया।पीएम मोदी ने नेहरू के लाल किले के उस भाषण का जिक्र किया है जिसमें उन्होंने भारतीयों में कम काम करने की आदत का मुद्दा उठाया था।

नेहरू-इंदिरा पर निशाना

पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से कहा था कि हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत आम तौर से नहीं है। हम इतना काम नहीं करते हैं कि जितना यूरोप, जापान, चीन, रुस और अमेरिका वाले करते हैं। नेहरू की भारतीयों के प्रति सोच थी कि भारतीय आलसी हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि इंदिरा गांधी की सोच भी जवाहरलाल नेहरू से ज्यादा अलग नहीं थी। उन्होंने लाल किले से कहा था- दुर्भाग्यवश हमारी आदत ये है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को होता है तो हम आत्मसंतुष्टि की भावना से ग्रस्त हो जाते है और जब कोई कठिनाई आ जाती है तो हम नाउम्मीद हो जाते हैं।

परिवारवाद पर क्या बोले पीएम मोदी?

पीएम मोदी ने कहा कि इतने साल हो गए विपक्ष ने नेता नहीं बदला। परिवारवाद का खामियाजा देश ने भुगता है। विपक्ष पुरानी ढपली, पुराना राग अलाप रही है। देश को स्वस्थ, अच्छे विपक्ष की जरूरत है। उन्होंने परिवारवाद को लेकर कहा कि हम किस परिवारवाद की बात करते हैं? यदि किसी परिवार में एक से अधिक लोग जनसमर्थन से अपने बलबूते पर राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उसे हम परिवारवाद नहीं कहते हैं। हम परिवारवाद उसे कहते हैं जो पार्टी परिवार चलाता है। पार्टी के सारे निर्णय परिवार के लोग करते हैं वो परिवारवाद है।

राहुल गांधी को लेकर क्या कहा?

पीएम मोदी ने सदन में राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि एक ही प्रोडक्ट को बार-बार लॉन्च करने के चक्कर में कांग्रेस की दुकान पर ताला लगने की नौबत आ गई है। ये सिर्फ परिवारवाद के कारण हो रहा है। कांग्रेस एक परिवार में उलझ गई है। इस दौरान विपक्षी दलों ने अमित शाह और राजनाथ सिंह का नाम लिया तो पीएम मोदी ने कहा कि किसी परिवार में अपने बलबूते पर और जनसमर्थन से एक से अधिक लोग राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति करते हैं तो उसे हमने परिवारवाद नहीं कहा। हम परिवारवाद उसे कहते हैं जब परिवार पार्टी चलाता है, परिवार के लोगों को प्राथमिकता देता है और सारे निर्णय परिवार के लोग करते हैं। ये परिवारवाद है।

पीएम मोदी का बड़ा दावा, बोले- तीसरा कार्यकाल दूर नहीं, अगले हजार साल के विकसित भारत की नींव रखूंगा

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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव किया। अपने भाषण में पीएम मोदी ने एक तरफ तो आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कई बड़े दावे किए, वहीं, उन्होनें विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, संसद के इस नए भवन में जब राष्ट्रपति हमें संबोधित करने आई और जिस गौरव और सम्मान के साथ सेंगोल और पूरे जुलूस का नेतृत्व किया, हम सब उनके पीछे-पीछे चल रहे थे। नए सदन में ये नई परंपरा भारत के आजादी के उस पवित्र पल का प्रतिबिंब जब साक्षी बनता है तो लोकतंत्र की गरिमा कई गुना ऊपर चली जाती है।

कांग्रेस पर कहावत सुनाकर कसा तंज

प्रधानमंत्री ने आगे विपक्ष पर करारा हमला बोला।पीएम मोदी ने कहावत सुनाकर किया कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कहा, 'नौ दिन चले, ढाई कोस...ये कहावत पूरी तरह कांग्रेस को परिभाषित करती है। कांग्रेस की सुस्त रफ्तार का कोई मुकाबला नहीं है। आज देश में जिस रफ्तार के साथ काम हो रहा है, कांग्रेस सरकार इस रफ्तार की कल्पना भी नहीं कर सकती। हमने गरीबों के लिए चार करोड़ घर बनाए इसमें से 80 लाख पक्के मकान शहरी गरीबों के लिए बने। अगर कांग्रेस की रफ्तार से काम हुआ होता तो इतना काम होने में 100 साल लगते, 100 पीढ़ियां बीत जातीं। उन्होंने कहा, '10 वर्ष में 40 हजार किलोमीटर रेलने ट्रैक का विद्युतीकरण हुआ है। अगर कांग्रेस की रफ्तार से देश चलता तो इस काम को करने में 80 साल लग जाते। उन्होंने कहा, हमने 17 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन दिए हैं, अगर कांग्रेस की रफ्तार से चलते तो इस काम को करने में और 60 साल लग जाते हैं। तीन पीढ़ियां धुएं में खाना बनाने-बनाते गुजर जाती। कांग्रेस की जो मानसिकता है, जिसका देश को बहुत नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने देश के सामर्थ्य पर कभी भरोसा नहीं किया, वो अपने आप को शासक मानते रहे और जनता-जनार्दन को कमतर आंकते गए। 

विपक्ष अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा - पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे। मैंने हमेशा कहा है कि देश को एक अच्छे विपक्ष की जरूरत है। मैं देख रहा हूं कि से बहुत लोग चुनाव लड़ने का हौसला भी खो चुके हैं। मैंने सुना है बहुत लोग सीट बदलने की फिराक में हैं। बहुत लोग लोकसभा के बदले अब राज्य सभा में जाना चाहते हैं। वे विपक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे। मैंने हमेशा कहा है कि देश को एक अच्छे विपक्ष की जरूरत है।

गठबंधन पर किया करार प्रहार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कांग्रेस ने देश के सामर्थ्य पर कभी विश्वास नहीं किया। वे अपने आप को शासक मानते रहे और जनता को कमतर आंकते रहे। उन्होंने कहा, कांग्रेस का विश्वास सिर्फ एक परिवार पर ही रहा है, एक परिवार के आगे वे न कुछ सोच सकते हैं और न देख सकते हैं। कुछ दिन पहले भानुमति का कुनबा जोड़ा लेकिन फिर एकला चलो रे करने लग गए। अलायंस का ही अलाइनमेंट बिगड़ गया। 

विपक्ष के संकल्प की सराहना करता हूं- पीएम मोदी 

पीएम मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि मैं विशेष रूप से विपक्ष ने जो संकल्प लिया है, उसकी सराहना करता हूं। उनके भाषण के एक-एक बात से मेरा और देश का विश्वास पक्का हो गया है कि इन्होंने लंबे अरसे तक वहां रहने का संकल्प ले लिया है। आप कई दशक तक जैसे यहां (सत्ता में) बैठे थे, वैसे ही कई दशक वहां (विपक्ष) बैठने का आपका संकल्प ले लिया है। जनता-जनार्दन तो ईश्वर का रूप होती है।जनता-जनार्दन आपको जरूर आशीर्वाद देगी।पीएम मोदी ने आगे कहा, "मैं देख रहा हूं कि आपमें से बहुत से लोग चुनाव लड़ने का हौंसला भी खो चुके हैं। मैंने सुना है कि बहुत सारे लोगों ने पिछली बार भी सीट बदली थी, इस बार भी सीट बदलने की फिराक में हैं। मैंने सुना बहुत सारे लोग लोकसभा से राज्यसभा में जाने वाले हैं। स्थितियों का आकलन करके वे अपना रास्ता ढूंढ रहे हैं।

बताया तीसरे टर्म का बताया प्लान

पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन में कहा कि तीसरे टर्म में हम भारत को समृद्ध और सिद्धि के शिखर पर देखना चाहते हैं, पहले टर्म में हमने कांग्रेस के गड्ढे भरे, दूसरे में विकसित भारत की नींव रखी। हमारा तीसरा कार्यकालअगले 1000 वर्षों के लिए देश को मजबूत करने का काम करेगा। मुझे भारत के 140 करोड़ लोगों के सामर्थ्य पर पूरा भरोसा है।

पेपर लीक करने पर होगी 10 साल की जेल और लगेगा 1 करोड़ का जुर्माना, मोदी सरकार ला रही सख्त कानून

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केंद्र सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं से सख्ती से निपटने के लिए एक बेहद सख्त कानून ले कर आई है। सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 लोकसभा में आज पेश कर दिया गया। इस बिल का मकसद परीक्षाओं में पेपर लीक को रोकना है। पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रवाधान किया गया है। वहीं दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह विधेयक संसद में पेश किया। इसमें पेपर लीक के मामलों में कम से कम तीन से पांच साल की सजा का प्रस्ताव है। बिल का उद्देश्य यूपीएससी,एसएससी, रेलवे, नीट, जेईई और सीयूईटी सहित तमाम परीक्षाओं में चीटिंग को रोकना है। इन परीक्षाओं में लाखों की संख्या में युवा भाग लेते हैं।

इस प्रस्तावित कानून के अनुसार, सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों से संबंधित सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य होंगे। अगर ये विधेयक पारित हो जाता है, तो परीक्षाओं के दौरान गड़बड़ी में शामिल व्यक्तियों को कम से कम तीन साल की कैद की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, परीक्षा के लिए सेवा प्रदाता पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और परीक्षा की आनुपातिक लागत कंपनी से ही वसूली जाएगी। सेवा प्रदाता को 10 साल की जेल और चार साल की अवधि के लिए परीक्षा आयोजित करने का कोई भी अनुबंध लेने से भी प्रतिबंधित किया जाएगा।

इससे पहले, बजट सत्र की शुरुआत पर गत 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी को लेकर युवाओं की चिंताओं से अवगत है। उन्होंने कहा, इस दिशा में सख्ती लाने के लिए नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है।

बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में आए दिन पेपर लीक और नकल की घटनाएं होती रहती हैं। कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है। कई राज्यों में पेपर लीक की वजह से परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी और दोबारा एग्जाम कराने पड़े।वहीं दोबारा से परीक्षा कराने पर राज्य सरकार का पैसा खर्च होता है और कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। साथ ही सरकार और स्थानीय प्रशासन को छात्रों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है।