गंगा समग्र का तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम शुरू
गोरखपुर- हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि जब तक लोगों में श्रद्धा व निष्ठा बनी रहेगी तब तक जीवनदायिनी गंगा का अस्तित्व बना रहेगा। जिस दिन गंगा सूख जाएंगी, भारत की गति रुक जाएगी।
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गोरखपुर के सुभाष नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम का शनिवार को औपचारिक उद्घाटन हुआ। मुख्य अतिथि की हैसियत से राज्यपाल ने कहा कि गंगा का प्रवाह बाधित हुआ है। जल प्रदूषित हुआ है। वे सिकुड़ गईं हैं लेकिन लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आयी है। गंगा भारत की आत्मा हैं। ईश्वर का निराकार रूप है। यही वजह है कि विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी भारत से गंगाजल मंगाकर घरों में रखते हैं। लोग जब काशी में गंगा में डुबकी लगाने पहुंचते हैं तो ये नहीं देखते कि पानी साफ है या काला। उन्होंने कहा कि गंगा को बचाना है तो हम सभी को संकल्प लेना होगा कि अपने आसपास की हर छोटी-बड़ी नदी को अविरल और निर्मल बनाएंगे।
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श्री शुक्ल ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार बनने के बाद गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। अमृत सरोवर की खुदाई व पुराने तालाब को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इससे भू-जलस्तर ऊपर आया है। इससे गंगा में प्रवाह बढ़ा और जल स्वच्छ भी हुआ है लेकिन सिर्फ सरकारी प्रयास से इसमें पूर्ण सफलता नहीं मिल सकती। इसके लिए जनजागरण बहुत जरूरी है। हमें प्रसन्नता है कि गंगा समग्र के निष्ठावान कार्यकर्ता इस पुनीत कार्य में लगे हैं। गंगा समग्र के कार्य का आधार और परिश्रम के बलबूते भारत की आत्मा अवश्य बचेगी। उन्होंने गंगा की अविरलता व निर्मलता के लिए पं. मदन मोहन मालवीय के संघर्ष को याद किया।
गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा कि गंगा की गंदगी मानवकृत है तो साफ-सफाई भी मानव को ही करनी होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृति ने नदियों को प्रदूषित किया है। उनकी संस्कृति है पहले गंदा करो फिर साफ। अमेरिका की सात नदियों में अभी ऐसा ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा के प्रदूषित होने के तीन प्रमुख कारण हैं। आस्थाओं में विकृतियां आने के कारण ढेर सारी समस्याएं आयी हैं। चिंता का विषय है कि छोटी-छोटी नदियां विलुप्त हो रही है। कई का तो अस्तित्व समाप्त हो गया है। तालाब की सफाई भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितना गंगा व अन्य नदियों का। उन्होंने कहा कि जलकुंभी नदियों में नहीं उगता है। वह तालाब में उगता है और बाढ़ के साथ नदी व गंगा के माध्यम से समुद्र तक पहुंच जाती है। इसलिए नदियों के साथ-साथ तालाबों को भी साफ-सफाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए संकल्प की जरूरत है। उद्योग हमारे लिए जरूरी हैं लेकिन औद्योगिक प्रदूषण के खतरे को भी हमें देखना और समझना होगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ लल्लू बाबू ने सभी अतिथियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आयी। साथ ही पाताल यानी भू के नीचे भी बहती है। हम भू-जल का उपयोग करते हैं। जल ही जीवन सिर्फ कहने को नहीं, य़ह सच्चाई है। उन्होंने कहा कि गंगा के स्वरूप को हमने समझा नहीं है लेकिन अब गंगा समग्र के देवतुल्य कार्यकर्ता जब इसमें लग गए हैं तो सफलता मिलना निश्चित है। राष्ट्रीय महामंत्री डॉ आशीष गौतम ने संचालन किया। उन्होंने गंगा ही नहीं नदियों के उपर मंडरा रहे खतरे से आमलोगों को जागृत करने में गंगा समग्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय मंत्री अवधेश कुमार ने आम सभा में प्रस्ताव पेश किया। इसमें जलतीर्थ अविरल और निर्मल करनेे और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-6 के लक्ष्य हासिल करने के लिए पानी के दोहन और खर्च को नियंत्रित करने की मांग की। इसके साथ ही मल-जल के सदुपयोग की योजना बनाने की सरकार से अपेक्षा की गई। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक डॉ महेंद्र अग्रवाल, गंगा समग्र के संयुक्त महामंत्री ललित कपूर, गोरक्ष प्रांत के संयोजक राजकिशोर मिश्र, राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर सिन्हा आदि मौजूद थे।
Feb 03 2024, 19:30