*परिवार को सुखी चिन्तामुक्त और छोटा रखने का जिम्मा महिलाओं का*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही - परिवार को छोटा और सुखी रखने की जिम्मेदारी महिलाओं के ही कंधे पर है। परिवार कल्याण की योजनाओं से पुरुष दूर ही रहना चाहते हैं। भले ही पुरुषों की नसबंदी पर सरकार का जोर हो लेकिन स्वास्थ्य महकमा उनको इसके लिए राजी नहीं कर पा रहा है।
पिछले तीन सालों में महिलाओं की नसबंदी के आंकड़े तो बढ़े हैं लेकिन पुरुषों की संख्या नगण्य ही है।जिले में पिछले तीन सालों में 82 पुरुष और 11170 महिलाओं ने नसंबदी कराई। यह स्थिति तब है जबकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग महिलाओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में दो हजार रुपये देता है जबकि पुरुष को तीन हजार रुपये मिलते हैं। प्रोत्साहन राशि ज्यादा होने के बावजूद स्वास्थ्यकर्मी पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं।
तीन सालो में लक्ष्य तक भी विभाग नहीं पहुंच पाया। पुरुषों की नसबंदी का लक्ष्य 118 और महिलाओं का 15059 रखा गया था।जिले में अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक महिला नसबंदी करने का लक्ष्य 4700 था। इसमें 4753 महिलाओं ने नसबंदी कराई। 32 पुरुषों की नसबंदी का लक्ष्य रखा गया था लेकिन महज 25 तक का ही आंकड़ा पहुंच पाया। इसी तरह अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 4631 के सापेक्ष 4024 महिला का नसबंदी हुआ। वहीं 33 के सापेक्ष 30 पुरुषों की नसबंदी की जा सकी। अप्रैल 2023 से 31 जनवरी तक 5728 के सापेक्ष 2393 महिला और 53 सापेक्ष 27 पुरुष का नसबंदी कराई जा चुकी है।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नसबंदी को लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है। खासकर पुरुषों को नसबंदी जोर रहता है लेकिन पुरुष आगे आना ही नहीं चाहते हैं।
Feb 03 2024, 16:54