चांडिल अनुमंडल स्थित नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई गई
सरायकेला :कोल्हान के चांडिल अनुमंडल स्थित नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई गई उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित किया गया।
इस शुभ अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने कहा कि वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे।
उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा।
उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें दो मिनट का समय दिया गया था किन्तु उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरम्भ "मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों" के साथ करने के लिये जाना जाता है।
उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। शिक्षा सन् 1871 में, आठ साल की उम्र में, नरेन्द्रनाथ ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया जहाँ वे स्कूल गए। 1877 में उनका परिवार रायपुर चला गया। 1879 में, कलकत्ता में अपने परिवार की वापसी के बाद, वह एकमात्र छात्र थे जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम डिवीजन अंक प्राप्त किये।
वे दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित विषयों के एक उत्साही पाठक थे।इनकी वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि थी। नरेंद्र को भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित किया गया था। इस अवसर पर मुख्य रूप से मोजद थै ऐडवोकेट निखिल कुमार,देव कृष्ण महतो,शांति राम महतो, कृष्ण पद महतो, गौरव महतो,अजय मंडल, आदि मौजूद थे।
Jan 12 2024, 17:52