टीबी मरीजों की खोज और इलाज के लिए चिकित्सकों को दिया गया प्रशिक्षण
पूर्णिया :- यक्ष्मा (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी रोगियों की खोज करते हुए उनकी समय से जांच, नियमित दवा एवं पूरा उपचार के साथ साथ टीबी से बचाव के लिए सभी पल्मोनरी टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले बच्चों, वयस्कों का भी ट्रीटमेंट किया जाना है। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की अद्यतन जानकारी के संबंध में जीत 2.0 कार्यक्रम अंतर्गत जिला यक्ष्मा केंद्र, पूर्णिया एवं वर्ल्ड विजन द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में कार्यरत दो चिकित्सकों को पूर्णिया जिले के एक होटल में एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के माध्यम से सभी चिकित्सकों को टीबी मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें सही समय पर आवश्यक उपचार उपलब्ध कराने की जानकारी दी गई।
एक दिवसीय प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सोरेंद्र कुमार दास, जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा, डीपीएस राजेश शर्मा, डीएएम पंकज कुमार मिश्रा, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ. (मेजर) अवकाश सिन्हा, टीबीडीसी पटना से डॉ रंजीत कुमार, वर्ल्ड विजन जिला समन्वयक अभय कुमार श्रीवास्तव, जिला सहायक अजय अकेला, केएचपीटी जिला समन्वयक अरुणेंदु झा, यक्ष्मा केंद्र डेटा ऑपरेटर अमित कुमार, सहित अन्य अधिकारी और सभी प्रखंडों के चिकित्सक उपस्थित रहे।
विश्व स्तर पर भारत में टीबी संक्रमण का अनुमानित बोझ सबसे अधिक
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने सभी चिकित्सकों को बताया कि विश्व स्तर पर भारत में टीबी संक्रमण का अनुमानित बोझ सबसे अधिक है। लगभग 35-40 करोड़ भारतीय आबादी को टीबी है, जिनमें से 26 लाख लोगों को सालाना टीबी रोग होने का अनुमान है। संक्रमित लोगों में से 5-10 प्रतिशत को अपने जीवन के दौरान आमतौर पर प्रारंभिक संक्रमण के बाद पहले 2 वर्षों के भीतर टीबी रोग हो जाता है। सक्रिय टीबी के रोगी के संपर्क में आने के बाद 75 प्रतिशत आम लोगों में भी टीबी विकसित होने का अनुमान है। इसकी समय पर पहचान करते हुए उनका इलाज होना आवश्यक है। इसके लिए सभी चिकित्सकों को अस्पताल में इलाज के लिए उपस्थित मरीजों पर ध्यान रखना जरूरी है। समय पर मरीजों की पहचान करते हुए उनका उपचार करने से देश टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बना सकता है।
प्रशिक्षण में जिला कार्यक्रम प्रबंधक सोरेंद्र कुमार दास ने बताया कि नीति आयोग के रिपोर्ट के अनुसार जिले के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में टीबी केस पहचान रिपोर्ट 83.15 प्रतिशत है। इसमें 91 प्रतिशत से अधिक टीबी रोगियों को उपचार उपलब्ध कराते हुए उन्हें टीबी मुक्त किया जा रहा है। सभी चिकित्सकों को अपने अस्पताल में संभावित टीबी मरीजों की पहचान करते हुए उनका उपचार करवाना चाहिए जिससे कि देश टीबी मुक्त हो सके।
Dec 20 2023, 19:31