मेडिकल कॉलेज में नाइट ब्लड सर्वे को लेकर लैब टेक्नीशियन को दिया गया प्रशिक्षण
पूर्णिया: फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम चलाया जाता है। नाइट ब्लड सर्वे में सभी सामान्य लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं जिसकी प्रखंड स्तर पर लैब टेक्नीशियन द्वारा जांच करते हुए माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु की पहचान की जाती है। नाइट ब्लड सर्वे में लोगों की सही तरीके से ब्लड सैंपल लेते हुए संबंधित व्यक्ति के माइक्रो फाइलेरिया की सही तरीके से पहचान करने के लिए कटिहार जिले के लैब टेक्नीशियन को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, पूर्णिया के माइक्रो बायोलॉजी और पैथोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) और जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी द्वारा एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान सभी लैब टेक्नीशियन को माइक्रो फाइलेरिया की पहचान के लिए सही तरीके से ब्लड सैंपल की जांच करते हुए उसमें छिपे फाइलेरिया कीटाणु की पहचान करने की जानकारी दी गई। एक दिवसीय प्रशिक्षण में मेडिकल कालेज माइक्रो बायोलॉजी एचओडी डॉ स्मिता कुमारी, पैथोलॉजी एचओडी डॉ सुजीत मंडल, माइक्रो बायोलॉजी ट्यूटर डॉ प्रिया सिन्हा, पैथोलॉजी ट्यूटर डॉ प्रवीण कुमार, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर. पी. मंडल, भीबीडीओ रवि नंदन सिंह, जिला भीबीडी कंसल्टेंट सोनिया मंडल, पिरामल स्वास्थ्य डीपीओ चंदन कुमार के साथ कटिहार जिले के 13 प्रखंडों के लैब टेक्नीशियन उपस्थित रहे।
ब्लड सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया की सही तरह से पहचान से चिह्नित होंगे फाइलेरिया मरीज : एचओडी मेडिकल कॉलेज
सभी लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण देते हुए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की माइक्रो बायोलॉजी की हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ स्मिता कुमारी ने कहा कि फाइलेरिया के कीटाणु लोगों के शरीर में छुपे हुए रहते और रात में ही एक्टिव होते हैं। रात में ही लोगों के शरीर के ब्लड सैंपल सही तरीके से लेकर उसकी सही तरह से जांच करने पर फाइलेरिया कीटाणु की पहचान हो सकती है। इसकी पहचान के लिए लोगों का ब्लड सैंपल का थिकनेस महत्वपूर्ण है। किसी भी व्यक्ति के ब्लड सैंपल में खून की लंबाई 03mm और चौड़ाई 02mm होना चाहिए। सभी सैंपल की 24 घंटे में जांच होने पर उसमें माइक्रो फाइलेरिया होने की पहचान की जा सकती है। सही समय पर लोगों के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया चिह्नित होने पर उसका तत्काल इलाज किया जा सकता है। जिससे संबंधित व्यक्ति विकराल फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकता है। अगर सही तरीके से ब्लड सैंपल जांच नहीं की गयी और संबंधित व्यक्ति में माइक्रो फाइलेरिया बढ़ने के कारण शरीर में सूजन शुरू हो गयी तो इसे खत्म नहीं किया जा सकता। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में सही तरीके से ब्लड सैंपल इकट्ठा करते हुए उसकी सही तरीके से जांच आवश्यक है। मेडिकल कॉलेज एचओडी द्वारा उपस्थित सभी लैब टेक्नीशियन को टेलिस्कोप द्वारा ब्लड सैंपल में फाइलेरिया की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
चिह्नित फाइलेरिया मरीजों को उपलब्ध कराई जाती है मेडिकल सुविधा :
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीज की पहचान करने पर उन्हें तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए मरीजों को अस्पताल से आवश्यक दवाई और मलहम दी जाती है। इसके साथ ही मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ सफाई रखते हुए नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की जानकारी दी जाती है। जिससे फाइलेरिया को नियंत्रित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को आवश्यक मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने व नियमित एक्सरसाइज करने के लिए जागरूक करने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के तीन प्रखंडों में पेशेंट नेटवर्क ग्रुप चलाया जा रहा है। इसके तहत अलग अलग क्षेत्रों में फाइलेरिया मरीजों की एक ग्रुप बनाई गई है जिसकी हर महीने मासिक बैठक आयोजित कर उनके स्वस्थ की जानकारी ली जाती है। इसके साथ ही उनके सहयोग से आसपास के क्षेत्रों में अन्य फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की भी पहचान करते हुए उन्हें मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए चलाया जाता है सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम :
पिरामल स्वास्थ्य डीपीओ चंदन कुमार ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे द्वारा सभी प्रखंडों के चिह्नित क्षेत्रों में फाइलेरिया मरीज की पहचान की जाती है।
नाइट ब्लड सर्वे जांच में अगर संबंधित प्रखंड में एक प्रतिशत व्यक्ति के ब्लड सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होती है तो पूरे प्रखंड में इससे अन्य लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है। इसके तहत स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को दवाई खिलाई जाती है।
कम से कम पांच साल तक नियमित एमडीए कार्यक्रम के तहत दवा सेवन करने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को नाइट ब्लड सर्वे द्वारा अपने फाइलेरिया की पहचान करवानी चाहिए और फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के तहत उपलब्ध दवाइयों का सेवन कर फाइलेरिया से सुरक्षित रहना चाहिए।
Dec 14 2023, 18:00