अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के पहले क्या है कश्मीर के नेताओं की प्रतिक्रिया? जानें किसने क्या कहा
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जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को साल 2019 में भारत सरकार ने निरस्त कर दिया था। चार साल बाद सोमवार को केंद्र सरकार के इस फ़ैसले की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट में चीफ़ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच के फ़ैसला सुनाने से पहले घाटी में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा- इंसाफ़ की उम्मीद
फैसला आने से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उन्हें इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार था और उन्हें इंसाफ़ की उम्मीद है। उन्होंने कहा-जब हम 2019 में सुप्रीम कोर्ट में गए थे तब न्याय की उम्मीद लेकर गए थे, आज भी हमारे जज्बात वही हैं। हमें इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। सोमवार (11 दिसंबर) को जज अपना फैसला सुनाएंगे, हमें इंसाफ की उम्मीद है।वहीं, घाटी में सिक्योरिटी बढ़ाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा- जनता पर यकीन होना चाहिए, यहां लोगों ने कब बीते चार सालों में कानून को अपने हाथों में लिया। 2019 में नहीं लिया, 2020 में नहीं लिया।फ़ैसला आने के बाद भी लोग माहौल नहीं बिगाड़ेंगे। पुलिस को लोगों को पकड़ने की ज़रूरत नहीं है, लोगों पर भरोसा करना चाहिए।
देश के हितों के खिलाफ हो सकता है फैसला- महबूबी मुफ्ती
वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह निर्णय 'लोगों और देश के हितों के पक्ष में' होने की संभावना नहीं है। अनंतानाग में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 'शुक्रवार रात से हम देख रहे हैं कि विभिन्न दलों, विशेषकर पीडीपी के कार्यकर्ताओं के नामों वाली सूचियां पुलिस स्टेशनों के माध्यम से ली जा रही हैं और ऐसा लगता है कि कोई ऐसा निर्णय आने वाला है, जो इस देश और जम्मू के पक्ष में नहीं है। केवल भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कुछ एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत की जिम्मेदारी है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एजेंडे को आगे न बढ़ाए, बल्कि देश और उसके संविधान की अखंडता को बरकरार रखें।
आज़ाद को उम्मीद लोगों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने रविवार को उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को 2019 में निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लोगों के पक्ष में फैसला सुनाएगा। आजाद ने कहा, ‘मैंने पहले भी यह कहा है। केवल दो (संस्थाएं) हैं जो जम्मू-कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 और 35ए वापस कर सकती हैं और वे संस्थाएं संसद और सुप्रीम कोर्ट हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच निष्पक्ष है और उम्मीद है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में फैसला देगी।’ उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि संसद 2019 को लिए गए निर्णयों को पलटेगी क्योंकि इसके लिए लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।
Dec 11 2023, 11:19