जन संवेदना को व्यक्त करने वाले मध्य युग के अप्रतिम लोकनायक थे कबीर : डा. हरिशंकर मिश्र
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गोण्डा।मध्य काल के अन्धकारमय युग में अज्ञानता, रुढियां, भेदभाव जैसी विसंगतियों व सामाजिक कट्टरता से समाज को मुक्ति दिलाने के लिए कबीर ने प्रेम सद्भाव व एकता के मानवता का संदेश देकर घट घट अविनाशी व्रह्म के उपासना का निर्गुण भक्ति का अप्रतिम प्रकाश दिया। कबीर का संदेश युगों तक प्रासंगिक रहेगा।
संत कबीर अकादमी, संस्कृति विभाग उ. प्र. एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय कबीर निर्गुणी उत्सव के समापन अवसर पर शुक्रवार को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी 'रामनाम के पटतरे- निर्गुण दुनिया की संरचना' विषय पर सम्बोधित करते हुए भक्ति साहित्य के प्रख्यात विद्वान व लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राध्यापक डा. हरिशंकर मिश्र ने व्यक्त किए।
शास्त्री कालेज के ललिता शास्त्री सभागार में बोलते हुए श्री मिश्र ने कहा कि कबीर ने सत्य को अनुभव की कसौटी पर कस कर सामाजिक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक ज्ञान का जो संदेश दिया ।
संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता पूर्व प्राचार्य एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार साहित्य भूषण डा. सूर्यपाल सिंह ने कहा कि निर्गुण व सगुण दोनो ही भक्ति क्षेत्र की उपासना पद्धति है। सगुण की सीमा निर्धारित है जबकि निर्गुण असीम है। भक्ति में व्रह्म के प्रति सर्वव्यापकता निराकार का मौन भाव जहां निर्गुण तत्व हैं वहीं व्रह्म के प्रति भाव को शब्द रूप वाणी रूप में व्यक्त होते ही वह साकार रूप ले लेता है।
महात्मा कबीर को व्रह्म को व्यक्त करने के लिए लिए बार बार राम नाम का आश्रय लेना पडा और राम को दशरथ का पुत्र न मानकर जग का अविनाशी तत्व कहकर स्पष्टीकरण देना पड़ा।
संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए संगोष्ठी के संयोजक, कालेज के शोध निदेशक व हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा. शैलेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि भारत की वाचिक परम्परा में कबीर ने समाज की विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हुए निर्गुण जैसी सरल व सर्वसुलभ उपासना पद्धति दिया।
उन्होंने जड़ चेतन में व्रह्म का दर्शन कर समाज को मानवता का संदेश दिया। शोध केन्द्र कबीर के निर्गुण राम को तुलसी के सगुण राम में समन्वय स्थापित समाज में सौहार्द का संदेश देने के लिए कृत संकल्पित है। संगोष्ठी के सह संयोजक व हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डा जयशंकर तिवारी के संचालन में अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डा. रवीन्द्र कुमार ने विद्वानों के विचार से सहमति व्यक्त करते हुए छात्र छात्राओं से कबीर के दर्शन से प्रेरणा लेते हुए उसे अपनी जीवन शैली बनाने और समतामूलक समाज की संरचना के स्वप्न को साकार करने का आह्वान किया ।
संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों के सरस्वती माता के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित एवं छात्राओं के वाणी वंदना की समधुर गीत से हुआ। इस अवसर पर उपस्थित अतिथि विद्वानों का स्वागत बैज अलंकरण स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंट कर किया गया।
कार्यक्रम में कालेज के प्राध्यापक
एवं भारी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
Dec 09 2023, 17:03