रांची प्रशासन : 1100 मकान तोड़े, 444 की बनायी सूची, 291 के लिए बना रहे फ्लैट|
10-Jan-2023 | Ranchi
रांची जिला प्रशासन ने अप्रैल 2011 में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर इस्लामनगर के1100 से ज्यादा कच्चे-पक्के मकानों को जमींदोज कर दिया था. प्रशासन की इस कार्रवाईसे बेघर हुए लोगों ने हाइकोर्ट की शरण ली. हाइकोर्ट ने आदेश दिया कि बेघरों हुएलोगों को उसी जमीन पर फ्लैट बनाकर उन्हें बसाया जाये..सर्वे के बाद जिला प्रशासन ने444 लाभुकों की सूची तैयार की, लेकिन इसमें भी खेल हो गया. जिनके घर टूटे, उनमें सेज्यादातर के नाम इस सूची में शामिल नहीं किये गये. वहीं, मात्र 291 लोगों के लिए हीफ्लैट बनाया जा रहा है, जो आज तक पूरा नहीं हुआ है. पढ़िये इस्लामनगर के बेघरों केदर्द की दूसरी किस्त....वर्ष 2011 के अप्रैल का महीना था. अचानक सुबह-सुबह पुलिस घरमें आ धमकी. पुलिसवाले बोले : घर खाली करो, इसे तोड़ा जाना है. हमने कहा : घर खालीकरने के लिए थोड़ा समय दिया जाये, लेकिन पुलिसवाले बोले : पांच मिनट में खाली करो.बात करते-करते जेसीबी भी आ गया और सबसे पहला मकान मेरा ही तोड़ दिया. दो दिन अभियानचला..उस दौरान पूरे इस्लामनगर के 1100 से ज्यादा कच्चे-पक्के मकान तोड़ दिये गये.हमलोग हाइकोर्ट गये. वहां से आदेश हुआ कि जिनके घर टूटे हैं, उन सभी को उसी जगहफ्लैट बनाकर दिया जाये. हमें लगा कि देर से ही सही, हमें आशियाना मिल जायेगा. यहीसोचकर हम यहां पर तिरपाल खींचकर पिछले 11 साल से यहां जमे हुए हैं..अब जाकर पता चलाकि फ्लैट आवंटन के लिए रांची नगर निगम ने जिन 291 बेघरों की लिस्ट बनायी है, उसमेंतो हमारा नाम ही नहीं है. सुनकर हमारे पैरों तले जमीन खिसक गयी. अब आप ही बताइए नबाबू... इस उम्र में हम अब कहां जायें...?. यह पीड़ा हाजरा खातून की है, जो आज भीइस्लामनगर में झोपड़ी बनाकर रह रही है. उसे उम्मीद है कि सरकार ने जिस तरह से उसकाघर तोड़ा, एक न एक दिन उसे घर देगी. हाजरा कहती हैं : घर टूटने के बाद हम यहीं परझोपड़ी बनाकर रहने लगे. एक साल बात पति का निधन हो गया. कुछ दिन बाद जवान बेटे कीभी मौत हो गया. इस पर भी प्रशासन वालों की चालाकी देखिए, घर टूटनेवालों की लिस्टमें हमारा नाम ही नहीं डाला. कुछ ऐसी ही दास्तां शमां परवीन की भी है..जब घर टूटा,तो हमसे कहा गया कि जिनके घर टूटे हैं, वे आवास लेने के लिए अपने सारे कागजात केसाथ जिला प्रशासन के पास आवेदन दें. हमने दर्जनों बार जिला प्रशासन और नगर निगम केपास अपने कागजात जमा किया. लेकिन, जब लाभुकों की सूची तैयार हुई, तो उसमें हमारानाम ही नहीं था. अब बताइए हम कहां जायें. इस्लामनगर का हर बेघर शख्स ऐसी हीपरेशानियों का सामना कर रहा है. नगर निगम ने बेघरों की जो सूची बनायी, उसमें सेअधिकतर ऐसे लोगों के नाम शामिल नहीं किये गये, जिनके घर अतिक्रमण हटाओ अभियान केदौरान तोड़े गये थे..अतिक्रमण हटाओ अभियान से प्रभावित 300 से अधिक परिवार आज भीइस्लामनगर में ही झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. उनमें उम्मीद बाकी है कि सरकार उनकीपरेशानी समझेगी और जिनके नाम लाभुकों की सूची में शामिल नहीं किये गये हैं, उन्हेंभी एक न एक दिन घर बनाकर देगी. ये लोग साफ कहते हैं : हम कहीं नहीं जानेवाले हैं.नगर निगम हमें घर बना कर दे..अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान बेघर हुई इस्लामनगर कीआबदा खातून का पीड़ा इससे भी बड़ी है. उन्होंने बताया कि जिस दिन घर टूटा, उसके छहदिन बाद ही बेटी का शादी थी. घर टूट जाने के कारण मलबे के बीच ही सड़क पर छोटा सापंडाल बनाकर बेटी की शादी की. लेकिन, लाभुकों की सूची में उनका नाम नहीं है. यहींरहनेवाली इशरत जहां कहती हैं : मैं दाई का काम करती हूं, पति रिक्शा चलाते हैं. इसीजगह पर पली-बढ़ी. मेरा भी घर टूटा, लेकिन लिस्ट में मेरे घर के किसी व्यक्ति का नामही नहीं है. अब आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि लिस्ट बनाने में जिला प्रशासन और नगरनिगम ने किस तरह की मनमानी की है. .सरकार और नगर निगम के स्तर से लाभुकों की जोलिस्ट बनायी गयी है, वह त्रुटिपूर्ण है. जब यहां 1100 लोगों के घर तोड़े गये, तोमात्र 291 फ्लैट किस आधार पर बनाये जा रहे हैं. सरकार से हमारी मांग है कि वह नयेसिरे से यहां सर्वे कराये और जितने भी लोग छूट गये हैं, उन सभी को भी फ्लैट दियेजायें. यहां जमीन की कमी नहीं है. तीन एकड़ जमीन अब भी खाली है
Dec 03 2023, 16:06