श्री राम कथा पंडाल में उमड़ रही भक्तों की भीड़
फर्रूखाबाद l शहर के श्री पांडेश्वर नाथ शिवालय (पडाबाग) में चल रही श्री राम कथा के छठवें दिन आचार्य अमरीश महाराज द्वारा श्री राम कथा का सुंदर ढंग से चित्रण किया गया, महाराज के द्वारा बताया गया विश्वामित्र ऋषि के यज्ञ सकुशल संपन्न हो जाने के बाद भगवान श्री राम ने विश्वामित्र से वापस अयोध्या जाने की आज्ञा मांगी तो विश्वामित्र ने कहा कि हे राघव मैं आपको एक यज्ञ संपन्न करने के लिए नहीं लाया था अभी जो सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ है वह पूर्ण करना है ।
महाराजा जनक जो की मिथिला नगरी के राजा है अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए धनुष यज्ञ का आयोजन किया है और उसमे हम लोगों को चलना है, गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार करने के बाद प्रभु राम एवं विश्वामित्र जी गंगा जी के निकट अमराई में रुके और उन्होंने मां गंगा का स्नान किया ,और प्रभू विस्वामित्र जी के साथ मिथिला नगरी की ओर चल पड़ते हैं ।
, महराज जनक जी को पता चलता है की ऋषि विस्वामित्र राम जी और लक्ष्मण सहित आए हैं, तो पूरे आदर सत्कार के साथ जनक जी उनको रुकाते हैं, सुबह प्रभू रामचंद्र जी ऋषि विस्वामित्र जी से नगर भ्रमण की आज्ञा लेते हैं विश्वामित्र जी आगे देते हुए कहते हैं ‼️जाही देख आबो नगर ‼️ राम जी नगर भ्रमण पर निकलते हैं आगे प्रभु रामचंद्र जी पीछे-पीछे लक्ष्मण जी के साथ नगर भ्रमण को जा रहे हैं जैसे ही नगर में प्रभु श्री रामचंद्र जी के भ्रमण की सूचना मिलती है लोगों को लोग अपना सारा काम छोड़कर दर्शन करने के लिए भाग खड़े होते हैं घर की महिलाएं एवं युवतियां घर के काम को छोड़कर अट्टीलिकाओं में से प्रभु के दर्शन करती है।
एक बार राम जी देख ले इसके के लिए तरह-तरह से निवेदन एवं कोशिश करती है की प्रभु जी एक बार देख ले लक्ष्मण जी कहते हैं प्रभु जी से की भैया सब लोग आपको देखना चाहते हैं पर आप किसी की ओर देखे ही नहीं रहे आप कमजोर में एक बार नजर उठा कर तो देख लो रामचंद्र जी लक्ष्मण जी को भी कहते हैं चुपचाप नगर भ्रमण करो नगर दर्शन से आकर प्रभु रामचंद्र जी विश्वामित्र के पैर को दबाने लगते हैं ‼️बार बार मुनि आज्ञा दीनी तब रघुपति जाएं विस्राम किन्हीं ‼️ प्रातः काल प्रभू रामचंद्र जी ऋषि विस्वामित्र से पूजा के फूल लाने के लिए पुस्पावाटिका जानें के लिए आज्ञा मांगते हैं ।
ऋषि की आज्ञा पाकर राम जी और लक्ष्मण जी पुष्प वाटिका जाते हैं, उसी समय माता सीता जी भी मां गौरी का पुजन करने आती हैं, माता सीता की और राम जी की नजर मिलती है तो वंहा का दृश्य का वर्णन शब्दों से संभव नहीं है सीता माता गौरी का पूजन करने मंदिर जाती हैं और गौरा मां से प्रार्थना करती हैं ‼️मोर मनोरथ जानहूं नीके ‼️ मां गौरी का आशिर्वाद पाकर माता सीता की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता है।
क्योंकि जून के दिल में है वही माता ने आशीर्वाद दिया है दूसरे दिन राज्यसभा में स्वयंवर के लिए देश-विदेश के राजा आए कोई भी शिव धनुष को टस से मस नहीं कर पाया क्यूंकि माता सीता की वास्तविक मां पृथ्वी हैं, और मां जानती है की मेरी बेटी किसको अपना पति वर्ण कर चुकी है, इसलिए एक से एक चक्रवर्ती सम्राट और राजा धनुष को तिल भर भी टस से मस नहीं कर पाए यह देखकर महराजा जनक को बहुत दुख हुआ की एक से बढ़कर एक राजा जो की अपने को बहुत बलशाली समझते थे वो धनुष को हिला तक नहीं पाए , और यह कहकर बहुत दुःखी हुए तब ऋषि विस्वामित्र की आज्ञा पाकर धनुष तोड़ने के लिए चल दिए, पूरी राजसभा के मन में संसय है की एक से बढ़कर एक राजा धनुष को हिला तक नहीं पाए तो यह सुकुमार राम जी कैसे धनुष को तोड़ेंगे।
प्रभु रामचंद्र जी एक झटके में धनुष को उठा लेते हैं और प्रतंचा चढ़कर धनुष को तोड़ देते हैं धनुष को तोड़ते ही चारों ओर हर्ष का वातावरण हो जाता है स्वर्ग से देवतागड़ पुष्प वर्षा करने लगते हैं माता सीता जी बरमाला आगे बढकर प्रभू रामचंद्र जी के गले मे जयमाल डाल देती है। कथा के मुख्य यजमान प्रिंस शुक्ला एवम उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शिवा शुक्ला रही।
आज की श्री राम कथा में प्रमुख रूप से फर्रुखाबाद विकास मंच के अधयक्ष भईयन मिश्रा, नन्हे पंडित (सभासद) अनिल त्रिपाठी (पूर्व आरटीओ), रजनीश मिश्र (दद्दा), धीरू सारस्वत, मनोज दीक्षित, प्रमोद झा, अतुल गुप्ता, विवेक शुक्ला, मोहित खन्ना,संजय बाथम, राजीव वर्मा, आदि प्रमुख रूप से रहे। व्यवस्थापक कोमल पांडे एवं सतीश प्रकाश दीक्षित ने सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से व्यवस्थित कराया।
Nov 03 2023, 17:22