क्या तेलंगाना में सीएम केसीआर इस बार हैट्रिक लगाकर बनाएंगे रिकॉर्ड या लगने वाला है जोर का झटका?
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तेलंगाना विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है। 30 नवंबर को तेलंगाना में वोटिंग होगी।तेलंगाना में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सवाल उठने लगा है कि क्या मुख्यमंत्री कल्वाकुन्तला चन्द्रशेखर राव (केसीआर) हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर राज्य की एक बार फिर बागड़ोर संभालेंगे या फिर राज्य में किसी नए पार्टी की सरकार बनेगी। अगर केसीआर तेलंगाना की सत्ता पर वापसी करते हैं तो वह इतिहास रच देंगे। क्योंकि, दक्षिण भारत के किसी भी मुख्यमंत्री ने कभी जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है।
सोमवार को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पहला सर्वे आया है। ये सर्वे किया है, C-वोटर ने। सर्वे में बताया गया है कि क्या केसीआर एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे।सर्वे में ये भी बताया गया है कि क्या कांग्रेस राज्य में धमाके दार एंट्री करेगी। सर्वे में ये भी बताया गया है कि क्या भाजपा तेलंगाना में पीएम मोदी की अगुवाई में कोई कमाल दिखा पाएगी।C-वोटर के सर्वे के मुताबिक, राज्य में कांग्रेस पार्टी को जोरदार बढ़त मिलती दिख रही है। सर्वे के मुताबिक, 119 विधानसभा सीटों वाले तेलंगाना में 48 से 60 सीटें मिलती दिख रही है। पिछली बार कांग्रेस का प्रदर्शन राज्य में बेहद साधारण रहा था और पार्टी के 19 प्रत्याशियों को जीत मिली थी।सर्वे में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को लेकर बताया गया है कि पार्टी को जोरदार झटका लगने वाला है। पिछली बार के चुनाव में 88 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीआरएस इस बार 43 से 55 सीटों पर सिमट सकती है। अगर सर्वे के मुताबिक, नतीजे आते हैं तो फिर ये केसीआर के लिए झटके जैसा होगा।
बता दें कि आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना बनने के बाद यह तीसरा चुनाव हो रहा है। इसलिए हर चौक-चौराहे पर यही चर्चा है कि जीत कौन रहा है? क्या बीआरएस पहले से कमजोर हुई है या कांग्रेस ने खुद को मजबूत किया है.....या फिर बीजेपी बाजी पलटने को तैयार हो चुकी है?जहां तक कांग्रेस की उम्मीदों की बात है तो फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है कि वह जादुई आंकड़े के आसपास भी खड़ी होने की स्थिति में है। विश्लेषकों का मानना है कि केसीआर की जादुई छवि के आगे कांग्रेस का रास्ता बहुत ही कठिन है। कांग्रेस की सत्ता की उम्मीद सिर्फ उसकी चुनावी गारंटियों के भरोसे पर टिकी हुई है। उसकी तुलना में के चंद्रशेखर राव का विश्वास कहीं ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है।एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीआरएस को लीड दिख रही है।
दरअसल लगभग सभी उम्मीदवारों की घोषणा करके और समय से पहले प्रचार अभियान शुरू करके और विभिन्न वर्गों के लिए घोषणाओं की एक श्रृंखला के साथ, बीआरएस ने अपने दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों -कांग्रेस और बीजेपी को फिलहाल तो पछाड़ दिया है।अब देखना ये होगा की इसका फायदा आगे भी मिलता है या नहीं?
वहीं, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राज्य के गठन के बाद से पार्टी सत्ता में है, इसलिए सत्ता विरोधी लहर चल रही है। केसीआर ने तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई का नेतृत्व किया और लक्ष्य हासिल भी किया।साल 2014 और 2018 के चुनावों में तेलंगाना की लहर हावी रही। क्योंकि, टीआरएस ने पहले चुनाव में तेलंगाना के पुनर्निर्माण के नाम पर जनादेश मांगा और साल 2018 में राज्य को बंगारू या स्वर्ण तेलंगाना में बदलने के अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए एक नया जनादेश मांगा था।लेकिन अब जब, तेलंगाना लहर भी धीमी पड़ गई है, ऐसे में उनके सामने बड़ी चुनौती होगी।
हालांकि, केसीआर को भरोसा है कि बीआरएस 119 सदस्यीय विधानसभा में 100 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखेगी। बीआरएस ने 2014 के चुनाव में 63 सीटें हासिल की थीं और साल 2018 के चुनाव में 88 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के एक दर्जन सहित कई विधायकों के दलबदल के साथ, बीआरएस ने अपनी सीटों की संख्या 100 से अधिक कर ली थी।
Oct 10 2023, 14:47