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गोवा और केरल में भारी बारिश का अलर्ट, IMD ने मछुआरों के लिए जारी की सलाह, लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त

केरल के विभिन्न क्षेत्रों में भारी बारिश जारी रही, जिससे सोमवार (2 अक्टूबर) को दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तीन जिलों पथानामथिट्टा, अलाप्पुझा और एर्नाकुलम में येलो अलर्ट जारी किया है। बता दें कि, येलो अलर्ट 6 सेमी से 11 सेमी तक पर्याप्त वर्षा की उम्मीद को दर्शाता है। मौसम विज्ञान एजेंसी के पूर्वानुमान के अनुसार, लगातार बारिश 5 अक्टूबर तक जारी रहने का अनुमान है।

पिछले तीन से चार दिनों में, राज्य में बड़े पैमाने पर बारिश हुई है, जिससे कई इलाकों में पेड़ उखड़ गए, इलाकों में पानी भर गया और परिसर की दीवारें ढह गईं। हालाँकि, राज्य भर में अब तक किसी बड़ी क्षति की सूचना नहीं है। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने खुलासा किया कि, पिछले 24 घंटों के भीतर, बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में पथानामथिट्टा, अलाप्पुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम और कोझिकोड शामिल हैं। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जवाब में, केएसडीएमए ने अलाप्पुझा और कोट्टायम दोनों जिलों में दो राहत शिविर सक्रिय किए।

SDMA की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दिन बारिश से संबंधित विभिन्न घटनाओं से कुल 26 व्यक्ति प्रभावित हुए हैं। पहले भारी बारिश के कारण अलाप्पुझा जिले के कुट्टनाड क्षेत्र में स्थित एक छोटी सी बस्ती, एडथुआ में धान के विशाल खेत जलमग्न हो गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार बारिश से खतरा पैदा होने के कारण, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाले निवासियों के लिए एक चेतावनी जारी की है, जिसमें उनसे लगातार बारिश के दौरान कड़ी सतर्कता बनाए रखने का आग्रह किया गया है।

गोवा में बारिश का 'रेड' अलर्ट

IMD ने गोवा के लिए 'रेड' अलर्ट जारी किया है, जिसमें तटीय राज्य में अगले 24 घंटों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है। IMD ने वर्तमान मौसम की चेतावनी जारी करते हुए भविष्यवाणी की है कि, "40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ मध्यम से भारी बारिश होगी।" IMD के मुताबिक, राज्य के पेरनेम, तिस्वाडी, बर्देज़, बिचोलिम और सत्तारी तालुका में सुबह बादल छाए रहे। मौसम विभाग के अनुसार, "अरब सागर के ऊपर अधिक बादल इकट्ठा हो रहे हैं। बादलों के उत्तर-पूर्वी दिशा में बढ़ने से अधिक तालुका प्रभावित होने की संभावना है।"

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने उत्तर और दक्षिण गोवा के जिलों में नियंत्रण कक्ष सक्रिय कर दिए हैं। SDMA ने कहा कि, "अगले 24 घंटों में गोवा में अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है। जनता को सलाह दी जाती है कि वे जलभराव या बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में न जाएं।" रिपोर्ट के अनुसार, उच्च जल स्तर और खराब मौसम की स्थिति के कारण, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त जीवनरक्षक एजेंसी दृष्टि मरीन ने लोगों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है।

पीएम मोदी ने राजस्थान सरकार से किया वादा, बोले-मैं गारंटी देता हूं कोई योजना बंद नहीं होगी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सोमवार को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में है। उन्होंने सांवलिया सेठ के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद 7 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इसके बाद सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा।चितौड़गढ़ में पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने राजस्थान की साख बर्बाद की। राजस्थान अपराध में टॉप पर आता है।पिछड़ों पर अत्याचार होता है तो राजस्थान का नाम आता है। क्या कांग्रेस को इसलिए वोट दिया? भाजपा आएगी दंगे रुकवाएगी, भाजपा आएगी पत्थरबाजी रुकवाएगी, भाजपा आएगी, रोजगार लाएगी।

पीएम मोदी ने राजस्थान के युवाओं से किया वादा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चितौड़गढ़ में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “राजस्थान के नौजवानों के साथ जो धोखा किया गया है भाजपा उसकी तह तक जाएगी। यहां के पेपर लीक माफिया का पाताल में भी जाकर हिसाब किया जाएगा। मैं आपको भरोसा देता हूं नौजवानों के भविष्य के साथ जिसने खिलवाड़ किया है ऐसे पेपर लीक माफिया को छोड़ा नहीं जाएगा, कड़ी सज़ा दिलाई जाएगी।

हर गरीब, दलित और आदिवासियों को पक्के घर का वादा

चितौड़गढ़ में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आज मैं राजस्थान के हर गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवारों को गारंटी दे रहा हूं कि हर गरीब को पक्की छत, पक्का घर दिया जाएगा। हमने राजस्थान के लाखों लोगों को पाइप से पानी पहुंचाने की गारंटी दी है। आज एक राज्य दूसरे राज्य को पानी देने से मना करता है, दोनों राज्यों में लड़ाई होती है लेकिन ये मेरी गारंटी थी कि अगर नर्मदा का पानी गुजरात को मिलता है और राजस्थान को जरूरत है तो राजस्थान को भी मिलेगा। आज बिना किसी विवाद के राजस्थान के कई गांव, जिलों में नर्मदा का पानी पहुंच रहा है।

कांग्रेस की विदाई का काउंटडाउन शुरू-पीएम मोदी

लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जनता का संदेश कांग्रेस के नेताओं तक पहुंच चुका है। यहां मुख्यमंत्री गहलोत जी को भी पता है कि कांग्रेस सरकार की विदाई का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि इन दिनों गहलोत जी ने एक प्रकार से बीजेपी को बधाई दे दी है। वह आग्रह कर रहे हैं कि बीजेपी सरकार बनने के बाद उनकी योजनाएं बंद नहीं की जाएं। मैं बीजेपी सरकार बनने की बात स्वीकार करने के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं।

गहलोत सरकार की कोई योजना नहीं रुकेगी-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, राजस्थान में सीएम गहलोत ने मान लिया है कि भाजपा की सरकार बनने वाली है। गहलोत कह रह हैं कि भाजपा सरकार बने तो हमारी योजनाएं बंद ना की जाएं। पीएम ने कहा कि हम उनकी योजनाओं को बंद नहीं करेंगे, उनमें और सुधार करेंगे। लेकिन, मैं एक बाद की गारंटी देता हूं कि जिन लोगों ने प्रदेश में भ्रष्टाचार किया है, उन पर कार्रवाई तो होगी। ये मोदी की गारंटी है। गरीबों को लूटने वालों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ा जाएगा। और आप सबको पता है, मोदी की गांरटी... मतलब पूरा होने की गारंटी।

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में पीट पीट कर छह लोगों की हत्या, मचा कोहराम, पुलिस प्रसाशन की टीम कर रही छानबीन

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में सनसनीखेज वारदात सामने आई है। यहां रुद्रपुर के पास फतेहपुर गांव में पुरानी रंजिश के चलते छह लोगों की बेरहमी से हत्या करने का मामला सामने आया है। सूचना मिलते ही मौके पर भारी पुलिस पहुंची है।

पुलिस छानबीन में जुटी हुई है। घटना को लेकर पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। घटनास्थल पर चीख-पुकार मची है। गांव में तनाव का माहौल है। घटना की सूचना पर मौके पर पीएसी पहुंच रही है। छह लोगों की हत्या से पुलिस विभाग में भी हड़कंप मचा है।

जानकारी के अनुसार, देवरिया के रुद्रपुर कोतवाली इलाके के फतेहपुर के लेहड़ा टोला पर सोमवार की सुबह पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना के प्रतिशोध में उमड़ी भीड़ ने आरोपी पक्ष के सत्यप्रकाश दुबे के दरवाजे पर पहुंच कर सत्यप्रकाश दुबे को मार डाला।

 

इसके बाद आक्रोशित भीड़ ने दो मासूम, महिला और एक अन्य की हत्या कर दी। घटना के बाद गांव में अफरा तफरी मच गई। मौके पर पुलिस पहुंच गई। अधिक जानकारी जुटाई जा रही है।

'जो कांग्रेस सरकार जानमाल की सुरक्षा नहीं कर सकती, उसको हटाना बहुत जरुरी है', राजस्थान में कन्हैया हत्याकांड का जिक्र कर बोले PM मोदी

 पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला। यहा मौजूद भीड़ को देख गदगद दिखाई दे रहे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरा राजस्थान, पूरा मेवाड़ क्या सोच रहा हैं यह साफ चित्तौड़गढ़ में नजर आ रहा हैं। मैं पार्टी का आभारी हूं की मुझे आप लोगों के बीच जाने का मौका दिया।

उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जो कांग्रेस सरकार जानमाल की सुरक्षा नहीं कर सकती, उसको हटाना बहुत आवश्यक है। जो उदयपुर में हुआ, क्या उसकी आपने कल्पना भी की थी! जिस राजस्थान ने दुश्मन पर भी धोखे से वार न करने की परंपरा को जीया है, उस राजस्थान की धरती पर कपड़े सिलाने के बहाने लोग आते हैं तथा बिना डर एवं खौफ के टेलर का गला काट देते हैं।' उन्होंने कहा कि जब मेवाड़ से खबरें आती हैं तो मन दुखी हो जाता हैं। अपराध के मामले में राजस्थान टॉप पर आता हैं। दंगों में कोनसा प्रदेश टॉप पर आता हैं, हमारा राजस्थान। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं बड़े दुख के साथ पूछना चाहता हूं क्या इसलिए कांग्रेस को वोट दिया था। 

पेपर लीक के मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'राजस्थान के नौजवानों को वादा करता हूं की पेपर लीक माफिया का पाताल में जाकर भी हिसाब किया जाएगा। उन्हें सख्त सजा दिलाई जाएगी। कांग्रेस वोट पाने के लिए भाती भाती के छल करती रहती हैं। मैं राजस्थान के नौजवानों को वादा करता हूं की पेपर लीक माफिया का पाताल में जाकर भी हिसाब किया जायेगा।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कांग्रेस के घमंडिया गठबंधन के नेता महिलाओं को लेकर कैसी-कैसी अपमानजनक बातें कर रहे हैं, ये आए दिन हम देख रहे हैं। ये चाहते ही नहीं कि महिलाओं को उनका अधिकार मिले, इसलिए बहाने बना रहे हैं, जाति-धर्म के नाम पर भ्रम फैला रहे हैं। गहलोत जी ने एक तरह से बीजेपी को बधाई दे दी है।आजकल वो आग्रह कर रहे हैं कि बीजेपी सरकार बनने के बाद उनकी योजनाओं को बंद न किया जाए। पहले तो बीजेपी सरकार बनने की बात स्वीकार करने के लिए मैं उनका आभार जताता हूं।'

मणिपुर में किसने फैलाया था 'नफरत' का केरोसिन, कैसे रचा गया पूरा प्रोपेगेंडा ? महीनों बाद ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सबूत, डिटेल में जानिए

मणिपुर में लगभग 3 महीनों तक चले हिंसा और उस पर मची राजनीती को लेकर अब परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। मणिपुर में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का भी जो नैरेटिव राजनेताओं द्वारा बनाया गया, उसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिशें सामने आ रहीं हैं।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के पीछे खालिस्तानी आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है। खुफिया एजेंसियों को बाकायदा इसके प्रमाण भी मिले हैं, एजेंसियों का दावा है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद 'अल्पसंख्यक' कुकी समुदाय के एक वरिष्ठ नेता ने आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ बैठक की थी। 3 घंटे चली इस मीटिंग के बाद खालिस्तानी नेटवर्क के माध्यम से करोड़ों रुपए मणिपुर में कुकियों के लिए भेजे गए। इन पैसों का इस्तेमाल कुकियों द्वारा मैतई समुदाय के खिलाफ हिंसा में ही किया जाना था या फिर किया भी जा रहा हो। 

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे के एक गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थकों की सभा का एक वीडियो भी लगा है। इसमें मणिपुर के अल्पसंख्यक कुकी अलगाववादी नेता लीन गंग्ते नज़र आ रहा है। गंग्ते नार्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (NAMTA) यानी नामटा का प्रमुख है। 2 मिनट 20 सेकंड के इस वीडियो में गंग्ते वहां मौजूद लोगों के सामने भाषण दे रहा है।

कनाडा से पनाह मांग रहे कुकी नेता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गंग्ते ने कनाडा के गुरुद्वारे में खालिस्तानियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला, उसने कहा कि, ''जिस प्रकार आप लोग खालिस्तान की मांग कर रहे है, वैसे ही हम भी अलग मणिपुर के लिए लड़ रहे हैं। सरकार, मणिपुर में हमारे समुदाय के नेताओं को मिटा देना चाहती है, इसलिए उन्हें कनाडा में राजनीतिक शरण दी जाए।'' खालिस्तानियों के सामने भारत विरोधी भाषण में गंग्ते ने आगे कहा कि, ''हमारे समुदाय (कूकी) को भी कनाडा में राजनितिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिले।’ इसके बाद गुरुनानक गुरुद्वारा समिति सरे के कार्यक्रम में मौजूद कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने गंग्ते को आगे की रणनीति साथ मिलकर बनाने का आश्वासन दिया।

बता दें कि, कूकी (30 फीसद आबादी) मणिपुर में रहने वाली एक जनजाति है, जिसका राज्य के 90 फीसद पहाड़ी इलाकों पर कब्जा है, वहां मैतई समुदाय जमीन नहीं खरीद सकता और काम धंधा नहीं कर सकता। अधिकतर कूकी मिशनरियों के प्रभाव में आकर ईसाई बन चुके हैं, वहीं मैतई समुदाय (53 फीसद) बहुसंख्यक है, जो वैष्णव धर्म का पालन करता है और राज्य के 10 फीसद मैदान वाले हिस्से में सिमटा हुआ है, उसने मांग की थी कि, उसे भी जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए, ताकि वो भी पहाड़ी इलाकों में जाकर खेती बाड़ी कर सके, क्योंकि 10 फीसद जमीन काफी कम है। इसी बात से कूकी आक्रोशित हैं, हाई कोर्ट ने जब मैतई समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, तो कुकियों ने विरोध किया और परिणामस्वरूप हिंसा शुरू हो गई, अब कुकियों को भारत विरोधी तमाम ताकतों से मदद मिल रही है।  

कूकी नेता ने कहा- भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित 

वीडियो में कूकी के अलगाववादी नेता ने मणिपुर (Truth of Manipur Violence) मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बयान न देने पर भी हमला बोला है। उसने कहा कि, मोदी अमेरिका गए, फ्रांस गए, मिस्र गए, लेकिन उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। लीन गंग्ते ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं। बता दें कि, ''अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं'' या ''भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचर हो रहा है'', ये वही जुमले हैं, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर विदेश दौरों पर बोलते रहते हैं। यही आरोप पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम-घूमकर भारत पर लगाता रहता है कि, भारत मुस्लिमों (अल्पसंख्यक) पर अत्याचार कर रहा है। खालिस्तानी भी यही कहकर लोगों को भड़काते हैं कि ''भारत में सिखों के साथ भेदभाव हो रहा है।'' आतंकियों के इस नैरेटिव को अनजाने में ही या फिर जानबूझकर सियासी लाभ के लिए, राहुल गांधी आगे बढ़ाते हैं, जब वे ब्रिटेन में जाकर कहते हैं कि, 'भारत में सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है।' इसके कुछ ही दिनों बाद ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हमला हो जाता है और खालिस्तानी तिरंगे को अपमानित करते हैं। क्या इससे यह समझ में नहीं आता कि, आतंकी, भारतीय नेताओं द्वारा दिए गए राजनितिक बयानों को हथियार बनाकर लोगों को भड़का रहे हैं ? अब ये पूरा रैकेट धीरे-धीरे उजागर हो रहा है कि, मणिपुर में किस तरह आग लगाई गई ? 

उधर, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में मणिपुर में पहली गिरफ्तारी कर ली है। NIA ने चूराचांदपुर से से कूकी नेता इमीन्लुन गंग्ते को पकड़ा है। गंग्ते पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम है। आरोप है कि आतंकी संगठन चिन-कुकी-मिजो लोगों के लिए अलग राज्य बनाने के लिए भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे हैं। भारत के खिलाफ इसी युद्ध को कुछ राजनेता यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं कि, 'भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' हो रहा है। इससे उन अलगाववादियों को ताकत मिल रही है और वो भारत विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों से मदद लेकर भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं। 

विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में बताया 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का सच :-

'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है', बार-बार कही जा रही इस बात पर दुनिया के कुछ देश भरोसा करने लगे हैं और मौका मिलते ही विदेश यात्रा पर पहुंचे भारत सरकार के किसी प्रतिनिधि पर अल्पसंख्यकों से जुड़ा सवाल दाग देते हैं। यही सवाल अमेरिका दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने भी रखा गया। कई बार भारत इन सवालों का जवाब देने में रक्षात्मक हो जाया करता था, लेकिन अब वो आँख में आँख मिलाकर जवाब देता है। विदेश मंत्री ने इसका बेबाकी से उत्तर दिया और दो टूक जवाब देकर अमेरिकी प्रतिनिधि को चुप करा दिया। उन्होंने कहा कि, 'चूंकि आपने भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है, किन्तु यह बताइए कि निष्पक्ष और सुशासन या समाज के संतुलन की कसौटी क्या है? इसकी कसौटी यही होगी कि आप सुविधाओं के मामले में, लाभ के मामले में, पहुंच के मामले में, अधिकारों के मामले में, किसी से भेदभाव करते हैं या नहीं।'

 

विदेश मंत्री ने कहा कि आज, जब आप अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों को देखते हैं, तो आप देखते हैं आवास के मामले में, आप स्वास्थ्य को देखते हैं, आप भोजन को देखते हैं, आप आर्थिक मदद को देखते हैं, आप शैक्षिक पहुंच को देखते हैं। उन्होंने कहा कि, "मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप मुझे भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव दिखाइए।'' इसके बाद जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी से दुनिया को वो सच्चाई बताई, जिसके कारण 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है। उन्होंने कहा कि, "जैसा कि मैंने कहा यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। ऐसे लोग होंगे, आपके मन में इसके बारे में फ़िक्र होगी और उनमें से अधिकांश शिकायत सियासी है। मैं आपसे बहुत स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं, क्योंकि हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है और ऐसे वर्ग भी हैं, जिनका उनकी नजर में एक निश्चित विशेषाधिकार था।" 

बता दें कि, वोट बैंक को अपनी तरफ करने के लिए ही 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है, जो जितनी अधिक ताकत से यह मुद्दा उठता है, अल्पसंख्यकों को लगता है कि, वो उनका शुभचिंतक है और फिर अल्पसंख्यकों का वोट भी वहीं जाता है। भारत के बहुसंख्यक वर्ग के अधिकतर त्योहारों पर निकाली जाने वाली शोभायात्राओं और जुलुस पर अल्पसंख्यकों द्वारा हमला किए जाने की कई ख़बरें आए दिन आप देखते ही होंगे, उसके बाद भी दुनियाभर में यह नैरेटिव फैलाया जाता है कि, भारत में अल्पसंख्यक पीड़ित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में सबसे कम आबादी जैन समुदाय की है, महज 0.4 फीसद, जो कारोबार में काफी आगे हैं, क्या उन्होंने कभी अपने ऊपर अत्याचार होने का दावा किया है या किसी नेता ने उनका मुद्दा उठाया है ? नहीं, क्योंकि वे अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन उनकी आबादी इतनी नहीं कि, वो वोट बैंक बन सकें। जैनियों से भी कम आबादी वाले पारसी और यहूदी, जो अपने देश को छोड़कर कई सालों पहले भारत में शरण लेने आए थे, उन्होंने भी आज तक उत्पीड़न की शिकायत नहीं की, उल्टा वे देश की उन्नति में योगदान दे रहे हैं। एक सिख अल्पसंख्यक हैं, सबसे अधिक भारतीय सेना में उनका योगदान माना जाता है, देशभर में सबसे अधिक लंगर यही अल्पसंख्यक समुदाय चलाता है। फिर 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का नैरेटिव' क्यों ?

ये शिकायतें 90 फीसद एक ही समुदाय की तरफ से आती है, जो अल्पसंख्यकों में सबसे बड़े बहुसंख्यक हैं, लगभग 25 करोड़ आबादी है, वो वोट बैंक भी हैं, एकमुश्त वोट देते हैं, और उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए ही राजनेता 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव चलाते हैं। पाकिस्तान भी आतंकियों को भारत पर हमला करने के लिए यही बोलकर भड़काता है कि, भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है और बड़ी संख्या में युवा उसके कहने पर भारत में खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाते हैं, आतंकी बन जाते हैं। लेकिन, ये नैरेटिव फैला रहे राजनेताओं को भी सोचना चाहिए कि, क्या वे ऐसा करके देशहित का काम कर रहे हैं ? उन्हें कम से कम यह सवाल तो खुद से पूछना चाहिए कि, क्या दुनिया में कोई ऐसा देश है, जहाँ एक धर्म के बहुसंख्यक होने के बावजूद दूसरा धर्म पनप सके ? भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद, जब भगवान महावीर आए, तो एक तबका उनके पीछे चल पड़ा और जैन हो गया, कुछ वर्षों बाद भगवान बुद्ध आए, उनके साथ भी यही हुआ, कई लोग बौद्ध हो गए। फिर गुरु नानक आए, जिन्होंने सिख संप्रदाय की नींव रखी, भारत से निकले ये चारों धर्म आज आपसी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। अगर भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की संस्कृति होती, तो क्या ऐसा हो पाता ? आज भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक (हिन्दू,सिख, ईसाई, बौद्ध) गिनती के रह गए हैं, वहीं, भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ रही है और वे फल-फूल रहे हैं, यदि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता, तो क्या स्थिति ये होती ?

विद्या रामराज ने की पीटी उषा की बराबरी, 400 मीटर हर्डल रेस में जगाई गोल्ड की आस

#vithya_ramraj_equals_pt_usha_s_39_year_old_record 

भारत ने एशियन गेम्स के नौवें दिन यानी 2 अक्टूबर को अच्छी शुरुआत की। भारत ने इस दिन पहले स्पीड स्केटिंग 3000 मीटर रिले रेस के महिला और पुरुष दोनों कैटेगरी के ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए।वहीं, एथलेटिक्स में विद्या रामराज ने 400 मीटर हर्डल रेस में पीटी उषा के नेशनल रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। इसके साथ ही महिलाओं की 400 मीटर हर्डल रेस में भी भारत की विद्या रामराज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बना ली।

विद्या ने 55.43 सेकेंड में 400 मीटर रेस पूरी की। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में पीटी उषा के 39 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। 1984 में पीटी उषा ने 55.42 सेकेंड में यह दौड़ पूरी की थी। अब विद्या ने भी यह कर दिखाया है। इससे पहले विद्या का बेस्ट रिकॉर्ड 55.43 सेकेंड था। वह हीट 1 से बहरीन की अमीनत ओए जमाल के साथ सीधे फाइनल के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं।

1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पीटी उषा ने 55.42 सेकंड में 400 मीटर हर्डल रेस पूरी की थी। वह फाइनल में चौथे नंबर पर रही थीं। पीटी उषा इस इवेंट में बेहद करीब से पदक चूंक गई थी। हालांकि उन्होंने इस जबरदस्त प्रदर्शन से 400 मीटर हर्डल रेस में ऐसा भारतीय रिकॉर्ड कायम किया जो पिछले 39 सालों से अन्य भारतीय धावकों से नहीं टूट सका। अब जाकर कोई एथलीट पीटी उषा के इस आंकड़े को छू सका है।

गांधी जयंती विशेष: जानिए किसने दिया था बापू नाम, कैसे बने महात्मा और किसने दी 'राष्ट्रपिता' की उपाधि

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आज पूरा भारत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है। इस मौके पर प्रत्येक देशवासी उन्हें नमन कर रहा है। इस मौके पर राजधानी दिल्ली स्थित राजघाट पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी यानी बापू यानी राष्ट्रपिता। सालों से ये सब नाम उनके पर्यायवाची रहे हैं। उनका पूरा नाम तो शायद ही कोई लेता है।

ऐसे कहलाए बापू?

2 अक्टूबर 1869 के दिन ही मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म पर गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।आजादी के लड़ाई में अपना सबकुछ त्याग देने वाले गांधी का जीवन बहुत ही सादा और सादगी से भरा हुआ था। गांधी जी का जीवन एक साधक से कम नहीं था। सादा जीवन और उच्च विचार के नियम का पालन करे वाले गांधी न सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और लोगों को प्रेरणा भी दी। एक धोती और लाठी के साथ कई पदयात्राओं, कारागारों तक का गांधी ने सफर तय किया। गांधी जी को बापू नाम बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले गुमनाम किसान से मिला था। दरअसल बिहार के चंपारण जिले में गांधी जी ने निलहा अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। सही मायनों में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ बापू के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। दरअसल, राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी ने ही उन्हें को चंपारण आने पर विवश कर दिया था। इन्हीं के बुलाने पर बापू यहां आए थे और वो राजकुमार शुक्ला ही थे जिन्होंने सबसे पहले महात्मा गांधी को बापू कहकर पुकारा था।

कैसे मिली महात्मा की उपाधि?

चंपारण से शुरू हुआ बापू का आंदोलन जन-जन तक पहुंचने लगा। लोग अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ा में बापू के आहिंसा के रास्ते जुड़ते चले गए। इसी दौरान उन्हें एक और नया नाम मिला महात्मा। गांधी जी को पहली बार कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने महात्मा शब्द से संबोधित किया था। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गांधी जी को सबसे पहली बार 1915 में राजवैद्य जीवन राम कालिदास ने उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया था। लेकिन इतिहास की ज्यादातर किताबों में यही पढ़ने को मिलता है कि सबसे पहले रविंद्रनाथ टैगोर ने ही उन्हें महात्मा शब्द से संबोधित किया था। मार्च 1915 गांधी जी और टैगोर की पहली मुलाकात शांति निकेतन में हुई थी। इसके बाद से इन दोनों महापुरूषों ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया। 

सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कियने कहा?

यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।इसके बाद 6 जुलाई 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने एक बार फिर रेडियो सिंगापुर से एक संदेश प्रसारित कर गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि 'राष्ट्रपिता अब नहीं रहे'।

लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विशेषः गुदड़ी का वो लाल जिसमें था सादगी से जीने का “साहस”

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देश आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद कर रहा है। 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री की जयंती होती है। लाल बहादुर देश के एक ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जो अपनी सादगी, सौहार्दता, देशभक्ति और ईमानदारी के कारण जन-जन में लोकप्रिय हुए। लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने और इससे पहले भी वे रेल मंत्री और गृह मंत्री जैसे पद पर भी रहें, लेकिन उनका जीवन एक साधारण व्यक्ति जैसा ही रहा। वे प्रधानमंत्री आवास में खेती करते थे। कार्यालय से मिले भत्ते और वेतन से ही अपने परिवार का गुराजा करते थे।प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी उनके पास न तो खुद का घर था और ना ही कोई संपत्ति। यूं ही नहीं देश उन्हें “गुदड़ी के लाल” के नाम से जानता है।

लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही भारतीय राजनेता भी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 में हुआ। महज डेढ़ साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ और ननिहाल में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। 16 साल की उम्र में उन्होंने देश की आजादी की जंग में शामिल होने के लिए अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी और जब वे 17 साल के थे, तब स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। शास्त्री जी ने 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 11 जनवरी 1966 में विवादास्पद तरीके से उनकी मृत्यु हो गई। मात्र 1 साल 7 महीना 2 दिन के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल के बावजूद देश का सर्वोत्तम एवं सशक्त प्रधानमंत्री का तमगा उनके नाम है।

जब अखबारों में लिखकर चलाया घर का खर्च

लाल बहादुर शास्त्री का बचपन काफी गरीबी और अभावों के बीच गुजरा। तमाम मुश्किलें उठाकर वह हाई स्कूल की पढाई पूरी कर सके थे। बचपन में अकसर उन्हें नदी तैर कर स्कूल जाना पड़ता था, क्योंकि नाव वाले को रोज-रोज किराया देना उनके लिए संभव नहीं था।प्रधानमंत्री बनने के बाद भी लाल बहादु शास्त्री ने अपने गरीबी के दिनों को नहीं भूले। साल 1963 में कामराज योजना के तहत शास्त्री को नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा। उस समय वो भारत के गृहमंत्री थे। कुलदीप नैयर याद करते हैं, "उस शाम मैं शास्त्री के घर पर गया। पूरे घर में ड्राइंग रूम को छोड़ कर हर जगह अँधेरा छाया हुआ था। शास्त्री वहाँ अकेले बैठे अख़बार पढ़ रहे थे। मैंने उनसे पूछा कि बाहर बत्ती क्यों नहीं जल रही है? तब शास्त्री जी नेका, अब से मुझे इस घर का बिजली का बिल अपनी जेब से देना पड़ेगा। इसलिए मैं हर जगह बत्ती जलाना बर्दाश्त नहीं कर सकता। शास्त्री को सांसद की तनख्वाह के 500 रूपये के मासिक वेतन में अपने परिवार का ख़र्च चलाना मुश्किल पड़ रहा था। नैयर अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, मैंने उन्हें अख़बारों में लिखने के लिए मना लिया था। मैंने उनके लिए एक सिंडिकेट सेवा शुरू की जिसकी वजह से उनके लेख द हिंदू, अमृतबाज़ार पत्रिका, हिंदुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपने लगे। हर अख़बार उन्हें एक लेख के 500 रूपये देता था। इस तरह उनकी 2000 रूपये की अतिरिक्त कमाई होने लगी।

सरकारी गाड़ी का निजी इस्तेमाल कभी नहीं किया

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन जितनी शान-ओ-शौकत से गुजरा, शास्त्री जी उतने ही जमीनी शख्सियत माने जाते थे। प्रधानमंत्री बनने के पश्चात लाल बहादुर शास्त्री को सरकारी गाड़ी मिली थी, लेकिन शास्त्री जी ने कभी भी उस गाड़ी का इस्तेमाल निजी कार्य के लिए नहीं किया। लेकिन एक बार उनके बेटे ने गाड़ी का उपयोग किया। यह बात जब शास्त्री जी को पता चली तो उन्होंने बेटे को अगाह करते हुए उस दिन गाड़ी पर होने वाला खर्चा सरकारी खजाने में जमा करवा दिया। इसके बाद निजी कार्यों के लिए पत्नी की सलाह पर शास्त्री जी ने फिएट कार खरीदने का फैसला किया। उन दिनों फिएट कार की कीमत 12 हजार रूपये थी। लेकिन शास्त्री जी के खाते में मात्र 7 हजार रुपये थे। अंततः पंजाब नेशनल बैंक से 5 हजार रूपये का कर्ज लेने के बाद ही वह फिएट कार खरीद सके थे।

रफू करवाया कोट पहनकर विदेश दौरे पर गए

एक बार जब शास्त्री जी को लोकसभा में जाना था, लेकिन घर से निकलते हुए उन्होंने देखा कि उनका कुर्ता फटा हुआ था। कुर्ता सिलवाने का वक्त नहीं था। शास्त्री जी ने पत्नी ललिता जी से कहा कि वे कुर्ता के ऊपर कोट पहन लेंगे तो फटा हुआ हिस्सा ढक जाएगा। इसी तरह 1965 का युद्ध जीतने के बाद शास्त्री जी को पाकिस्तान से समझौते के लिए ताशकंद जाना था। कोट का छोटा सा हिस्सा फटा हुआ था। लेकिन दुर्भाग्यवश उनके पास नया कोट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने फटे कोट का रफू करवाया और वही पहनकर ताशकंद गए। जहां से उनकी मृत देह वापस आई।

जूनियर अफ़सरों को चाय सर्व करने वाले शास्त्री

शास्त्री के साथ काम करने वाले सभी अफ़सरों का कहना है कि उनका व्यवहार बहुत विनम्र रहता था। उनके निजी सचिव रहे सीपी श्रीवास्तव उनकी जीवनी 'लाल बहादुर शास्त्री अ लाइफ़ ऑफ़ ट्रूथ इन पॉलिटिक्स' में लिखते हैं, शास्त्रीजी की आदत थी कि वो अपने हाथ से पॉट से प्याली में हमारे लिए चाय सर्व करते थे। उनका कहना था कि चूँकि ये उनका कमरा है, इसलिए प्याली में चाय डालने का हक़ उनका बनता है। कभी-कभी वो बातें करते हुए अपनी कुर्सी से उठ खड़े होते थे और कमरे में चहलक़दमी करते हुए हमसे बातें करते थे। कभी-कभी कमरे में अधिक रोशनी की ज़रूरत नहीं होती थी, शास्त्री अक्सर ख़ुद जाकर बत्ती का स्विच ऑफ़ करते थे। उनको ये मंज़ूर नहीं था कि सार्वजनिक धन की किसी भी तरह बर्बादी हो।

हिंदू धर्म पर राहुल गांधी का लेख,”सत्यम् शिवम् सुंदरम्” शिर्षक के साथ दो पन्ने में कही “मन की बात”

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हमारा देश धर्म में मामले में काफी संवेदनशील रहा है।यहां विभिन्न धर्मों को मामले वाले लोग रहते हैं। ऐसे में धर्म के मामले में छोटी से छोटी टिप्पणी भी बड़ा विवाद पैदा कर देती है। यही वजह है कि इस मुद्दे पर लोग काफी सोच-समझ कर ही बोलना पसंद करते हैं। भारत में इन दिनों सनातन धर्म और हिंदू धर्म को लेकर एक बहस चल रही है। आए दिन कोई ना कोई इन संवेदनशील मुद्दों पर अपनी बात रखता और बहस भी आगे बढ़ती है। इसी क्रम में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने हिंदू धर्म पर एक लेख लिखा है। राहुल गांधी ने हिंदू धर्म को लेकर डेढ़ पन्ने का एक लेख लिखा है।इस लेख में राहुल ने हिंदू होने का मतलब बताया है।राहुल गांधी ने ये लेख एक्स पर शेयर किया है।

राहुल ने ”सत्यम शिवम सुंदरम” टाइटल वाले इस आर्टिकल में लिखा कि, हिंदू वही है, जिस शख्स में अपने डर की तह में जाकर महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है।राहुल गांधी ने लेख में कहा है कि निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही धर्म है।हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं। 

राहुल ने बताया कौन हिंदू है?

राहुल गांधी ने लिखा है, कल्पना कीजिए, जिंदगी प्रेम और उल्लास का, भूख और भय का एक महासागर है; और हम सब उसमें तैर रहे हैं। इसकी खूबसूरत और भयावह, शक्तिशाली और सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचोंबीच हम जीने का प्रयत्न करते हैं। इस महासागर में जहां प्रेम, उल्लास और अथाह आनंद है, वहीं भय भी है। मृत्यु का भय, भूख का भय, दुखों का भय, लाभ-हानि का भय, भीड़ में खो जाने और असफल रह जाने का भय। इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा का नाम जीवन है जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं। भयावह इसलिए, क्योंकि इस महासागर से आज तक न तो कोई बच पाया है, न ही बच पाएगा। जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है- हिंदू वही है। 

कांग्रेस सामसद कहते हैं, यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक सीमित है उसका अल्प पाठ होगा। किसी राष्ट्र या भूभाग-विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है। भय के साथ अपने आत्म के सम्बंध को समझने के लिए मनुष्यता द्वारा खोजी गई एक पद्धति है हिन्दू धर्म। यह सत्य को अंगीकार करने का एक मार्ग है। यह मार्ग किसी एक का नहीं है, मगर यह हर उस व्यक्ति के लिए सुलभ है जो इस पर चलना चाहता है।

दिल्ली से आईएसआईएस आतंकी शाहनवाज गिरफ्तार, एनआईए की हिट लिस्ट में था शामिल

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दिल्ली में आईएसआईएस का संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मोस्ट वांटेड आतंकी शाहनवाज उर्फ शैफी उज्जमा को पकड़ा है।एनआईए ने इस आतंकी के ऊपर 3 लाख रुपये का ईनाम रखा हुआ था। ये आतंकी एनआईए का मोस्ट वांटेड आतंकी है, जिसे शाहनवाज उर्फ शैफी उज्जमा के तौर पर भी जाना जाता है। 

पुणे के मामले में फरार चल रहा शाहनवाज दिल्ली का रहने वाला है और पेशे से इंजीनियर है। वह पुणे पुलिस की कस्टडी से फरार होकर दिल्ली में ठिकाना बनाकर रह रहा था। पुणे में इसी साल आईएस के मॉड्यूल का खुलासा हुआ था। पुणे पुलिस के खुलासे पर एनआईए ने जांच की थी। बाद में शाहनवाज की गिरफ्तारी हुई लेकिन वह कस्टडी से फरार हो गया। तब से उसकी लोकेशन लगातार दिल्ली में मिल रही थी।

दरअसल, एनआईए ने आईएसआईएस पुणे मॉड्यूल मामले में 7 लोगों को पकड़ा था। इस दौरान तीन आतंकी फरार हो गए और वह दिल्ली में आकर छिप गए। इन्हीं तीन आतंकियों में से एक शाहनवाज उर्फ शैफी उज्जमा है। माना जा रहा है कि शाहनवाज दिल्ली में किसी बड़े हमले की साजिश बुन रहा था।

एनआईए ने शाहनवाज समेत चार आतंकियों पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। स्पेशल सेल को इनपुट मिला जिसके बाद साउथ ईस्ट दिल्ली इलाके से आतंकी को पकड़ा गया। शाहनवाज से पूछताछ के बाद 3-4 और लोगों को पकड़ा गया है।