भरतपुर के कुम्हेर में हुए नरसंहार में 31 वर्ष के बाद 9 आरोपियों न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा, 41 को बरी किया, कांड ने देश में मचा दिया
राजस्थान के भरतपुर की जिला एससी/एसटी कोर्ट ने शनिवार को कुम्हेर नरसंहार में फैसला दिया। अदालत ने 9 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि 41 को बरी कर दिया। भरतपुर के नवगठित जिले डीग के पुलिस थाना कुम्हेर के अंतर्गत 6 जून 1992 को हुए इस हत्याकांड में अनुसूचित जाति के 16 लोगों की हत्या कर दी गई थी जबकि 40 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। जाट और जाटव समुदाय के कुछ लोगों के बीच के विवाद ने नरसंहार का रूप ले लिया था। हमले में मारे गए और घायल सभी लोग जाटव समुदाय से थे।
इस नरसंहार की वारदात ने देश की सियासत में तहलका मचा दिया था। सीबीआई को इस हत्याकांड की जांच के आदेश दिए गए थे। सीबीआई ने इस केस में जाट समुदाय के 83 लोगों के खिलाफ चाजशीट दाखिल की थी। ट्रायल के दौरान 33 आरोपियों की मौत हो चुकी है। कोर्ट ने 50 लोगों पर फैसला सुनाया है। इस हत्याकांड में 9 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है जबकि 41 बरी कर दिए गए हैं।
वकील राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस ने 6 जून 1992 को कुम्हेर थाने में अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या के मामले में जाट समुदाय के लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
इसमें जाट समुदाय के 83 लोगों के खिलाफ धारा 302, एससी/एसटी एक्ट, 354,380 के तहत सीबीआई द्वारा कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। अदालत ने 283 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए थे। नरसंहार के 31 साल बाद अब फैसला सुनाया है जिसमें 9 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है जबकि 40 लोगों को बरी कर दिया गया है। प्रेम सिंह, लक्खो सिंह, मान सिंह, राजवीर सिंह, प्रीतम सिंह, पारस जैन, चेतन सिंह, चेतन, शिव सिंह, गोपाल सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
न्यायालय से बरी किए गए एक शख्स ने अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया है कि घटना की शुरुआत एक मामूली झगड़े से हुई थी। कुम्हेर कस्बे के बड़ा मोहल्ले के मूल निवासी जाटव समाज के कुछ असामाजिक तत्वों ने जाट समाज के कुछ लोगों के साथ मारपीट की थी। इसके बाद दलित समाज के लोगों द्वारा जाट समाज के लोगों पर हमला करने के विरोध में थाना कुम्हेर के पेंगौर गांव में चामड़ माता मंदिर पर जाट समाज ने महापंचायत बुलाई थी। इसमें करीब 50 हजार लोग जमा हुए थे।
न्यायालय से बरी किए गए शख्स ने बताया कि दलित समुदाय के लोगों ने कुम्हेर के महाराज सिंह, सुरेंद्र सिंह पर हमला किया था। जब पुलिस ने दलित समाज के लोगों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की तो जाट पंचायत ने बड़ा मोहल्ले पर हमला करने और बदला लेने का फैसला लिया। जाट इतिहासकार रामवीर वर्मा ने कहा कि मैंने कुम्हेर हत्याकांड पर एक किताब लिखी थी, जिसे सीबीआई को सौंप दिया गया था। कुछ जाटव गुंडों ने कई बार जाट लोगों पर हमला किया था और तब जाटों ने एक पंचायत करके पुलिस को उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया था। पुलिस ने जब कार्रवाई नहीं की तब जाटों और जाटवों के बीच बवाल हुआ। पुलिस ने छापेमारी के दौरान बड़ा मोहल्ले से अवैध हथियार बरामद किये थे।
Oct 01 2023, 12:43