संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोले एस जयशंकर-गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर हम विश्व मित्र बने, कनाडा का नाम लिए बिना दे डाली नसीहत
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केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत की ओर से नमस्ते! इसके बाद उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। विकासशील देशों पर सबसे अधिक दबाव है। विश्वास के पुनर्निर्माण और वैश्विक एकजुटता को फिर से जगाने के इस यूएनजीए के विषय को हमारा पूरा समर्थन है। यह हमारी आकांक्षाओं को साझा करते हुए हमारी उपलब्धियों और चुनौतियों का जायजा लेने का एक अवसर और लक्ष्य है।
एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने जी20 का सफल आयोजन किया और ग्लोबल साउथ की आवाज बना। उन्होंने भारत की G20 अध्यक्षता की तारीफ करते हुए कहा- हमारी पहल से अफ्रीकन यूनियन संगठन का हिस्सा बना है। जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किये जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।
UNGA में विदेश मंत्री में एस जयशंकर ने कहा कि भारत अलग-अलग साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है। गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने विश्व मित्र की अवधारणा विकसित की है। यह विभिन्न देशों के साथ जुड़ने और जहां आवश्यक हो, हितों में सामंजस्य स्थापित करने की हमारी क्षमता और इच्छा को दिखाता है।एस जयशंकर ने कहा कि जब हम लीडिंग पावर बनने की आकांक्षा रखते हैं, यह आत्म-प्रशंसा के लिए नहीं बल्कि बड़ी जिम्मेदारी लेने, योगदान देने के लिए है।
इतना ही नहीं जयशंकर ने कनाडा का बिना नाम लिए कहा कि राजनीतिक सुविधा से आतंकवाद पर कार्रवाई सही नहीं है। संप्रभुता का ख्याल रखा जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि राजनीतिक सुविधा के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए। क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता है।
इसके अलावा अपने भाषण में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलावों की भारत की मांग को दुनिया के सामने दोहराया। विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, विश्व की वित्तीय संस्थाओं में बदलाव होना चाहिए। यूएनएसी में बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा समय बदल रहा है, अब दूसरे देशों की बात सुननी होगी और कुछ देशों का एजेंडा दुनिया पर नहीं थोपा जा सकता है। वे दिन खत्म हो गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनके साथ आ जाएंगे।
Sep 27 2023, 06:30