भारत ने आधिकारिक तौर पर कनाडा को एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी अभयारण्य किया घोषित, पाक के बाद अब कनाडा को कहा 'आतंकियों की जन्नत'
डेस्क: Safe Haven for terror...। सरल शब्दों में कहें तो आतंकियों की जन्नत। भारत ने पहली बार पाकिस्तान के बाद यह शब्द किसी दूसरे देश के लिए इस्तेमाल किया है। यह देश है कनाडा। कुछ बरस पहले तक भारत के अच्छे दोस्तों में शुमार रहे कनाडा ने वह दर्द दिया है, जिससे रिश्तों में अब बड़ी गांठ पड़ गई है।
भारत के बार-बार कहने के बावजूद देश को तोड़ने की कोशिश करने वाले खालिस्तानी आतंकियों पर कनाडा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। हाल में जो लिस्ट सामने आई हैं उससे पता चलता है कि कैसे करीब एक दर्जन गैंगस्टर जाकर वहां पनाह लिए बैठे हैं। लोकतंत्र और मानवाधिकार के नाम पर कनाडा धीरे-धीरे वो करने लग गया जो पाकिस्तान 1947 से करता आ रहा है। भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाले और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों का अड्डा बन गया।
अब एक खालिस्तानी आतंकी की आपसी रंजिश में हत्या हुई तो अलगाववादियों को खुश करने के लिए पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत से संबंधों को भी बेपटरी कर दिया। एक्सपर्ट, वहां की मीडिया और विपक्ष भी पूछ रहा है कि प्रूफ कहां है। इतना बड़ा संगीन आरोप लगाने से पहले सबूत तो सामने रखा होता। कुछ घंटे पहले उन्होंने आरोप दोहराया लेकिन सबूत नहीं दिया। दूसरी तरफ वहां खालिस्तानी भारतीय हिंदुओं को धमका रहे हैं, मिशनों पर हमले की धमकी दे रहे हैं और पीएम ट्रूडो इस बात पर मौनव्रत में चले जाते हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘कनाडा में अलगाववादियों को पनाह दी जा रही है। हम चाहते हैं कि कनाडा की सरकार ऐसा ना करे। वह आतंकवाद के आरोपों का सामना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे या फिर उन्हें अदालत के कठघरे में खड़ा करने के लिए भारत भेजे।’ उन्होंने बताया है कि भारत ने कुछ वर्षों में कम से कम 20 से 25 लोगों से संबंधित प्रत्यर्पण अनुरोध या अन्य सहायता के लिए कनाडा से अनुरोध किया लेकिन कोई उपयुक्त प्रतिक्रिया नहीं मिली।
अब ऐक्शन तो होना ही था। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो भारत ने कनाडा से दिल्ली में अपने राजनयिकों की संख्या कम करने को कह दिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया है कि भारत में कनाडाई राजनयिक कर्मचारियों की संख्या वहां मौजूदा भारतीय राजनयिक कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा है। इसमें समानता होनी चाहिए। भारत ने पहले ही कनाडा के आरोपों को ‘बेतुका’ और निजी हितों से प्रेरित बताकर सिरे से खारिज कर चुका है। एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को देश से निष्कासित कर दिया गया।
खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर की 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में दो नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। भारत ने निज्जर को 2020 में आतंकवादी घोषित किया था। दिलचस्प है कि एक दिन पहले भी वहां एक पंजाबी गैंगस्टर की दूसरे गैंग ने हत्या कर दी।
जी हां, हरदीप सिंह निज्जर कोई पहला कट्टरपंथी नहीं है जिसे बचाने के लिए कनाडा सरकार आगे आई है। खुफिया अधिकारियों की मानें तो एयर इंडिया के कनिष्क प्लेन बम धमाके के गुनहगार तलविंदर सिंह परमार को भी कनाडा सरकार ने इसी तरह से संरक्षण दिया था। उस समय जस्टिन ट्रूडो के पिताजी पियरे ट्रूडो पीएम थे। इस तरह से देखें तो वह अपने पिता के ही नक्शेकदम पर चल रहे हैं।
यह बड़ी बात है कि भारत ने सीधे तौर पर कनाडा को आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बताया है। इस उत्तर अमेरिकी देश के लिए वीजा सेवाओं को यह कहते हुए निलंबित कर दिया गया कि भारतीय राजनयिक खालिस्तानी तत्वों से पैदा हुए खतरों के कारण अपना काम करने में असमर्थ हैं। भारत ने यह भी कहा है कि कनाडा के राजनयिक भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, ऐसे में दिल्ली में वह अपनी राजनयिक मौजूदगी घटाए।
कनाडाई नागरिकों के लिए ई-वीजा सुविधा को भी निलंबित किया गया है। उन्हें तीसरे देशों से भी भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। गौर करने वाली बात यह है कि कनाडा ने अभी तक भारत से हत्या का कनेक्शन साबित करने वाला कोई सबूत या जानकारी नहीं दी है। भारत ने कनाडा को 20 खालिस्तान उग्रवादियों की सूची सौंपी है जिस पर कनाडा को ऐक्शन लेना अभी बाकी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि कनाडा में आतंकवाद को फंडिंग और समर्थन दिया जा रहा है और वहां सुरक्षित पनाह मिल रही है। भारतीय अधिकारी ने कहा, 'आतंकवाद के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में कनाडा की प्रतिष्ठा बढ़ रही है।' उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा आतंकवाद है और कनाडा से खालिस्तान समर्थक ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।
Sep 25 2023, 10:17