इस्कॉन द्वारा जहानाबाद में हर्षोल्लास के साथ मनाया विश्व हरिनाम उत्सव, हरे रामा हरे कृष्णा जयकार से गूंजा शहर
जहानाबाद : अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) द्वारा जहानाबाद में बुधवार को विश्व हरिनाम उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया।
शाम को जहानाबाद के सड़कों पर हरे रामा हरे कृष्णा का संकीर्तन और नृत्य करते हुए भक्तों ने इस्कॉन जहानाबाद सेंटर से शहर की मुख्य बाजारों में पदयात्रा की।
इस्कॉन मंदिर गया के अध्यक्ष जगदीश श्याम दस प्रभु के नेतृत्व में भक्त हरिनाम संकीर्तन गाते और नाचते हुए चल रहे थे।
जगदीश श्याम दस प्रभु ने बताया कि पूरे विश्व में 17 से 23 सितंबर तक हरिनाम उत्सव का आयोजन किया जा रहा है।इसका नियमित कीर्तन करने से कृष्ण भावनामृत को परमानंद की प्राप्ति होती है।
कहा कि हजारों जन्मों में सत्कर्म करने पर ही भगवान ने इसी परमानंद की प्राप्ति के लिए यह जन्म दिया हैं। हम केवल इसी जन्म में भगवान की भक्ति कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यही इस जीवन का उद्देश्य है। मगर लोग इस जीवन आकर भौतिकवाद में फंस जाते हैं। यहीं उनके दुखों का कारण है और बार-बार जन्म लेना पड़ता है।
हमें इसी मोह माया और भौतिक वाद का त्याग प्रभु भक्ति में रहना चाहिए। इसी में कल्याण निहित है।शरीर मे भक्ति की कमी से सारा दुख दुख लगता है। सारा संसार समस्याओं से भरा पड़ा है। क्या मीरा, प्रहलाद, ध्रुव, सुदामा को कोई दुख नहीं था। हम सब पर माया का पर्दा पड़ा है, लेकिन जिस समय भक्ति हमारे हृदय मे निवास कर लेगी फिर माया का प्रभाव अपने आप कम होने लगेगा।
कलयुग मे केवल हरिनाम सकिर्तन से भक्ति बढ़ेगी। क्योंकि हमारा जीवन क्षण भंगुर का है। जब चीरहरण हो रहा था तब चीर बढ़ाया, प्रहलाद के लिए खम्बे मे आये, सुदामा को धनवान बनाया।
इस्कॉन जहानाबाद के भक्तो ने हरिनाम सकीर्तन में खूब नाचे गए और धूम मचाया।
हरिनाम संकीर्तन क्या है?
ओडिशा में पुरी में जब चैतन्य महाप्रभु निवास कर रहे थे, तो प्रवास के दौरान यात्रा में चैतन्य महाप्रभु कुल 7 टोलियां बनाकर हरिनाम संकीर्तन करते थे। उन टोलियों में दो-दो मृदंग, ढोल-नगाड़े बजाने वाले कीर्तनकार होते थे।
हरिनाम संकीर्तन, या सार्वजनिक रूप से पवित्र नाम का सामूहिक जप , भारत में लगभग 500 साल पहले उनके अभ्यास की निरंतरता है, जहां उन्होंने बिना किसी आरक्षण के सभी को दयालुतापूर्वक पवित्र नाम वितरित किया था।
"श्री हरि" मंत्र कलियुग के पापों को नष्ट करने वाला माना गया है। पद्मपुराण के अनुसार "श्री हरि" के मंत्र का जाप करने वाला मृत्यु के पश्चात बैकुंठ धाम को जाता है। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार इस नाम-मंत्र के जाप मात्र से मनुष्य ब्रह्ममय हो जाता है तथा उसे विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।
जहानाबाद से बरुण कुमार
Sep 22 2023, 12:58