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*आईएमएफ से फंडिंग के लिए पाकिस्तान ने किया अपने हथियारों का 'सौदा', अमेरिका के साथ हुई थी गुप्त डील*

#pakistan_secured_imf_bailout_package_with_the_help_of_us

पाकिस्तान कंगाली के दौर से गुजर रहा है।देश चलाने के लिए उसके मजबूरन कर्ज लेना पड़ा रहा है। इसी क्रम में पाकिस्‍तान को इस साल जुलाई में अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की तरफ से तीन अरब डॉलर का राहत पैकेज मिला था।अमेरिकी मीडिया हाउस द इंटरसेप्ट ने दावा किया है कि इस लोन को दिलाने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई थी।रिपोर्ट की मानें तो उसे यह मदद अमेरिका के साथ हुई एक सीक्रेट डील के तहत मिली थी। 

इंटरसेप्ट की रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ से लोन हासिल करने के लिए पाकिस्तान को अमेरिका के साथ हथियारों की सीक्रेट डील करनी पड़ी थी। अमेरिका ने पाकिस्तान से हथियार लेकर उन्हें रूस से जंग लड़ रहे यूक्रेन को दिया।‘द इंटरसेप्ट’ की खबर के अनुसार इस साल की शुरुआत में अमेरिका को गुप्त रूप से पाकिस्तानी हथियार बेचे गए थे।रिपोर्ट में पाकिस्तान और अमेरिका सरकार के आंतरिक दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया गया है। ऑनलाइन जांच वेबसाइट ‘इंटरसेप्ट’ ने बताया कि ये हथियार यूक्रेन की सेना को आपूर्ति करने के मकसद से बेचे गए थे। 

वेबसाइट द इंटरसेप्‍टर ने पाकिस्तान और अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों की पुष्टि करने वाले सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। वेबसाइट का कहना है कि इससे यह पता चलता है कि पाकिस्तान को किस कदर अमेरिका से दबाव का सामना करना पड़ा था। वेबसाइट का कहना है कि इससे यह भी पता लगता है कि कैसे राजनीतिक और फाइनेंस से जुड़ा एलीट वर्ग छिपकर काम करता है। इसके बारे में कभी जनता को कुछ पता नहीं लग पाता है।

पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच ने रिपोर्ट में किए गए दावों को खारिज कर दिया। जाहरा बलोच ने आरोपों को आधारहीन और मनगढ़ंत बताया। बलोच ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान की नीति सख्त तौर पर निष्पक्ष रहने की है और किसी भी देश को हथियार या गोला बारूद मुहैया नहीं कराए हैं।

वेबसाइट का कहना है कि जब से इमरान खान सत्‍ता से गए हैं तब से ही पाकिस्‍तान, यूक्रेन युद्ध में अमेरिका का सहयोगी बनकर उभरा है। इमरान ने जाने से पहले विदेश मंत्रालय में राजनयिकों के सामने यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान के आक्रामक तटस्थ रुख पर नाराजगी जाहिर की थी। उनके जाने के बाद से यूक्रेन युद्ध में पाकिस्‍तान, अमेरिका और उसके साथियों का समर्थक बन गया है।

*भारत और कनाडा के विवाद पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?*

#usreactiononcanadapmjustintrudeauallegationson_india

भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी और बढ़ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार हो सकती है।भारत सरकार निज्जर की हत्या के आरोपों को ख़ारिज करती रही है। निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका की जांच के मद्देनजर कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया है। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग को समन भेजा और एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित करने का फ़ैसला किया है। उस राजनयिक को भारत छोड़ने के लिए पाँच दिन का समय दिया गया है।भारत-कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर चल रहे इस तनाव पर अब अमेरिका ने चिंता जाहिर की है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में एक खालिस्तानी नेता की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों को शामिल होने के कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर अमेरिका गहराई से चिंतित है।व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा,'हम आज प्रधान मंत्री ट्रूडो द्वारा संदर्भित आरोपों के बारे में गहराई से चिंतित हैं। उन्होंने कहा, 'हम अपने कनाडाई भागीदारों के साथ नियमित संपर्क में रहते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच आगे बढ़े और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।

निज्‍जर प्रतिबंधित खालिस्‍तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ा था। वह गुरपतवंत सिंह पन्नून के बाद संगठन में नंबर दो था। जुलाई 2020 में भारत ने उसे 'आतंकवादी' घोषित किया था।इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में ये बातें उठी कि उसकी हत्या भारतीय एजेंट्स ने की। लेकिन भारत अपने ऊपर लगने वाले इन आरोपों को खारिज कर चुका है।इसी क्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या के लिए भारत पर निशाना साधा है। इसके साथ ही ट्रूडो ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को भी अपने देश से निष्कासित कर दिया है।

क्य़ा कहा था कनाडाई पीएम ट्रूडो ने?

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के तार भारत सरकार के साथ जुड़े हुए हो सकते हैं। कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना बिल्कुल भी स्वाकार्य योग्य नहीं है। ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

कनाडा को करारा जवाब

कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों का मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का संसद में दिए गए बयान को देखा गया है। उनके विदेश मंत्री के बयान को भी सुना गया है। हम कनाडाई पीएम और विदेश मंत्री के आरोपों को खारिज करते हैं। कनाडा में होने वाली किसी भी हिंसा में भारत सरकार पर शामिल होने का आरोप लगाना बेहद ही बेतुका और राजनीति से प्रेरित है। बयान में आगे कहा गया कि ठीक ऐसे ही आरोप हमारे प्रधानमंत्री के सामने कनाडाई प्रधानमंत्री ने लगाए। हमने उसे भी सिरे से खारिज कर दिया था। हम कानून के राज को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।

भारत और कनाडा के विवाद पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?

#usreactiononcanadapmjustintrudeauallegationson_india

भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी और बढ़ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार हो सकती है।भारत सरकार निज्जर की हत्या के आरोपों को ख़ारिज करती रही है। निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका की जांच के मद्देनजर कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया है। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग को समन भेजा और एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित करने का फ़ैसला किया है। उस राजनयिक को भारत छोड़ने के लिए पाँच दिन का समय दिया गया है।भारत-कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर चल रहे इस तनाव पर अब अमेरिका ने चिंता जाहिर की है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में एक खालिस्तानी नेता की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों को शामिल होने के कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर अमेरिका गहराई से चिंतित है।व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा,'हम आज प्रधान मंत्री ट्रूडो द्वारा संदर्भित आरोपों के बारे में गहराई से चिंतित हैं। उन्होंने कहा, 'हम अपने कनाडाई भागीदारों के साथ नियमित संपर्क में रहते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच आगे बढ़े और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।

निज्‍जर प्रतिबंधित खालिस्‍तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ा था। वह गुरपतवंत सिंह पन्नून के बाद संगठन में नंबर दो था। जुलाई 2020 में भारत ने उसे 'आतंकवादी' घोषित किया था।इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में ये बातें उठी कि उसकी हत्या भारतीय एजेंट्स ने की। लेकिन भारत अपने ऊपर लगने वाले इन आरोपों को खारिज कर चुका है।इसी क्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या के लिए भारत पर निशाना साधा है। इसके साथ ही ट्रूडो ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को भी अपने देश से निष्कासित कर दिया है।

क्य़ा कहा था कनाडाई पीएम ट्रूडो ने?

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के तार भारत सरकार के साथ जुड़े हुए हो सकते हैं। कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना बिल्कुल भी स्वाकार्य योग्य नहीं है। ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

कनाडा को करारा जवाब

कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों का मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का संसद में दिए गए बयान को देखा गया है। उनके विदेश मंत्री के बयान को भी सुना गया है। हम कनाडाई पीएम और विदेश मंत्री के आरोपों को खारिज करते हैं। कनाडा में होने वाली किसी भी हिंसा में भारत सरकार पर शामिल होने का आरोप लगाना बेहद ही बेतुका और राजनीति से प्रेरित है। बयान में आगे कहा गया कि ठीक ऐसे ही आरोप हमारे प्रधानमंत्री के सामने कनाडाई प्रधानमंत्री ने लगाए। हमने उसे भी सिरे से खारिज कर दिया था। हम कानून के राज को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।

लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पेश, 15 साल होगी महिला आरक्षण की अवधि

#womenreservationbillintroduceinloksabha

नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही में सरकार ने पहला बिल किया।पहला बिल महिला आरक्षण से जुड़ा है। इसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि महिला आरक्षण बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ होगा। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि महिला आरक्षण बिल की अवधि 15 साल होगी। हालांकि ये अवधि बढ़ाने के लिए संसद के पास अधिकार होगा। मेघवाल ने कहा कि इस अधिनियम के पास होने के बाद लोकसभा में महिला सीटों की संख्या 181 हो जाएंगी। लोकसभा में फिलहाल महिला सांसदों की संख्या 82 है।बड़ी बात यह है कि एससी-एसटी वर्ग के लिए कोटा के अंदर कोटा लागू होगा। इसका मतलब है कि 33 फीसदी आरक्षण के अंदर एससी-एसटी में शामिल जातियों को भी आरक्षण की व्यवस्था होगी। यानी लोकसभा में एससी के लिए रिजर्व सीटें 84 हैं, उसका 33 फीसदी होता है 28 सीट। यानी एससी में 28 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। इसी तरह लोकसभा में एसटी के लिए 47 रिजर्व सीटें हैं, जिनका 33 फीसदी होता है 15 सीट। यानी 15 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा

केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि महिलाओं को लोकसभा के अलावा अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। दिल्ली विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए होंगी। एससी की 84 रिजर्व सीटों में से 33 फीसदी महिलाओं के लिए होंगी और एसटी की 47 रिजर्व सीटों में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए होंगी।

27 साल से अटका है महिला आरक्षण विधेयक

बता दें कि करीब 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अटका पड़ा था। महिलाओं को सदन में 33 फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा बिल आखिरी बार मई 2008 को संसद में पेश किया गया था। तब की यूपीए सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम में महिला बिल को शामिल किया था और इसी वादे को पूरा करते हुए राज्यसभा में 6 मई 2008 को बिल पेश किया गया। फिर 9 मई 2008 को इसे कानून और न्याय से संबंधित स्थायी समिति के पास भेज दिया गया।स्थायी समिति ने लंबी चर्चा के बाद 17 दिसंबर 2009 को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की और इसे पास करने की सिफारिश की। 2 महीने बाद फरवरी 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस सिफारिश को अपनी मंजूरी दे दी। हालांकि संसद में समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इसका जमकर विरोध किया। जिसके बाद यह बिल अटकता चला गया।

लोकसभा से नहीं हो सका था पास

आखिरकार बिल पेश होने के करीब 2 साल बाद संसद की ऊपरी सदन ने 9 मई 2010 को अपने यहां पास कर दिया। लेकिन राज्यसभा के बाद जब यह बिल लोकसभा पहुंचा तो कभी यह बिल यहां पास ही नहीं हो सका।दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस की ओर से इस बिल का समर्थन किया जाता रहा है लेकिन अन्य क्षेत्रीय दलों के भारी विरोध और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए भी आरक्षण की मांग समेत कुछ चीजों पर विरोध के चलते इस पर आम सहमति कभी नहीं बन सकी। साथ ही महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाले दलों की ओर से कहा गया कि इस आरक्षण का फायला सिर्फ शहरी क्षेत्र की महिलाओं को ही मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की फायदा नहीं होगा और उनकी हिस्सेदारी नहीं हो पाएगी।

नई संसद के पहले भाषण में पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान, महिला आरक्षण के लिए नारी शक्ति वंदन बिल पेश को सर्वसम्मति से पास करने की अपील

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नई संसद में अपने पहले ही भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नए संसद भवन में पहले कानून को पेश करने का एलान किया उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करने जा रही है। पीएम मोदी ने इसके लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगा और कहा कि 19 सितंबर का ये दिन इतिहास में अमर होने वाला दिन है।

शायद ईश्वर ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए मुझे चुना-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं बड़े विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का यह दिवस इतिहास में नाम दर्ज करने वाला है। हम सबके लिए यह पल गर्व का पल है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी प्रयास हुए हैं। 1996 में पहली बार बिल पेश हुआ था। अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया लेकिन उसे पास कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए, इस कारण वो सपना अधूरा रह गया। पीएम ने आगे कहा, 'वो काम... शायद ईश्वर ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने कदम बढ़ाया है। कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण वाले बिल को मंजूरी दी गई है।

आज की तारीख ऐतिहासिक होने जा रही

पीएम ने कहा कि 19 सितंबर की ये तारीख इसीलिए इतिहास में अमरत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज जब महिलाएं हर सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के अवसर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है और देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकरके नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं।

दोनों सदन से बिल को सर्वसम्मति से पारित करने की प्रार्थना-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि आंकड़े न हो पाने के चलते महिला आरक्षण बिल का सपना अधूरा रह गया था। इसके लिए पहले भी प्रयास हुए। आज की तारीख इतिहास में अमर हो जाएगी। सभी सदस्यों से आग्रह करता हूं कि पावन शुरुआत हो रही है। सर्वसम्मति से जब ये बिल कानून बनेगा तो उसकी ताकत अनेक गुणा बढ़ जाएगी। दोनों सदन के सदस्यों से सर्वसम्मति से पारित करने की प्रार्थना करता हूं।

*पुरानी संसद को मिला नया नाम, पीएम मोदी ने कहा “संविधान सदन” के रूप में जाना जाए*

#old_parliament_building_to_be_known_as_samvidhan_sadan

आज देश को संसद की नई इमारत मिल गई।अब से नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही चलेगी।पुराने संसद भवन में कल सोमवार को अंतिम कार्यवाही हो चुकी है। आज विधिवत तौर पर नई संसद में प्रवेश हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज हम नई संसद में जा रहे हैं, पुरानी बिल्डिंग को ‘संविधान सदन’ के रूप में जाना जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई संसद जाने से पहले पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में अपना आखिरी भाषण दिया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने पुरानी संसद का नाम बदलने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि मेरी प्रार्थना है और मेरा सुझाव है कि अब हम जब नए सदन में जा रहे हैं तो पुरानी संसद की गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ पुरानी संसद कहें, ऐसा नहीं करना चाहिए। इसलिए मेरी प्रार्थना है कि भविष्य में अगर आप सहमति दे दें तो इसको ‘संविधान सदन’ के रूप में जाना जाए,ताकि ये हमेशा-हमेशा के लिए हमारी जीवंत प्रेरणा बनी रहे।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जब हम इसे संविधान सदन पुकारेंगे तो यह उन महापुरुषों की भी याद दिलाएगी, जो कभी संविधान सभा में बैठा करते थे।भावी पीढ़ी को यह तौहफा देने का अवसर जाने नहीं देना चाहिए।

सेंट्रल हॉल में सभी सांसदों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं। आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराने, फिर से संकल्पबद्ध होने और उसको परिपूर्ण करने के लिए जी-जान से जुटने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं।

संसद के विशेष सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमारे विश्वविद्यालय दुनिया के अंदर टॉप रैंकिंग में आए, अब हमें इसमें पीछे नहीं रहना है। अभी जब G 20 में विश्व के मेहमान आए मैंने वहां नालंदा की तस्वीर रखी थी, जब मैं दुनिया के नेताओं को कहता था कि 1500 साल पहले मेरे देश में उत्तम से उत्तम विश्वविद्यालय हुआ करती थी तो वे सुनते ही रह जाते थे।

एसएस राजामौली ने ‘बाहुबली’ और ‘आरआरआर’ की सफलता के बाद नई फिल्म ‘मेड इन इंडिया’ का किया एलान, दिखाई झलक

दिग्गज डायरेक्टर एसएस राजामौली ने अगली फिल्म का एलान कर दिया। बाहुबली और आरआरआर की जबरदस्त सफलता के बाद डायरेक्टर ने नए प्रोजेक्ट की डिटेल्स शेयर की है। फिल्म के टाइटल के साथ उन्होंने कहानी से भी पर्दा उठा दिया है।

एसएस राजामौली इस बार एक ऐसी कहानी पर काम कर रहे हैं, जो भारतीय सिनेमा की कहानी बया करती है। फिल्म का टाइटल ‘मेड इन इंडिया’ है, जो एक बायोपिक है। फिल्म का प्रोडक्शन राजामौली के बेटे एसएस कार्तिकेय और वरुण गुप्ता कर रहे हैं। वहीं, ‘मेड इन इंडिया’ का डायरेक्शन नितिन कक्कड़ करेंगे।

कहानी को लेकर राजामौली ने कही ये बात

एसएस राजामौली ने 19 सितंबर को ‘मेड इन इंडिया’ का एक वीडियो अपने ऑफिशियल ट्विटर (X) हैंडल पर शेयर किया। उन्होंने कैप्शन में बताया कि जब पहली बार उन्होंने फिल्म का नैरेशन सुना था, तो इससे इमोशनली कनेक्ट कर गए।

एसएस राजामौली ने कहा, “जब मैंने पहली बार कहानी सुनी, तो इसने मुझे इमोशनली प्रभावित कर दिया, जितना किसी और चीज ने नहीं किया। एक बायोपिक बनाना अपने आप में मुश्किल काम है, लेकिन भारतीय सिनेमा के पिता के बारे में कल्पना करना और भी ज्यादा चैलेंजिंग है। मेरी टीम इसके लिए तैयार है और कमर कस चुकी है। बेहद गर्व के साथ ‘मेड इन इंडिया’ प्रेजेंट कर रहा हूं।”

आरआरआर ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड

बता दें कि एसएस राजामौली साल 2023 की शुरुआत से चर्चा में बने हुए हैं। उनकी फिल्म आरआरआर ने दुनियाभर में नाम कमाया। यहां तक कि फिल्म ने ऑस्कर अवॉर्ड में एक टाइटल अपने नाम किया। एकेडमी अवॉर्ड्स 2023 में आरआरआर के फुट टैपिंग सॉन्ग नाटू-नाटू ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग की कैटेगरी में अवॉर्ड अपने नाम किया।

पुरानी संसद में खिंची गई आखिरी फोटे, राहुल गांधी सबसे पीछे खड़ दिखे

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संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है। पुराने संसद भवन के दरवाजे आखिरी बार संसदीय कार्रवाई के लिए कल खुले थे। आज के बाद देश का पुराना संसद भवन इतिहाक हो जाएगा। आज पुराने भवन में सभी सांसद आखिरी बार एक साथ जमा हुए और सामूहिक फोटो लिया गया। जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों का एक ग्रुप फोटो लिया गया।

फोटो सेशन के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, सदन में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सबसे आगे की लाइन में बैठे दिखे। पीएम नरेंद्र मोदी के बायीं तरफ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी बैठे थे। पीएम के दायीं तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बैठे थे।

वहीं, फोटो सेशन के दौरान अगर किसी बात को लेकर चर्चा हो रही है, तो वो है राहुल गांधी की। दरअसल, राहुल गांधी सबसे पीछे की लाइन में खड़े दिखे। 

पीएम मोदी ने इस साल मई में इस नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। इस नई इमारत के बनने में करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस नए भवन में 1280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है।

सूर्य की और आदित्य एल1 की एक और छलांग, पांचवीं और आखिरी बार बदली गई कक्षा

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भारत का पहला सौर मिशन एक के बाद एक लगातार सफलता पा रहा है। मंगलवार को इसने सूर्य की ओर एक और छलांग लगा दी। दरअसल, इसरो के सौर मिशन आदित्य-एल1 ने कक्षा बदलने की पांचवीं और आखिरी प्रक्रिया को पूरा कर लिया और ये एल1 प्वाइंट की ओर आगे बढ़ गया।इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि रात 2:00 बजे ऑर्बिट बदलने की प्रक्रिया पूरी हुई है।

सूर्ययान ने पांचवीं बार बदली कक्षा

इसरो ने ट्वीट करके कहा- 'अब सूर्ययान पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित एल1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए निकल चुका है। आदित्य एल1 के ट्रांस-लैग्रेन्जियन प्वाइंट 1 इन्सर्शन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अब ये यान उस ट्राजेक्टरी पर पहुंच गया है, जहां से उसे सूर्य के एल1 पॉइंट तक ले जाया जाएगा। करीब 110 दिन में सूर्ययान उस पॉइंट पर पहुंचेगा, जहां से उसे एल1 वाले ऑर्बिट में इन्जेक्ट किया जाएगा।'इसरो ने आगे लिखा कि यह पांचवीं बार है जब इसरो ने अंतरिक्ष में किसी अन्य खगोलीय पिंड या स्थान की ओर एक वस्तु को सफलतापूर्वक ट्रांसफर कर दिया है।

कुल पांच बार की गई अर्थ-बाउंट फायरिंग

बता दें कि आदित्य-एल1 को अपने निर्धारित स्थान एल1 प्वाइंट तक पहुंचाने के लिए इसरो ने कुल पांच बार अर्थ-बाउंड फायरिंग की। ये ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें कोई उपग्रह अगली कक्षा में प्रवेश करता है। इसे पहले चौथी बार आदित्य-एल1 ने 15 सितंबर को सफलतापूर्वक कक्षा बदली थी। थ्रस्टर फायर के कुछ देर बाद ही इसरो ने ट्वीट कर इसके बारे में जानकारी दी थी। वहीं कक्षा बदलने की तीसरी प्रक्रिया 10 सितंबर की रात करीब 2.30 बजे पूरी की गई। तब इसे पृथ्वी से 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में भेजा गया था।वहीं आदित्य-एल1 ने तीन सितंबर को पहली बार सफलतापूर्वक कक्षा बदलने की प्रक्रिया को पूरा किया था।

15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य-एल1

बता दें कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।

क्या होता है L1 प्वाइंट

दरअसल L-1 प्वाइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में स्थित है, जहां सूरज और पृथ्वी की ग्रेविटी एक दूसरे के समान होती है। इसीलिए यहां मौजूद कोई भी चीज बिना ईंधन खर्च किए अपनी जगह पर लंबे समय तक बनी रह सकती है। यहां से किसी भी वस्तु के अंतरिक्ष के अनंत सफर पर भटकने का खतरा नहीं रहता। अगर यहां मौजूद किसी वस्तु को कोई धक्का भी दे दे तो वापस अपनी जगह पर आ जाएगी। यह ऐसा बिंदु है जहां किसी भी खगोलीय पिंड की छाया नहीं पड़ती, जिसकी वजह से 24 घंटे सूर्य की रोशनी पड़ती है। इसलिए आदित्य L1 को यहां स्थापित करके सौर अध्ययन किया जाएगा।

' पांच दिन में भारत छोड़ो..', कनाडा के राजदूत को मोदी सरकार का आदेश, आतंकी हरदीप निज्जर की वकालत कर रहे थे कनाडाई पीएम ट्रुडो

 खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोप में कनाडा ने सोमवार को एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से ही खराब चल रहे रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए। कैंडियन विदेश मंत्री मेलानी जोली ने आरोप लगाया था कि शीर्ष राजनयिक का प्रमुख सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में विश्वसनीय संबंध था।

इससे पहले, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विधायिका में बोलते हुए इस मामले पर अपनी 'गहरी चिंता' जताई थी। यह दावा करते हुए कि उन्होंने उन चिंताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने 'व्यक्तिगत और सीधे' उठाया, ट्रूडो ने कहा कि देश की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या 'हमारी संप्रभुता का अस्वीकार्य उल्लंघन' है। भारत सरकार ने इसके जवाब में कनाडाई पीएम के दावों को 'बेतुका और प्रेरित' बताते हुए खारिज कर दिया है। साथ ही नई दिल्ली ने कनाडा से अपनी धरती से संचालित होने वाले सभी भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ प्रभावी और त्वरित कानूनी कार्रवाई करने का भी आग्रह किया है।

वहीं, कनाडा में भारतीय राजनयिक को निष्काषित किए जाने के जवाब में भारत ने अपने कनाडा के उच्चायुक्त को आज मंगलवार को तलब किया और उन्हें भारत स्थित एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

इस मामले से परिचित लोगों ने मंगलवार को कहा कि ओटावा से एक भारतीय ऑपरेटिव को बाहर निकालने के जस्टिन ट्रूडो सरकार के फैसले के जवाब में भारत सरकार एक कनाडाई अधिकारी को निष्कासित कर दिया है और 5 दिनों में देश छोड़ने को कहा है। भारत ने पहले ही कनाडाई प्रधान मंत्री ट्रूडो के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि भारत सरकार के एजेंटों और जून में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच "संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोप" हैं, और इस दावे को "बेतुका और प्रेरित" बताया है।