सूर्य की और आदित्य एल1 की एक और छलांग, पांचवीं और आखिरी बार बदली गई कक्षा
#aditya_l1_successfully_changed_orbit_for_the_fifth_time
भारत का पहला सौर मिशन एक के बाद एक लगातार सफलता पा रहा है। मंगलवार को इसने सूर्य की ओर एक और छलांग लगा दी। दरअसल, इसरो के सौर मिशन आदित्य-एल1 ने कक्षा बदलने की पांचवीं और आखिरी प्रक्रिया को पूरा कर लिया और ये एल1 प्वाइंट की ओर आगे बढ़ गया।इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि रात 2:00 बजे ऑर्बिट बदलने की प्रक्रिया पूरी हुई है।
सूर्ययान ने पांचवीं बार बदली कक्षा
इसरो ने ट्वीट करके कहा- 'अब सूर्ययान पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित एल1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए निकल चुका है। आदित्य एल1 के ट्रांस-लैग्रेन्जियन प्वाइंट 1 इन्सर्शन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अब ये यान उस ट्राजेक्टरी पर पहुंच गया है, जहां से उसे सूर्य के एल1 पॉइंट तक ले जाया जाएगा। करीब 110 दिन में सूर्ययान उस पॉइंट पर पहुंचेगा, जहां से उसे एल1 वाले ऑर्बिट में इन्जेक्ट किया जाएगा।'इसरो ने आगे लिखा कि यह पांचवीं बार है जब इसरो ने अंतरिक्ष में किसी अन्य खगोलीय पिंड या स्थान की ओर एक वस्तु को सफलतापूर्वक ट्रांसफर कर दिया है।
कुल पांच बार की गई अर्थ-बाउंट फायरिंग
बता दें कि आदित्य-एल1 को अपने निर्धारित स्थान एल1 प्वाइंट तक पहुंचाने के लिए इसरो ने कुल पांच बार अर्थ-बाउंड फायरिंग की। ये ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें कोई उपग्रह अगली कक्षा में प्रवेश करता है। इसे पहले चौथी बार आदित्य-एल1 ने 15 सितंबर को सफलतापूर्वक कक्षा बदली थी। थ्रस्टर फायर के कुछ देर बाद ही इसरो ने ट्वीट कर इसके बारे में जानकारी दी थी। वहीं कक्षा बदलने की तीसरी प्रक्रिया 10 सितंबर की रात करीब 2.30 बजे पूरी की गई। तब इसे पृथ्वी से 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में भेजा गया था।वहीं आदित्य-एल1 ने तीन सितंबर को पहली बार सफलतापूर्वक कक्षा बदलने की प्रक्रिया को पूरा किया था।
15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य-एल1
बता दें कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
क्या होता है L1 प्वाइंट
दरअसल L-1 प्वाइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में स्थित है, जहां सूरज और पृथ्वी की ग्रेविटी एक दूसरे के समान होती है। इसीलिए यहां मौजूद कोई भी चीज बिना ईंधन खर्च किए अपनी जगह पर लंबे समय तक बनी रह सकती है। यहां से किसी भी वस्तु के अंतरिक्ष के अनंत सफर पर भटकने का खतरा नहीं रहता। अगर यहां मौजूद किसी वस्तु को कोई धक्का भी दे दे तो वापस अपनी जगह पर आ जाएगी। यह ऐसा बिंदु है जहां किसी भी खगोलीय पिंड की छाया नहीं पड़ती, जिसकी वजह से 24 घंटे सूर्य की रोशनी पड़ती है। इसलिए आदित्य L1 को यहां स्थापित करके सौर अध्ययन किया जाएगा।
Sep 19 2023, 12:35