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सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आज, लोकसभा में केन्द्र को घेरने के लिए राहुल गांधी तैयार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज से चर्चा शुरू होगी। तीन दिन तक चलने वाली बहस का जवाब गुरुवार को पीएम मोदी दें सकते हैं। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी, संसद सदस्यता बहाल होने के बाद विपक्ष की तरफ से चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता ऐसे समय में बहाल हुई है, जब मंगलवार को संसद में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी चाहती है कि सरकार के खिलाफ इस अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान वह पार्टी की ओर से मुख्य वक्ता की भूमिका निभाएं। ऐसे में इस बात की ज्यादा संभावना है कि राहुल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत कर सकते हैं।  

मोदी सरनेम से जुड़े आपराधिक मानहानि के मामले में अपनी सदस्यता गंवाने के बाद यह पहला मौका होगा जब राहुल लोकसभा में बोल रहे होंगे। इसी साल फरवरी में उनको अपनी सदस्यता तब गंवानी पड़ी थी जब गुजरात की एक ट्रायल कोर्ट ने मोदी सरनेम आपराधिक मानहानि मामले में उनको दो सालों की अधिकतम सजा सुनाई थी। हाल ही में उनको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद कल लोकसभा सचिवालय की ओर से उनकी संसदीय सदस्यता बहाल कर दी। राहुल गांधी 137 दिनों बाद लोकसभा पहुंचे। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से ठीक एक दिन पहले राहुल की संसदीय सदस्यता बहाल होना इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के हौसले को बढ़ाने वाला है।

बीजेपी की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव पर निशिकांत दुबे पहले वक्ता होंगे। दुबे के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमण, ज्योतिरादित्य और राजवर्धन राठौर भी सदन में अपनी बात रखेंगे। बीजेपी की ओर से करीब 10 वक्ता अविश्वास प्रस्ताव चर्चा में पार्टी की तरफ से पक्ष रखेंगे।सूत्रों ने कहा कि श्रीकांत शिंदे और राहुल शेवाले शिवसेना (शिंदे) समूह से वक्ता होंगे। चिराग पासवान (एलजेपी) और अनुप्रिया पटेल (अपना दल) के अन्य प्रमुख वक्ता होने की संभावना है।

मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है। मणिपुर हिंसा के बीच 26 जुलाई को कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।इससे पहले साल 2018 में मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।

मणिपुर हिंसा मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई समिति, सीबीआई जांच को आईपीएस अधिकारियों द्वारा निगरानी के निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हिंसा प्रभावित मणिपुर में राहत, पुनर्वास आदि जैसे मानवीय मुद्दों को देखने के लिए तीन जजों की एक समिति का गठन करेगा। समिति की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी। बॉम्बे हाई कोर्ट की रिटायर जज जस्टिस शालिनी जोशी और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस आशा मेनन भी समिति का हिस्सा होंगी। ये कमेटी सीबीआई और पुलिस जांच से अलग मामलों को देखेगी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने यह आदेश जारी किया। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत का प्रयास राज्य में कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है। उसने कहा कि न्यायिक समिति राहत एवं पुनर्वास कार्यों के अलावा अन्य चीजों की निगरानी करेगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीएस अधिकारी सीबीआई जांच की निगरानी करें। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जांच के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे, जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा।। ये अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे। 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखेंगी जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं।

मई से जारी है मणिपुर में हिंसा

3 मई को आदिवासी समाज की एक रैली के बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। ये रैली मणिपुर में मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के अदालत के आदेश के विरोध में निकाली गई थी। इसके बाद भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। 50 हजार से ज्यादा लोगों को घरों से निकलकर आश्रय स्थलों में शरण लेनी पड़ी है। मणिपुर में 5 अगस्त को पांच और लोगों की मौत के बाद 800 और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।

कन्‍नड़ एक्‍टर विजय राघवेंद्र की पत्‍नी स्‍पंदना की 41 की उम्र में मौत, थाइलैंड में आया हार्ट अटैक


मनोरंजन जगत से दुखद खबर सामने आई है। कन्नड़ के मशहूर एक्टर विजय राघवेंद्र पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनकी पत्नी स्पंदना राघवेंद्र की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। स्पंदना की मौत बेंकॉक के अस्पताल में हुई। इस खबर के सामने आने के बाद लोग सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

विजय राघवेंद्र की पत्नी अभी महज 41 साल की थी। जब उन्हें हार्ट अटैक आया तब स्पंदना अपने परिवार के साथ थाइलैंड में थीं। हालांकि, उन्हें हार्ट अटैक कैसे आया, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन कहा जा रहा है कि उनका ब्लड प्रेशर कम था, जिसकी वजह से हार्ट अटैक आ गया।

विजय राघवेंद्र फिलहाल बेंगलुरु में हैं। वह वहां अपनी फिल्म Kadda के प्रमोशन के लिए गए थे, लेकिन पत्नी की मौत के कारण फिल्म का प्रमोशन रोक दिया गया है। विजय राघवेंद्र की पत्नी के पार्थिव शरीर को 8 अगस्त को बेंगलुरु लाया जा सकता है।

बता दें, विजय राघवेंद्र और स्पंदना की शादी 2007 में हुई थी और उनका एक बेटा और बेटी भी है। स्पंदना 2016 में आई फिल्म 'अपूर्वा' में नजर आई थी। वहीं, विजय राघवेंद्र की बात करें, तो वह कन्नड़ सिनेमा के स्टार रहे डॉ. राजकुमार के भांजे और प्रोड्यूसर एस.ए. चिन्नी गोड़ा के बेटे हैं। उनकी अपमकिंग फिल्म Kadda 25 अगस्त को रिलीज होगी।

उत्तरप्रदेश में एमपी-एमएलए कोर्ट से दो साल की सजा पाए भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया को आगरा की जिला अदालत ने दी बड़ी राहत


एमपी-एमएलए कोर्ट से दो साल की सजा पाए भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया को आगरा की जिला अदालत ने सोमवार को बड़ी राहत दी। दो साल की सजा मिलने के बाद रामशंकर कठेरिया की लोकसभा सदस्यता जाना तय माना जा रहा था लेकिन सोमवार को जिला अदालत के आदेश के बाद उनकी सांसदी जाते-जाते बच गई। भाजपा सांसद को अगर सजा होती तो वह अगले आठ साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाते।

आगरा की जिला अदालत ने सोमवार को सुनाए फैसले में सजा पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा, जब तक अपील का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक उनकी सजा पर रोक बरकरार रहेगी। बता दें कि दो दिन पहले मारपीट और बलवे के मामले में आगरा की एमपी/एमएलए कोर्ट ने रामशंकर कठेरिया को दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, सांसद को तुरंत जमानत भी मिल गई थी। सांसद ने एमपी एमएलए कोर्ट के फैसले को जिला अदालत में चुनौती दी थी।

लोकसभा सदस्यता जाने का बढ़ गया था खतरा

एमपीएलए कोर्ट से दो साल की सजा मिलने के बाद रामशंकर कठेरिया की सांसदी पर खतरा बढ़ गया था। हालांकि सोमवार को जिला अदालत ने अपील के निस्तारण होने तक सजा पर रोक लगाई तो रामशंकर कठेरिया को बड़ी राहत मिली। कानून के जानकारों की मानें तो अगर एमपीएमएल के कोर्ट से मिली दो साल की सजा पर जिला अदालत भी हामी भरती तो उनकी लोकसभा सदस्यता जा सकती थी। साथ ही वह अगले आठ साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाते। रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ द पीपुल्स एक्ट 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या इससे ज्यादा समय के लिए सजा सुनाई जाती है तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता ख़त्म हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी कहते हैं कि सजा पूरी होने के बाद भी वह अगले छह साल तक चुनाव लड़ने के योग्य नहीं माना जाता। यानी सजा शुरू होने के बाद आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाता, लेकिन इसी एक्ट की धारा 8 (4) कहती है कि सदस्यता तुरंत ख़त्म नहीं होती। अपील कोर्ट भी सजा पर स्टे कर दे तब भी सदस्यता समाप्ति के नियम पर कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क तब पड़ता है, जब अपील कोर्ट इस केस में दोष सिद्धि को ही गलत ठहरा दे, या इस पर स्टे दे दे।

अब तक किन नेताओं को गंवानी पड़ी सदस्यता?

सांसद रामशंकर कठेरिया पहले नेता नहीं हैं, जो किसी मामले में फंसे हैं। इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सजा पाने के बाद अपनी संसद सदस्यता गंवा चुके हैं। वहीं, एमबीबीएस सीट घोटाले में चार साल की सजा पाने के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य काजी रशीद अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं। हमीरपुर के विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल, कुलदीप सेंगर और अब्दुल्ला आज़म को भी इसी एक्ट के तहत अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ा है।

रशीद मसूद (कांग्रेस) को साल 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी ठहराया गया और उन्हें राज्यसभा की अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी। लालू प्रसाद यादव को भी साल 2013 में चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया और उनकी भी लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई। उस समय वे बिहार में सारण से सांसद थे। जनता दल यूनाइटेड के जगदीश शर्मा भी चारा घोटाले के मामले में दोषी ठहराए गए और 2013 में उन्हें भी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी। उस समय वे बिहार के जहानाबाद से सांसद थे।

समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान को एक मामले में दोषी होने के बाद विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी। रामपुर की एक अदालत ने उन्हें साल 2019 के एक हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया था और तीन साल की सज़ा सुनाई थी। सपा नेता आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म की भी विधानसभा सदस्यता रद्द हुई। चुनाव लड़ते समय उन्होंने अपनी उम्र अधिक बताते हुए गलत शपथपत्र दिया था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधायक रहे विक्रम सैनी की भी सदस्यता ख़त्म कर दी गई थी। उन्हें 2013 के दंगा मामले में दो साल की सज़ा दी गई थी।

दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में पेश, कवि दिनकर की कविता का जिक्र कर राघव चड्ढा ने बीजेपी को घेरा

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दिल्ली सेवा बिल को आज राज्यसभा में पेश किया गया।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सेवा बिल पेश किया।बिल पर चर्चा हो रही है। सभी सांसद बिल पर अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं। हालांकि इस दौरान कांग्रेस की तरफ से बोलते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया और कहा कि ये बिल खौफ पैदा करने वाला बिल है। वहीं, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने अपनी पार्टी की बात रखी।उन्होंने बिल का विरोध करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा।

आप सांसद राघव चड्ढा ने कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।राघव चड्ढा ने कहा, मैं केवल दिल्ली के लोगों की ओर से नहीं बल्कि पूरे देश की जनता की तरफ से बोल रहा हूं। आज से पहले शायद ही कभी असंवैधानिक, गैर कानूनी कागज का टुकड़ा बिल के माध्यम से सदन में लाया गया होगा।आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा, मैं महाभारत के अंश का जिक्र करना चाहूंगा जिसे कवि रामधारी सिंह दिनकर ने एक बड़ी अच्छी कविता में लिखकर बताया है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण एक शांति दूत बनकर पाड़वों की ओर से शांति का प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर गए थे।

आप सांसद ने संसद में दिनकर की कविता पढ़ते हुए कहा, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान हस्तिनापुर आए, पांडव का संदेशा लाये. दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पांच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम। उन्होंने आगे सुनाया, हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे। दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की न ले सका उलटे हरि को बांधने चला, जो था असाध्य साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।

राघव चड्ढा ने कहा कि ये बिल राजनीतिक धोखा

आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सभापति को संबोधित करते हुए कहा कि हम न्याय मांगने के लिए आपके सामने आए हैं। जो हमारा हक है हम वो मांगने आए हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि ये बिल राजनीतिक धोखा है। 1989 से लेकर 2015 तक बीजेपी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करती आई। 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने कहा था कि वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएगी। इतने साल होते-होते मैं बीजेपी का 1989 का मेनिफेस्टो लाया हूं। यानि 1989 से लेकर बीजेपी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करती रही है।

बीजेपी ने वाजपेयी-आडवाणी की मेहनत को मिट्टी में मिलाया-राघव चड्ढा

उन्होंने कहा कि 1991 में मुदन लाल खुराना, लाल कृष्ण आडवाणी ने बयान दर्ज कराए थे कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। इसके लिए हम आंदोलन भी करेंगे। लगातार इन लोगों ने संघर्ष किया और आंदोलन किया। आप सांसद ने कहा कि 1998-99 में बीजेपी ने फिर से अपने मेनिफेस्टो में कहा कि वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएगी। इन लोगों ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया। और अंत में वो दिन आया जब वाजपेयी सरकार के उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सदन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने वाला बिल लाए। इस बिल को लाते हुए आडवाणी जी ने कहा था कि दिल्ली को अधिकार देने की जरूरत है। आज बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी जी की दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की 40 साल की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया है।

नेहरूवादी मत बनिए, आडवाणीवादी, वाजपेयीवादी बनिए-राघव चड्ढा

आप सांसद ने कहा,जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलना चाहिए। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कहना चाहूंगा कि आप नेहरूवादी मत बनिए, आडवाणीवादी, वाजपेयीवादी बनिए। आज आपके पास दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐतिहासिक मौका है, ये काम करिए।

बेंगलुरु में 60 फ्लाई ओवर होने के बावजूद बेहाल ट्रैफिक, हर साल हो रहा 19,725 करोड़ रुपये का नुकसान; स्टडी में दावा

बेंगलुरु में केवल ट्रैफिक के कारण हर साल 19,725 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एक स्टडी में यह दावा किया गया है। यातायात में देरी, भीड़भाड़, सिग्नलों के रुकने, समय की हानि, ईंधन की हानि इसके प्रमुख कारण है। प्रसिद्ध यातायात और गतिशीलता विशेषज्ञ एमएन श्रीहरि और उनकी टीम ने ये अनुमान जताया है। परिवहन के लिए कई सरकारों और स्मार्ट शहरों के सलाहकार श्रीहरि ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को एक रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में यातायात प्रबंधन, सड़क योजना, फ्लाईओवर और अन्य चीजों की सिफारिशें शामिल हैं।

फ्लाईओवर होने के बावजूद हाल-बेहाल

बेंगलुरु में 60 फ्लाईओवर होने के बावजूद, श्रीहरि और उनकी टीम ने पाया कि आईटी हब को देरी, भीड़भाड़, सिग्नल, तेज गति से धीमी गति से चलने वाले वाहनों के कारण 19,725 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। रिपोर्ट के अनुसार, आईटी क्षेत्र में बढ़ती नौकरी के कारण आवास, शिक्षा जैसी सभी संबंधित सुविधाओं में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या में 14.5 मिलियन की तेजी से वृद्धि हुई और वाहन जनसंख्या 1.5 करोड़ के करीब हो गई है।

क्या कहता है रिपोर्ट?

रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु 2023 में 88 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 985 वर्ग किलोमीटर हो गया है। इसे 1,100 वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित करने का भी प्रस्ताव है। दूसरी ओर,सड़क की कुल लंबाई लगभग 11,000 किलोमीटर है जो परिवहन मांग और यात्राओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। देरी, भीड़, उच्च यात्रा समय और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत के मामले में भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।

श्रीहरि ने शहर के रेडियल, बाहरी और परिस्थितिजन्य विकास के अनुरूप सड़कों की योजना बनाने और निर्माण करने की आवश्यकता पर जोर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा सीआरएस (कम्यूटर रेल सिस्टम) को भी भारतीय रेलवे ने बेंगलुरु के परिवहन नेटवर्क का समर्थन करने की अनुमति दी है।

क्या दिए गए सुझाव?

यातायात को कम करने के लिए, टीम ने सड़क के किनारे की पार्किंग को हटाने का सुझाव दिया है।

श्रीहरि ने कहा कि एक परिवहन विशेषज्ञ के रूप में, 'मैं बेंगलुरु में पार्किंग के बिना एक भी सड़क दिखाने में विफल रहा हूं।'

मेट्रो, मोनोरेल, उच्च क्षमता वाली बसों जैसे बड़े पैमाने पर परिवहन में वृद्धि की सिफारिश

कैमरा और सेंसर सिस्टम के अलावा पर्याप्त व्यक्तिगत तैनाती करें

अगले 10 वर्षों में हवाई परिवहन को प्रोत्साहित करने का भी सुझाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए निजी परिवहन को हतोत्साहित करने और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित किए जाने का सुझाव

पहले श्री गणेश और अब भगवान परशुराम का अपमान..! केरल की वामपंथी सरकार पर हमलावर हुई भाजपा

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनिल के एंटनी ने हिंदू देवताओं का अपमान करने के लिए केरल की पिनाराई विजयन सरकार पर निशाना साधा है। स्थानीय समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए, भाजपा नेता अनिल एंटनी ने कहा कि यह निराशाजनक और चौंकाने वाला है कि केरल की सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेता लगातार दुनिया भर में करोड़ों हिंदू विश्वासियों की भावनाओं का अपमान कर रहे हैं।

उन्होंने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'कुछ दिन पहले केरल विधानसभा के अध्यक्ष श्री. शमसीर ने भगवान गणेश को मिथ्या कहकर उनका अपमान किया। आज एक और वरिष्ठ CPIM Kerala नेता श्री पी जयराजन ने भी कुछ इसी तरह की बात करके भगवान परशुराम का अपमान किया है। यह देखना बेहद निराशाजनक और चौंकाने वाला है कि केरल की सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष नेता अपनी अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए और अल्पसंख्यकों के एक निश्चित वर्ग को खुश करने के लिए दुनिया भर में करोड़ों हिंदू विश्वासियों की भावनाओं का लगातार अपमान कर रहे हैं, जिन्हें वे अपने महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में देखते हैं। उन सभी को अपने बयानों के लिए बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।'

उन्होंने आगे लिखा कि, 'क्या कोई अन्य I.N.D.I.A. राहुल गाँधी और कांग्रेस सहित इस पार्टी के साथ मंच साझा करने वाले गठबंधन सहयोगी इन विचारों का समर्थन करते हैं? क्या कोई इन्हें सही करने/इन बयानों को खारिज करने को तैयार है?' एंटनी का यह बयान कन्नूर के वरिष्ठ CPI (M) नेता पी जयराजन द्वारा 5 अगस्त, शनिवार को कासरगोड में भाषण देते समय कथित तौर पर भगवान परशुराम का अपमान करने के एक दिन बाद आया है। जयराजन ने कहा था कि भगवान परशुराम एक मिथक हैं और केरल की उत्पत्ति की कहानी ब्राह्मणों द्वारा गढ़ी गई है। जातिवादी टिप्पणी करते हुए, जयराजन ने कहा कि केरल मूल की कहानी "ब्राह्मणों द्वारा लोगों को गुलाम बनाने और पूरे केरल में ब्राह्मणों को अधिकार देने के लिए गढ़ी गई थी।" उन्होंने केरल की उत्पत्ति के बारे में हिंदू मान्यता को भी मिथक करार दिया।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 21 जुलाई को केरल विधानसभा अध्यक्ष एएन शमसीर ने एर्नाकुलम के एक स्कूल में एक कार्यक्रम के दौरान भाषण देते हुए हिंदू देवता भगवान गणेश के लिए इसी तरह की अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र को बच्चों को हिंदू मिथकों के बजाय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियों के बारे में पढ़ाना चाहिए। उन्होंने "हिंदू मिथकों" को सामने लाने के लिए उदाहरण के तौर पर भगवान गणेश और पुष्पक विमान का इस्तेमाल किया था। हवाई जहाज का आविष्कार किसने किया, इस सवाल के जवाब में शमसीर ने कहा कि राइट बंधुओं ने। उन्होंने कहा कि हिंदू पुष्पक विमान को पहला हवाई जहाज मानते हैं, जैसा कि रामायण में बताया गया है। इसके बाद उन्होंने भगवान गणेश की कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंदुओं का मानना है कि उन्होंने अपना हाथी का चेहरा प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से प्राप्त किया था, जिसे उन्होंने एक मिथक कहा। शमसीर ने कहा कि, ''केंद्र सरकार विज्ञान की जगह ऐसे मिथकों को बढ़ावा दे रही हैं। ''

इसके बाद भाजपा द्वारा एक शिकायत दर्ज की गई थी और टिप्पणियों का नायर सर्विस सोसाइटी (NSS) द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसने 2 अगस्त को "विश्वास संरक्षण दिवस" ​​का आयोजन किया था। संगठन ने अपने सभी सदस्यों को गणेश मंदिरों में जाने के लिए कहा था। बाद में उन पर केरल सरकार द्वारा "गैरकानूनी सभा" के लिए मामला दर्ज किया गया। NSS महासचिव जी सुकुमारन नायर ने कथित तौर पर कहा था कि, “यह मूर्खतापूर्ण है, इसके बारे में उन्हें किसे पता चला? ये लोग कहते हैं कि जन्नत में जाओ तो वहां हूरें होती हैं, कौन जन्नत गया और लौटकर उन्हें बताया कि जन्नत में हूरियां हैं? इसलिए उस पर टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है।' 

भाजपा ने भी केरल विधानसभा अध्यक्ष से बिना शर्त माफी की मांग करते हुए कहा था कि CPM नेता ने हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। शमसीर ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि वह किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं। हालाँकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि उन्होंने विज्ञान को "हिंदू" मिथकों के खिलाफ खड़ा किया और इस तरह केवल हिंदू धर्म को ही निशाना बनाया। शमसीर के अपमानजनक बयान पर विवाद बढ़ने के बीच, केरल CPIM के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने भी कहा कि भगवान गणेश एक मिथक हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि जब उनसे अल्लाह के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सभी मान्यताएं मिथक नहीं हैं। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी पर एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, गोविंदन ने कहा कि, “क्या गणपति विज्ञान हैं? आइये मिथकों को मिथक के रूप में ही देखें। केरल का गठन भी एक मिथक है, है ना? हम विश्वासियों के ख़िलाफ़ नहीं हैं।'

 जब उनसे पूछा गया कि क्या अल्लाह एक मिथक है, तो उन्होंने कहा कि, “मैंने यह नहीं कहा कि सभी भगवान मिथक हैं। हिंदुओं के विपरीत, मुसलमानों के पास हज़ारों भगवान नहीं हैं। वे एक उच्च अवधारणा एकल ईश्वर में विश्वास करते हैं।' केरल विधानसभा में आज हंगामा होने की संभावना है क्योंकि भाजपा ने हिंदू आस्था को निशाना बनाने वाले नेताओं की लगातार विवादास्पद टिप्पणियों पर सीपीआई (एम) सरकार को घेरने की योजना बनाई है। यहाँ ये भी गौर करने वाली बात है कि, केरल में कांग्रेस भी सक्रीय है, लेकिन इन मुद्दों पर वो बिलकुल खामोश है, हालाँकि, अन्य धर्मों पर टिप्पणी होने पर कांग्रेस फ़ौरन प्रतिक्रिया देती है।

'राहुल गांधी ही हमारे प्रधानमंत्री उम्मीदवार, मोदी के मुकाबले में कोई है, तो वही हैं..', पढ़िए, दिग्गज कांग्रेस नेता अशोक गहलोत का बड़ा दावा

जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राहुल गांधी कांग्रेस का प्रधानमंत्री पद का चेहरा हैं और देश में एकमात्र नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोदी उपनाम को लेकर 2019 मानहानि मामले में गांधी की सजा पर रोक लगाने के बाद गहलोत की यह टिप्पणी बेहद अहम मानी जा रही है। गहलोत, जो एक वक़्त कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार के रूप में उभरे थे, ने फिर से स्पष्ट कर दिया कि वह राजस्थान की राजनीति का हिस्सा बने रहना पसंद करेंगे।

 

कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, "हमारे लिए राहुल गांधी प्रधानमंत्री का चेहरा हैं। बाकी सब आलाकमान पर निर्भर है। हम देखेंगे कि आगे क्या होता है।'' गहलोत ने कहा कि यह स्थिति तब से है जब राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष थे। मुख्यमंत्री को याद दिलाया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में संकेत दिया था कि पार्टी को पीएम पद में दिलचस्पी नहीं है, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता में दिलचस्पी है। गहलोत ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि विपक्षी नेताओं के बीच क्या चर्चा हुई और खड़गे सही हो सकते हैं।

लेकिन उन्होंने कहा कि, "इस देश के लोग और कांग्रेसी जानते हैं कि अगर पीएम मोदी के मुकाबले में कोई है, तो वह राहुल गांधी हैं।' अशोक गहलोत ने इस संभावना को खारिज कर दिया कि अगर कांग्रेस इस साल राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतती है तो वह 2024 में खुद पीएम उम्मीदवार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने राजस्थान की राजनीति में बने रहने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "मैंने अपनी आखिरी सांस तक राजस्थान की सेवा करने का संकल्प लिया है। इसलिए दिल्ली की राजनीति में उम्मीदवार बनने का सवाल ही नहीं उठता।" गहलोत ने कहा कि वह अपने काम के आधार पर राजस्थान चुनाव लड़ेंगे।

पहले दर्ज कराई रेप की FIR, फिर आरोपित से ही कर ली शादी ! युवती पर हाई कोर्ट ने लगाया 10 हज़ार का जुर्माना


इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महिला पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसने जानबूझकर चार लोगों के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाते हुए झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराई थी। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की पीठ ने कहा, इस तरह की FIR दर्ज करने और बलात्कार के झूठे गंभीर आरोप लगाने की प्रथा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस तरह की प्रथा से सख्ती से निपटना होगा।

खंडपीठ ने जोर दिया कि आपराधिक न्याय प्रणाली को FIR दर्ज करके व्यक्तिगत विवादों को स्थापित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो कि गलत है। रिपोर्ट के अनुसार, 11 जून, 2023 को प्रयागराज के कोतवाली पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 376, 377, 313, 406, 506 के तहत मामले को जन्म देते हुए दर्ज एक FIR को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि FIR मनगढ़ंत और निराधार थी, क्योंकि पहले शिकायतकर्ता (कथित पीड़िता) और आरोपी ने अपनी शादी कर ली थी और वे अपनी स्वतंत्र इच्छा से खुशी-खुशी एक साथ रह रहे थे।

याचिका के साथ, पुलिस आयुक्त, प्रयागराज को संबोधित एक आवेदन भी संलग्न किया गया था, जिसे कथित पीड़ित ने लिखा था कि FIR झूठी थी और आवेश में दर्ज की गई थी। कथित पीड़िता के वकील ने भी इसकी पुष्टि की। कथित पीड़िता के स्वीकृत कृत्य पर ध्यान देते हुए, खंडपीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता पर दबाव डालने और/या हिसाब बराबर करने के लिए FIR दर्ज की गई थी। इसलिए, पीठ ने माना कि कथित पीड़िता को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अदालत ने FIR को निरस्त करते हुए महिला को आदेश की तारीख से 10 दिनों की अवधि के भीतर लागत जमा करने का आदेश दिया।

उज्जैन में आरती के बाद भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में, हाथी पर श्री मनमहेश और गरुड़ पर शिव तांडव, नंदी रथ पर उमामहेश, डोल रथ पर होलकर स्टेट


उज्जैन में पांच सवारी के साथ देवाधिदेव भगवान महाकालेश्वर नगर भ्रमण पर निकले। इस दौरान भगवान के जयकारे लगे।

सवारी प्रारंभ होने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में षोडशोपचार पूजन-अर्चन श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा करवाया गया। इस दौरान सभा मंडप में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का विशेष पूजन अर्चन किया। इसके पश्चात भगवान की आरती की गई। आरती के बाद भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में और हाथी पर श्री मनमहेश और गरुड़ पर शिव तांडव, नंदी रथ पर उमामहेश, डोल रथ पर होलकर स्टेट स्वरूप मे विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले। सवारी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची वैसे ही सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर को गॉड ऑफ ऑनर सलामी दी गई।

संत कालीचरण महाराज ने बाबा महाकाल के किये दर्शन

महाकाल की पांचवीं सवारी से पहले सभा मंडप में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का विशेष पूजन अर्चन किया गया। 

इस पूजन में पूर्व मंत्री पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम द्वारा किया गया। इस दौरान सभागृह में महाराष्ट्र के प्रमुख संत कालीचरण महाराज भी पहुंचे, जिन्होंने भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन अर्चन कर उनका आशीर्वाद लिया। महाराष्ट्र के प्रमुख संत कालीचरण महाराज ने सभा मंडप में बाबा महाकाल का पूजन-अर्चन किया। सभा मंडप में पूजन के बाद बाबा महाकाल की सवारी शुरू हो गई।