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कारगिल विजय दिवसः जब दुनिया ने देखा भारतीय सेना का पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान

#kargilvijaydiwas 

देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। हर साल 26 जुलाई को भारत में करगिल विजय दिवस मनाया जाता है।24 साल पहले आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी।करगिल युद्ध, भारतीय सेना की वीरता की दास्तान कहता है। 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान की उत्कृष्ट मिसाल है। तो पाकिस्तान के लिए यह युद्ध उसकी नापाक सोच, गद्दारी, पीठ में छुरा घोंपने की उसकी पारंपरिक सोच को दर्शाता है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचने का कोई भी मौका नहीं गंवाया है। साल 1999 में भी पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों में तापमान -50 तक चला जाता है।इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की। 3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 

19 मई को हुई ऑपरेशन विजय की शुरुआत

19 मई वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठा था। हमारी सेना को खड़ी चढ़ाई चढ़नी थी। उसके लिए दुश्मन के निशाने से बचना मुश्किल था। इसके बाद तोलोलिन पहाड़ी से लेकर टाइगर हिल तक हर पोस्ट पर हमारे शूरवीरों ने न सिर्फ कब्जा किया बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों को मार खदेड़ा। 

दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक

कारगिल का युद्ध दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक था। यहां युद्ध लड़ना और पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहले से बैठे आतंकियों एवं घुसपैठियों को मार भगाना और चोटियों पर दोबारा काबिज होना आसान काम नहीं था। लेकिन भारतीय जवान हर बार कठिनाई पर भारी पड़े हैं। दुर्गम इलाके की बाधाओं और पर्याप्त सुविधाएं न होने के बावजूद भारतीय सेना दुश्मनों के खिलाफ खूब लड़ी। 

527 से ज्यादा जवानों ने दिया था बलिदान

मई-जुलाई 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में हिन्दुस्तान के 527 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे। इनके अलावा 1300 से ज्यादा जख्मी हो गए थे। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश फौजी 30 साल से कम उम्र के थे। वहीं शहीदों में से अकेले राजस्थान के 52 जवान थे। करीब 2 महीने की जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्ति हुई थी।

कारगिल विजय दिवसः जब दुनिया ने देखा भारतीय सेना का पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान

#kargil_vijay_diwas 

देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। हर साल 26 जुलाई को भारत में करगिल विजय दिवस मनाया जाता है।24 साल पहले आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी।करगिल युद्ध, भारतीय सेना की वीरता की दास्तान कहता है। 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान की उत्कृष्ट मिसाल है। तो पाकिस्तान के लिए यह युद्ध उसकी नापाक सोच, गद्दारी, पीठ में छुरा घोंपने की उसकी पारंपरिक सोच को दर्शाता है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचने का कोई भी मौका नहीं गंवाया है। साल 1999 में भी पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों में तापमान -50 तक चला जाता है।इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की। 3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 

19 मई को हुई ऑपरेशन विजय की शुरुआत

19 मई वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठा था। हमारी सेना को खड़ी चढ़ाई चढ़नी थी। उसके लिए दुश्मन के निशाने से बचना मुश्किल था। इसके बाद तोलोलिन पहाड़ी से लेकर टाइगर हिल तक हर पोस्ट पर हमारे शूरवीरों ने न सिर्फ कब्जा किया बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों को मार खदेड़ा। 

दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक

कारगिल का युद्ध दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक था। यहां युद्ध लड़ना और पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहले से बैठे आतंकियों एवं घुसपैठियों को मार भगाना और चोटियों पर दोबारा काबिज होना आसान काम नहीं था। लेकिन भारतीय जवान हर बार कठिनाई पर भारी पड़े हैं। दुर्गम इलाके की बाधाओं और पर्याप्त सुविधाएं न होने के बावजूद भारतीय सेना दुश्मनों के खिलाफ खूब लड़ी। 

527 से ज्यादा जवानों ने दिया था बलिदान

मई-जुलाई 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में हिन्दुस्तान के 527 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे। इनके अलावा 1300 से ज्यादा जख्मी हो गए थे। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश फौजी 30 साल से कम उम्र के थे। वहीं शहीदों में से अकेले राजस्थान के 52 जवान थे। करीब 2 महीने की जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्ति हुई थी।

अमित शाह ने दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को लिखी चिट्ठी, कहा- मणिपुर पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार तैयार, चर्चा करने में दें सहयोग

#amitshahwritestomallikarjunkhargeadhirranjanchowdhuryseekscooperation

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जारी गतिरोध को दूर करने की कोशिशों के तहत दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में सहयोग की अपील की है। गृह मंत्री शाह ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है।

पत्र का फोटो ट्विटर पर भी शेयर किया

अमित शाह ने इस पत्र का फोटो ट्विटर पर भी शेयर किया है।उन्होंने लिखा है कि, आज मैंने दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं, लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे की चर्चा में उनके अमूल्य सहयोग की अपील की। सरकार मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सभी दलों से सहयोग चाहती है। मुझे उम्मीद है कि सभी दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने में सहयोग करेंगे।

सहयोग लेने के लिए पत्र लिखा

पत्र में अमित शाह ने लिखा है कि मैं आपका सहयोग लेने के लिए आपको यह पत्र लिख रहा हूं। जैसा कि आप जानते हैं मणिपुर एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य है। मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ना केवल मणिपुर बल्कि सम्पूर्ण भारत की संस्कृति का गहना है। छह सालों में मणिपुर में बीजेपी के शासन में यह क्षेत्र शांति और विकास के नए युग का अनुभव कर रहा था। परन्तु कुछ अदालती निर्णयों और कुछ घटनाओं के कारण मई माह की शुरुआत में मणिपुर में हिंसा की घटनाएं घटी। कुछ शर्मनाक घटनाएं भी सामने आई जिसके बाद समग्र देश की जनता, उत्तरपूर्व की जनता और विशेषकर मणिपुर की जनता देश की संसद से अपेक्षा कर रही है कि इस कठिन समय में सभी पार्टियां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मणिपुर की जनता के साथ खड़ी रहें।

केंद्र केवल बयान नहीं बल्कि पूरी चर्चा के लिए तैयार-शाह

शाह ने अपने पत्र में लिखा है कि देश के लोग चाहते हैं कि हम एकजुट होकर उन्हें आश्वस्त करें कि हम मणिपुर में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं. अतीत में, हमारी संसद ने ऐसा किया है। हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि केंद्र केवल एक बयान देने के लिए तैयार नहीं है बल्कि पूरी चर्चा करने को तैयार है। लेकिन हमें इसमें सभी दलों की मदद की उम्मीद है। मैं आपके माध्यम से अनुरोध करता हूं कि सभी विपक्षी दल स्वस्थ वातावरण में चर्चा के लिए आगे आएं।

पाकिस्तान पहुंची भारत की अंजू इस्लाम अपनाकर बनी फातिमा, फेसबुक फ्रेंड से किया निकाह, प्री वेडिंग शूट का वीडियो वायरल

#rajasthanwomananjugotmarriedinpakistan

सीमा हैदर के भारत आने के मामले के बीच अचानक खबर आई कि राजस्थान के अलवर से एक भारतीय महिला अंजू भी पाकिस्तान चली गई है। वह अपने प्रेमी से मिलने गई। अभी तक ये खबर आ रही थी कि वह लीगल वीजा के पाकिस्तान गई है और वापस लौट आएगी। लेकिन इसी बीच इस खबर में एक और बड़ा 'ट्विस्ट' आ गया है। पाकिस्तानी मीडिया यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान पहुंची भारतीय महिला अंजू ने इस्लाम धर्म अपनाकर कोर्ट मैरिज कर ली है। इतना ही नहीं, अंजू ने शादी के बाद अपना नाम बदलकर फातिमा भी कर लिया है। दोनों की शादी के बाद उनका पहला वीडियो सामने आया है। दोनों इसमें एक दूसरे के लिए प्यार जताते हुए नजर आ रहे हैं।

पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया जा रहा है भारतीय महिला अंजू ने पाकिस्तान के नसरुल्लाह से निकाह कर लिया है। जियो टीवी के मुताबिक, इस जोड़े ने एक जिला एवं सत्र न्यायाधीश की स्थानीय अदालत में शादी रचाई। मलकंद डिवीजन के उप महानिरीक्षक नासिर महमूद सत्ती ने 35 वर्षीय अंजू और 29 वर्षीय नसरुल्ला के निकाह की पुष्टि करते हुए कहा कि महिला ने इस्लाम अपनाने के बाद फातिमा का नाम ले लिया है।

दोनों को लेकर एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें अंजू और नसरुल्लाह एक कोर्ट के बाहर दिखाई दे रहे हैं। जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि अंजू ने नसरुल्लाह के साथ कोर्ट मैरिज कर ली है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि नसरुल्लाह और अंजू कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत आए थे।

नसरुल्लाह के साथ हाथ में हाथ डाले आ रही नजर

यही नहीं, सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो हैं जिसमें अंजू अपने प्रेमी नसरुल्लाह के साथ खैबर पख्तूनख्वा की वादियों में घूमती दिख रही है। अंजू और नसरुल्लाह एक-दूसरे के हाथ में हाथ डाले खूबसूरत वादियों को निहार रहे हैं। वीडियो को जिस तरह से शूट किया गया है उसे देखने के बाद लगता है कि ये निकाह के पहले का प्री वेडिंग शूट है। वीडियो को देखने से पता चलता है कि इसे पाकिस्तान में अलग-अलग स्थानों पर घूमते-फिरते बनाया गया है।

अंजू ने कही थी भारत लौटने की बात

हालांकि, बीते दिन सोमवार को ही नसरुल्लाह ने फोन पर न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि अंजू केवल पाकिस्तान घूमने आई हैं। वह जल्द ही भारत लौट जाएंगी। उनका शादी का कोई इरादा नहीं है।अंजू ने भी एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह लीगल तरीके से पाकिस्तान गई है और जल्द ही भारत वापस लौट जाएगी लेकिन इन सबके बीच अब दोनों ने शादी कर ली है।

फेसबुक फ्रेंड से मिलने बच्चों और पति को छोड़ पहुंची पाकिस्तान

बता दें कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपने फेसबुक फ्रेंड से मिलने पहुंची भारत की अंजी वाघा बार्डर से होते हुए पाकिस्तान में दाखिल हुई थी। उस वक्त अंजू ने एक रील बनाई थी, जिसमें उसने बताया था कि वो पाकिस्तान में कैसे दाखिल हुई है। अंजू ने बताया है कि वह वैध तरीके से पाकिस्तान आई है। ये कोई एक-दो दिन का मामला नहीं है, वो पूरी प्लानिंग के साथ पाकिस्तान आई है।उसने बताया कि फेसबुक पर उसकी दोस्ती नसरुल्लाह से हुई थी और उसी से मिलने के लिए वह पाकिस्तान आई है।

जातीय हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ से हालात भयानक, कौन हैं कुकी जनजाति, मणिपुर में इनके खिलाफ क्यों हो रही है इतनी हिंसा, जान लीजिए

मणिपुर की हिंसा ने यहां के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जातीय हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ से यहां हालात भयानक हो गए हैं। इससे बचने के लिए हजारों लोग अपने मकानों को छोड़कर पड़ोसी राज्यों की ओर भाग रहे हैं। मणिपुर हिंसा की वजह से भारी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। लेकिन Manipur में इतनी भयानक स्थिति बनी कैसे बनी। यहां डिटेल में पढ़िए।

कुकी जनजातियां कौन हैं

कुकी जनजाति भारत के मणिपुर और मिजोरम राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में एक जनजातीय समूह हैं। कुकी भारत, बांग्लादेश, और म्यांमार में पाए जाने वाले कई पहाड़ी जनजातियों में से एक हैं। उत्तर पूर्व भारत में, अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर वे सभी राज्यों में मौजूद हैं। उत्तर पूर्व भारत में कहा जाता है कि कुकी जनजातियों को बनाने वाले और उनमें शामिल होने वाले 20 से अधिक उप-जनजातियां हैं।

कुकी समुदाया ने शुरू किया विरोध

भारत सरकार ने 1956 तक कुकी जनजातियों को "एनी कुकी ट्राइब" के रूप में मान्यता दी थी। भारत में करीब पचास जनजातियों को उनकी बोली बोलने और उनके मूल स्थान के आधार पर अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दी गई है।

कुकी और मणिपुर में उभरते विद्रोह के पीछे जनजातीय पहचान का संघर्ष है। यह दावा किया गया है कि कुछ विद्रोही कुकी समूह एक ऐसे कुकीलैंड की मांग कर रहे थे, जिसमें वो भारत का हिस्सा ना रहें, जबकि दूसरे कुकी समूह एक ऐसे कुकीलैंड की मांग कर रहे थे, जो पूरी तरह से भारत के अंदर आता था।

कब और कैसे शुरू हुई मणिपुर हिंसा

मणिपुर में हिंसा 3 मई को भड़की, जब पहाड़ी जिलों में "ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च" आयोजित किया गया था, जिसमें मेइते समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे के खिलाफ विरोध किया गया था। इस हिंसा में कई लोगों की जान जाने की खबर है।

क्या है मणिपुर में हिंसा की मुख्य जड़

मणिपुर हिंसा के 2 मुख्य कारण हैं। पहला है बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का फैसला जिसका, इस फैसले का कुकी (Kuki) और नागा (Naga) कम्युनीटी के लोग विरोध कर रहे हैं। बता दें कि Kuki और Naga समुदाय को देश की आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा प्राप्त है। दूसरा कारण है गवर्नमेंट लैंड सर्वे बताया जा रहा है कि यहां भाजपा समर्थित राज्य सरकार ने एक अभियान चलाया है, जिसमें रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन्य क्षेत्र को यहां के आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने को कहा गया है। जिसका कुकी समुदाय के लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं।

मणिपुर में क्या है कुकी, मैतेई और नगाओं की आबादी का गणित

मैतेई को मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय बताया जाता है। राजधानी इंफाल में भी इनकी एक बड़ी आबादी है। आमतौर पर मणिपुरी कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार ये लोग राज्य की कुल आबादी का 64.6 प्रतिशत हैं, लेकिन बता दें कि मणिपुर के लगभग 10 प्रतिशत भूभाग पर ही ये निवास करते हैं। इनमें अधिकांश मैतेई हिंदू हैं और 8 प्रतिशत मुस्लिम हैं।

इसके अलावा मैतेई समुदाय का मणिपुर विधानसभा में अधिक लीडरशिप भी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मणिपुर राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 इंफाल घाटी इलाके से हैं। बताया जाता है कि ये वो एरिया है, जहां अधिकतर मैतेई लोग रहते हैं।

दूसरी ओर, मणिपुर की आबादी में कुकी और नगा आदिवासी भी हैं। इनकी आबादी यहां करीब 40 फीसदी है। बता दें कि कम संख्या के बावजूद वो मणिपुर की 90 प्रतिशत जमीन पर बसते हैं। इस तरह, यहां के पहाड़ी भौगोलिक इलाके की 90 प्रतिशत जमीन पर राज्य की 35 प्रतिशन मान्यता प्राप्त जनजातियां हैं, जबकि इस इलाके से सिर्फ 20 विधायक ही विधानसभा जाते हैं।

बता दें कि जिन 33 समुदायों को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, वो नागा और कुकी-जोमिस जनजाति के हैं, और मुख्य रूप से ईसाई हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मणिपुर राज्य में हिंदुओं और ईसाइयों की करीब-करीब बराबर आबादी है। यानी कि इन दोनों की ही आबादी करीब 41 प्रतिशत है। बस पूरा मामला यही है।

देश के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों में से एक गीतिका शर्मा केस में अदालत का फैसला, जानिए, मुख्य आरोपी विधायक गोपाल कांडा का क्या हुआ

देश के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों में से एक गीतिका शर्मा केस में अदालत का फैसला आ चुका है। इस केस में हरियाणा के विधायक गोपाल कांडा मुख्य आरोपी थे। इस मामले के चलते गोपाल कांडा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। वह आरोपों से बरी हो गए हैं। 2012 में गीतिका शर्मा की मौत के बाद यह मामला बेहद चर्चित हुआ था। गोपाल कांडा को उस कांड के बाद से देश भर में चर्चा मिली थी। 

घटना 5 अगस्त 2012 की है, जब दिल्ली के अशोक विहार में 23 साल की एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा अपने कमरे में मृत पाई गई थी। अपने सुसाइड नोट में उसने हरियाणा की कांग्रेस सरकार में पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल गोयल कांडा पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में गीतिका ने एक अन्य व्यक्ति को भी आरोपी बनाया था। कांडा एक प्रभावशाली राजनेता और व्यवसायी थे, जो भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में कद्दावर मंत्री थे। आरोपों के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

गीतिका और कांडा के बीच कनेक्शन

गीतिका शर्मा, गोपाल कांडा की एमएलडीआर एयरलाइंस की पूर्व एयर होस्टेस थी। जिन्हें बाद में उन्हें कंपनी के निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया था। गीतिका के सुसाइड के कुछ समय बाद उनकी मां ने भी कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में भी परिवारवालों ने कांडा पर आरोप लगाए। परिवारवालों का आरोप था कि गोपाल कांडा के जुल्म के चलते गीतिका को यह कदम उठाना पड़ा। कांडा इस मामले में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिनमें 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी), 201 (सबूत नष्ट करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 466 (जालसाजी) शामिल हैं

बलात्कार की धाराएं कोर्ट ने कीं रद्द

इससे पहले गोपाल कांडा के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में बलात्कार (376) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के आरोप भी तय थे, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन्हें रद्द कर दिया।

अपने चीनी समकक्ष को अजित डोभाल की दो टूक, कहा- रणनीतिक विश्वास और रिश्ता धीरे-धीरे खत्म हो रहा

#nsa-ajit_doval_meeting_with_wang_yi 

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसी दौरान डोभाल ने भारत-चीन के रिश्तों को लेकर बड़ी बात कह दी।डोभाल और वांग की मुलाकात सोमवार को जोहानिसबर्ग में ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक के इतर हुई।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी से मुलाकात के दौरान दो टूक कहा है कि 2020 के बाद से दोनों देशों के बीच का रणनीतिक विश्वास और रिश्ता धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।

एनएसए डोभाल और वांग यी की मुलाकात को लेकर मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया बैठक के दौरान, एनएसए ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास और रिश्ते को धीरे-खत्म कर दिया है।बयान में यह भी कहा गया है कि 'एनएसए ने समस्या को सुलझाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों पर जोर दिया। ताकि द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के रास्ते में आने वाली मुश्किलों को दूर किया जा सके।

वांग ने कहा- देशों को आपसी रणनीतिक विश्वास बढ़ाना चाहिए

वहीं, चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक, डोभाल से मुलाकात में वांग ने कहा कि दोनों देशों को आपसी रणनीतिक विश्वास बढ़ाना चाहिए, आम सहमति और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बाधाओं को दूर करना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द मजबूत तथा स्थिर विकास के रास्ते पर ले जाना चाहिए। ‘शिन्हुआ’ के अनुसार, वांग ने जोर देकर कहा कि चीन कभी आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास नहीं करेगा और वह बहुपक्षवाद और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण का समर्थन करने और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के अधिक न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सहित अन्य विकासशील देशों के साथ काम करने को तैयार है।

एस जयशंकर ने भी वांग यी से की थी बात

बता दें कि डोबाल और वांग यी की ये मुलाकात विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा इंडोनेशियाई राजधानी जकार्ता में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के विदेश मामलों के आयोग के कार्यालय के निदेशक वांग से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हुई है।विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की थी।

लंबे समय से भारत-चीन के बीच तनाव

गौरतलब है, लंबे समय से भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। जयशंकर ने इस मुद्दे को अपने लंबे राजनयिक करियर की सबसे जटिल चुनौती बताया है। भारत का कहना है कि जब तक सीमा क्षेत्र में शांति नहीं होगी तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

विपक्षी गठबंधन पर पीएम मोदी के तंज पर राहुल गांधी का पलटवार, कहा-आप कुछ भी बुलाएं, हम INDIA हैं

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विपक्षी दलों के गठबंधन के नाम INDIA को लेकर तनातनी जारी है।इस क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपक्षी गठबंधन पर दिए बयान को लेकर पलटवार किया है। राहुल गांधी ने कहा, पीएम मोदी आप जो चाहें कह लीजिए, हम INDIA हैं। बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने विपक्षी गठबंधन (इंडिया) पर तंज कसते हुए देश का अब तक का सबसे ‘दिशाहीन' गठबंधन करार दिया। पीएम ने ईस्ट इंडिया कंपनी तथा इंडियन मुजाहिदीन जैसे नामों का हवाला देते हुए कहा कि केवल देश के नाम के इस्तेमाल से लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा वार करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि हम मणिपुर को संवारने और हर महिला-बच्चे के आंसू पोंछने का काम करेंगे। हम लोगों के बीच शांति और प्यार लाएंगे। हम भारत की सोच को मणिपुर में लागू करेंगे।

इंडिया से ही नफ़रत करने लग गए- कांग्रेस

वहीं,पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ट्वीट किया, ‘‘ मोदी जी, आप कांग्रेस विरोध में इतने अंधे हो गए कि इंडिया से ही नफ़रत करने लग गए। सुना है आज कुंठा में आ कर आपने इंडिया पर ही हमला बोल दिया।''

क्या कहा था पीएम मोदी ने?

इससे पहले संसद में जारी गतिरोध के बीच मंगलवार को भाजपा के संसदीय दल की बैठक हुई। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के नए नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस (INDIA) पर तंज कसा और कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी में भी इंडिया था और इंडियन मुजाहिदीन में भी इंडियन है, लेकिन सिर्फ इंडिया नाम रखने से इंडिया नहीं हो जाता। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष पूरी तरह से दिशाहीन है।

हर साल 26 जुलाई का दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जुलाई 2023 को कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव 

भारत और पाकिस्तान कई मुद्दों पर अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक दूसरे के सामने होते हैं, लेकिन एक वो दौर भी था, जब भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे से कारगिल की ऊंची चोटियों को आजाद कराया था। इसके लिए देश के वीरों ने अपनी जान तक न्योछावर कर दी थी। कई सैनिक शहीद हुए, लेकिन कारगिल युद्ध में विजय भारत के नाम कर गए। इतिहास के पन्नों पर ये दिन गौरव का दिन हैं। भारतीय सेना के सम्मान का दिन है। इसलिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर देश के शहीदों को याद व नमन किया जाता है। अगर आप 26 जुलाई 1999 के उस दिन के बारें में विस्तार से जानेंगे, तो देशभक्ति आपके भी रगो में लावा बनकर धधकेगी। आपका भी गर्व से सीना चौड़ा हो जाएगा। साल 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीमा विवाद को लेकर कारगिल का युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तानी सेना ने भारतीय क्षेत्र कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था लेकिन भारत के जबांज सैनिकों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया। भारतीय सेना ने "ऑपरेशन विजय" को अंजाम देते हुए के टाइगर हिल और अन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया। हमारे जवानों के लिए ये जंग आसान नहीं रही होगी। लद्दाख के कारगिल ने पाकिस्तानी सेना के साथ 60 दिनों से अधिक समय तक युद्ध जारी रहा।

कारगिल दिवस मनाने का उद्देश्य

इस दिन भारत पाकिस्तान युद्ध में देश की जीत के तौर पर देखा जाता है, हालांकि कारगिल विजय दिवस मनाने का उद्देश्य सैकड़ों शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देना है। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिकों की शहादत के साथ पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने भी जान गंवाई। वहीं भारत पाक कारगिल युद्ध में 453 आम नागरिकों की भी मौत हो गई।

कारगिल विजय दिवस की गाथा

इसके बाद भारत सरकार ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू करते हुए लगभग दो महीने की लंबी लड़ाई जारी रखीं। 2 लाख भारतीय सैनिकों ने इस युद्ध हिस्सा लिया। शुरुआत में पाकिस्तान में भारतीय नियंत्रण सीमा क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन भारतीय सेना की रणनीति और साहस के सामने पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। पहले भारत ने रणनीतिक परिवहन मार्गों पर कब्जा किया। फिर स्थानीय चरवाहों से खुफिया जानकारी प्राप्त की। उसके बाद थल सेना ने भारतीय वायुसेना की मदद से जुलाई के अंतिम सप्ताह में विजय होकर युद्ध का अंत कर दिया।

भारतीय सेना द्वारा घोषित विजय

कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए। उनके जैसे कई वीर सपूतों ने सेना के मिशन को सफल बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। जिसके बाद 26 जुलाई 1999 को भारतीय युद्ध में विजय की घोषणा की।

केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में विपक्ष? जानें बीजेपी ने क्या कहा

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मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों में गतिरोध जारी है। मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लेकर विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा हुआ है। हालांकि, सरकार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष की शर्तें उसे मंजूर नहीं है। इसी बीच एक ओर संसद में भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई। वहीं, सदन के पटल पर रणनीति पर चर्चा करने के लिए संसद में राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष कक्ष में समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं की भी बैठक हुई।खबर मिल रही है कि भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) में शामिल कुछ विपक्षी दल लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस ला सकते हैं। मंगलवार सुबह 'इंडिया' के घटक दलों की बैठक में नोटिस सौंपने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई।

सूत्रों के मुताबिक मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री मोदी को संसद में बोलने के लिए मजबूर करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा शुरू करने के लिए मजबूर करने का यह एक प्रभावी तरीका होगा। सूत्रों ने कहा कि मणिपुर पर सरकार को घेरने की विपक्ष की रणनीति राज्यसभा में भी जारी रहेगी।

बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव से मिलने वाली चुनौती पर सरकर ने तंज कसा। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्ष ने इससे पहले भी 2019 चुनाव से पहले अविश्वास प्रस्ताव लाया था और उस पर लंबी चर्चा हुई थी और उसका परिणाम बाद में देखने को मिला। हमें यानी एनडीए को 2014 से भी अधिक सफलता मिली और हम 300 से अधिक सीट लेकर फिर से सरकार में आए। इस बार भी विपक्ष अगर अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो हमारी सीट 2019 से भी अधिक आएगी। उनके प्रस्ताव से हमें कोई दिक्कत नहीं है।

बता दें कि विपक्षी दल मणिपुर मुद्दे पर लंबी चर्चा की मांग कर रहे हैं। इसके लिए कई विपक्षी सांसदों ने स्थगन नोटिस दिया था। विपक्ष इस मुद्दे पर बिना किसी समय की पाबंदी के सभी दलों को बोलने की अनुमति के साथ बहस चाहता है। इसी को लेकर गुरुवार को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से लगातार विपक्ष इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर सरकार ने विपक्ष पर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाया है और इसके प्रति उनकी गंभीरता पर सवाल उठाया है। विपक्ष ने भी सरकार पर पलटवार करते हुए बहस से भागने का इल्जाम लगाया है।