*भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का 95 वां स्थापना दिवस मना*
नवाबगंज,/गोण्डा। कृषि संकाय नंदिनी नगर महाविद्यालय द्वारा आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 95वॉ स्थापना दिवस के मौके पर मंच पर उपस्थित विशिष्ठ अतिथियों मेजर राजेश द्विवेदी, मेजर राजा राम, ले० अमिताभ पाण्डेय ,डॉ बीएल सिंह, डॉ करुलेश यादव,ले०आनंद पाण्डेय,प्रशासक डॉ राम कृपाल सिंह, अन्य समस्त सम्मानित अध्यापको एवं अभिभावकों ने मां सरस्वती जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर शुभारंभ कर बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर देश के वैज्ञानिकों कर्मचारियों व देश के किसानों और युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में हरित क्रांति लाने और उसके बाद कृषि में निरंतर विकास में अपने अनुसंधान व प्रौद्योगिकी विकास ने जबरदस्त भूमिका निभाई है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ना केवल देश को आयतक राष्ट्र के बजाय एक निर्यातक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया, बल्कि खाद्यान्न के मामले में आप निर्भरता और पोषण संबंधी सुरक्षा भी दी है। परिषद के कुशल वैज्ञानिकों के अनुसंधान परिणामों और किसान भाइयों की कड़ी मेहनत से आज देश में अनाज के भंडार भरे पड़े हैं।
पशुपालन हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा है। खेती का लाभ ही गाय से है, इसके लिए हमें वैज्ञानिको की मदद लेनी चाहिए और किसान पहले से ही अपने यहां बगीचा लगाते हैं वह भी बिना कार्बन के जो बहुत ही मुश्किल होता है इस काम के लिए लोगों को अधिक खर्चा करना पड़ता है।
प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी सरकार का मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास,और सबका विश्वास' को ध्यान में रखकर भारत देश की GDP दर में काफी बढ़ोतरी हुई है इसमें किसान और वैज्ञानिकों का पूरा सहयोग है हमें एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा हम सबको देश की नई तकनीक को और आगे ले जाना होगा और नई तकनीकों से भी कहीं अधिक तकनीक को लाना होगा देश के किसानों को जागरूक होने की काफी जरूरत है किसानों को एक साथ संगठित होना होगा।
आईसीएआर के ऊपर किसान भाइयों को काफी भरोसा और उत्साहित है। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में उपस्थित एनसीसी कैडेट्स, कृषि विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राओं, किसान भाइयों, युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हरित, शिक्षित और स्वास्थ्य देवीपाटन मंडल के संकल्पों को पूरा करने का आवाहन किया।
अपने जीवन में अच्छी कविताएं, अच्छी किताब, अच्छे दोस्त, और युवाओं से जुड़ी विभिन्न प्रसिद्ध कविताओं के माध्यम से जीवन के कठिन और संघर्षों के समय में सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं। और रश्मिरथी के तृतीय सर्ग वो ही शुरमा निकलते है बढ़कर विपत्तियों पर छा जा। मेरे किशोर ! मेरे ताजा! जीवन का रस छंद जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे, तू स्वयं तेज भयंकारी है! और ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई।
कौन विघ्न ऐसा जग में,टिक सके आदमी के मग में?खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है। जैसे कविताओं के माध्यम से लोगों को संबोधित करते हुए अपनी जीवनशैली में सीख लेने की प्रेरणा दी।

Jul 17 2023, 18:07