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पीएम मोदी को मिला फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, "ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर" से नवाजे गए पहले भारतीय प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के दौरे पर हैं। इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी को फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान "ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर" से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें दौरे के पहले ही दिन दिया गया। ये फ्रांस का सैन्य और सिविल दोनों ही क्षेत्रों में सबसे बड़ा सम्मान है। पीएम मोदी ऐसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें यह सम्मान से दिया गया है। 

पीएम मोदी से पहले ये दिग्गज हो चुके हैं सम्मानित

पीएम मोदी से पहले दुनिया के कई नेताओं को इस सम्मान से सम्मानित किया गया है. पीएम मोदी से पूर्व दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, वेल्स के तत्कालीन राजकुमार किंग चार्ल्स, जर्मनी के पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव सहित्स के तत्कालीन राजकुमार किंग चार्ल्स, जर्मनी के पूर्व चांसलर अन्य नेता शामिल हैं।ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर सम्मान को दुनिया भर के केवल उन प्रमुख नेताओं और प्रतिष्ठित हस्तियों को प्रदान किया गया है, जिनकी वैश्विक मंच पर मजबूत छवि होती है और जो अदभुद, असाधारण और देश-विदेश में लोकप्रिय व ताकतवर भी होते हैं।

9 सालों में मिला 14वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान

पीएम मोदी को पिछले 9 सालों में मिलने वाला ये यह 14वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिस्री की राजधानी काहिरा यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी द्वारा मिस्र के सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' से सम्मानित किया गया था। 1915 में स्थापित, 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' उन राष्ट्राध्यक्षों, राजकुमारों और उपराष्ट्रपतियों को प्रदान किया जाता है जो मिस्र या मानवता को अमूल्य प्रदान करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी को अब तक कौन-कौन से सम्मान मिले?

इससे पहले पीएम मोदी को जून 2023 में मिस्र द्वारा ऑर्डर ऑफ द नाइल, मई 2023 में पापुआ न्यू गिनी द्वारा कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू, मई 2023 में कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी, मई 2023 में पलाऊ गणराज्य द्वारा एबाकल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।वहीं, 2021 में भूटान ने ड्रुक ग्यालपो, 2020 में अमेरिकी सरकार द्वारा लीजन ऑफ मेरिट, 2019 में बहरीन द्वारा किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां, 2019 में मालदीव द्वारा ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन, रूस द्वारा ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू पुरस्कार, 2019 में यूएई द्वारा ऑर्डर ऑफ जायद अवॉर्ड, 2018 में ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन अवॉर्ड, 2016 में अफगानिस्तान द्वारा स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्लाह खान और 2016 में सउदी अरब द्वारा ऑर्डर ऑफ अब्दुलअजीज अल सऊद से पीएम को नवाजा गया था।

भारत पर दुनियाभर की निगाहें, आज लॉन्च होगा चंद्रयान-3, और कुछ घंटों का इंतजार

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भारत आज अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाने वाला है। भारत के लिए शुक्रवार का दिन काफी अहम होने जा रहा है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज चांद पर उतरने की एक और कोशिश करने जा रहा है। देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई है। चंद्रयान 3 शुक्रवार दोपहर श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से 2:35 बजे लॉन्च होने वाला है।

इसरो के इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चांद पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करना है, जो चंद्रयान-2 सही तरीके से नहीं कर पाया था। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में 25 घंटे पहले लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। इसरो का फैट ब्वाय कहा जाने वाला जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट चंद्रयान को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा। लॉन्चिंग के बाद रॉकेट इसे पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक ले जाएगा। इस दौरान रॉकेट 36 हजार किमी/घंटे की अधिकतम रफ्तार तक सफर करेगा। इसे पूरा करने में इसे 16 मिनट लगेंगे। पहले पृथ्वी के आर्बिट और उसके बाद चंद्रमा के आर्बिट में चक्कर लगाते हुए, आज से ठीक 41 दिन बाद चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर लैंडिंग 24 से 25 अगस्त के बीच होगी।

चांद पर लैंडिंग में हो सकता है बदलाव

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को तय की गई है, लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितंबर में कर सकता है।

 

चंद्रयान-3 के साथ नहीं जाएगा ऑर्बिटर

चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी लैंडर और रोवर भेजा जाएगा, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले मून मिशन का ऑर्बिटर अभी भी अंतरिक्ष में काम कर रहा है।

भारत के चंद्रयान-3 पर पूरी दुनिया की निगाहें

भारतीय वैज्ञानिकों के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नज़रें लगी हुई हैं। चांद की सतह पर उतरने की भारतीय वैज्ञानिकों की ये दूसरी कोशिश है। अगर भारत चांद की सतह पर उतरने में कामयाब हो जाता है तो वो दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश हो जाएगा जो ये कामयाबी हासिल करेगा। चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश भी बन जाएगा। ये वही इलाका है जहां चंद्रयान टू का लैंडर विक्रम चांद की सतह से कुछ ही दूरी पर क्रैश हो गया था। लिहाजा आज पूरी दुनिया की निगाहें इसलिए भी हमारे ऊपर टिकी हैं।

पेरिस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, लगे 'मोदी-मोदी' के नारे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंच गए हैं। पेरिस के ओरली हवाई अड्डे पर उनका विमान उतरा। पीएम मोदी का पेरिस एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत किया गया। फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने पीएम मोदी की अगवानी की। पीएम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

एयरपोर्ट से पीएम मोदी पेरिस के होटल प्लाजा एथेनी पहुंचे हैं। होटल के बाहर भारी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग पीएम मोदी के स्वागत के लिए एकत्र हुए थे। उन्होंने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाकर पीएम मोदी का स्वागत किया।पीएम मोदी के स्वागत के लिए भारतीय समुदाय के लोग ढोल लेकर पहुंचे थे। कुछ लोग पीएम मोदी तस्वीरें और हाथ में तिरंगा लिए 'मोदी-मोदी' के नारे लगाते नजर आए।

अपनी दो दिनी यात्रा पर फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचे पीएम मोदी ने ट्वीट किया। ट्वीट संदेश में उन्होंने लिखा कि ‘पेरिस पहुंच गया। इस यात्रा के दौरान भारत-फ्रांस सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हूं। आज मेरे विभिन्न कार्यक्रमों में शाम को भारतीय समुदाय के साथ बातचीत शामिल है।

पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा दो दिनों की है और वे पेरिस में आयोजित फ्रांसीसी राष्ट्रीय दिवस समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस दिवस को बैस्टिल डे के रूप में भी जाना जाता है। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भव्य बैस्टिल डे परेड में भारतीय ट्राई-सर्विस दल की भागीदारी होगी। इस दौरान भारतीय वायु सेना एक प्रभावशाली फ्लाई-पास्ट करेगी, जोकि दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी।

बैस्टिल डे परेड में मुख्य अतिथि होंगे पीएम मोदी

पीएम मोदी 14 जुलाई को बैस्टिल डे परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। इस परेड में तीनों सेनाओं के भारतीय सशस्त्र बलों का एक दस्ता भी भाग लेगा। बैस्टिल डे समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की 269 सदस्यीय तीनों सेनाओं की टुकड़ी दो सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों में सवार होकर गुरुवार को पेरिस के लिए रवाना हुई थी। इसमें फ्रांसिसी लड़ाकू विमानों के साथ भारतीय वायु सेना के कम से कम 3 राफेल लड़ाकू विमान भी हिस्सा लेंगे।

एलिसी पैलेस में होगा पीएम मोदी का पारंपरिक स्वागत

शुक्रवार को ही एलिसी पैलेस में प्रधानमंत्री मोदी का पारंपरिक स्वागत किया जाएगा और इसके बाद मोदी एवं मैक्रॉन के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता होगी। दोनों नेता भारत-फ्रांस सीईओ फोरम में भी हिस्सा लेंगे। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि दोनों नेता सामरिक गठजोड़ के महत्वपूर्ण स्तम्भों की समीक्षा करेंगे जिसमें सुरक्षा, असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी, आतंकवाद से मुकाबला, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष, जलवायु परिवर्तन आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि दोनों नेता अंतरिक्ष में नए क्षेत्रों में सहयोग के रास्ते तलाश कर सकते हैं।

चंद्रयान-3 मिशन: लॉन्च की उलटी गिनती शुरू, 'विक्रम' लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग पर टिकी निगाहें

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भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक लंबी छलांग लगाने को तैयार है। भारत अंतरिक्ष में लगातार रिसर्च की नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा । इसी क्रम में स्पेस के क्षेत्र में शुक्रवार का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक होने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो चंद्रयान मिशन-3 लॉन्‍च करेगी। श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2.35 बजे रॉकेट चांद को छूने के लिए उड़ पड़ेगा।

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशनों के बाद, अब नए मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर भारत की तकनीकी कौशल और वैज्ञानिक क्षमताओं को प्रदर्शित करना है। 2019 में, इसरो ने चंद्रयान-2 लॉन्च किया, जिसके सॉफ्ट लैंडिंग प्रयास के दौरान कई चुनौतियां थीं, लेकिन एक बार फिर नई तरह से मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है। चंद्रयान-3 असल में चंद्रयान-2 का फॉलो-ऑन मिशन है। नए मिशन के साथ, भारत चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतरने और उसकी सतह का पता लगाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेगा। दूसरे मिशन की असफलता के चार साल बाद तीसरा चंद्रयान मिशन भारत के लिए बेहद खास है। यह उसे उन सबसे शक्तिशाली देशों के क्‍लब में खड़ा कर देगा जो अब तक चांद पर अपने स्‍पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं। इनमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं।

चंद्रयान-3 के मिशन मॉड्यूल

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में तीन मॉड्यूल हैं- लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर मॉड्यूल। चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 की तरह एक रोवर और लैंडर होगा। हालांकि ऑर्बिटर नहीं है। चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए लॉन्च व्हीकल मार्क-3 रॉकेट (LVM-3) लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है। लॉन्चिंग के बाद लॉन्च व्हीकल मार्क-3 रॉकेट (LVM-3) के जरिए सैटेलाइट को लोअर अर्थ ऑर्बिट में छोड़ा जाएगा। इसके बाद चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर एक इंजेक्शन कक्षा से 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा तक ले जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल धरती के चारों तरफ अलग-अलग समय पर पांच चक्कर लगाएगा। पांचों चक्कर पूरा करने के बाद चंद्रयान-3 सोलर ऑर्बिट में पहुंच जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा चंद्रमा के चारों तरफ पांच चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान-3 की लैंडिंग होगी। 

पिछली गलतियों में सुधार के साथ ही किए गए कई बदलाव

पिछले मिशन की असफलताओं से सीखने के बाद इसरो ने इसमें जरूरी सुदार किए हैं। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया है कि लॉन्च व्हीकल मार्क-3 चंद्रयान-3 को धरती से सबसे दूर के पॉइंट एपोजी में 36,500 किमी पर प्‍लेस कर देगा। चंद्रयान-2 मिशन में यह दूरी 45,475 किमी थी। धरती से सबसे पास के पॉइंट की दूरी दूसरे मिशन की तरह 170 किमी रहेगी। ऐसा स्‍टेबिलिटी के लिए किया जा रहा है। लैंडर विक्रम में कई तरह के बदलाव हुए हैं। मसलन, उसके पैरों को ज्‍यादा मजबूत किया गया है। नए सेंसर लगाए गए हैं। सोलर पैनल से उसे लैस किया गया है। एक सबसे बड़ा बदलाव जो हुआ है वह है लैंडिंग एरिया का बढ़ाया जाना। चंद्रयान मिशन-2 में लैंडिंग साइट 500 मीटर गुणा 500 मीटर थी। इसके सेंटर में इसरो ने लैंडिंग की योजना बनाई थी। इसके कारण कुछ सीमा बन गई थी। अब लैंडिंग साइट को 4 किमी गुणा 2.5 किमी है। कोशिश तो सेंटर पॉइट पर उतरने की ही होगी। लेकिन, इस क्षेत्र के आसपास भी विक्रम उतर सकता है। इससे विक्रम को ज्‍यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी।

एक महीने बाद चंद्रमा तक पहुंचेगा यान

बता दें कि लॉन्च किए जाने वाले अंतरिक्ष यान एक महीने बाद पृथ्वी से चंद्रमा तक की यात्रा पूरा करेगा। लैंडिंग 23 अगस्त को होने की उम्मीद है। लैंडिंग के बाद, यह एक चंद्र दिवस तक काम करेगा, जो लगभग 14 पृथ्वी दिवस के बराबर है। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है।

देश के दुश्मन अब नहीं लेंगे दम, 26 राफेल-तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदेगा भारत, पीएम मोदी के फ्रांस दौरे से पहले हुई बड़ी डील

#dac_approved_proposals_for_buying_26_rafale_and_three_scopene_submarines

भारत की सीमाओं पर दुश्मनों की नजर है। ऐसे में भारत लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगा है। इसी क्रम में देश की ताकत में अब और इजाफा होने जा रहा है। दरअसल, भारत ने 26 और नए राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है। पीएम मोदी के फ्रांस दौरे से ठीक पहले ये बड़ी डिफेंस डील हुई है।

समाचार एजेंसी के मुताबिक, डीएसी ने तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के साथ राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने की मंजूरी दी। डीएसी ने 22 राफेल एमएस और 4 ट्विन सीटर ट्रेनर संस्करणों को मिलाकर 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने उस दिन इस योजना को मंजूरी दी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय पेरिस यात्रा शुरू हो रही है। डीएसी रक्षा खरीद पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है। एक रक्षा अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के साथ 22 राफेल एम और चार दो सीटों वाले ट्रेनर संस्करणों सहित 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।

बताया जा रहा है कि भारत और फ्रांस के बीच 90 हजार करोड़ रुपये की डील हुई है। इस डील के प्रस्तावों पर रक्षा मंत्रालय में पहले ही उच्च-स्तरीय बैठकों में चर्चा हो चुकी है। इसे डीएसी के सामने रखा गया, जहां इस डील को मंजूरी दे दी गई।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो देशों के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। आज सुबह पीएम मोदी फ्रांस के लिए रवाना हुए। पीएम मोदी के फ्रांस लैंड करने से पहले ये बड़ी खबर आ गई। बता दें कि भारत जो नए 26 राफेल खरीद रहा है उसमें 22 राफेल-MS और 4 ट्विन सीटर ट्रेनर वर्ज़न शामिल हैं। भारत फ्रांस से 3 स्कोपीन क्लास की सबमरीन भी खरीदेगा।

गौरतलब है कि 13 और 14 जुलाई को पीएम मोदी फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। फ्रांस में पीएम मोदी के स्वागत की भव्य तैयारी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के आमंत्रण पर पीएम मोदी का ये दौरा हो रहा है, जहां मोदी फ्रांस के नेशनल डे कार्यक्रम में चीफ गेस्ट होंगे। साथ ही वह इंडियन डायस्पोरा और कई बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे। मोदी का ये दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत-फ्रांस के स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप अपना सिल्वर जुबली मना रहा है।

सुप्रीम कोर्ट को दो नए जज मिले, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उज्जवल भूइयां और केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एसवी भट्टी को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की दी मंजूरी


सुप्रीम कोर्ट को दो नए जज मिल गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उज्जवल भूइयां और केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एसवी भट्टी को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। दोनों जजों की नियुक्ति के साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट में कुल जजों की संख्या 32 हो गई है। दो जजों के पद अभी भी खाली हैं। जस्टिस भूइयां का कार्यकाल 2 अगस्त 2029 तक होगा तो जस्टिस भट्टी 6 मई 2027 तक सुप्रीम कोर्ट में रहेंगे।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 5 जुलाई को जस्टिस उज्जवल भूइयां और जस्टिस एसवी भट्टी का नाम केंद्र सरकार को भेजा था। दोनों जजों का नाम भेजते वक्त सीनियॉरिटी से लेकर मेरिट और परफॉर्मेंस जैसी चीजों पर गौर किया गया था।

कौन हैं जस्टिस उज्जवल भूइयां? 

जस्टिस उज्जवल भूइयां का जन्म 2 अगस्त 1964 को गुवाहाटी में हुआ था। जस्टिस भूइयां ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लिखाई डॉन बॉस्को हाईस्कूल से की। उसके बाद गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज चले गए। फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद गुवाहाटी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की।

जस्टिस भूइयां ने 30 मार्च 1991 को बतौर एडवोकेट एनरोलमेंट कराया और प्रैक्टिस शुरू की। लंबे वक्त तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपने पिता सुचेंद्रनाथ भूइयां के साथ वकालत करते रहे थे। जस्टिस भूइयां के पिता भी सीनियर एडवोकेट रहे हैं। जस्टिस भूइयां, जज बनने से पहले 16 साल तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के स्टैंडिंग काउंसिल रहे। साल 1995 में बतौर जूनियर स्टैंडिंग काउंसिल शुरुआत की थी और बाद में प्रमोट हो गए थे।

2011 में जज बने थे जस्टिस भूइयां

जस्टिस भूइयां 17 अक्टूबर 2011 को गुवाहाटी हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त हुए और 20 मार्च 2013 को उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया था। इसके बाद अक्टूबर 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्त हुए और करीब 2 साल सेवा देने के बाद तेलंगाना हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। यहीं 28 जून 2022 को चीफ जस्टिस बने थे।

एक इंटरव्यू में जस्टिस भूइयां कहते हैं कि मैंने वकालत की शुरुआत अपने पिता के साथ की थी। बाद में जब मुझे जज का ऑफर मिला तो मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। मैं सोच रहा था कि क्या बतौर जज मैं अपनी भूमिका ढंग से निभा पाऊंगा? इसी दौरान दो ऐसे वाकये हुए जो आज तक नहीं भूल पाया हूं। एक उस शाम का है जिस दिन में पहली बार बतौर जज शपथ ले रहा था और एक जज बनने के कुछ हफ्ते बाद का।

जस्टिस भूइयां आजतक नहीं भूल पाए हैं दो वाकये

जस्टिस भूइयां बताते हैं कि जिस दिन मुझे पहली बार शपथ लेनी थी, उसी शाम मुझे जस्टिस बीपी शराफ का खत मिला। वह मेरे पिता के अजीज दोस्त थे और जम्मू हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे थे। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा था ‘कोर्ट में लोग थक-हारकर न्याय की गुहार लेकर आते हैं, इसलिए कभी भी उनके प्रति नकारात्मक नहीं होना…’।

दूसरा जब मैं जज बना तो कुछ हफ्तों बाद ही सिंगल बेंच के रोस्टर में लग गया। चूंकि मैं नया जज था तो एक दिन पहले ही सारी फाइलें पढ़कर जरूरी नोटिंग तैयार कर लेता था। एक केस ऐसा आया जिसे मैंने खारिज करने का मूड बना लिया था। अगले दिन कोर्ट पहुंचा तो मेरे दोस्त निशितेंदु चौधरी याचिकाकर्ता की तरफ से बहस कर रहे थे। उन्होंने जो दलीलें दीं, उसके बाद न सिर्फ मैंने नोटिस जारी किया बल्कि अंतरिम राहत भी दे दी। बाद में मैंने सोचा कि हमेशा आंखें खुली रखनी चाहिए।

गीत-संगीत और एक्टिंग में रुचि

जस्टिस भूइयां की संगीत और एक्टिंग में दिलचस्पी है। लेकिन दो चीजों का मलाल है। पहला गिटार न बजा पाना और स्विमिंग न कर पाना। कहते हैं कि मेरी दिली तमन्ना है कि गिटार बजाना सीखूं। लेकिन यह ख्वाहिश अधूरी है। जस्टिस भूइयां के कई फैसले काफी मशहूर रहे हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट में रहते हुए उन्होंने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि प्रत्येक महिला को बच्चा रखने का अधिकार है, भले ही वह प्राकृतिक तौर पर पैदा हुआ हो या सरोगेसी के जरिए।

कौन हैं जस्टिस एसवी भट्टी? 

6 मई 1962 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर में जन्मे जस्टिस एसवी भट्टी का पूरा नाम सरसा वेंकटनारायण भट्टी है। उन्होंने बेंगलुरु के जगद्गुरू रेणुकाचार्य कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की है और जनवरी 1987 में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की थी। वकालत के दिनों में हिंदुस्तान शिपयार्ड से लेकर आंध्र प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, इंडियन मैरिटाइम यूनिवर्सिटी, बीएचईएल जैसे संस्थानों के स्टैंडिंग काउंसिल रहे।

जस्टिस भट्टी 12 अप्रैल 2013 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त हुए। इसके बाद उनका तबादला केरल हाईकोर्ट हो गया। जस्टिस भट्टी 14 अप्रैल 2023 को केरल हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस नियुक्त हुए और बाद में 1 जून को चीफ जस्टिस बन गए थे।

जस्टिस भट्टी ने दिया था नमाज पर मशहूर फैसला

केरल हाई कोर्ट में जज रहते हुए जस्टिस भट्टी ने कई मशहूर फैसले दिए थे। जिसमें पिछले साल दिया गया एक फैसला खासा चर्चित हुआ था। जस्टिस भट्टी और जस्टिस बसंत बालाजी की डिवीजन बेंच ने कहा था कि कोई भी मुसलमान किसी भी मस्जिद में नमाज अदा कर सकता है और किसी भी सार्वजनिक कब्रिस्तान में शवों को दफना सकता है। इस अधिकार को सिर्फ इसलिए नहीं छीना जा सकता है कि वह मुस्लिम समुदाय के किसी और संप्रदाय से ताल्लुक रखता है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार पर अब कांग्रेस ने लगाया पटवारी भर्ती घोटाले का आरोप, पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर बोला हमला

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार पर अब कांग्रेस पटवारी भर्ती घोटाले का आरोप लगा रही है। कांग्रेस नेता एवं राज्य के पूर्व सीएम कमलनाथ ने इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्विटर वॉल पर लिख कि राज्य में पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर गड़बड़ी के समाचार सामने आ रहे हैं। कई टॉपर एक ही केंद्र पर परीक्षा देकर सफल हुए बताए जा रहे हैं। एक बार फिर फ़र्ज़ीवाडे के तार भाजपा से जुड़े नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस नेता कमलनाथ ने लिखा कि व्यापाम, नर्सिंग, आरक्षक भर्ती, कृषि विस्तार अफसर और ऐसी ही कितनी ही भर्ती परीक्षाओं ने अंत में घोटाले का रूप लिया है। नौकरी देने के नाम पर भर्ती घोटाला करना शिवराज जी की सरकार का चरित्र बन गया है। इनसे तो जांच की मांग करना भी बेकार है क्योंकि हमेशा बड़ी मछलियों को बचा लिया जाता है। मेरी मांग है कि कोई स्वतंत्र एजेंसी मामले की तहकीकात करे तथा उन लाखों बेरोज़गारों के साथ न्याय करे जो इन प्रतियोगी एवं भर्ती परीक्षाओं में सम्मिलित होते हैं। मध्य प्रदेश अब भ्रष्टराज से मुक्ति चाहता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष इस भर्ती घोटाले के तार बीजेपी MLA संजीव कुमार कुशवाह से जोड़ रहा है। खबरों के अनुसार, पटवारी भर्ती परीक्षा में टॉप करने वाले 10 छात्रों में से 7 ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से हैं। इसके मालिक भिंड के MLA संजीव कुशवाह हैं। मामले पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सामने आया है। 

उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि चुनाव पास आते ही कांग्रेस ने परीक्षा में गड़बड़ी का मामला उठाना आरम्भ कर दिया। यह पूरी तरीके से कांग्रेस के षड्यंत्र का हिस्सा है।

 मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आगे बोला कि राज्य में 8000 से ज्यादा पटवारी परीक्षा में चयनित हुए हैं। 13 जिलों में सेंटर बनाने का काम किया गया था तथा 35 दिन परीक्षाएं ली गयी थी। 70 से ज्यादा प्रश्न पत्र आये। कांग्रेस की तरफ से लगाये गये गड़बड़ी के सभी आरोप झूठे हैं, जिस केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं वहां से 114 लोग कुल चुने गये हैं। यहां चर्चा कर दें कि इस वर्ष के आखिर तक मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले बीजेपी एवं कांग्रेस एक दूसरे को घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस पटवारी भर्ती घोटाले का आरोप शिवराज सरकार पर लगा रही है।

मेडिकल छात्रों को राहत, नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) को अगले आदेश तक के लिए किया स्थगित

 नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया है। एनएमसी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सलाह पर नेक्स्ट परीक्षा को अगले दिशानिर्देश मिलने तक स्थगित कर दिया गया है। आपको बता दें कि अब एनएमसी कानून के अनुसार एमबीबीएस फाइनल ईयर, नीट पीजी और एफएमजीई की जगह अब नेक्स्ट परीक्षा होनी है।

फोर्डा इंडिया ने ट्वीट कर कहा, हम केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया व अनिल राधा आदित्य को सही समय पर समस्या सुलझाने के लिए धन्यवाद देते है। हमें उम्मीद है कि आगामी मसौदा सभी आईएमजी और एफएमजी छात्रों के लिए अधिक अनुकूल और तर्कसंगत होगा। इसे सुनिश्चित करने के लिए हम नेशनल मेडिकल कमीशन और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।'

बीते कई दिनों से एमबीबीएस के छात्र, खासतौर पर 2019 बैच के विद्यार्थी, नेक्स्ट एग्जाम का विरोध कर रहे थे। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पिछले गुरुवार को कहा था कि 2019 एमबीबीएस वाला बैच नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट- NEXT ) के तहत नहीं आएगा और यह अगले बैच (2020) से लागू होगा। केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि केंद्र और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ऐसा कोई निर्णय नहीं लेंगे जिससे छात्रों में भ्रम पैदा हो।

क्या है नेक्स्ट परीक्षा

एनएमसी कानून के अनुसार नेक्स्ट परीक्षा ही अब एमबीबीएस फाइनल ईयर की परीक्षा होगी। एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा की जगह नेक्स्ट परीक्षा में बैठना होगा। इसी के जरिए उन्हें डॉक्टरी करने का लाइसेंस मिलेगा। एमडी, एमएस जैसे मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस में एडमिशन भी नेक्स्ट परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर मिलेगा। विदेश से एमबीबीएस करके आए स्टूडेंट्स को भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस हासिल करने के लिए अभी तक एफएमजीई की परीक्षा देनी होती थी, लेकिन अब उन्हें नेक्स्ट एग्जाम में बैठना होगा। यानी एफएमजीई, नीट पीजी और एमबीबीएस फाइनल ईयर एग्जाम की जगह एक कॉमन परीक्षा नेक्स्ट होगी।

नेक्स्ट का लगातार विरोध कर रहे थे मेडिकल छात्र

मेडिकल छात्रों का आरोप था कि एनएमसी ने किसी को बिना विश्वास में लिए नेक्स्ट परीक्षा की घोषणा की है। उन्हें इसकी तैयारी के लिए काफी कम समय मिलेगा। कुछ छात्रों ने नीट पीजी को नेक्स्ट से बेहतर बताया था। उनका यह भी कहना था कि अपनी एमबीबीएस की डिग्री पाने के लिए नेक्स्ट एग्जाम अलग से क्यों दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिन विषयों की परीक्षा वे पास कर चुके हैं, उन्हें फिर उन्हीं विषयों की पढ़ाई कर उसकी परीक्षा देनी होगी।

महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच शरद पवार के पोते रोहित पवार का दावा, अजित पवार के साथ गए 95% विधायक घर लौटेंगे; गणित समझाया

एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पोते और विधायक रोहित पवार ने दावा किया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस से बगावत करने वाले करीब 95 फीसदी विधायक घर लौट आएंगे। अजित पवार के साथ कितने विधायक गए इस पर लगातार चर्चा होती रही। लेकिन उन्होंने इस संबंध में एक सांकेतिक बयान दिया है कि अगले 10 से 15 दिनों में देखेंगे कि क्या होता है।

अजीत पवार के विद्रोह के बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस में दो स्थायी गुट थे, अर्थात् शरद पवार और अजीत पवार। एनसीपी के ज्यादातर विधायकों ने अजित पवार के ग्रुप में शामिल होने का फैसला किया है। इनमें से 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ भी ले ली है। लेकिन विधायक रोहित पवार ने शरद पवार के साथ रहना पसंद किया है। वे लगातार बागी विधायकों पर वैचारिक आधार पर हमले कर रहे हैं। अब उन्होंने दावा किया है कि 90 से 95 फीसदी बागी विधायक वापस लौट आएंगे।

अगले 10-15 दिन अहम

वास्तव में कितने विधायक अजित पवार के साथ गए? इस पर लगातार चर्चा हो रही है। लेकिन आप देखेंगे कि अगले 10 से 15 दिनों में क्या होता है, रोहित पवार ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि हमें 36 का आंकड़ा क्यों चाहिए. क्योंकि, किसी पार्टी को दावा जताने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत नहीं है। ऐसे में कहा जा रहा है कि समूह को बहुमत के लिए 36 विधायकों की जरूरत है यानी 2/3 बहुमत।

लेकिन दो-तिहाई विधायकों की आवश्यकता इन विधायकों के दूसरी पार्टी में जाने की कीमत है। तो क्या उन विधायकों की भूमिका इस समूह को लेकर बीजेपी में विलय कराने की है? अगर ऐसी कोई भूमिका है तो हमें बाद में पता चलेगा। लेकिन अगर विधायक इस भूमिका पर गौर करें तो मेरे हिसाब से 90 से 95 फीसदी विधायक वापस लौटते दिखेंगे। ऐसा उन्होंने इस वक्त समझाया।

राहुल गांधी को मिल गया ठिकाना, जानें क्या होगा नया पता और कौन-कौन होंगे पड़ोसी?

#congress_leader_rahul_gandhi_to_shift_at_new_house 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को रहने के लिए नया ठिकाना मिल गया है। दरअसल सांसद सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी को सरकारी मकान खाली करना पड़ा था। तब राहुल गांधी का सामान उनकी मां सोनिया गांधी के घर शिफ्ट किया गया था।उसके बाद से राहुल अपने लिए नया आशियाना तलाश रहे थे। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी के लिए नए घर की तलाश पूरी हो चुकी है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी अब उसी घर में रहेंगे जिसमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित रहा करती थीं। यानी राहुल गांधी का नया पता दक्षिण दिल्ली में स्थित बी2 निजामुद्दीन पूर्व होगा।

बता दें कि शीला दीक्षित ने 1991 में ये फ्लैट खरीदा था। दिल्ली की सीएम और फिर केरल का राज्यपाल का पद छोड़ने के बाद से शीला दीक्षित आखिरी वक्त तक यहीं पर रहीं। शीला दीक्षित 1991 से 1998 और फिर 2015 के बाद इसी घर में रही थीं। फिलहाल इस मकान में शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित रह रहे थे। उनके बेटे संदीप दीक्षित ने हाल ही में अपने परिचितों को एक अनौपचारिक संदेश भेजकर इलाके में अपने आवास को बी-2 से ए-5 में शिफ्ट करने की जानकारी दी थी।

अब किराए के घर में रहेंगे राहुल!

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेता जल्द इस नए घर में शिफ्ट हो सकते हैं। राहुल गांधी को ये घर पसंद आया है और उन्होंने रेंट पर इसमें शिफ्ट होने पर सहमति भी जताई है। यानि राहुल गांधी अब किराए के घर में रहेंगे। राजनीति में उतरने के बाद ये पहली बार होगा जब वे किराए के घर में रहने जा रहे है। हालांकि अभी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

ये होंगे राहुल के पड़ोसी

राहुल गांधी अगर इस नए पते पर शिफ्ट होते हैं तो उनके आस पड़ोस में एक से एक बढ़कर दिग्गज नेता होंगे। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित जैसे बड़े नाम उनके पड़ोसी होंगे। यही नहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के पवन खेड़ा भी राहुल गांधी के पड़ोसी होंगे। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी राहुल गांधी के पड़ोस में रहेंगे।

राहुल गांधी ने खाली किया था सरकारी आवास

राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था। इस बयान को लेकर राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। चार साल बाद इसी साल 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी, उसी दिन से उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी, इसलिए उनसे सरकारी बंगला खाली करवा लिया गया था। राहुल गांधी ने सांसद सदस्यता जाने के बाद 22 अप्रैल को अपना सरकारी बंगला 12, तुगलक लेन खाली कर दिया था। बंगला खाली करने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि मैंने 'सच बोलने की कीमत चुकाई' हैं, हिन्दुस्तान की जनता ने मुझे यह घर दिया था, जहां वो 19 साल से रह रहे थे।