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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार पर अब कांग्रेस ने लगाया पटवारी भर्ती घोटाले का आरोप, पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर बोला हमला

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार पर अब कांग्रेस पटवारी भर्ती घोटाले का आरोप लगा रही है। कांग्रेस नेता एवं राज्य के पूर्व सीएम कमलनाथ ने इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्विटर वॉल पर लिख कि राज्य में पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर गड़बड़ी के समाचार सामने आ रहे हैं। कई टॉपर एक ही केंद्र पर परीक्षा देकर सफल हुए बताए जा रहे हैं। एक बार फिर फ़र्ज़ीवाडे के तार भाजपा से जुड़े नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस नेता कमलनाथ ने लिखा कि व्यापाम, नर्सिंग, आरक्षक भर्ती, कृषि विस्तार अफसर और ऐसी ही कितनी ही भर्ती परीक्षाओं ने अंत में घोटाले का रूप लिया है। नौकरी देने के नाम पर भर्ती घोटाला करना शिवराज जी की सरकार का चरित्र बन गया है। इनसे तो जांच की मांग करना भी बेकार है क्योंकि हमेशा बड़ी मछलियों को बचा लिया जाता है। मेरी मांग है कि कोई स्वतंत्र एजेंसी मामले की तहकीकात करे तथा उन लाखों बेरोज़गारों के साथ न्याय करे जो इन प्रतियोगी एवं भर्ती परीक्षाओं में सम्मिलित होते हैं। मध्य प्रदेश अब भ्रष्टराज से मुक्ति चाहता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष इस भर्ती घोटाले के तार बीजेपी MLA संजीव कुमार कुशवाह से जोड़ रहा है। खबरों के अनुसार, पटवारी भर्ती परीक्षा में टॉप करने वाले 10 छात्रों में से 7 ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से हैं। इसके मालिक भिंड के MLA संजीव कुशवाह हैं। मामले पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सामने आया है। 

उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि चुनाव पास आते ही कांग्रेस ने परीक्षा में गड़बड़ी का मामला उठाना आरम्भ कर दिया। यह पूरी तरीके से कांग्रेस के षड्यंत्र का हिस्सा है।

 मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आगे बोला कि राज्य में 8000 से ज्यादा पटवारी परीक्षा में चयनित हुए हैं। 13 जिलों में सेंटर बनाने का काम किया गया था तथा 35 दिन परीक्षाएं ली गयी थी। 70 से ज्यादा प्रश्न पत्र आये। कांग्रेस की तरफ से लगाये गये गड़बड़ी के सभी आरोप झूठे हैं, जिस केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं वहां से 114 लोग कुल चुने गये हैं। यहां चर्चा कर दें कि इस वर्ष के आखिर तक मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले बीजेपी एवं कांग्रेस एक दूसरे को घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस पटवारी भर्ती घोटाले का आरोप शिवराज सरकार पर लगा रही है।

मेडिकल छात्रों को राहत, नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) को अगले आदेश तक के लिए किया स्थगित

 नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया है। एनएमसी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सलाह पर नेक्स्ट परीक्षा को अगले दिशानिर्देश मिलने तक स्थगित कर दिया गया है। आपको बता दें कि अब एनएमसी कानून के अनुसार एमबीबीएस फाइनल ईयर, नीट पीजी और एफएमजीई की जगह अब नेक्स्ट परीक्षा होनी है।

फोर्डा इंडिया ने ट्वीट कर कहा, हम केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया व अनिल राधा आदित्य को सही समय पर समस्या सुलझाने के लिए धन्यवाद देते है। हमें उम्मीद है कि आगामी मसौदा सभी आईएमजी और एफएमजी छात्रों के लिए अधिक अनुकूल और तर्कसंगत होगा। इसे सुनिश्चित करने के लिए हम नेशनल मेडिकल कमीशन और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।'

बीते कई दिनों से एमबीबीएस के छात्र, खासतौर पर 2019 बैच के विद्यार्थी, नेक्स्ट एग्जाम का विरोध कर रहे थे। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पिछले गुरुवार को कहा था कि 2019 एमबीबीएस वाला बैच नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट- NEXT ) के तहत नहीं आएगा और यह अगले बैच (2020) से लागू होगा। केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि केंद्र और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ऐसा कोई निर्णय नहीं लेंगे जिससे छात्रों में भ्रम पैदा हो।

क्या है नेक्स्ट परीक्षा

एनएमसी कानून के अनुसार नेक्स्ट परीक्षा ही अब एमबीबीएस फाइनल ईयर की परीक्षा होगी। एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा की जगह नेक्स्ट परीक्षा में बैठना होगा। इसी के जरिए उन्हें डॉक्टरी करने का लाइसेंस मिलेगा। एमडी, एमएस जैसे मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस में एडमिशन भी नेक्स्ट परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर मिलेगा। विदेश से एमबीबीएस करके आए स्टूडेंट्स को भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस हासिल करने के लिए अभी तक एफएमजीई की परीक्षा देनी होती थी, लेकिन अब उन्हें नेक्स्ट एग्जाम में बैठना होगा। यानी एफएमजीई, नीट पीजी और एमबीबीएस फाइनल ईयर एग्जाम की जगह एक कॉमन परीक्षा नेक्स्ट होगी।

नेक्स्ट का लगातार विरोध कर रहे थे मेडिकल छात्र

मेडिकल छात्रों का आरोप था कि एनएमसी ने किसी को बिना विश्वास में लिए नेक्स्ट परीक्षा की घोषणा की है। उन्हें इसकी तैयारी के लिए काफी कम समय मिलेगा। कुछ छात्रों ने नीट पीजी को नेक्स्ट से बेहतर बताया था। उनका यह भी कहना था कि अपनी एमबीबीएस की डिग्री पाने के लिए नेक्स्ट एग्जाम अलग से क्यों दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिन विषयों की परीक्षा वे पास कर चुके हैं, उन्हें फिर उन्हीं विषयों की पढ़ाई कर उसकी परीक्षा देनी होगी।

महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच शरद पवार के पोते रोहित पवार का दावा, अजित पवार के साथ गए 95% विधायक घर लौटेंगे; गणित समझाया

एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पोते और विधायक रोहित पवार ने दावा किया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस से बगावत करने वाले करीब 95 फीसदी विधायक घर लौट आएंगे। अजित पवार के साथ कितने विधायक गए इस पर लगातार चर्चा होती रही। लेकिन उन्होंने इस संबंध में एक सांकेतिक बयान दिया है कि अगले 10 से 15 दिनों में देखेंगे कि क्या होता है।

अजीत पवार के विद्रोह के बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस में दो स्थायी गुट थे, अर्थात् शरद पवार और अजीत पवार। एनसीपी के ज्यादातर विधायकों ने अजित पवार के ग्रुप में शामिल होने का फैसला किया है। इनमें से 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ भी ले ली है। लेकिन विधायक रोहित पवार ने शरद पवार के साथ रहना पसंद किया है। वे लगातार बागी विधायकों पर वैचारिक आधार पर हमले कर रहे हैं। अब उन्होंने दावा किया है कि 90 से 95 फीसदी बागी विधायक वापस लौट आएंगे।

अगले 10-15 दिन अहम

वास्तव में कितने विधायक अजित पवार के साथ गए? इस पर लगातार चर्चा हो रही है। लेकिन आप देखेंगे कि अगले 10 से 15 दिनों में क्या होता है, रोहित पवार ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि हमें 36 का आंकड़ा क्यों चाहिए. क्योंकि, किसी पार्टी को दावा जताने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत नहीं है। ऐसे में कहा जा रहा है कि समूह को बहुमत के लिए 36 विधायकों की जरूरत है यानी 2/3 बहुमत।

लेकिन दो-तिहाई विधायकों की आवश्यकता इन विधायकों के दूसरी पार्टी में जाने की कीमत है। तो क्या उन विधायकों की भूमिका इस समूह को लेकर बीजेपी में विलय कराने की है? अगर ऐसी कोई भूमिका है तो हमें बाद में पता चलेगा। लेकिन अगर विधायक इस भूमिका पर गौर करें तो मेरे हिसाब से 90 से 95 फीसदी विधायक वापस लौटते दिखेंगे। ऐसा उन्होंने इस वक्त समझाया।

राहुल गांधी को मिल गया ठिकाना, जानें क्या होगा नया पता और कौन-कौन होंगे पड़ोसी?

#congress_leader_rahul_gandhi_to_shift_at_new_house 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को रहने के लिए नया ठिकाना मिल गया है। दरअसल सांसद सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी को सरकारी मकान खाली करना पड़ा था। तब राहुल गांधी का सामान उनकी मां सोनिया गांधी के घर शिफ्ट किया गया था।उसके बाद से राहुल अपने लिए नया आशियाना तलाश रहे थे। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी के लिए नए घर की तलाश पूरी हो चुकी है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी अब उसी घर में रहेंगे जिसमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित रहा करती थीं। यानी राहुल गांधी का नया पता दक्षिण दिल्ली में स्थित बी2 निजामुद्दीन पूर्व होगा।

बता दें कि शीला दीक्षित ने 1991 में ये फ्लैट खरीदा था। दिल्ली की सीएम और फिर केरल का राज्यपाल का पद छोड़ने के बाद से शीला दीक्षित आखिरी वक्त तक यहीं पर रहीं। शीला दीक्षित 1991 से 1998 और फिर 2015 के बाद इसी घर में रही थीं। फिलहाल इस मकान में शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित रह रहे थे। उनके बेटे संदीप दीक्षित ने हाल ही में अपने परिचितों को एक अनौपचारिक संदेश भेजकर इलाके में अपने आवास को बी-2 से ए-5 में शिफ्ट करने की जानकारी दी थी।

अब किराए के घर में रहेंगे राहुल!

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेता जल्द इस नए घर में शिफ्ट हो सकते हैं। राहुल गांधी को ये घर पसंद आया है और उन्होंने रेंट पर इसमें शिफ्ट होने पर सहमति भी जताई है। यानि राहुल गांधी अब किराए के घर में रहेंगे। राजनीति में उतरने के बाद ये पहली बार होगा जब वे किराए के घर में रहने जा रहे है। हालांकि अभी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

ये होंगे राहुल के पड़ोसी

राहुल गांधी अगर इस नए पते पर शिफ्ट होते हैं तो उनके आस पड़ोस में एक से एक बढ़कर दिग्गज नेता होंगे। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित जैसे बड़े नाम उनके पड़ोसी होंगे। यही नहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के पवन खेड़ा भी राहुल गांधी के पड़ोसी होंगे। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी राहुल गांधी के पड़ोस में रहेंगे।

राहुल गांधी ने खाली किया था सरकारी आवास

राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था। इस बयान को लेकर राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। चार साल बाद इसी साल 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी, उसी दिन से उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी, इसलिए उनसे सरकारी बंगला खाली करवा लिया गया था। राहुल गांधी ने सांसद सदस्यता जाने के बाद 22 अप्रैल को अपना सरकारी बंगला 12, तुगलक लेन खाली कर दिया था। बंगला खाली करने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि मैंने 'सच बोलने की कीमत चुकाई' हैं, हिन्दुस्तान की जनता ने मुझे यह घर दिया था, जहां वो 19 साल से रह रहे थे।

एनसीपी नेता नेता नवाब मलिक को बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने झटका, जमानत देने से किया इनकार

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता नवाब मलिक को बॉम्‍बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी है। मलिक ने अपनी याचिका में मेडिकल कारणों का जिक्र करते हुए बेल के लिए अनुरोध किया था। मलिक को प्रवर्तन निदेशालय ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े एक मामले में हिरासत में हैं।

एनसीपी नेता ने मेडिकल कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि वह गुर्दे के रोग से पीड़ित हैं साथ ही उन्हें कई अन्य बीमारियां भी हैं। मलिक के वकील अमित देसाई ने कहा कि पिछले आठ महीनों से मलिक की हालत बिगड़ती जा रही है और वह गुर्दे की बीमारी के स्टेज 2 से स्टेज 3 के बीच हैं। उन्होंने अदालत से जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि मलिक की सेहत को ध्यान में रखा जाए और अगर उन्हें इन्हीं परिस्थितियों में रहने दिया गया तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

वहीं, कोर्ट में ईडी की ओर से सॉलीसिटर जनरल अनिल सिंह ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मलिक अपनी पसंद के अस्पताल में हैं और अपना ट्रीटमेंट करवा रहे हैं।

बता दें कि ईडी ने मलिक को भगौड़े गैंगस्टर दाउद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। मलिक के खिलाफ ईडी का मामला 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की ओर से गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।

उत्तराखंड चार धाम यात्रा पर भी मौसम की मार, भारी बारिश के बाद हाईवे वे पर मलबा आने से यात्रा प्रभावित, जगह जगह सड़कें बंद होने से जहां तहां फंसे हुए हैं यात्री

उत्तराखंड चार धाम यात्रा पर भी मौसम की मार पड़ी है। भारी बारिश के बाद हाईवे वे पर मलबा आने से यात्रा प्रभावित हो रही है। यूपी, दिल्ली-एनसीआर, एमपी, सहित देश से के अन्य राज्यों से गंगोत्री-यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ धाम जाने वाले तीर्थ यात्री सड़कें बंद होने से फंस रहे हैं। प्रशासन की ओर से यात्रियों से अपील की जा रही है कि वे चार धाम यात्रा पर जाने से पहले उत्तराखंड मौसम पूर्वानुमान का अपडेट जरूर लें।

उत्तरकाशी में लगातार बारिश ने यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे जगह-जगह बंद रहने से दोनों धाम की यात्रा प्रभावित हुई है। हाईवे बंद रहने से गंगोत्री धाम की यात्रा दो दिन से फिलहाल बाधित पड़ी है। गंगोत्री हाईवे के करीब पांच स्थानों पर बंद होने के कारण यात्रियों को जिला मुख्यालय सहित जगह-जगह सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है।

फिलहाल उत्तरकाशी से आगे यात्री वाहनों को आगे नहीं जाने दिया जा रहा है। बुधवार को गंगोत्री हाईवे धरासू बैंड, बंदरकोट, हेलगूगाड, धराली आदि स्थानों पर दिनभर यातायात के लिए बाधित होता रहा। धराली में खीर गंगा के उफान से बीते शाम से वाहनों की आवाजाही ठप पड़ी है। धरासू बैंड में दोपहर बाद भारी भूस्खलन के चलते यात्रा मार्ग बाधित पड़ा है।

इसके चलते जिला प्रशासन ने यात्रियों और कांवड़ियों को गंगोत्री जाने से रोका है। हाईवे बंद रहने से पिछले दो दिन से गंगोत्री धाम की यात्रा अप्रत्यक्ष रूप से बाधित है। इसी तरह यमुनोत्री हाईवे के कल्याणी, सिलक्यारा आदि स्थानों पर बंद होने का सिलसिला जारी है। सिलक्यारा में यमुनोत्री हाईवे फिलहाल आवागमन के लिए नहीं खुल सका है।

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के लगातार बाधित रहने से धाम की यात्रा के प्रभावित होने का सिलसिला जारी है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि बीते मंगलवार को गंगोत्री यात्रा रूट पर फंसे हजारों यात्रियों को किसी तरह सुरक्षित निकाला गया। गंगोत्री हाईवे पर जगह-जगह लगातार मलबा गिरने के कारण यात्रियों को गंगोत्री धाम दर्शन के लिए जाने से रोका जा रहा है। मार्ग खुलते ही विधिवत वाहनों को दर्शन के लिए जाने दिया जाएगा।

बद्रीनाथ हाइवे चमोली से लेकर बद्रीनाथ के निकट कंचन गंगा , पागल नाला , समेत कई स्थानों पर मलवा , बोल्डर आने और पहाड़ियों के दरकने से पूर्णतया बाधित हो गया है । पीपल कोटी से 1 किमी आगे बद्रीनाथ हाइवे पर भारी मलवा बोल्डर आने से हाइवे मिट्टी बोल्डरों से पट गयी है पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार छिनका में फिर पहाड़ी दरकने से बोल्डर, पत्थर मिट्टी सड़क पर आ गयी है ।

जानकारी के अनुसार इन स्थानों पर इतने बोल्डर , पत्थर , मलवा आ गया कि मशीनें तक कार्य नहीं कर पा रही है । पहाड़ियों से लगातार पत्थर गिर रहे हैं। जिससे मशीन आपरेटर्स को भी खतरा बना है । मिली जानकारी के अनुसार बुधवार तक इन स्थानों पर हाइवे सुचारू होना मुश्किल है । बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ के निकट खचडा नाले के उफान पर आने से हाइवे पर भारी बोल्डर आ गये हैं।

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भारत एक बार फिर मिशन चांद के लिए पूरी तरह से तैयार है। देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाएगा। चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले तिरुपति देवस्थानम पहुंचे वैज्ञानिक, शुक्रवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा प्रक्षेपण
भारत एक बार फिर मिशन चांद के लिए पूरी तरह से तैयार है। देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाएगा। चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बृहस्पतिवार की सुबह तिरुमला में श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की।बता दें कि इसरो चार साल बाद एक बार फिर से शुक्रवार को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के अपने तीसरे अभियान के लिए तैयार है। *चंद्रयान-3 का एक छोटा मॉडल लेकर मंदिर पहुंचे थे वैज्ञानिक* चंद्रयान-3 मिशन से एक दिन पहले इसरो वैज्ञानिकों की एक टीम गुरुवार को आंध्र प्रदेश के तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर पहुंची। टीम ने अपने साथ चंद्रयान-3 का एक छोटा मॉडल भी लिया था। इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने पूजा अर्चना की। मंदिर पहुंचे वैज्ञानिक दल में तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल थे, जिनके गुरुवार सुबह मंदिर पहुंचने की तस्वीरें व वीडियो सोशल मीडिया पर देखे गए। मंदिर पहुंचे वैज्ञानिकों की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के एक अधिकारी ने कहा, इसरो का दल तिरुमला आया लेकिन हमारी जनसंपर्क शाखा ने उनके दौरे को कवर नहीं किया। उन्होंने बताया कि मंदिर के अधिकारी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के दौरे में व्यस्त थे। अधिकारी ने बताया कि इसरो के अधिकारी आम तौर पर मंदिर में अपने दौरे को जनता की नजरों से दूर ही रखते हैं। *इसरो प्रमुख भी पहुंचे मंदिर* मंदिर पहुंचने वालों में इसरो चीफ एस सोमनाथ भी शामिल थे। पूजा के बाद इसरो चीफ ने कहा कि भारत कल दोपहर 2:35 बजे अपना तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। मैं प्रार्थना करता हूं कि सब कुछ ठीक हो जाए और यह 23 अगस्त के बाद किसी भी दिन चंद्रमा पर उतर जाए। इसरो चीफ के अलावा इसरो के वैज्ञानिक सचिव शांतनु बटवूडेकर समेत इसरो के कई वैज्ञानिक भी मंदिर पहुंचे। *मंगलवार को किया था पूर्वाभ्यास* इससे पहले मंगलवार को इसरो ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतारने का पूर्वाभ्यास किया था। इसरो की ओर से एक ट्वीट में बताया गया था कि लॉन्च की पूरी तैयारी और प्रक्रिया का डमी रूप में 24 घंटे का पूर्वाभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। *चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बनेगा भारत* चंद्रयान-3, भारत का तीसरा चंद्र रिसर्च मिशन है। इसरो का चांद पर यान को ‘‘सॉफ्ट लैंडिंग’’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं। भारत को चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ऐसा करने में सफल रहे हैं। *मिशन चंद्रयान-2 नहीं हो सका था सफल* चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफलता नहीं मिल पाई थी। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान जब लैंडर चंद्रमा की सतह से महज एक पायदान की दूरी पर था, तब इसरो का संपर्क उससे टूट गया था। इस लिहाज से चंद्रयान-3 मिशन को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान, जिसे एलवीएम-3 (प्रक्षेपण यान मार्क-3) (पहले जीएसएलवी एमके-3 के रूप में जाना जाता था) द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। यह तीन मॉड्यूल- प्रणोदन, लैंडर और रोवर का एक संयोजन है। रोवर चंद्र सतह का अध्ययन करेगा और यह लैंडर के अंदर लगा है।
फ्रांस दौरे से पहले पीएम मोदी ने फ्रेंच अखबार को दिया इंटरव्यू,चीन से खतरे और अमेरिका के साथ मजबूत होते रिश्ते पर दिया जवाब

#pm_modi_gave_interview_to_france_media

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार सुबह अपने दो दिन के दौरे पर फ्रांस रवाना हो गए। पीएम यहां 14 जुलाई को होने वाले ऐतिहासिक बेस्टिल डे परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। रवानगी से पहले प्रधानमंत्री ने फ्रांसीसी अखबार को इंटरव्यू दिया।फ्रांस के लीडिंग मीडिया समूह "लेस इकोस" को दिए इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने इंटरव्यू में पश्चिमी देशों और ग्लोबल साउथ के बीच एक ब्रिज के तौर पर भारत की भूमिका पर जोर दिया। साथ ही भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की वकालत समेत तमाम मुद्दों पर बात की।

फ्रांस के साथ भारत के रिश्ते पर दिया ये जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रेंच अखबार "लेस इकोस" को बताया, ‘कोरोना के बाद वर्ल्ड ऑर्डर में बदलाव आया है, इसमें भारत-फ्रांस की साझेदारी अहम किरदार निभा रही है। इस दौरे में हमारा फोकस आने वाले 25 साल के लिए रोडमैप तैयार करना है। बुरे से बुरे वक्त में हम साथ रहे हैं और हमारी कोशिश दोस्ती को और भी मज़बूत करने की है।भारत और फ्रांस के रिश्तों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी इंडो पैसिफिक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली अहम साझेदारियों में से एक है। हम हिंद महासागर क्षेत्र में दो बड़ी शक्तियां हैं। हमारी पार्टनरशिप का मकसद एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, सुरक्षित और स्थिर इंडो पैसिफिक क्षेत्र को आगे बढ़ाना है। हम रक्षा उपकरणों समेत अन्य देशों की सुरक्षा जरूरतों का समर्थन करने के लिए भी सहयोग करेंगे। इसमें आर्थिक, कनेक्टिविटी, मानव विकास और स्टेबिलिटी की पूरी सीरीज शामिल है। ये बाकी देशों को भी शांति की साझा कोशिश के लिए आकर्षित करेगा।

चीन से खतरे को लेकर पीएम मोदी का जवाब

चीन को लेकर जब प्रधानमंत्री से सवाल किया गया, तब उन्होंने कहा कि भारत हमेशा बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।चीन को लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी से पूछा गया कि चीन लगातार अपनी डिफेंस ताकत को बढ़ाने के लिए पैसा बहा रहा है, क्या इससे क्षेत्र में सुरक्षा को कोई खतरा है?इस पर पीएम मोदी ने कहा कि सभी देशों की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून कायम रखना भी जरूरी है। हमारा मानना ​​है कि इसके माध्यम से स्थायी क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा में सकारात्मक योगदान दिया जा सकता है।साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति तरीके से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करने के लिए खड़ा रहा है। 

यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले मोदी?

पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी बात की। उन्होंने कहा कि मैंने राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से कई बार बात की है। मैं हिरोशिमा में राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मिला था और हाल ही में, मैंने राष्ट्रपति पुतिन से दोबारा बात की है। भारत का रुख स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत रहा है। प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू में बताया कि मैंने उनसे कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है, हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया है। हमारा मानना ​​है कि सभी देशों का दायित्व है कि वे दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करें।

अमेरिका के साथ मजबूत हो रहे हैं रिश्ते पर दिया जवाब

इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी से भारत और अमेरिका के मजबूत होते रिश्तों पर भी सवाल किया गया। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ये सच है कि काफी लंबे समय से भारत-अमेरिका के रिश्ते सकारात्मक रूप से बढ़ रहे हैं, लेकिन पिछले नौ सालों में इसमें तेजी आई है और ये नए स्तर पर पहुंच गया है। दोनों देशों से इसके लिए पूरा सहयोग मिल रहा है। चाहे वो सरकार हो, संसद हो, उद्योग हो, शिक्षा जगत हो या फिर दोनों देशों के लोग... सभी रिश्तों को एक ऊंचे स्तर तक ले जाने के लिए उत्सुक हैं। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 9 सालों में मैंने व्यक्तिगत तौर पर अलग-अलग सरकारों के साथ अमेरिकी तालमेल का एक अच्छा अनुभव किया है।

यूएन में भारत ने दिया पाक का साथ, स्वीडन में कुरान जलाने पर लाए गए प्रस्ताव का किया समर्थन, अमेरिका ने किया विरोध

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बुधवार को भारत ने पाकिस्तान का समर्थन किया।यहां पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव पेश किया। उस प्रस्ताव का कई अमेरिकी और यूरोपीय देश विरोध कर रहे थे, लेकिन भारत ने इस मामले में पाकिस्तान का साथ दिया।

 दरअसल, स्वीडन में बार-बार कुरान जलाए जाने के खिलाफ पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक प्रस्ताव रखा था। इस पर भारत ने भी पाकिस्तान के समर्थन में वोट किया है। हालांकि, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन समेत कई पश्चिमी देशों ने फ्रीडम ऑफ स्पीच का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया।पाकिस्तान ने अपने प्रस्ताव में कुरान जलाने जैसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की थी।

47 में से 12 सदस्यों ने पाक के प्रस्ताव का विरोध किया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कुल 47 सदस्य हैं। इसमें ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन के सिर्फ 19 देश शामिल हैं। इन सभी ने पाक के प्रस्ताव का समर्थन किया। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में ये प्रस्ताव ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक देशों के कहने पर ही लाया था। उइगर मुस्लमानों के मुद्दे पर घिरे रहने वाले चीन ने भी पाक के समर्थन में वोट किया।28 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया। इसमें भारत भी शामिल है वहीं 12 देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट किया और 7 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। नेपाल समेत 7 देशों ने किसी का समर्थन नहीं करते हुए वोटिंग ही नहीं की।

स्वीडन में ईद पर जलाई गई थी कुरान

स्वीडन में ईद-अल-अजहा के मौके पर स्टॉकहोम की एक मस्जिद के बाहर एक शख्स ने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया था। इसके लिए उसे स्वीडिश सरकार से परमिशन मिली थी। CNN के मुताबिक, अभिव्यक्ति की आजादी के तहत एक दिन के प्रदर्शन के लिए ये इजाजत दी गई थी। इस प्रोटेस्ट में सिर्फ एक ही व्यक्ति अपने ट्रांसलेटर के साथ शामिल हुआ था।

रॉयटर्स के मुताबिक, प्रदर्शन कर रहे शख्स ने कुरान के कुछ पन्नों को फाड़कर उसमें आग लगा दी। इसके बाद उसने स्वीडन का झंडा भी लहराया था। प्रोटेस्ट देख रहे 200 लोगों में से कुछ उसके पक्ष में तो कुछ विरोध में नारे लगाए थे। इनमें से एक व्यक्ति ने अरबी में गॉड इज ग्रेट चिल्लाकर प्रदर्शनकारी पर पत्थर भी फेंका। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की फिसली जुबान, यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को “व्लादिमीर” कहकर पुकारा

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उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की जुबान लड़खड़ा गई। लिथुआनिया देश की राजधानी विनियस में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कह दिया। हालांकि उन्हें तत्काल अपनी गलती को सुधारा लिया।

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि 'व्लादिमीर और मैं...मुझे इतना घनिष्ठ नहीं होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने खुद को सुधारा और कहा कि 'मिस्टर जेलेंस्की और मैं' इस घटना का वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति का पूरा नाम वोलोदिमीर जेलेंस्की है और रूस के राष्ट्रपति का नाम व्लादिमीर पुतिन है। दोनों के शुरुआती नाम में थोड़ी समानता है। शायद यही वजह है कि बाइडेन से ये गलती हो गई।

 

बता दें कि बाइडन अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान पहले भी इस तरह की गलती कर चुके हैं। इससे पहले गलती से उन्होंने यूक्रेनियन को ईरानी कह दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की बढ़ती उम्र अब समस्या बनती जा रही है पिछले महीने एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे बाइडेन मंच पर ही संतुलन खो बैठे थे और गिर गए थे। बाइडेन कोलोराडो में अमेरिकी एयरफोर्स अकादमी के ग्रेजुएशन सेरेमनी में शामिल होने पहुंचे थे।