शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव समेत बड़े पदाधिकारियों की कार्यशैली से शिक्षा मंत्री नाराज, पीएस के माध्यम से भेजा पीत पत्र
डेस्क : बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के.के पाठक एक ईमानदार और कड़क छवि के लिए जाने जाते है। उनकी कार्यशैली के कारण अक्सर उनके विभाग के मंत्री और उनके बीच टकराव होती रहती है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बनाए जाने के बाद एकबार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने विभागीय कार्यशैली पर आपत्ति जताते हुए विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक समेत निदेशक स्तर के कुछ पदाधिकारियों को पीतपत्र भेजा है।
अपनी पीएस के माध्यम से भेजे गए पीत पत्र में मंत्री ने विभाग के कई कार्यों को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने लिखा है कि ऐसा देखा जा रहा है कि कई मामलों में सरकार की कार्यसंहिता के हिसाब से काम नहीं किया जा रहा है। राजपत्रित अधिकारी को भी उनके पद के अनुरूप काम नहीं दिए जा रहे हैं। विभाग के ऐसे कई अधिकारी हैं, जिनसे उनके पद से नीचे के स्तर के काम लिये जा रहे हैं, जो विभागीय नियमानुकूल नहीं है। इन मसलों पर ही मंत्री ने उक्त पदाधिकारियों को पीतपत्र भेजा है।
शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव कृष्णा नंद यादव ने 4 जुलाई को मंत्री के निदेश पर पीत पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि निदेशानुसार अवगत कराना है कि पिछले कई दिनों से शिक्षा मंत्री, के द्वारा यह महसूस किया जा रहा है कि विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में रहा है। विभाग से संबंधित कोई भी पत्र / संकल्प आदि विभागीय पदाधिकारियों / मंत्री कोषांग में पहुंचने से पूर्व ही सोशल मीडिया / युट्यूब चैनलों तथा विभिन्न वॉट्सऐप ग्रुप में पारेषित होने लगते है। शिक्षा विभाग में ज्ञान से अधिक चर्चा कड़क, सीधा करने, नट बोल्ट टाईट करने, शौचालय सफाई, झारू मारने, ड्रेस पहनने, फोड़ने, डराने, पेंट गिली करने, नकेल कसने वेतन काटने, निलम्बित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों का हो रहा है। हद तो तब हो गई जब कार्यालय अवधि समाप्ति के पश्चात् कार्य कर रहे एक निदेशक के कक्ष से टी०वी० चैनल वाले लाइव टेलीकास्ट करते देखे गए।
टी०वी० रिर्पोटर उनसे पूछताछ भी कर रहे थे और वे विश्रान्ति से जबाब दे रहे थे। यह भी संज्ञान में आया है कि कई रिर्पोटर/यू ट्यूबर को किसी अदृश्य व्यक्ति द्वारा विभागीय अधिकारी के दौरे/निरीक्षण की जानकारी पहले से ही प्राप्त हो जाती है तथा निरीक्षत स्थलों पर वे पहले से मौजूद रहते है। अवलोकित है कि वरीय अधिकारी द्वारा बंद कमरे में ली जा रही मीटिंग आदि से संबंधित खबर भी मीडिया में द्रुत गति से संचारित हो जाते है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी खास व्यक्ति द्वारा निहित स्वार्थो की पूर्त्ति अथवा सरकार की छवि कुप्रभावित करने के उद्देश्य से विभागीय आन्तरिक खबरों को मीडिया में प्लांट किया जा रहा है।
विभाग से जुड़ी महत्वपूर्ण व जनमानस से सरोकार रखने वाले खबरों को राज्य सरकार की घोषित नीति के अनुरूप प्रसारित करने पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन नकारात्मक खबरों से विभाग व सरकार की छवि धूमिल हो रही है। विभागीय अधिकारियों का उपरोक्त कृत्य बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है। साथ ही बिहार सरकार की सामाचार माध्यमों को खबर देने की सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के विपरीत है। शिक्षा मंत्री ने इस पर काफी अप्रसन्नता व्यक्त किया है।
Jul 09 2023, 09:22