कालाजार उन्मूलन अभियान- जेनेवा से आई अन्तर्राष्ट्रीय टीम ने जिले के विभिन्न प्रखंडों का किया निरीक्षण
कालाजार से बचाव के लिए आईआरएस छिड़काव से संबंधित ली गई जानकारी: डॉ आरपी मंडल
समय रहते जांच की जाए तो काफी हद तक मिल सकती है सफ़लता: डब्ल्यूएचओ
एक टीम का नेतृत्व डीवीडीसीओ तो दूसरे टीम का नेतृत्व डब्ल्यूएचओ ने किया
पूर्णिया, 04 जुलाई।
कालाजार उन्मूलन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभिन्न स्तर पर कार्य किया जा रहा है। जिसमें हम सभी की सहभागिता सुनिश्चित करनी पड़ेगी। तभी देशव्यापी मुहिम को शत प्रतिशत सफलता मिलेगी। इसको लेकर जिले के विभिन्न प्रखंडों के कई गांवों का जेनेवा से आयी एक अन्तर्राष्ट्रीय टीम के द्वारा दौरा किया गया। इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल, डीवीबीसीओ रविनंदन सिंह, डीवीबीडी सलाहकार सोनिया मंडल, केयर इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी, मलेरिया कार्यालय के रामकृष्ण परमहंस सहित संबंधित स्वास्थ्य केंद्र के एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम उपस्थित थे।
कालाजार से बचाव के लिए आईआरएस छिड़काव से संबंधित ली गई जानकारी: डॉ आरपी मंडल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल ने बताया कि जेनेवा से आई टीम के द्वारा जिले के बनमनखी एवं जलालगढ़ प्रखंड अंतर्गत कालाजार प्रभावित गांवों का डोर टू डोर भ्रमण कर निरीक्षण किया गया। दरअसल ज़िले से कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान की भूमिका अहम होती है। भ्रमण के दौरान चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका सहित संबंधित ग्रामीणों से बातचीत कर जानकारी ली गई। वहीं कालाजार से बचाव के लिए आईआरएस छिड़काव वाले घरों में जाकर इससे संबंधित जानकारी के साथ ही कालाजार बीमारी से ठीक हुए मरीजों से मुलाकात कर बचाव को लेकर जानकारी दी गई तथा फीडबैक ली गयी। मालूम हो कि जिले के पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) और विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) के इलाजरत मरीज़ों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रोगियों की जांच, इलाज एवं रहने या भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से निःशुल्क है।
समय रहते जांच की जाए तो काफी हद तक मिल सकती है सफ़लता: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार ने बताया कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो संक्रमित बालू मक्खी के काटने से होता । यह संक्रमित बालू मक्खी कालाजार रोग के कारक परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। यह बालू मक्खी कम प्रकाश वाले, नम जगहों, मिट्टी की दीवारों, मवेशी बांधने के स्थान आदि पर पाए जाते हैं। कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे वह अन्य दूसरे गंभीर रोगों से ग्रसित हो सकते हैं। ज़िले के किसी भी व्यक्ति में कालाजार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसे अनिवार्य रूप से कालाजार की जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी की जानकारी मिल सके।
एक टीम का नेतृत्व डीवीडीसीओ तो दूसरे का नेतृत्व डब्ल्यूएचओ ने किया:
अंतर्राष्ट्रीय टीम में जेनेवा की ओर से डॉ डेनियल व दिल्ली एवं पटना से आए डॉ ध्रुव पांडेय, डॉ रमेश धीमान, डॉ हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, डॉ राजेश पांडेय एवं विकास सिन्हा के द्वारा मलेरिया कार्यालय, सिविल सर्जन कार्यालय, अस्पताल के कालाजार वार्ड, जलालगढ़ पीएचसी के अलावा मिश्री नगर गांव का भ्रमण किया गया। जिसका नेतृत्व जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल ने किया। दूसरे टीम में डॉ सौरभ जैन, डॉ किनसुख मिश्रा, डॉ दिनेश दिवाकर, डॉ देवेंद्र सिंह तोमर ने बनमनखी के विनोवा ग्राम का भ्रमण किया। जिसका नेतृत्व डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार झा ने किया। हालांकि दोनों टीम के सदस्यों ने देर शाम को धमदाहा अनुमंडलीय अस्पताल का निरीक्षण किया। जिसमें विभिन्न मुद्दों को लेकर स्थानीय एमओआईसी सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों के साथ निरीक्षण किया गया।
Jul 05 2023, 18:55