योग एवं साधना प्रदर्शन नहीं :डॉ अर्जुन पाण्डेय
अमेठी।अवधी साहित्य संस्थान अमेठी के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि योग और साधना का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। साधना - सावधानी पूर्वक किया गया कार्य योग है। योग सिद्धांत से हटकर व्यावहारिक प्रक्रिया है,जो प्रदर्शन से हटकर है।
साधना योग है।योग कर्म है।शरीर कर्म है।कर्म धर्म है।शरीर के बिना कर्म कहां?शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्।योगश्चित्तवृत्ति निरोध: -पतंजलि धरती पर सबसे पहले योगी भगवान शंकर हुए, जिन्हें नटराज कहा गया।दूसरे राजा जनक हुए , जिन्हें योगिराज कहा गया। तीसरे योगी भगवान कृष्ण हुए, जिन्हें योगेश्वर कहा गया।पतंजलि का योगशास्त्र सर्वोपरि है, जो अनुकरणीय है।
आज सारी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है,जो पढ़े लिखे लोगों के दिमाग की उपज है।योग दिवस मनाने से क्या शरीर स्वस्थ रह सकता है?आज के पांच दशक पूर्व जहां ९० प्रतिशत लोग स्वस्थ रहते रहे वहीं आज १०प्रतिशत लोग ही स्वस्थ हैं।क्या पशु पक्षियों को योग करने की जरूरत नहीं होती? आज रोज कोई न कोई दिवस मनाये जाने का प्रचलन तेजी के साथ बढ़ा है।
योग दिवस को दिखावे से दूर रखने की जरूरत है।योग एवं साधना अन्त:करण को शुद्ध रखकर ही संभव है।यह तभी संभव है, जब मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार का वास अन्त:करण में रहे।
आसन, व्यायाम एवं प्राणायाम नित्य क्रिया है।दिखावा नहीं।आहार- विहार के संयम तथा -व्यवहार के अमल से ही साधना एवं योग संभव है।
Jun 21 2023, 18:33