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पाकिस्‍तान में आया तुगलकी फरमान, कॉलेज कैंपस में होली पर लगाया बैन

#highereducationcommissionofpakistanbansindianfestivalholi

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय की आवाज दबाने के हर हथकंड़े अपने जा रहे हैं। इसी क्रम में पाकिस्‍तान के उच्‍च शिक्षा आयोग ने अब कॉलेज कैंपस में होली के आयोजन को बैन कर दिया है। आयोग की तरफ से एक आदेश जारी कर इस पर बैन लगाने की बात कही गई है। यह प्रतिबंध यह कहते हुए लगा दिया है कि इस तरह की गतिविधियां देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान कम होती है। 

पाकिस्‍तान के 'आज न्‍यूज' की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्‍तानी हाईयर एजुकेशन कमीशन यानी उच्च शिक्षा आयोग ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में होली समारोह पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि इस तरह की गतिविधियां देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान के उलट हैं। आदेश में कहा गया है कि कॉलेज के कैंपस में इस्‍लामिक मूल्‍यों के खत्‍म होने से जुड़ी कई तरह की गतिविधियां आयोजित हो रही हैं। यह काफी दुखद है। इस तरह का एक उदाहरण हिंदू त्योहार होली है।

इस तरह शुरू हुआ बवाल

12 जून को इस्‍लामाबाद स्थित कायदे-ए-आजम यूनिवर्सिटी में होली का महोत्‍सव आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम का आयोजन मेहरान स्‍टूडेंट काउंसिल की तरफ से किया गया था। यह यूनिवर्सिटी का गैर-राजनीतिक सांस्‍कृतिक संगठन है। इस आयोजन के बाद से ही सारा बवाल शुरू हुआ है। 

कुछ छात्र कर रहे आदेश का विरोध

इस आदेश का कुछ छात्र जमकर विरोध कर रहे हैं। कुछ छात्रों ने कहा है कि देश की सरकार को यह समझना होगा कि होली दिवाली सिंधी संस्‍कृति का हिस्‍सा है। पाकिस्‍तान की सरकार न तो सिंधी भाषा को स्‍वीकार करती है और न ही हिंदू त्‍यौहारों को कोई सम्‍मान देती है। छात्रों का कहना है कि खुद को मानवाधिकार का चैंपियन करार देने वाले पाकिस्‍तानी राजनेता अब क्‍या करेंगे। साथ ही विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो से सवाल किया गया है कि क्‍या वह इस बैन के खिलाफ कोई आवाज उठाएंगे या नहीं?

गैर-मुस्लिमों की मुसीबतें बढ़ी

बता दें कि पाकिस्‍तान में हुकूमत के कई सख्‍त फैसले आए हैं, जिनसे वहां गैर-मुस्लिमों की मुसीबतें बढ़ी हैं। वहां सियासत में गैर-मुस्लिमों की पहुंच सीमित कर दी गई है, साथ ही उनके प्रोटेक्‍शन के लिए उस तरह की व्‍यवस्‍थाएं नहीं हैं, जैसी भारत में हैं. बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान में गैर-मुस्लिमों की तादाद कुल आबादी में 14% से ज्‍यादा थी, मगर अब वहां हिंदू 5% भी नहीं हैं।

पाकिस्‍तान में आया तुगलकी फरमान, कॉलेज कैंपस में होली पर लगाया बैन

#higher_education_commission_of_pakistan_bans_indian_festival_holi

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय की आवाज दबाने के हर हथकंड़े अपने जा रहे हैं। इसी क्रम में पाकिस्‍तान के उच्‍च शिक्षा आयोग ने अब कॉलेज कैंपस में होली के आयोजन को बैन कर दिया है। आयोग की तरफ से एक आदेश जारी कर इस पर बैन लगाने की बात कही गई है। यह प्रतिबंध यह कहते हुए लगा दिया है कि इस तरह की गतिविधियां देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान कम होती है। 

पाकिस्‍तान के 'आज न्‍यूज' की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्‍तानी हाईयर एजुकेशन कमीशन यानी उच्च शिक्षा आयोग ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में होली समारोह पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि इस तरह की गतिविधियां देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान के उलट हैं। आदेश में कहा गया है कि कॉलेज के कैंपस में इस्‍लामिक मूल्‍यों के खत्‍म होने से जुड़ी कई तरह की गतिविधियां आयोजित हो रही हैं। यह काफी दुखद है। इस तरह का एक उदाहरण हिंदू त्योहार होली है।

इस तरह शुरू हुआ बवाल

12 जून को इस्‍लामाबाद स्थित कायदे-ए-आजम यूनिवर्सिटी में होली का महोत्‍सव आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम का आयोजन मेहरान स्‍टूडेंट काउंसिल की तरफ से किया गया था। यह यूनिवर्सिटी का गैर-राजनीतिक सांस्‍कृतिक संगठन है। इस आयोजन के बाद से ही सारा बवाल शुरू हुआ है। 

कुछ छात्र कर रहे आदेश का विरोध

इस आदेश का कुछ छात्र जमकर विरोध कर रहे हैं। कुछ छात्रों ने कहा है कि देश की सरकार को यह समझना होगा कि होली दिवाली सिंधी संस्‍कृति का हिस्‍सा है। पाकिस्‍तान की सरकार न तो सिंधी भाषा को स्‍वीकार करती है और न ही हिंदू त्‍यौहारों को कोई सम्‍मान देती है। छात्रों का कहना है कि खुद को मानवाधिकार का चैंपियन करार देने वाले पाकिस्‍तानी राजनेता अब क्‍या करेंगे। साथ ही विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो से सवाल किया गया है कि क्‍या वह इस बैन के खिलाफ कोई आवाज उठाएंगे या नहीं?

गैर-मुस्लिमों की मुसीबतें बढ़ी

बता दें कि पाकिस्‍तान में हुकूमत के कई सख्‍त फैसले आए हैं, जिनसे वहां गैर-मुस्लिमों की मुसीबतें बढ़ी हैं। वहां सियासत में गैर-मुस्लिमों की पहुंच सीमित कर दी गई है, साथ ही उनके प्रोटेक्‍शन के लिए उस तरह की व्‍यवस्‍थाएं नहीं हैं, जैसी भारत में हैं. बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान में गैर-मुस्लिमों की तादाद कुल आबादी में 14% से ज्‍यादा थी, मगर अब वहां हिंदू 5% भी नहीं हैं।

अमेरिकी सांसदों की राष्ट्रपति बाइडेन से अपील, पत्र लिखकर कहा-पीएम मोदी का स्वागत करें लेकिन, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर भी बात

#pm_modi_america_visit_75_us_senators_wrote_letter_to_joe_biden 

22 जून को दूसरी बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्‍त सत्र में संबोधन होना है। साल 2016 के बाद पीएम मोदी दूसरी बार इसे संबोधित करेंगे। पहले 75 यूएस सांसदों और कांग्रेस प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति बाइडेन को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपनी चिंताओं को सामने रखा है। उनका कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्य यात्रा के दौरान स्वागत किया जाए, लेकिन साथ ही भारत के साथ मौजूदा चिंताओं पर भी चर्चा की जाए।

दरअसल अमेरिका में भारतवंशी सांसद प्रमिला जयपाल समेत 75 अन्य सांसदों के साइन वाले पत्र में कहा गया है कि हम लोग लंबे समय से भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों के समर्थक रहे हैं। हम यह भी मानते हैं कि दोस्तों के बीच अगर किसी बात को लेकर मतभेद हैं तो उस पर ईमानदार और स्पष्ट तरीके से उन्हें चर्चा करनी चाहिए। इस पत्र में कहा गया है कि, इसलिए हम सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच साझा हितों के कई क्षेत्रों के अलावा आप सीधे प्रधानमंत्री मोदी के साथ चिंता के मुद्दों को भी उठाएं।

इन मुद्दों पर बातचीत की मांग

इस लेटर में भारत में धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ने, नागरिक, संगठनों और पत्रकारों को निशाना बनाने, साथ ही मीडिया की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर बढ़ते प्रतिबंधों के बारे में खबरों का उल्लेख किया गया है और विदेश विभाग की भारत में मानवाधिकार को लेकर 2022 की देश आधारित रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है।इस पत्र में अमेरिकी विदेश विभाग और नागरिक समाज संगठनों की रिपोर्टों का हवाला दिया गया है।

अमेरिकी संसद के 14 फीसद सांसदों ने पत्र पर हस्ताक्षर किया

मंगलवार दोपहर को यह पत्र जारी किया है। सीनेटर क्रिस वैन होलेन (जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए एक निजी रात्रिभोज में भाग लिया था और भारत के वर्तमान राजनीतिक प्रक्षेपवक्र के आलोचक रहे हैं) और कांग्रेस महिला प्रमिला जयपाल (कांग्रेस के प्रगतिशील कॉकस के भारतीय मूल के प्रमुख) ने पहल का नेतृत्व किया। पत्र पर बर्नी सैंडर्स, एलिजाबेथ वारेन और टिम कैन सहित 18 सीनेटरों और प्रतिनिधि सभा के 57 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। जयपाल पांच प्रतिनिधियों में से एकमात्र भारतीय-अमेरिकी हैं, जिन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किया है। अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में कुल 535 सांसद हैं यानी अमेरिकी संसद के 14 फीसद सांसदों ने पत्र पर हस्ताक्षर किया है।

योग दिवस पर कांग्रेस ने नेहरू को किया याद, थरूर ने अपनी ही पार्टी को दी नसीहत, बीजेपी वाले हुए गदगद

#shashi_tharoor_advise_to_congress

आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।इससे पहले पीएम ने अंतर राष्ट्रीय योग दिवस पर न्यू यॉर्क से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संबोधित किया। कांग्रेस ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की एक तस्वीर ट्वीट कर योग दिवस पर सियासत शुरू कर दी। कांग्रेस ने सुबह-सुबह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की शीर्षासन करते हुए फोटो ट्वीट की। हालांकि, पार्टी के ही सीनियर नेता शशि थरूर ने उसपर मिट्टी पलीद कर दी।

कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की शीर्षासन करते हुए फोटो ट्वीट की। कैप्‍शन दिया कि 'पंडित नेहरू को धन्यवाद जिन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया और इसे राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनाया।'हालांकि, कुछ ही देर बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने इसे रिट्वीट करते हुए योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए मोदी सरकार की तारीफ कर दी

थरूर ने कांग्रेस के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, 'जरूर। हमें उनका भी धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने योग को पुनर्जीवित कर लोकप्रिय बनाया, इसमें हमारी सरकार, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्रालय शामिल हैं। इन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र के जरिए योग दिवस का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया। मैं दशकों से कहता आ रहा है, योग हमारी सॉफ्ट पावर का अहम हिस्सा है। इसे मान्यता मिलने देखना अच्छा लगता है।

बता दें कि पीएम मोदी अमेरिका के न्‍यूयॉर्क में योग दिवस मनाएंगे। वह अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं।आज योग दिवस के मौके पर पीएम ने एक वीडियो संदेश में कहा कि '2014 में जब संयुक्त राष्ट्र आम सभा में योग दिवस का प्रस्ताव आया, तो रिकॉर्ड देशों ने इसे समर्थन दिया था। तब से लेकर आज तक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिए योग एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, वैश्विक भावना बन गया है। भारत के आह्वान पर दुनिया के 180 से ज्यादा देशों का एक साथ आना, ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है।

आतंकी साजिद मीर को चीन ने यूएन में बचाया, भारत ने मुंबई अटैक का ऑडियो सुनाकर यूं खोली ड्रैगन की पोल

#unitednationsindiaattackschinaoverblockingofsajidmirglobal_terrorist

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को करारा जवाब दिया है। दरअसल, चीन की तरफ से पाकिस्‍तान के आतंकी साजिद मीर को ग्‍लोबल टेररिस्‍ट घोषित करने वाले प्रस्‍ताव को रोक दिया गया। लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद को 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति की तरफ से आतंकी घोषित किया जाना था।लेकिन, चीन ने साजिद मीर को ग्लोबल टेटरिस्ट की लिस्ट में डालने पर अडंगा डाल दिया दिया। चीन की इस हरकतों पर भला भारत का कहां शांत रहने वाला। भारत ने चीन के दावे की पोल खोलते हुए संयुक्त राष्ट्र की बैठक में आतंकी साजिद मीर का एक ऑडियो चलाया जिसमें वो मुंबई के 26/11 हमले को लेकर आंतकियों को दिशा-निर्देश दे रहा है।

चीन ने लगाया वीटो

आतंकियों के खिलाफ भारत की तरफ से यूएन में प्रस्ताव पेश किए जाते हैं, जिन पर हर बार चीन की तरफ से अडंगा लगाया जाता है। इस बार भी जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी और मुंबई हमले के आरोपी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा तो चीन ने इस पर अडंगा लगा दिया। भारत और अमेरिका की तरफ से यूएन में आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिससे उसकी संपत्ति को फ्रीज करना, ट्रैवल बैन और हथियारों पर रोक लगाई जा सके। जिस पर चीन ने वीटो लगा दिया।

भारत ने इसे 'तुच्छ भू-राजनीतिक हित' करार दिया

यूएन असेंबली में भारत की तरफ से ज्वाइंट सेक्रेट्री प्रकाश गुप्ता ने चीन के इस कदम पर जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र की काउंटर टेरर मीटिंग में बोलते हुए विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि चीन ने तुच्छ भू-राजनीतिक हितों को देखते हुए साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। चीन की लताड़ लगते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में आतंकवाद की इस चुनौती से ईमानदारी से लड़ने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।

भारत ने कहा- आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत

गुप्ता ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि जब आतंकी मीर के खिलाफ तमाम देशों के प्रस्ताव के बाद भी उसे वैश्विक आंतकी घोषित नहीं किया गया तो इससे ये कहा जा सकता है कि आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत है। इस दौरान गुप्ता ने एक इंटरसेप्ट की गई रिकॉर्डिंग भी चलाई, जिसमें आतंकी मीर को उर्दू में उन आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना गया, जिन्होंने मुंबई हमले को अंजाम दिया था। गुप्ता ने कहा कि ये आतंकवादी साजिद मीर है, जो आतंकियों को फोन पर ताज होटल में विदेशी नागरिकों को खोजने और उन्हें गोली मारने के निर्देश दे रहा है।

पहले भी चीन कर चुका है ऐसी हरकत

चीन की ओर से ऐसा पहले बार नहीं है जब उसने साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। पिछले साल सितंबर में भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मीर को आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया था और बीजिंग ने अब प्रस्ताव को रोक दिया है। साजिद को भारत और अमेरिका दोनों ही उसे आतंकी घोषित कर चुके हैं। लेकिन हमेशा उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्‍ताव में चीन अड़ंगा डाल देता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तरफ से हर बार आए प्रस्‍ताव को चीन ने रोक दिया है।

भारत ने अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का ऑडियो सुनाया था

भारत की तरफ से अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का यही ऑडियो सुनाया गया था। अक्तूबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकी हमले के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा किया था। इसमें बताया गया कि आतंकियों के आका मुंबई हमले की साजिश रच रहे थे और कैसे उन्होंने आदेश देकर इस हमले को अंजाम दिलाया। यह आदेश देने वाला साजिद मीर था जो उस वक्त पाकिस्तान में बैठकर मुंबई में आए 10 आतंकियों को फोन पर निर्देश दे रहा था। लेकिन इसके बाद भी चीन को सबूत नाकाफी लगते हैं और वह उसे हर बार आतंकी मानने से इनकार कर देता है।

2016 में पाकिस्‍तान ने बताया मरा हुआ

पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर वही है, 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के दौरान आतंकी अजमल कसाब समेत अन्य सभी आतंकियों को फोन पर हमले के लिए लगातार उनके संपर्क में रहकर निर्देश दे रहा था। जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने साजिद मीर का नाम लिया था। लाहौर में जन्‍मे साजिद को पाकिस्‍तान की सरकार ने साल 2016 में मरा हुआ घोषित कर दिया था। जून 2022 में जब पाकिस्‍तान ने उसे 15 साल की सजा का ऐलान किया तो हर कोई हैरान रह गया। सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे सिर्फ पाकिस्‍तान की तरफ से एक नाटक करार दिया। उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ ग्रे लिस्‍ट का ही कमाल है जो साजिद फिर से जिंदा हो गया है।

आतंकी साजिद मीर को चीन ने यूएन में बचाया, भारत ने मुंबई अटैक का ऑडियो सुनाकर यूं खोली ड्रैगन की पोल

#united_nations_india_attacks_china_over_blocking_of_sajid_mir_global_terrorist

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को करारा जवाब दिया है। दरअसल, चीन की तरफ से पाकिस्‍तान के आतंकी साजिद मीर को ग्‍लोबल टेररिस्‍ट घोषित करने वाले प्रस्‍ताव को रोक दिया गया। लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद को 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति की तरफ से आतंकी घोषित किया जाना था।लेकिन, चीन ने साजिद मीर को ग्लोबल टेटरिस्ट की लिस्ट में डालने पर अडंगा डाल दिया दिया। चीन की इस हरकतों पर भला भारत का कहां शांत रहने वाला। भारत ने चीन के दावे की पोल खोलते हुए संयुक्त राष्ट्र की बैठक में आतंकी साजिद मीर का एक ऑडियो चलाया जिसमें वो मुंबई के 26/11 हमले को लेकर आंतकियों को दिशा-निर्देश दे रहा है।

चीन ने लगाया वीटो

आतंकियों के खिलाफ भारत की तरफ से यूएन में प्रस्ताव पेश किए जाते हैं, जिन पर हर बार चीन की तरफ से अडंगा लगाया जाता है। इस बार भी जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी और मुंबई हमले के आरोपी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा तो चीन ने इस पर अडंगा लगा दिया। भारत और अमेरिका की तरफ से यूएन में आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिससे उसकी संपत्ति को फ्रीज करना, ट्रैवल बैन और हथियारों पर रोक लगाई जा सके। जिस पर चीन ने वीटो लगा दिया।

भारत ने इसे 'तुच्छ भू-राजनीतिक हित' करार दिया

यूएन असेंबली में भारत की तरफ से ज्वाइंट सेक्रेट्री प्रकाश गुप्ता ने चीन के इस कदम पर जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र की काउंटर टेरर मीटिंग में बोलते हुए विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि चीन ने तुच्छ भू-राजनीतिक हितों को देखते हुए साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। चीन की लताड़ लगते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में आतंकवाद की इस चुनौती से ईमानदारी से लड़ने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।

भारत ने कहा- आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत

गुप्ता ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि जब आतंकी मीर के खिलाफ तमाम देशों के प्रस्ताव के बाद भी उसे वैश्विक आंतकी घोषित नहीं किया गया तो इससे ये कहा जा सकता है कि आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत है। इस दौरान गुप्ता ने एक इंटरसेप्ट की गई रिकॉर्डिंग भी चलाई, जिसमें आतंकी मीर को उर्दू में उन आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना गया, जिन्होंने मुंबई हमले को अंजाम दिया था। गुप्ता ने कहा कि ये आतंकवादी साजिद मीर है, जो आतंकियों को फोन पर ताज होटल में विदेशी नागरिकों को खोजने और उन्हें गोली मारने के निर्देश दे रहा है।

पहले भी चीन कर चुका है ऐसी हरकत

चीन की ओर से ऐसा पहले बार नहीं है जब उसने साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। पिछले साल सितंबर में भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मीर को आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया था और बीजिंग ने अब प्रस्ताव को रोक दिया है। साजिद को भारत और अमेरिका दोनों ही उसे आतंकी घोषित कर चुके हैं। लेकिन हमेशा उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्‍ताव में चीन अड़ंगा डाल देता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तरफ से हर बार आए प्रस्‍ताव को चीन ने रोक दिया है।

भारत ने अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का ऑडियो सुनाया था

भारत की तरफ से अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का यही ऑडियो सुनाया गया था। अक्तूबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकी हमले के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा किया था। इसमें बताया गया कि आतंकियों के आका मुंबई हमले की साजिश रच रहे थे और कैसे उन्होंने आदेश देकर इस हमले को अंजाम दिलाया। यह आदेश देने वाला साजिद मीर था जो उस वक्त पाकिस्तान में बैठकर मुंबई में आए 10 आतंकियों को फोन पर निर्देश दे रहा था। लेकिन इसके बाद भी चीन को सबूत नाकाफी लगते हैं और वह उसे हर बार आतंकी मानने से इनकार कर देता है।

2016 में पाकिस्‍तान ने बताया मरा हुआ

पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर वही है, 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के दौरान आतंकी अजमल कसाब समेत अन्य सभी आतंकियों को फोन पर हमले के लिए लगातार उनके संपर्क में रहकर निर्देश दे रहा था। जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने साजिद मीर का नाम लिया था। लाहौर में जन्‍मे साजिद को पाकिस्‍तान की सरकार ने साल 2016 में मरा हुआ घोषित कर दिया था। जून 2022 में जब पाकिस्‍तान ने उसे 15 साल की सजा का ऐलान किया तो हर कोई हैरान रह गया। सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे सिर्फ पाकिस्‍तान की तरफ से एक नाटक करार दिया। उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ ग्रे लिस्‍ट का ही कमाल है जो साजिद फिर से जिंदा हो गया है।

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर बीजेपी के 9 विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ लिखा पीएम को पत्र, कहा- राज्य सरकार से उठ गया लोगों का भरोसा

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मणिपुर में डेढ़ महीने बाद भी हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में मणिपुर के मैतेई समुदाय के नौ विधायकों ने पीएमओ के नाम एक ज्ञापन भेजा है। इसमें लिखा गया है कि मणिपुर की मौजूदा सरकार से लोगों का विश्वास उठ गया है। गौर करने वाली बात ये है कि ये ज्ञापन विपक्षी विधायकों ने नहीं, बल्कि भाजपा के ही विधायकों ने प्रधानमंत्री को दिया है।

'सरकार और प्रशासन पर लोगों ने विश्वास खो दिया '

सोमवार को प्रधान मंत्री कार्यालय को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि मणिपुर हिंसा की वजह से अब तक करीब 100 से ज्यादा निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। स्थिति कंट्रोल करने के लिए कई कदम उठाए जाने के बावजूद ग्राउंड पर कोई खास सुधार नजर नहीं आ रहा है। राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। मौजूदा वक्त में सरकार और प्रशासन पर लोगों ने विश्वास खो दिया है। कानून के शासन का पालन करते हुए सरकार के प्रशासन और कामकाज के लिए कुछ विशेष उपायों का सहारा लिया जा सकता है ताकि आम जनता का विश्वास बहाल हो सके।

ज्ञापन देने वाले सभी भाजपा विधायक

जिन नौ विधायकों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जनता का समर्थन खो दिया है, वे सभी मणिपुर के भाजपा विधायक हैं। इनमें करम श्याम सिंह,राधेश्याम सिंह, निशिकांत सिंह सपम, रघुमणि सिंह, एस. ब्रोजेन सिंह, टी रोबिन्द्रो सिंह, एस राजेन सिंह, एस केबी देवी, और डॉ. वाई. राधेश्याम शामिल हैं। ये सभी मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 

क्या बढ़ने वाली है सीएम बीरेन सिंह की मुश्किलें

ये ज्ञापन उसी दिन सौंपा गया, जब 30 मेइती विधायकों का एक अलग प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, निशिकांत सिंह से मिला। इसमें ज्यादातर विधायक बीजेपी से थे और एक एनपीपी और जेडीयू से थे।मणिपुर में हिंसा की शुरुआत तीन मई को हुई थी मगर इससे एक महीने पहले बीजेपी के चार विधायकों ने अपने पदों को छोड़ दिया था। हालांकि तब सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि सबकी अपनी परेशानियां हैं इसीलिए उन्होंने पद छोड़ा है। बाकी सरकार में कोई दिक्कत नहीं है। अब जिन नौ विधायकों ने ज्ञापन सौंपा है उनसें से चार विधायक वही है जिन्होंने पहले अपने प्रशासनिक और एडवाइडरी जैसे पदों से इस्तीफा दिया था।ऐसे में माना जा रहा है कि अब मणिपुर सीएम बीरेन सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

भारी विरोध के बाद केंद्र की सरकार ने वापस लिया पशुधन परिवहन बिल 2023 का मसौदा, सरकार ने ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में रखा था

केंद्र की मोदी सरकार पशुधन उत्पाद एवं पशुधन परिवहन बिल 2023 को वापस ले लिया है। सरकार ने ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में रखा था लेकिन इसके व्यापक विरोध के बाद अब इस ड्राफ्ट को वापस ले लिया गया।

जरूरत के हिसाब से एक लाइवस्टॉक इम्पोर्टेशन एक्ट 1898 में बदलाव करते हुए लाइवस्टॉक प्रोडक्ट एण्ड लाइवस्टॉक इम्पोर्टेशन एण्ड एक्सपेटेशन बिल 2023 का ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन डाला गया था।

ड्राफ्ट के वापस लेने के आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि परामर्श के दौरान, यह देखा गया कि प्रस्तावित मसौदे को समझने और आगे की टिप्पणी या सुझाव देने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता है।

इसके अलावा, प्रस्तावित मसौदे पर पशु कल्याण और संबंधित पहलुओं के साथ संवेदनशीलता और भावनाओं को शामिल करते हुए चिंता व्यक्त करते हुए अभ्यावेदन किए गए हैं, और इसलिए, व्यापक परामर्श की आवश्यकता होगी।

आदेश में कहा गया है, “उपर्युक्त विचारों को ध्यान में रखते हुए और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के साथ प्रस्तावित मसौदा विधेयक वापस लिया जाता है।”

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं, दक्षिणपंथी समूहों और जैन धर्मगुरुओं ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिन्होंने अलग-अलग कारणों से इसे वापस लेने की मांग की थी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय किसान संघ के सूत्रों ने कहा कि बिल आवारा पशुओं के खतरे के लिए रामबाण हो सकता है, लेकिन संगठन धार्मिक भावनाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं को आहत नहीं होने देगा।

2022-23 में, भारत ने 5.11 मिलियन डॉलर के मूल्य के जीवित पशुओं का निर्यात किया, जिनमें से अधिकांश भेड़ और बकरियां थीं।

व्यापार सूत्रों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर जानवर त्योहारों के दौरान पश्चिम एशियाई देशों को निर्यात किए जाते हैं।

“पशुधन आयात और निर्यात बिल जानवरों पर क्रूरता को स्पष्ट रूप से बढ़ाएगा। कुत्तों और बिल्लियों और पक्षियों को पशुधन की परिभाषा में शामिल करना हास्यास्पद है। यह बिल निश्चित रूप से अभिशाप है और इसका विरोध किया जाना चाहिए।”

न्यूजीलैंड जैसे देशों ने जीवित पशुओं को वस्तुओं के रूप में ले जाने की क्रूर प्रथा को बंद कर दिया है, एक पशु अधिकार कार्यकर्ता फैजान जलील ने यह बात मीडिया को बताई थी।

पटना बैठक से पहले अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को लिखी चिट्ठी, केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर चेताया

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23 जून को पटना में होनेवाली विपक्षी नेताओं की बैठक से पहले दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने तमाम विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे सबसे पहले दिल्ली के अध्यादेश पर विचार करें। अपने इस पत्र के जरिए केजरीवाल ने विपक्ष को आगाह करने की कोशिश की है और कहा है कि दिल्ली अध्यादेश का प्रयोग सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर-बीजेपी शासन वाले राज्यों में भी ऐसे अध्यादेश लाकर राज्य सरकारों के अधिकार छीन लेगी।

पीएम 33 राज्यपालों और एलजी के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे-केजरीवाल

 23 जून को बिहार के पटना में विपक्षी दलों की एक बैठक आयोजित की जानी है।ये बैठक 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कवायद के रूप मे देखा जा रहा है। इस बैठक में देश की करीब 17 राजनीतिक पार्टियां शामिल हो रही है। जिसमें कांग्रेस और आप बी शामिल हैं। इस बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को विपक्षी नेताओं को चिट्ठी लिखी है।केजरीवाल ने चिट्ठी में लिखा है कि बिहार में विपक्षी नेताओं की बैठक में अध्यादेश को संसद में हराने पर सबसे पहले चर्चा हो। उन्होंने कहा कि दिल्ली का अध्यादेश एक प्रयोग है, यह सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर बीजेपी शासित राज्यों के लिए ऐसे ही अध्यादेश लाकर राज्य सरकार का अधिकार छीन लेगी। वह दिन दूर नहीं जब पीएम 33 राज्यपालों और एलजी के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे।

केजरीवाल का दावा-ऐसे अध्यादेश लाकर किसी भी पूर्ण राज्य के अधिकार छीन सकती है

अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को लिखी चिट्ठी में दावा किया कि दिल्ली अध्यादेश पर उन्होंने बहुत ज्यादा अध्ययन किया है। केजरीवाल के मुताबिक, ऐसा अध्यादेश केवल दिल्ली के लिए लाया जा सकता है, ये सोचना गलत होगा। दिल्ली के सीएम का मानना है कि समवर्ती सूची में आने वाले विषयों को लेकर केंद्र सरकार ऐसा ही अध्यादेश लाकर किसी भी पूर्ण राज्य के अधिकार छीन सकती है।

अध्यादेश के लागू होने पर दिल्ली से जनतंत्र खत्म होगा

केजरीवाल ने चिट्ठी में आगे लिखा कि इस अध्यादेश के लागू होने पर दिल्ली से जनतंत्र खत्म होगा।इसके बाद दिल्ली की जनता जो भी सरकार चुनेगी, उसके पास कोई ताकत नहीं होगी। केंद्र एलजी के माध्यम से सरकार चलाएगी, दिल्ली के बाद अन्य राज्यों से जनतंत्र खत्म किया जाएगा।

पटना से रांची के बीच प्रस्तावित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के किराया के लिए रेलवे ने भेजा शीर्ष अधिकारियों के पास, पीएम मोदी 27 जून को करेंगे उद्

पटना से रांची के बीच प्रस्तावित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का किराया रेलवे ने लगभग तय कर लिया है। इसे अप्रूवल के लिए संबंधित शीर्ष अधिकारी को भेजा गया है। वहां से अनुमति मिलने ही तय किराया को रेलवे की आरक्षण प्रणाली में डाल दिया जाएगा। वंदे भारत का किराया पटना से रांची और रांची से पटना के लिए अलग-अलग है। वहीं अन्य स्टेशनों का किराया निर्धारित करने पर मंथन चल रहा है। पटना से रांची के बीच चलने वाली जनशताब्दी से वंदे भारत का किराया लगभग दो गुना हो सकता है।

यह है प्रस्तावित किराया 

वंदे भारत के लग्जरी कोच से पटना से रांची के लिए 2174 (इसमें कैटरिंग का 414 रुपये वैकल्पिक) रुपये और सामान्य कोच का 1245 (कैटरिंग का 359 रुपये वैकल्पिक) रुपये तय किया गया है। वहीं रांची से पटना के लिए लग्जरी कोच का किराया 2353 (इसमें कैटरिंग का 593 रुपये वैकल्पिक) रुपये और सामान्य कोच का 1396 (इसमें कैटरिंग का 510 रुपये वैकल्पिक) रुपये तय किया गया है।

 जन शताब्दी के चेयर कार का किराया पटना से रांची और रांची से पटना के लिए 650 रुपये निर्धारित है। इस संबंध में पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वंदे भारत का किराया अप्रूवल के लिए शीर्ष अधिकारी को भेजा गया है। इस पर मुहर लगने का इंतजार किया जा रहा है।

 उद्घाटन 27 जून को पीएम मोदी करेंगे 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 27 जून को इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। विधिवत शुरुआत होने के बाद यात्री इस सेमी हाईस्पीड ट्रेन में सफर कर सकेंगे। वंदे भारत ट्रेन पटना से सुबह खुलकर जहानाबाद, गया, कोडरमा, हजारीबाग, बरकाकाना होते हुए रांची-हटिया तक दोपहर में पहुंचेगी। वहीं रांची से दोपहर बाद निकलकर रात में पटना वापस पहुंचेगी। रेलवे इस रूट पर वंदे भारत का दो बार ट्रायल कर चुका है।