*पूर्वानुमान के बीच भटक सकता है मानसून*
नितेश श्रीवास्तव
भारत में आधे से अधिक आबादी की आजीविका खेती पर निर्भर है और खेती मानसून का पूर्वानुमान भी कभी - कभी सटीक नहीं होता। केरल में दस्तक के बाद भी शेष भारत में पहुंचने से पहले रास्ता भटकने का खतरा बना रहता है।
इस बार भी सप्ताह भर के भीतर ही मौसम विभाग के दो तरह के पूर्वानुमान आ चुके हैं। पहले एक जून और बाद में चार जून की भविष्यवाणी है। अभी भी संशोधन की संभावना है। मौसम पर काम करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट का अनुमान भी अलग है। वह सात जून की तिथि पहले ही घोषित कर चुका है।
साथ ही सामान्य से कम बारिश का भी अनुमान है जबकि आईएमडी ने इससे इन्कार किया है।
पूर्वानुमान का आधार अध्ययन
मानसून के आंकड़ों का इंतजार इसलिए भी होता है कि इसी आधार पर किसानों, केंद्र एवं राज्य सरकार खेती की तैयारी करते हैं सटीक अनुमान के लिए आईएमडी उपग्रहों की सहायता से हिंद और प्रशांत महासागर के वायुमंडल के साथ देश की स्थलीय स्थिति का छह पैमाने का अध्ययन करता है। इनमें उत्तर - पश्चिम भारत का न्यूनतम तापमान, दक्षिणी भाग में मानसून से पहले की बारिश, दक्षिणी चीन सागर एवं दक्षिणी - पूर्व हिंद महासागर में लहरों की स्थिति, तापमान एवं आर्द्रता के साथ उत्तर - पश्चिमी प्रशांत महासागर में हवा का दबाव प्रमुख हैं।
May 22 2023, 12:53