सदर अस्पताल से एंटी रैबीज इमनोग्लोबिन दवा की कालाबाजारी, 500 लोगों के फर्जी नाम पर हुई हेराफेरी
मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल से एंटी रैबीज इमनोग्लोबिन दवा की कालाबाजारी 500 लोगों के नाम पर हेराफेरी कर की गई है। विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि जिस दवा की कालाबाजारी की गई है, वह काफी महंगी है। बीएमएसआईसीएल से एक वायल तीन हजार रुपये में आता है। इस दवा की बाजार में कीमत चार हजार रुपये है। यह दवा कुत्ते के काटने के बाद अगर खून में संक्रमण हो जाये या मांस निकल जाये तो दी जाती है। यह दवा आम एंटी रैबीज से अलग है।
विभागीय कर्मियों का कहना है कि अस्पतालों को एंटी रैबीज दवा उनकी मांग पर दी जाती है। दवा के खत्म हो जाने के बाद अस्पतालों के स्टोर को यह बताना पड़ता है कि उसे कितनी दवा की जरूरत है। इसके बाद उस दवा की इंट्री की जाती है। दवा खत्म होने के बाद अस्पताल को बताना पड़ता है कि इस दवा की खपत कहां-कहां हुई।
सदर अस्पताल में इसके लिए एक रजिस्ट्रर भी रखा गया है, जिसमें प्रतिदिन एंटी रैबीज की सूई लेने वाले मरीजों का नाम और पता रिकार्ड किया जाता है। सदर अस्पताल के अलावा पीएचसी में भी ऐसा किया जाना है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार जिन लोगों ने टीका नहीं लिया उसके नाम भी दर्ज कर इसका उठाव करवा लिया गया व हरियाणा की एजेंसी को बेच दिया गया।
एंटी रैबीज का इंजेक्शन लेने पहुंचने वाले मरीजों को पहले सदर अस्पताल की इमरजेंसी में पर्चा कटाना पड़ता है। पर्चा कटाने के बाद ही उसे दवा दी जाती है। एंटी रैबीज की कालाबाजारी के तार सदर अस्पताल की इमरजेंसी से भी जुड़ रहे हैं। पुलिस को इमरजेंसी में ड्यूटी करने वाले एक कर्मचारी पर संदेह है। चूंकि इमरजेंसी में पर्चा कटने के कारण सारा रिकार्ड भी वहां मौजूद रहता है, इसलिए वहां भी नाम में फर्जीवाड़े का खेल होने पर जांच की सूई घूम रही है।
मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी
May 17 2023, 15:45