युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए समलैंगिक विवाह को ना दें मान्यता : लखनऊ बार एसोसिएशन
लखनऊ । लखनऊ बार एसोसिएशन ने भी समलैंगिक विवाह के जोड़ों के विवाह के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले का विरोध किया है। लखनऊ बार एसोसिएशन ने कहा है कि समलैंगिक विवाह को किसी भी तरह से वैधानिक मान्यता देना उचित नहीं है।
इस संबंध में मंगलवार को लखनऊ बार एसोसिएशन एवं सेंट्रल बार एसोसिएशन की ओर से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार को सौंपा गया।
जिलाधिकारी के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को प्रेषित किए गए ज्ञापन हेतु प्रतिनिधि मंडल में लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश पांडे एवं महामंत्री एडवोकेट कुलदीप नारायण मिश्रा, साथ ही सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट सुनील द्विवेदी, एडवोकेट मनोज त्रिपाठी, एडवोकेट राकेश पांडे, एडवोकेट अभिजीत मिश्रा, एडवोकेट अनिल मिश्रा, एडवोकेट पीयूष शुक्ला, एडवोकेट विशाल सिन्हा, एडवोकेट अनुराग श्रीवास्तव आदि बार के वरिष्ठ पदाधिकारी अधिवक्तागण मौजूद रहें।
लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश पाण्डेय और महामंत्री कुलदीप नारायण मिश्र की ओर से जारी बयान में कहा है कि यह विषय हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। विवाह एक संस्कार है और संस्कार को संविधान से जोड़ना ठीक नहीं है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि समलैंगिक विवाह तो कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह अप्राकृतिक कृत्य प्रकृति के नियमों के विरूद्ध है। यदि कोई साथ रहना चाहता है तो रहे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसे कानूनी मान्यता देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रकृति के विरुद्ध जाने से इसके दुष्परिणाम हमारी आने वाली पीढ़ी पर पड़ेगा। युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। भारत विभिन्न धर्मों और जातियों, उपजातियों का देश है। प्राचीनकाल से पुरूष एवं महिला के बीच ही विवाह को मान्यता है।
विवाह केवल दो विषम लैंगिकों को मिलन ही नहीं है अपितु इसका उद्देश्य मानव जाति की उन्नति संरक्षण और संवर्धन भी है। इसलिए लखनऊ बार एसोसिएशन एवं सेंट्रल बार एसोसिएशन वैवाहिक संस्था को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का सख्त विरोध करती है।
May 02 2023, 21:57