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सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद भी सीबीआई के समन पर फूटा अभिषेक बनर्जी का गुस्सा, कहा- बीजेपी ने मुझे परेशान करने के लिए सीबीआई और ईडी को अदालत की अवमानना का आदेश दिया


तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी को समन भेजा है। उन्हें मंगलवार को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है। सीबीआई की ओर से समन मिलने के बाद अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी पर निशाना साधा है। 

अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, बीजेपी ने मुझे परेशान करने और निशाना बनाने की अपनी हताशा में सीबीआई और ईडी को अदालत की अवमानना करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सुबह कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें केंद्रीय एजेंसियों को मुझे समन करने की अनुमति दी गई थी। फिर भी आज दोपहर 1:45 बजे समन दिया गया। गंभीर स्थिति है।

बता दें कि ने सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 13 अप्रैल के उस आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल पुलिस को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के इस निर्देश पर भी रोक लगा दी कि तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी और मामले में आरोपी कुंतल घोष से प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई पूछताछ कर सकती हैं।

अभिषेक बनर्जी को सीबीआई की तरफ से भेजे गए समन के बाद एक बार फिर विपक्षी दलों और केंद्र की मोदी सरकार के बीच टकराव बढ़ने की पूरी संभावना है। दरअसल विपक्षी लगातार केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। इससे एक दिन पहले यानी रविवार को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई ने शराब नीति बनाने में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में पूछताछ की थी।

पंजाब में बीजेपी नेता पर जानलेवा हमला, घर में घुसकर बदमाशों ने मारी गोली, हालत नाजुक

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पंजाब के अमृतसर में बीजेपी नेता पर जानलेवा हमला हुआ है। बीजेपी नेता के घर में घुसकर अंजान लोगों ने गोली मार दी। उन्हें आनन फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

पंजाब के अमृतसर में बीजेपी प्रदेश एससी सेल के महासचिव बलविंदर गिल पर जानलेवा हमला हुआ।बलविंदर गिल को जंडियाला गुरु इलाके में आवास पर बाइक सवार दो अज्ञात लोगों ने गोली मारी। बताया जा रहा है कि नकाबपोश बदमाश बीजेपी नेता बलविंदर सिंह के घर में घुस आए और गोलियां बरसा दी। बलविंदर को गोली लगने के बाद आनन-फानन में अमृतसर के केडी हॉस्पिटल ले जाया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। उनकी हबालत नाजुक बताई जा रही है। 

पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हमलावरों ने अपने चेहरे ढके हुए थे, लेकिन पुलिस ने सीसीटीवी खंगालने शुरू कर दिए हैं, जिससे कि हमलावरों का कोई सुराग मिल सके।बीजेपी नेता पर हमले को लेकर अमृतसर ग्रामीण के एसएसपी सतेंद्र सिंह ने बताया कि तकरीबन 9 बजे गोली मारी गई। गोल नेता के मुंह पर लगी है।

इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली में एक बीजेपी नेता की हत्या कर दी गई थी। बिंदापुर इलाके में सुरेंद्र मटियाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बदमाशों ने मटियाला के घर में घुसकर 6 गोली मारी थी। उनकी मौत की जिम्मेदारी गैंगस्टर कपिल सांगवान ने ली है।

ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक की बढ़ी मुश्किलें, शिक्षा भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई ने भेजा समन

#cbi_summons_tmc_leader_abhishek_banerjee

सीबीआई ने बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी को समन भेजा है। उन्हें मंगलवार को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है। अभिषेक बनर्जी को कोलकाता के निजाम पैलेस में पेश होना होगा।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को शिक्षकों की भर्ती में कथित भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूछताछ पर रोक के कुछ घंटे बाद सीबीआई का समन मिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार सुबह कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल पुलिस को भर्ती घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कथित तौर पर उल्लंघन करने के लिए टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी अदालत की अवमानना का केस दर्ज कर सकते हैं।

बता दें कि पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की सीबीआई और ईडी जांच कर रही है। इस केस में टीएमसी के तीन विधायक पार्थ चटर्जी, माणिक भट्टाचार्य और जीवन कृष्ण साहा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। शिक्षा विभाग के कई पूर्व अधिकारियों और टीएमसी के कई नेताओं को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

अभी जेल में ही रहेंगे मनीष सिसोदिया, दिल्ली शराब नीति घोटाला के मामले में 29 अप्रैल तक कोर्ट ने बढ़ा दी न्यायिक हिरासत की अवधि

दिल्ली में शराब नीति घोटाला के मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत पूरी होने के बाद आज सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उनको एक बार फिर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 27 अप्रैल, 2023 तक बढ़ा दिया है, जबकि ईडी मामले में अदालत ने उनकी कस्टडी को 29 अप्रैल, 2023 तक बढ़ा दिया है। 

इससे पहले अदालत ने 3 अप्रैल को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक बढ़ाई थी। सिसोदिया को 26 फरवरी को सीबीआई और ईडी द्वारा दिल्ली में आबकारी नीति में अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की चल रही जांच में गिरफ्तार किया गया था।

केजरीवाल से भी पूछताछ

वहीं, रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इसी मामले में करीब 9 घंटे तक पूछताछ की गई थी। केजरीवाल ने पूछताछ के बाद कहा कि जांच एजेंसी के पास आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

उन्होंने कहा, "उन्होंने सब कुछ पूछा,जिसमें यह भी शामिल था कि हमने पॉलिसी क्यों शुरू की और हमने इसे कैसे किया। उन्होंने मुझसे 2020 से लेकर अंत तक करीब 56 सवाल पूछे।"

सीआरपीसी की धारा के तहत बयान दर्ज

सीबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने रविवार को आबकारी नीति मामले के संबंध में केजरीवाल का बयान दर्ज किया और कहा कि इसे सत्यापित किया जाएगा और "उपलब्ध सबूतों" से मिलान किया जाएगा। सीबीआई के एक बयान के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री को 16 अप्रैल को इस मामले में उनकी जांच और मामले से संबंधित विभिन्न सवालों के जवाब देने को धारा 160 सीआरपीसी के तहत नोटिस दिया था। मुख्यमंत्री के बयानों को धारा सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किया गया है। बता दें कि सीबीआई और ईडी इस मामले में पिछले एक साल से जांच कर रही है।

कर्नाटक में राहुल गांधी का केन्द्र पर हमला, 40 प्रतिशत कमीशन वाली भ्रष्ट सरकार को हटाने के लिए चुनाव

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए उतर चुके हैं। बीदर के भाल्की में एक रैली में राहुल ने राज्य और केन्द्र की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा।चुनावी सभा में लोगों का आह्वान किया कि वे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भरपूर समर्थन दें। 

बीजेपी की तरह झूठे वादे नहीं करने चाहिए- राहुल

कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी और उद्योगपति गौतम अदानी के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस अदानी जैसे लोगों को फायदा नहीं देती है। देश का पूरा पैसा एक आदमी को दे दिया गया। मोदी जी ने 15 लाख रुपए का वादा किया था, 15 लाख रुपए आए क्या? इसलिए हमें बीजेपी की तरह झूठे वादे नहीं करने चाहिए। कांग्रेस जो भी वादा करेगी, उन्हें सरकार बनते ही जल्द से जल्द पूरा करेगी।

आरएसएस और भाजपा के लोग लोकतंत्र पर हमला कर रहे-राहुल

राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में अगर कोई पहली बार लोकतंत्र के लिए बोला और लोगों को राह दिखाई तो वो बासवन्ना जी थे। दुख की बात है कि आज आरएसएस और भाजपा के लोग लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं। बासवन्ना जी मानते थे कि सभी की सहभागिता हो, एक ऐसी जगह हो, जहां सभी मिलकर आगे बढ़ें लेकिन आज इस पर भाजपा और आरएसएस द्वारा हमला किया जा रहा है। वह नफरत और हिंसा फैला रहे हैं।

भाजपा सरकार 40 प्रतिशत कमीशन सरकार-राहुल

पूर्व कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में मौजूदा भाजपा सरकार 40 प्रतिशत कमीशन सरकार है। आज कर्नाटक में हर काम के लिए 40 प्रतिशत कमीशन देता होता है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में कम से कम 150 सीटें कांग्रेस को देनी है। ये (भाजपा) विधायकों को खरीदने की कोशिश करेंगे। यह बहुत जरूरी है कि आप कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दें। 40 प्रतिशत कमीशन वाली भ्रष्ट सरकार को हटाने के लिए चुनाव है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए वोट देना है

जगदीश शेट्टार के कांग्रेस में जाने से कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कितनी कमजोर होगी भाजपा?

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जगदीश शिवप्पा शेट्टार सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए।शेट्टार टिकट न मिलने की वजह से नाराज थे। अब सवाल ये उठ रहा है कि उनके भाजपा छोड़ने और कांग्रेस जॉइन करने के क्या नफा और नुकसान होंगे? बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि शेट्टार जैसे बड़े और लिंगायत नेता का कांग्रेस में शामिल होना कर्नाटक चुनाव में कितना नुकसान पहुंचाता है?

कहा जाता है कि राज्य में सत्ता की चाबी लिंगायतों के हाथ में ही है। बता दें कि पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार भी यदुरप्पा की तरह लिंगायत समाज से आते हैं। उनका भी अपने समाज में अच्छा दबदबा है।शेट्टार राज्य में येदियुरप्पा के बाद दूसरे सबसे बड़े लिंगायत नेता माने जाते हैं। इस समुदाय के दबदबे का ही असर है कि कर्नाटक राज्य के 20 मुख्यमंत्रियों में से अब तक आठ इसी समुदाय से आते हैं। संख्या बल के हिसाब से 17-18 % एक मुश्त वोट इन्हीं का बताया जाता है। भाजपा मानती है कि मौजूदा सीएम और यदुरप्पा भी उसी लिंगायत समुदाय से आते हैं। दोनों बड़े कद के नेता हैं। इसलिए कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। जबकि येदुयिरप्पा सार्वजनिक मंचों से अनेक बार का चुके हैं कि जगदीश शेट्टार 25-30 सीटों पर गहरा प्रभाव रखते हैं।

बीजेपी ने येदियुरप्पा के बयान को हल्के में लिया

बीजेपी के सबसे ज्यादा अहमियत रखने वाले दिग्गज नेता येदियुरप्पा के जरिए दिए गए इस बयान को कतई हल्के में नहीं लिया जा सकता है। हालांकि टिकट काटे जाने के बाद मानमनौव्वल के बीच येदियुरप्पा ने इस बात को लेकर 99 फीसदी मुहर लगाई थी कि शेट्टार को टिकट दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए।

बीजेपी को भगतना पड़ सकता है शेट्टार की बगावत का खामियाजा

जगदीश शेट्टार 2018 के विधानसभा चुनाव में धारवाड़ जिले की हुबली धारवाड़ मध्य सीट से जीते थे। शेट्टर लगातार छह बार से चुनाव जीत रहे हैं। वह 2012 से 2013 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं। 68 साल के शेट्टार 2008 से 2009 के बीच कनार्टक विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। शेट्टार 6 बार चुनाव जीते हैं और हर बार उनकी जीत का अंतर 25000 वोटों से ज्यादा रहा है। वह कई सरकारों में अलग-अलग मंत्रालय भी संभाल चुके हैं। ऐसे में बीजेपी को कर्नाटक चुनाव में जाहिर तौर पर शेट्टार की बगावत का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

शेट्टार का कांग्रेस में आना किसी संजीवनी से कम नहीं

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए जगदीश शेट्टार का शामिल होना किसी संजीवनी से कम नहीं है।कांग्रेस के सिद्धारमैया ने चुनाव से पहले घोषणा कर रखी है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देगी। अल्पसंख्यक भी घोषित करेगी। इस माँग को हवा देने में जगदीश शेट्टार प्रमुख भूमिका निभाएंगे, क्योंकि वे खुद उसी समुदाय से आते हैं जिसके भलाई की बात कांग्रेस कर रही है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, देशभर में जाति आधारिक जनगणना की मांग

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उनके साथ सत्ता में साझेदार राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी सहित कई क्षेत्रीय दलों की जातिगत जनगणना कराने की मांग के बाद अब कांग्रेस ने भी जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है।इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।खड़गे ने पत्र के जरिए देशभर में जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है।

जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी-खड़गे

दरअसल, भारत की जनगणना आखिरी बार 2011-12 में हुई थी। हर 10 साल में जनगणना कराई जाती है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि तब 25 करोड़ परिवारों को शामिल करके सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना कराई गई थी। हालांकि, जातिगत आंकड़े जारी नहीं किए गए। खरगे ने कहा कि मई 2014 में आपके सत्ता में आने के बाद विपक्ष लगातार यह मांग उठाता रहा है, लेकिन अभी तक आंकड़े जारी नहीं हो सके। मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री से कहा कि क एक विश्वसनीय डेटा बेस, विशेष रूप से ओबीसी के लिए सार्थक सामाजिक न्याय और कार्यक्रमों के लिए बहुत जरूरी है। यह जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

इसके साथ ही खड़गे ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि सामान्य तौर पर जनगणना को 2021 में कराया जाना चाहिए था। लेकिन अभी तक यह कराया नहीं जा सका है। हम मांग करते हैं कि इसे तत्काल प्रभाव से कराया जाना चाहिए, इसमे जाति को अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए।

बिहार में शराबबंदी की नीति पर बदला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रुख ! जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की मदद

बिहार में जहरीली शराब से मरने वाले लोगों को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने सोमवार को ऐलान किया कि जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। यह फैसला 2016 से लागू किया जाएगा। इस तरह सैकड़ों लोगों के परिजनों को सरकार बड़ी राहत देगी। बता दें कि अब तक नीतीश कुमार ऐसी किसी भी राहत के खिलाफ थे और उन्होंने यहां तक कहा था कि जो पिएगा, वह मरेगा। उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना भी हुई थी, लेकिन अब नीतीश कुमार का रुख बदला नजर आ रहा है।

छपरा के बाद मोतिहारी में शराब पीकर होने वाली मौत पर सीएम ने परिजनों को मदद देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब पीने से बड़ी संख्या में हुई मौतों पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि चीफ सेक्रेटरी और अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने का आदेश दे दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित परिवारों को मदद दी जाएगी। 2016 के बाद से सरकार शराब पीकर जितने लोगों की मौत हो गई है उन सभी के परिजनों को सरकार मदद करेगी।

परिजनों को लिखकर देना होगा- शराबबंदी के पक्ष में हैं

इसके लिए सभी परिवारों को यह लिखकर देना पड़ेगा कि वे शराबबंदी के पक्ष में हैं और शराब पीकर गलती की है। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में पूर्व पूर्ण शराब बंदी कानून लागू लागू है। इसके लिए सबको हम पहले ही से कहते आ रहे हैं कि शराब बहुत बड़ी चीज है इसे नहीं पीना चाहिए। इसके बाद भी कुछ लोग गड़बड़ कर देते हैं।

सीएम ने माना, मौतों से परिवार को होती है परेशानी

उन्होंने कहा कि कोई भी चीज शत-प्रतिशत सफल नहीं होता। इस कानून के साथ भी ऐसा ही हुआ। लेकिन, शराब पीने से जो लोग मर गए हैं उनके लिए मुझे बहुत दुख है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मरने वालों में गरीब तबके के लोग हैं और उनके परिवार वाले परेशान हैं। इसे देखते हुए सरकार ने तय किया है कि परिजनों को मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से सहायता दी जाए।

वो हमें बदनाम कर आम आदमी पार्टी को रोकना चाहते हैं', शराब घोटाला मामले में सीबीआई की पूछताछ के बाद काफी कुछ अरविंद केजरीवाल ने कहा

शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से रविवार को करीब 9 घंटे से अधिक समय तक सवाल-जवाब किए। सीबीआई अफसरों ने केजरीवाल से आबकारी नीति मामले में करीब 56 सवाल पूछे, जिसमें यह भी शामिल था कि नीति कब और क्यों शुरू की गई थी? सीबीआई के पास सवालों की लंबी लिस्ट थी, लेकिन केजरीवाल भी पूरी तैयारी करके गए थे। केजरीवाल ने दावा किया कि शराब घोटाले के आरोप झूठे हैं और सीबीआई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम कर रही है।

सीबीआई की पूछताछ के बाद घर लौटकर केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई ने उनसे सब कुछ पूछा। मसलन, शराब नीति कहां से शुरू हुई, कैसे शुरू हुई और वहां से लेकर पूरा अंत तक सभी सवाल पूछे। साल 2020 से लेकर अभी तक जो कुछ भी हुआ है, उस सब के ऊपर लगभग 56 सवाल पूछे गए। केजरीवाल ने कहा कि शराब घोटाला पूरी तरह से फर्जी और गंदी राजनीति से प्रेरित है। सीबीआई के पास कोई सबूत नहीं है। इस दौरान, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सीबीआई अधिकारियों को उनके आतिथ्य के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, ''उन्होंने मुझसे दोस्ताना और सौहार्दपूर्ण तरीके से सवाल पूछे। मैंने उनके द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब दिया।''

वो हमें बदनाम कर आम आदमी पार्टी को रोकना चाहते हैं'

'आप' सुप्रीमो ने कहा कि आम आदमी पार्टी कट्टर ईमानदार पार्टी है। हम मर-मिट जाएंगे, लेकिन अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं करेंगे। दिल्ली में जो अच्छा काम हो रहा है और जो अब पंजाब में भी होने लगा है, भाजपा कभी उसकी बराबरी नहीं कर सकती। वो गुजरात में एक भी स्कूल नहीं बना सके। उन्होंने कहा कि 'आप' बहुत तेजी से पूरे देश में फैल रही है। 'आप' जगह-जगह जा रही है और लोगों की उम्मीदों पर खरी उतर रही है। वे हमें बदनाम करना चाहते हैं ताकि हम खत्म हो जाएं, लेकिन ऐसा नहीं होगा, क्योंकि पूरे देश की जनता हमारे साथ है।

सीबीआई ने 161 में दर्ज किए केजरीवाल के बयान

वहीं, पूछताछ खत्म होने के बाद सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ''दिल्ली के मुख्यमंत्री से 16 अप्रैल 2023 को इस मामले में पूछताछ करने और विभिन्न सवालों के जवाब पाने के लिए सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी किया गया था। वह आज जांच में शामिल हुए और सीआरपीसी की धारा 161 के तहत उनका बयान दर्ज किया गया।'' सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल के बयानों की पुष्टि की जाएगी और उपलब्ध साक्ष्यों से मिलान किया जाएगा।

लापता' फाइल के बारे में भी पूछे सवाल

अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने मुख्यमंत्री से नीति निर्माण प्रक्रिया और विशेष रूप से उस फाइल के बारे में पूछताछ की, जिसका 'पता नहीं लग सका' है और जिसे पहले कैबिनेट के समक्ष रखा जाना था। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति की राय और इस पर सार्वजनिक एवं कानूनी राय वाली फाइल को कैबिनेट के समक्ष नहीं रखा गया था और यह अब तक नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल से यह भी सवाल किया गया कि वह मंजूरी से पहले नीति निर्माण में शामिल थे, या नहीं।

बता दें कि, सीबीआई ने बीते शुक्रवार को केजरीवाल को नोटिस भेजकर जांच टीम के सामने गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा था।

समलैंगिक विवाह के विरोध में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा-ये शहरी रईसों का कॉन्सेप्ट

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समलैंगिक विवाह का केन्द्र सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। केंद्र ने कहा कि यह एक नई सामाजिक संस्था बनाने के समान है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है। इससे पहले सरकार ने अपनी ओर से आपत्ति दर्ज कराई है।

सुप्रीम कोर्ट मं केन्द्र की अर्जी

समलैंगिक विवाह के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया आवेदन दायर किया है। जिसमें इसकी वैधता की मांग पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट केंद्र की आपत्ति वाली इस याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है। समलैंगिक विवाह की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से कई याचिकाएं दायर हैं, जिसपर कोर्ट में पांच जजों की बेंच 18 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

समलैंगिक विवाह को लेकर केन्द्र सख्त

केंद्र ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि 'अदालतें समलैंगिक विवाह के अधिकार को मान्यता देकर कानून की एक पूरी शाखा को फिर से नहीं लिख सकती हैं क्योंकि 'एक नई सामाजिक संस्था का निर्माण' न्यायिक निर्धारण के दायरे से बाहर है। केंद्र ने कहा है कि ज्यूडिशियल अवार्ड की मदद से समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती। यह संसद के क्षेत्र में अधिकार क्षेत्र में आता है न कि सुप्रीम कोर्ट के। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाले सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले का मतलब आभासी तौर पर इससे संबंधित कानून को दोबारा लिखने जैसा होगा। 

सरकार ने कहा-कोर्ट नई विवाह संस्था नहीं बना सकता

केंद्र ने अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट को इस तरह के कोई भी आदेश पारित करने से बचना चाहिए। केंद्र ने कहा कि इसके लिए उचित अधिकार, उचित विधायिका मौजूद है। इन कानूनों की मौलिक सामाजिक मूल्यों को देखते हुए, इसे वैध होने के लिए नीचे से ऊपर और कानून के माध्यम से होकर गुजरना होगा। केंद्र ने कहा कि समलैंगिक विवाह के अधिकारों की मांग करते हुए याचिकाकर्ता सामाजिक स्वीकार्यता को हासिल करने के लिए शहरी अभिजात्य सोच का विस्तार कर रहे हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि कोर्ट नई विवाह संस्था नहीं बना सकता।

पहले भी कर चुकी है सरकार इसका विरोध

सरकार पहले ही कह चुकी है कि शादी की अवधारणा दो अलग-अलग लिंग के लोगों के मिलन से जुड़ी है। यह परिभाषा सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी रूप से मान्य है। इसे कमजोर नहीं किया जा सकता है। केंद्र का कहना है कि भले ही होमो सेक्सुअल रिलेशनशिप को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया हो लेकिन इस रिलेशनशिप को शादी की मान्यता नहीं दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई हैं कई याचिकाएं

बता दें कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 15 याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने इन याचिकाओं को पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष भेजने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को इन पर सुनवाई कर सकता है।