*प्रतिष्ठात्मक गणेश महायज्ञ को लेकर निकली कलश यात्रा, 16 अप्रैल को हवन पूजन के साथ होगा समापन* *रिपोर्ट - नितेश श्रीवास्तव*
भदोही- नागमलपुर गांव स्थित मंदिर परिसर में जनपद भदोही में पहली बार आयोजित सात दिवसीय प्रतिष्ठात्मक गणेश महायज्ञ को लेकर शनिवार को हरिद्वार से पधारे विपुल जी महात्यागी के नेतृत्व में बग्घी घोड़े व बैंड बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा यज्ञ स्थल से आरंभ होकर ज्ञानपुर-दुर्गागंज मार्ग से घाटमपुर मोड़,भिड़िउरा,पाली-सुरियांवां तिराहा होते हुए पुनः यज्ञस्थल पर पहुंची। जहां यज्ञाचार्य द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ जल भरा गया।
इसके बाद कलश यात्रा पुन: यज्ञ स्थल पर पहुंचकर कलश स्थापना की गई। कलश यात्रा में ग्रामीण महिलाएं अपने सर पर कलश लेकर चल रही थी,जो आकर्षण का केंद्र रही। यज्ञाचार्य रामानंद तिवारी ने बताया कि महायज्ञ की कथा आज से प्रारम्भ होकर 16 अप्रैल को हवन पूजन के साथ सम्पन्न होगी। महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन पूजा अर्चना के अलावा व्यास शंख बाबा रामानंद तिवारी महाराज द्वारा भागवत कथा का वाचन किया जाएगा। महायज्ञ की पूर्णाहुति के दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
कलश यात्रा कार्यक्रम में ग्रामीण जनों के अलावा प्रमोद दूबे का सराहनीय योगदान रहा।समाजसेवी प्रमोद दूबे ने बताया कि विभिन्न पुराणों में भगवान गणेशजी को लेकर कई कथाएं हैं। ऐसे ही कुछ लोग कहते हैं, कि भगवान गणेश माता पार्वती और शिव जी के पुत्र हैं, तों उन्होंने विवाह में गणेश पूजन कैसे किया ? इसका उदाहरण:"मुनि अनुशासन गणपति हि पूजेहूं शंभू भवानी।।कोउ सुन संशय करै, जन सूरि अनादि जिय जाने।।"अर्थात ब्रम्हवेत्ता मुनियों के निर्देश पर विवाह के समय शिव पार्वती ने गणपति की पूजा की । कोई भी व्यक्ति इस बात का संशय बिल्कुल न करें,, क्योंकि देवता गणपति अनादि होते हैं। तात्पर्य यह है कि भगवान गणेश किसी भी के पुत्र नहीं है । वह अनादि और अनंत हैं। वेदों में गणेश न होकर गणपति या फिर ब्राह्मणस्पति नाम से जाना जाता है। ऋग्वेद या यजुर्वेद के मंत्रों में भी गणेश जी के उपर्युक्त नाम से जाना जाता है।
Apr 08 2023, 19:19