विरोध के बावजूद चीन ने अरुणाचल प्रदेश को फिर बताया अपना हिस्सा, कहा- अपने अधिकारों के तहत नाम बदले, भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
भारत के कड़े विरोध के बावजूद चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक जताया है। चीन ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश पर अपनी संप्रभुता का दावा किया। एक प्रेस कॉफ्रेंस में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि जेंगनेन (अरुणाचल प्रदेश) चीन का हिस्सा है। उन्होंने कहा- स्टेट काउंसिल के जियोग्राफिकल नामों के प्रशासन की शर्तों के मुताबिक, चीनी अधिकारियों ने जेंगनेन (अरुणाचल प्रदेश) के कुछ हिस्सों के नाम बदले हैं। चीन ने ऐसा अपने अधिकारों के तहत किया है। चीन ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदले थे।
अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा है और रहेगा: विदेश मंत्रालय
चीन के नाम बदलने वाले कदम पर पलटवार करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।
अमेरिका ने भी किया चीन का विरोध
अमेरिका ने भी भारतीय क्षेत्र पर चीन के दावे का विरोध किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी करीन जीन-पियरे ने कहा- अमेरिका ने उस क्षेत्र को लंबे समय से मान्यता दी हुई है। हम जगहों के नाम बदलकर क्षेत्र पर दावा करने की एकतरफा कोशिशों का विरोध करते हैं।
अरुणाचल की राजधानी ईटानगर के नजदीकी इलाके का नाम भी बदला दरअसल, चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है।
चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' के मुताबिक सोमवार को चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी। यह सभी इलाके जेंगनेन (चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग का हिस्सा) में आते हैं। इनमें से 4 रिहायशी इलाके हैं। इनमें से एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बेहद करीब है। 5 पहाड़ी क्षेत्र और दो नदियां हैं। चीन ने इन इलाकों के नाम मन्दारिन और तिब्बती भाषा में रखे हैं।
कांग्रेस बोली- चीन की इस हरकत के लिए PM मोदी जिम्मेदार
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चीन के अरुणाचल की जगहों का नाम बदलने का जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ठहराया है। कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि PM मोदी ने जून 2020 में चीन को क्लीन चिट दे दी थी। अब हमें उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। चीन की सेना देसपांग के मैदान में भारत के पेट्रोलिंग के अधिकारों को खारिज कर रही है। जबकि पहले इस इलाके में बिना रोक-टोक भारत की पहुंच थी।
2021 में भी चीन ने बदले थे 15 जगहों के नाम
नाम बदलने के पीछे चीन का क्या दावा है?
2021 में चीन ने अरूणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नाम बदले थे। इनमें से 8 रिहायशी इलाके थे, 4 पर्वत, 2 नदियां और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। चीन अरुणाचल के इलाकों के नाम क्यों बदलता है इसका अंदाजा वहां के एक रिसर्चर के बयान से लगाया जा सकता है।
2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स को कहा था, 'जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है। पुराने समय में जेंगनेन ( चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं।
इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदल दिए।'
झांग ने ये भी कहा था कि अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए।
क्या इससे सच में नाम बदल जाएंगे?
इसका जवाब है- नहीं। दरअसल, इसके लिए तय रूल्स और प्रॉसेस है। अगर किसी देश को, किसी जगह का नाम बदलना है तो उसे UN ग्लोबल जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट को पहले से जानकारी देनी होती है।
इसके बाद, UN के जियोग्राफिक एक्सपर्ट उस इलाके का दौरा करते हैं। इस दौरान प्रस्तावित नाम की जांच की जाती है। स्थानीय लोगों से बातचीत की जाती है। तथ्य सही होने पर नाम बदलने को मंजूरी दी जाती है और इसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है।
अरुणाचल और अक्साई चिन पर भी विवाद
दोनों देशों में 3488 किलोमीटर लंबी LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को लेकर विवाद है। हालांकि चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है।
अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है।
चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है।
1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।
Apr 07 2023, 15:06