*57 करोड़ से स्थापित होंगे बायो सीएनजी और कोल प्लांट*
रिपोर्ट - नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कालीन नगरी में जल्द ही बायो-सीएनजी और कोयला का उत्पादन शुरू होगा। इसके लिए 15 हजार किसानों का एफपीओ 57 करोड़ का निवेश कर रहा है। भदोही के गोहिलांव और अजयपुर में इसके लिए भूमिपूजन हो चुका है। इसे नैपियर (अमेरिकी घास) से इसे बनाया जाएगा। इससे प्रत्यक्ष रूप से दो हजार जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। किसानों को एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन ) से जोड़कर उन्हें आधुनिक एवं समृद्धशाली खेती से लेकर कारोबार तक के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। जिले में वैसे तो दो हजार से अधिक एफपीओ बने हैं, लेकिन 20 से 25 ऐसे एफपीओ हैं जो खेतीबारी से लेकर अन्य क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत औराई उन्नत किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड और बायो क्लीन फ्यूल प्राइवेट लिमिटेड दो बड़ी परियोजनाएं शुरू कर रही हैं।
जिसमें 50 करोड़ की लागत से बायो सीएनजी और सात करोड़ की लागत से बायो कोल प्लांट शुरू होगा। नैपियर घास से इसका कच्चा माल तैयार होगा। एफपीओ के निदेशक राजेश सिंह ने बताया कि नैपियर खेती से किसान समृद्ध बनेगा। बिना लागत के प्रति एकड़ में डेढ़ से दो लाख की बचत होगी। इसके लिए 15 हजार से अधिक किसानों को जोड़ा गया है। प्लांट लगाने के लिए किसान निवेश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले के सभी छह ब्लॉक में प्लांट की स्थापना होगी। जिसमें डेढ़ से दो हजार लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने बताया कि ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह मुहिम शुरू की गई है।जिले में अभी मात्र 25 एकड़ रकबे में नैपियर घास की खेती हो रही है। उप निदेशक कृषि डॉ. अश्वनी सिंह ने बताया कि बायो-सीएनजी और कोल प्लांट शुरू करने के लिए कम से कम 500 एकड़ में खेती करनी होगी। एफपीओ के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। - एक बार लगाने के बाद लगभग चार से पांच वर्षों तक साल भर में तीन से चार बार कटाई की जा सकती है। - नेपियर घास में 12 से 14 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है, जो पशुओं के लिए लाभदायक है। - इस घास को छोटे सी जगह तथा मेंड़ पर भी बोया जा सकता है, यानी बड़े किसानों से लेकर छोटे किसान भी इसे उगा सकते हैं। अब तक जानकारी के अभाव में कृषक इसकी ओर आकर्षित नहीं हो सके। बोआई के लिए उपयुक्त समय वर्षा ऋतु है।
Apr 05 2023, 12:32