देर रात तक चला पूर्व डीजीपी व राम कथा वाचक आचार्य गुप्तेश्वर पाण्डेय का प्रवचन, कथा सुनने बडी संख्या में पहुंचे लोग
जहानाबाद : पूर्व डीजीपी,बिहार एवं सुप्रसिद्ध राम कथा वाचक गुप्तेश्वर पांडेय(आचार्य गुप्तेश्वर महाराज) द्वारा रामायण मंदिर के समीप गांधी मैदान में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कथा का शुभारंभ हुआ। रामचरितमानस प्रेमियों द्वारा श्री राम कथा दिनांक 30 मार्च से 7 अप्रैल तक आयोजित है।
सनद रहे कि श्री गुप्तेश्वर पांडेय जी जहानाबाद के एसपी रहे और पहली बार राम कथा वाचक के रूप में जहानाबाद को अपने आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण करने का प्रयास करेंगे। कथारंभ करते हुए कथावाचक आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने कहा कि कथा श्रवण का अवसर सबको प्राप्त नहीं होता।कथा स्थल पर वही पहुंच पाते हैं। जिन पर प्रभु राम की असीम कृपा होती है।
गोस्वामी प्रणीत रामचरितमानस के महत्त्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन और जगत की संपूर्ण समस्याओं का समाधान रामकथा का श्रवण और उसका अनुसरण है। कथा के प्रथम दिन शुभारंभ करते हुए विविध रूपों में श्रोताओं को आत्मिक उन्नयन की ओर अग्रसर होने का मार्ग बताया। इस दौरान उन्होंने कहा कि रामचरितमानस लिखा नहीं गया, लिखवाया गया है। इसीलिए इस ग्रंथ में वेद,पुराण, उपनिषद् आदि सभी आध्यात्मिक मार्गदर्शक ग्रंथों का सार है। इसके श्रवण, अनुसरण से जगत की माया के आवरण से निरावरण होकर आप परात्पर ब्रह्म को पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी के राम परात्पर ब्रह्म हैं। उनमें सगुण और निर्गुण दोनों का पर्यवसान है। इस सन्दर्भ में उन्होंने मानस की निम्न पंक्तियों का उल्लेख किया, निर्गुण सगुण विषय सम रूपं। ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं।।अमलमखिलमनवद्यमपारं।नौमि राम भोजन महिभारम्। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भक्ति मार्ग ही एक ऐसा माध्यम है, जिसके सहारे निर्गुण सगुण ब्रह्माण्ड नायक ब्रह्म का साक्षात्कार कर सकते हैं। रामकथा के प्रति भक्ति ही परात्पर ब्रह्म की प्राप्ति का सुगम मार्ग है। इसके लिए उन्होंने चित् शुद्धि पर बल दिया। भक्ति तभी संभव है,जब आप तमोगुण, रजोगुण से ऊपर उठकर सतोगुण को प्राप्त हों।जो सतोगुणी होगा,वही रामकथा का श्रवण कर परम पिता परमात्मा का दर्शन कर पायेगा। परमात्मा कण-कण में व्याप्त हैं। जड़,चेतन सभी जगह उनकी मौजूदगी है।
कहा कि 84 लाख प्रकार के जीवों के अन्तर में परमात्मा मौजूद है। उस परमात्मा को पाने का अनेक मार्ग है।सरल मार्ग भक्ति है। संशय रहित हो हम भक्ति के मार्ग का अनुसरण करें और परमात्मा को प्राप्त करें। प्रभु को प्राप्त करने के लिए सही पात्र बनना होगा। अटूट भक्ति ही पात्र बनने की कसौटी है। उन्होंने कहा कि शांडिल्य ,नारद आदि भक्ति- आचार्यों ने भगवान् के प्रति प्रेम को भक्ति कहा है।मानस की निम्न पंक्तियों का उल्लेख किया।
प्रीति राम हों नीति पर चलिय रागरिस जीति। तुलसी संतन के मजे इहे भगति की रीति। सारत:आचार्य श्री गुप्तेश्वर महाराज ने कथा के प्रथम दिवस पर कथा श्रवण के महत्व और प्रभु श्री राम के प्रति भक्ति ही मुक्ति का मार्ग बताया।सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो आचार्य की वाणी सुन रहे थे। राम कथा के प्रथम दिन मंच का पूजन वैदिक मंत्र के साथ पंडीत अशोक जी महाराज ने कराया। आरती कथा के आयोजक स्वामी राकेश जी महाराज ने किया।
इस अवसर पर रामकथा के सहयोग संतोष श्रीवास्तव ,मार्कण्डेय कुमार आजाद उर्फ ललन ,राज किशोर शर्मा,डा एस के सुनील ,रणजीत रंजन ,सुवोध कुमार ,रमेश कुमार , तथा रवि शंकर शर्मा उपस्थित थे।
जहानाबाद से बरुण कुमार
Mar 31 2023, 17:59