धूम धाम से मनाया गया मौर्य राजवंश के महान सम्राट अशोक की जयंती
जहानाबाद : विश्वप्रसिद्ध राजा, धमनायक, प्रियव देवानांप्रिय जैसे उपमाओ से अलंकृत, अखंड भारत के निर्माता व मानावता के प्रतिबिम्ब मौर्य सम्राज्य के नायक महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती चैत्र शुक्ल पछ अष्ट्मी बुधवार को सम्राट अशोक चेतना मंच के द्वारा राम भवन सिंह कुशवाहा के अध्यक्षता में मनाया गया।
उपस्थित लोगों ने उनके तैल चित्र पर पुष्पाजलि कर नमन एवं याद किया।
इस अवसर अपने विचार साझा करते हुए महेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि सम्राट अशोक बौद्ध धर्म को संरक्षण देने वाले प्रतापी राजा थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय ( देवताओं का प्रिय) अशोक था।
मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक राज्य का मौर्य साम्राज्य उत्तर सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक' कहा जाता है। जिसका अर्थ है -‘सम्राटों के सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है।
अपने विचार वयक्त करते हुए एस एस शशि ने कहा कि सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक के सन्दर्भ के स्तम्भ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है, इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी अन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है।
कलिंग युद्ध के बाद भगवान बुद्ध से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयायी हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ , बौद्ध मन्दिर बोधगया, कुशीनगर,श्रीलंका,थाईलैण्ड, चीन आदि देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है।
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़गानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे।
सम्राट अशोक के समय तक्षशिला, नालन्दा, आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे।
इस मौक़े पर सुनील पांडेय, अमित कुमार पमू,शंकर शर्मा, सत्येंद्र कुशवाहा, राज कुमार उर्फ़ पपु, रवि कुमार आदि शामिल थे।
जहानाबाद से बरुण कुमार
Mar 29 2023, 19:14