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जावेद अख्तर ने कहा-उर्दू हिंदुस्तान की भाषा, ये पाकिस्तान या मिस्र से नहीं आई

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मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने उर्दू भाषा को लेकर बड़ी बात कही है। जावेद अख्तर ने कहा है कि उर्दू पाकिस्तान या मिस्र की नहीं है, यह 'हिंदुस्तान' की है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जावेद अख्तर का मानना है किसी भी भाषा का किसी विशेष धर्म से कोई संबंध नहीं होता।

जावेद अख्तर और उनकी पत्नी शबाना आजमी ने हाल ही में एक उर्दू एल्बम 'शायराना - सरताज' लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने उर्दू पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, उर्दू कहीं और से नहीं आई है बल्कि यह हमारी अपनी भाषा है। हिंदुस्तान के बाहर ये कहीं नहीं बोली जाती। बंटवारे के बाद पाकिस्तान अलग हुआ, उससे पहले ये भी भारत का ही हिस्सा था और ये उर्दू भी भारत में बोली जाती थी। ये केवल भारत की भाषा थी, इसलिए बाहर कहीं नहीं बोली जाती।

उर्दू के विकास में पंजाब का बहुत बड़ा रोल-जावेद अख्तर

जावेद अख्तर के मुताबिक, उर्दू के विकास में पंजाब का बहुत बड़ा रोल है। यह भारत की भाषा है लेकिन आपने यह भाषा क्यों छोड़ी? विभाजन के कारण? पाकिस्तान की वजह से? अख्तर ने कहा कि अगर पाकिस्तान ये कहे कि कश्मीर उसका तो क्या आप मान लेंगे। इसी तरह उर्दू भी हिंदुस्तान की ही एक भाषा है, जिस पर हम सभी को ध्यान देना चाहिए।

भाषा का संबंध धर्म से नहीं बल्कि क्षेत्र से-जावेद अख्तर

इस दौरान जावेद अख्तर ने आज की युवा पीढ़ि को भी अपनी भाषा बोलने की नसीहत दी। उन्होंने कहा, आजकल नई जेनरेशन वाले अंग्रेजी पर ज्यादा फोकस करते हैं। युवा पीढ़ी और लोग उर्दू और हिंदी कम बोलते हैं। हमें हिंदी में बात करनी चाहिए क्योंकि ये हमारी राष्ट्रभाषा है। जावेद अख्तर ने ये भी कहा कि भाषा का संबंध किसी विशेष धर्म से नहीं होता बल्कि क्षेत्रों पर आधारित होता है। अगर भाषा का संबंध धर्म से होता तो पूरे यूरोप में एक ही भाषा बोली जाती।

पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी

जावेद अख्तर ने हाल ही में अपने पाकिस्तान दौरे के दौरान एक बयान के कारण चर्चा का विषय बन गए थे। पाकिस्तान में मशहूर उर्दू शायर फैज अहमद फैज की याद में लाहौर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने आतंकवाद को लेकर खुलकर अपनी बात रखी थी। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर बात की और कहा था कि भारत में नुसरत साहब और मेहदी हसन साहब के कई कार्यक्रम हुए लेकिन पाकिस्तान ने लता मंगेशकर का एक भी कार्यक्रम नहीं करवाया।

गुजरात में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस से एक संदिग्ध मौत, कोरोना भी दे रहा टेंशन

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भारत में एच3एन2 वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है।एच3एन2 वायरस के कारण होने वाले इन्फ्लुएंजा के मामलों में तेजी देखी जा रही है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक गुजरात में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस से पहली मौत हुई है। 58 साल का मृतक का वडोदरा के एसएसजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। इससे पहले कर्नाटक में एक 82 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हुई थी, जो दूसरी बीमारियों से भी पीड़ित थे। वहीं, हरियाणा में इस वायरस से 52 साल शख्स की मौत हो गई थी, जो लिवर कैंसर से पीड़ित थे।

बता दें कि गुजरात में भी पिछले कुछ समय से सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों वाले मरीजों की बाढ़ सी आ गई है। वडोदरा में सयाजी अस्पताल के कोविड आइसोलेशन वार्ड में एच3एन2 वायरस से एक 58 वर्षीय महिला की संदिग्ध मौत की खबर है। बताया जा रहा है कि महिला हाइपरटेंशन की मरीज थी। प्रशासन ने बताया कि एच3एन2 वायरस की जांच के लिए सैंपल पुणे लैब भेजे जाएंगे।

गुजरात में कोरोना के मामले बढ़ रहे

बता दें कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के बीच गुजरात में कोरोना केसों की रफ्तार में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। गुजरात में शनिवार को 51, रविवार को 48 और सोमवार को 45 पॉजिटिव केस सामने आए थे। बीते तीन दिनों में गुजरात में कोरोना के 144 मामले सामने आ चुके हैं।

मास्क का करें इस्तेमाल

इधर एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस से बचने के लिए डॉक्टरों ने मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। डॉक्टरों का कहना है, वायरस से बचने के लिए लोग अपने हाथों को लगातार धोते रहें साथ ही साल में एक बार फ्लू का टीका लगवाएं। भारत में अब तक केवल एच3एन2 और एच3एनवन संक्रमण का पता चला है। दोनों में ही कोविड जैसे लक्षण हैं। इसमें लगातार खांसी, बुखार आना, सांस फूलना, तेज ठंड लगना और घरघराहट होना शामिल हैं। इसके लक्षण लगातार एक हफ्ते तक बने रह सकते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2 जनवरी से 5 मार्च तक देश में एच3एन2 वायरस के 451 मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हम एच3एन2 वायरस की स्थिति पर नजर रख रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन, 78 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन हो गया है। उन्होंने 78 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।बताया जा रहा है कि वह नहाते समय बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

वरिष्ठ पत्रकार वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। डॉ. वैदिक पत्रकारिता ने राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, और हिंदी के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया। वह एक राजनीतिक विश्लेषक थे। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई के हिंदी उपक्रम भाषा की स्थापना की थी और वह उसके पहले संपादक भी थे। साल 1958 में प्रूफ रीडर के तौर पर वह पत्रकारिता में आए थे।

अंतरराष्ट्रीय मामलों में जानकार होने के साथ ही उनकी रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा पर पकड़ रही। डॉ. वैदिक ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिंदी में लिखा। उन्होंने अपनी पीएचडी के शोधकार्य के दौरान न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मॉस्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।

डॉ. वैदिक को मीडिया और भाषा के क्षेत्र में काम करने के लिए कई सम्मान दिए गए। उन्हें विश्व हिन्दी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008), दिनकर शिखर सम्मान, पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण-पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी सम्मान, लोहिया सम्मान, काबुल विश्वविद्यालय पुरस्कार, मीडिया इंडिया सम्मान, लाला लाजपतराय सम्मान आदि दिए गए। वे कई न्यासों, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय। अध्यक्ष, भारतीय भाषा सम्मेलन एव भारतीय विदेश नीति परिषद।

अमेरिका में भारी वित्तीय संकट, धड़ाधड़ बंद हो रहे हैं बैंक, सिलिकॉन वैली के बाद अब सिग्नेचर बैंक पर लटका ताला!

अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के बाद अब एक और बैंक पर ताला लटक गया है। क्रिप्टो फ्रैंडली कहे जाने वाले सिग्नेचर बैंक को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इस बैंक के पास क्रिप्टोकरेंसी का स्टॉक था और इसके जोखिम के मद्देनजर कुछ समय के लिए न्यूयॉर्क के इस क्षेत्रीय बैंक को बंद रखने का फैसला किया गया है।

110 अरब डॉलर की संपत्ति

बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सिलिकॉन वैली बैंक के बाद सिग्नेचर बैंक अमेरिका में जारी बैंकिंग उथल-पुथल का अगला शिकार बन गया है। न्यूयॉर्क स्टेट के फाइनेंस सर्विस डिपार्टमेंट के अनुसार, फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) ने सिग्नेचर बैंक को अपने नियंत्रण में ले लिया है, जिसके पास पिछले साल के अंत में 110.36 अरब डॉलर की संपत्ति थी, जबकि बैंक में जमा राशि 88.59 अरब डॉलर थी। 

2008 के बाद से तीसरा बड़ा क्राइसिस

अमेरिकी बैंकिंग इतिहास में ये तीसरी सबसे बड़ी विफलता है, इससे दो दिन पहले ही सिलिकॉन वैली बैंक को बंद कर दिया गया था। यह वाशिंगटन म्युचुअल के बाद दूसरा सबसे बड़ा शटडाउन था, जो वित्तीय संकट के दौरान ढह गया था और अब सिग्नेचर बैंक का नंबर आ गया।

बता दें कि अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर का सबसे बड़ा संकट साल 2008 में आया था। उस साल बैंकिंग फर्म लेहमन ब्रदर्स ने खुद को दिवालिया (Default) घोषित कर दिया था। इसके बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छा गई थी और इकोनॉमी की कमर टूट गई थी।

भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 7400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली याचिका

#bhopal_gas_tragedy_supreme_court_dismisses_petition

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिससंजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले की फिर से सुनवाई करना पीड़ितों के पक्ष में भी नहीं होगा।कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो "पेंडोरा बॉक्स" खुल जाएगा।

भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की रात में हुए इस हादसे में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हादसे से बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था पीड़ितों ने अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ितों की ओर से केंद्र ने इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी।केंद्र ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,844 करोड़ रुपये मांगे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र के कदम से निराश है। 50 करोड़ रुपये अभी भी आरबीआई के पास पड़े हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो "पेंडोरा बॉक्स" खुल जाएगा। समझौते के तीन दशक बाद मामले को नहीं खोला जा सकता। कोर्ट ने कहा कि समझोते को सिर्फ धोखेधड़ी के आधार पर रद्द किया जा सकता है, भारत सरकार द्वारा धोखाधड़ी का कोई आधार नहीं दिया गया है।

कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए कि सरकार मुआवजे में कमी और बीमा पॉलिसी लेने में विफल रही। यह केंद्र की ओर से घोर लापरवाही है। दो दशकों के बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत करने में केंद्र की विफलता पर असंतोष जताया।बता दें कि केंद्र सरकार ने मुआवजे में बढ़ोतरी के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। सुनवाई में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भारत सरकार ने 1989 में मामले के निपटारे के समय कभी ये सुझाव नहीं दिया कि पीड़ितों को दिया मुआवजा कम था।

जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर 12 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं।

सीबीआई जांच कराने वाले हम ही थे', ईडी के एक्शन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने याद दिलाया लालू यादव का पुराना इतिहास

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार के गया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लालू परिवार पर जमकर निशाना साधा। कहा कि चारा घोटाले में सीबीआई की जांच कराने वाले हम ही वकील थे। जब लालू यादव को चारा घोटाले के चार केसो में सजा हुई तो उस वक्त पीएम एचडी देवगौड़ा, गुजराल और मनमोहन सिंह थे। तब भी कहा जा रहा था कि बीजेपी संघ के दबाब में पक्षपात की जा रही है। चारा घोटाले में एक को भी राहत नहीं मिली है।

लालू यादव पर कई घोटालों का आरोप 

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दूसरा अलकतरा घोटाला है जिसमें मंत्री, चीफ इंजीनियर गए। लालू यादव और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार और लूट मामले में कार्रवाई नहीं हो, ऐसे कैसा होगा? तीसरे में रेलवे की संपत्ति बेची गई। दोनों लीज पर दे दी गई थी। इसकी शिकायत जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने किया था। घोटालों की लिस्ट बताते हुए कहा कि अब जमीन के बदले नौकरी घोटाला है। किसको कहां से नौकरी मिली है? इसकी पूरी डिटेल्स है। ज्यादातर उनके समाज के लोगों को ही नौकरी दी गई थी। इतनी प्रॉपर्टी होगी तो सवाल कोई नहीं करेगा क्या? बिहार की जनता नीतीश कुमार से जबाब मांगेगी।

मनीष सिसोदिया पर साधा निशाना

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मनीष सिसोदिया मामले पर कहा कि शराब के नियमों में बदलाव किए गए थे बदले में दक्षिण भारत से कमीशन आई थी। अरविंद केजरीवाल जांच को फेस करें, जितने लोगों के खिलाफ आरोप लगे वह जेल गए हैं। कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार है अगर आप जनता का पैसा लूटेंगे तो कार्रवाई तो होनी ही है।

संसद में संग्राम जारी, लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्‍थगित

#parliament_budget_session

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण कल सोमवार से फिर शुरू हुआ, लेकिन सांसदों के हंगामे की वजह से पहले दिन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी।बजट सत्र के दूसरे चरण का दूसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। अडानी-हिंडनबर्ग विवाद, बढ़ती महंगाई और राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान को लेकर संसद में लगातार गतिरोध बना हुआ है। सांसदों के हंगामा करने की वजह से पहले दिन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन आज भी पार्लियामेंट में संग्राम जारी है। हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी है।

लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही राहुल गांधी के लंदन के दिए गए बयान पर हंगामा शुरू हो गया। सत्‍ता पक्ष राहुल गांधी की माफी की मांग कर रहा है। बीजेपी राहुल गांधी से माफी की मांग पर अड़ा हुआ है तो विपक्ष अदाणी के मुद्दे पर केन्द्र को लगातार घेर रहा है। हंगामा बढ़ने पर लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कहा, सरकार खुद सदन नहीं चलाना चाहती। ऐसा नजारा कभी देखा है कि सरकार के मंत्रियों ने सदन को ठप करने के लिए किस तरह से कल हंगामा किया। राहुल गांधी माफी क्यों मांगेंगे? उन्होंने क्या गुनाह किया है? माफी तो इन लोगों को मांगनी चाहिए।

सत्र के पहले दिन भाजपा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के माफी मांगने की मांग पर अड़ी रही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी समेत कई सांसदों ने कहा कि राहुल गांधी को सदन के अंदर आकर माफी मांगनी चाहिए। इसी की वजह से संसद की कार्यवाही पूरे दिन ढंग से चल नहीं पाई।

केंद्रीय कर्मचारियों को लगा बड़ा झटका, नहीं मिलेगा कोरोना के दौरान रुका 18 माह का डीए

#centralemployeeswillnotgetdearnessallowance_da 

कोरोना महामारी के दौरान रोका गया केंद्रीय कर्मचारियों का अठारह महीनों का महंगाई भत्ता या डीए नहीं दिया जाएगा।केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि कोरोना महामारी के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का रोका गया 18 माह का महंगाई भत्ता उन्हें नहीं दिया जाएगा। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लिखित में जवाब देते हुए कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की तीन किस्तों का बकाया दिए जाने की कोई योजना नहीं है।

प्रश्नकाल के दौरान केंद्र सरकार से बकाये महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को लेकर सवाल पूछा गया। सरकार ने पूछा गया कि कोरोनाकाल के दौरान केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का 18 महीने का जो महंगाई भत्ता रोका गया है क्या निकट भविष्य में उसे जारी किए जाने की कोई योजना है? इस सवाल पर केंद्र सरकार ने अपनी ओर से सफाई पेश की है। सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि डीए एरियर जारी करने की उसकी कोई योजना नहीं है।

सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपए बचाए

लोक सभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में सरकार ने जानकारी दी है कि कोरोना काल में केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काटकर सरकार ने जो 34,402.32 करोड़ रुपए बचाए हैं। सरकार ने इस पैसे का कोरोना महामारी से उबरने में उपयोग किया है। पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए काफी धन का प्रावधान करना पड़ा था जिसका असर 2020-21 और उसके बाद भी देखा गया है।बकाये महंगाई भत्ते का एरियर 2020-21 के लिए है जिसे देना उचित नहीं समझा गया है।

अभी सरकार को राजकोषीय घाटा से उबरने मे लगेगा समय

सरकार की ओर से कहा गया कि अभी भी सरकार का वित्तीय घाटा एफआरबीएम एक्ट (FRBM Act) के तहत तय किए गए लेवल से दोगुना है। अभी सरकार को राजकोषीय घाटा से उबरने में कुछ और समय लग सकता है।

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र कालवी का निधन, हार्ट अटैक के बाद ली अंतिम सांस

#karni_sena_founder_lokendra_singh_kalvi_dies 

करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सोमवार देर रात हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया।उन्हें हार्ट अटैक के बाद सोमवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर रात इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।लोकेंद्र कालवी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका जून 2022 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था।जिसके बाद से ही उनका इलाज चल रहा था।

लोकेंद्र सिंह कालवी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए राजपूत सभा भवन जयपुर में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा। जिसके बाद कालवी का अंतिम संस्कार नागौर जिले के उनके पैतृक कालवी गांव मे मंगलवार को दोपहर 2.15 बजे किया जाएगा।

राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव के रहने वाले लोकेंद्र सिंह कालवी कालवी के पिता कल्याण सिंह कालवी राजस्थान और केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे। सती आंदोलन में सक्रिय रहे कालवी मानते थे कि वो राजनेता बाद में हैं, राजपूत पहले हैं। अपने पिता के अंदाज में ही लोकेन्द्र सिंह कालवी भी सक्रिय रहे।

करीब साढ़े 18 साल पहले लोकेन्द्र सिंह कालवी ने करणी सेना के गठन की नींव रखी थी। ये सेना राजूपतों के आक्षरण और अपनी संस्कृती को बचाने का कार्य करती है। सबसे ज्यादा सुर्खियों उन्होंने बॉलीवुड मूवी पद्मावत का विरोध करते वक्त बटोरी थीं, जब उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को धमकी दे दी थी।

जम्मू-कश्मीर में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, आतंकी गतिविधियों को लेकर छापेमारी जारी

#nia_raids_multiple_locations_in_jammu_kashmir 

जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी (एनआईए)की छापेमारी चल रही है। टेरर फंडिंग मामले में चल रही जांच के तहत मंगलवार सुबह एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर छापेमारी की है। जानकारी के मुताबिक, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग और शोपियां में संदिग्धों के घरों की तलाशी ली जा रही है।सूत्रों के मुताबिक, रेड के दौरान जमात-ए-इस्लामी से जुड़े अधिकांश लोगों के घरों को सर्च किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, एनआईए की टीमें शोपियां जिले के वाची इलाके, पुलवामा जिले के नेहामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के फ्रेशल इलाके में छापेमारी कर रही है। एनआईए की ओर से हिरासत में लिए गए एक नए क्षेत्रीय अखबार के साथ काम करने वाले एक स्थानीय पत्रकार के निलूरा पुलवामा स्थिति घर की भी तलाशी ली गई है।