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*दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में चिकित्सारत बच्चे की मां ने की आत्महत्या*


दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में चिकित्सारत बच्चे की मां ने आत्महत्या कर ली. घटना गुरुवार सुबह की बताई जा रही है.मिली जानकारी के मुताबिक 30 साल की बालिका मुर्मू का बेटा घर मे खेलने के क्रम में जलाये जा रहे कचरे के सम्पर्क में आकर झुलस गया था. उसी वक्त 13 फरवरी से उनका बच्चा चिकित्सारत है और वह अक्सर बच्चे के पास ही रह रही थी. उसके पति ने बताया कि बच्चे की तकलीफ की वजह से ही वह परेशान थी.

दुमका : नीति आयोग व प्रशासन की संयुक्त मुहिम,50 हजार महिलाओं को साक्षर बनाने की पहल ला रही है रंग

दुमका :- दुमका की करीब 50 हजार असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की पहल शुरू कर दी गयी है। नीति आयोग और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से इन महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए दुमका के 10 प्रखंडों की 206 पंचायतों में एक साथ मुहिम चलायी जा रही है। इसके लिए जिले भर से लगभग 500 महिला अनुदेशक चिह्नित की गई हैं। यह महिला अनुदेशक इन महिलाओं को साक्षर बनायेंगी।

उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने कहा कि आने वाले तीन महीने के अन्तराल में इन महिलाओं की सर्टिफिकेशन परीक्षा कराया जा सके ताकि इनके अंदर भी आत्मविश्वास का संचार हो और साक्षरता अभियान को सफल बनाया जा सके।

बता दे कि 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक दुमका जिले की कुल साक्षरता दर 61.02% थी जो झारखंड की औसत साक्षरता दर 66.41% से कम है। जनसंख्या के लिहाज से कुल 6,72,409 साक्षरों में पुरुष 4,06,275 जबकि महिलाएं 2,66,134 थीं।साथ ही दुमका जिले में पुरुष साक्षरता दर 72.96% और महिला साक्षरता दर 48.82% थी।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : छात्र चेतना संगठन का 25 वां स्थापना दिवस समारोह सम्पन्न


2030 तक 1000 छात्रों की प्रतिभा को निखारने का लक्ष्य - हिमांशु मिश्रा

दुमका : छात्र चेतना संगठन का 25 वां स्थापना दिवस समारोह सोमवार को यज्ञ मैदान में मनाया गया। समारोह में संताल परगना के सभी छह जिलों के अलावा राज्य के अन्य जिलों एवं पडोसी राज्यों से भी संगठन के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का जुटान हुआ।

 इस अवसर पर युवाओं ने शहर में मोटरसाईकिल रैली निकाली और महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। रैली शहर के मुख्य मार्गो से होती हुईं वापस यज्ञ मैदान पहुंची जहां चन्द्रशेखर आजाद सहित झारखंड के गुमनाम शहीदों के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया। संगठन के केंद्रीय प्रमुख हिमांशु मिश्रा, केंद्रीय सलाहकार डा0 आर के नीरद, प्रदेश अध्यक्ष डॉ हनीफ एवं केंद्रीय समिति सदस्य पूनम शेखर ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 

समारोह में छात्राओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। वहीं आदिवासी बालिकाओं द्वारा परंपरागत नृत्य प्रस्तुत किया गया और संगठन से जुड़ी छात्राओं द्वारा क्षेत्रीय खोरठा नृत्य की प्रस्तुति दी। केंद्रीय अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संगठन का 25 वां स्थापना दिवस पर भारत के पुरातन संस्कृति, सभ्यता और भारत के पुनर्निर्माण को संकल्पित हैं। 

भारत के महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद ने जिस महान भारत के सपनों को देखा था आज वह समय आ गया है आज हम इस अवस्था में खड़े हैं जहां हम उनके इस पावन और महान सपने को साकार कर सकते हैं उस महान लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें जाति धर्म और लिंग भेद से उपर उठकर भारत में फैली विषमताओं और कुरीतियों को दूर करने के लिए काम करना होगा और इसे दूर करने का हमारे पास एक ही अस्त्र है शिक्षा। 

कहा कि सभी बुराइयों की जड़ केवल और केवल अशिक्षा है। छात्र चेतना संगठन वैसे छात्र-छात्राओं का जिनकी उम्र सात से 15 साल तक है और उनके माता-पिता नहीं है या जिनके माता-पिता उनकी पढ़ाई की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं है और बच्चा पढ़ना चाहता है तो उन सभी बच्चों की प्रतिभाओं को निखारने के लिए संगठन अगले एक वर्ष में ऐसे 100 बच्चों को मदद करेगा। जो संख्या 2030 तक 1000 छात्रों की प्रतिभा को निखारने का लक्ष्य रखा गया है। संगठन के केंद्रीय सलाहकार डॉक्टर आर के नीरद ने कहा कि यह देश की आजादी का गौरव वर्ष से है जिसमें राष्ट्रीय चेतना के विकास के साथ-साथ अपने सांस्कृतिक गौरव और अपने गुमनाम नायकों को सामने लाने का संकल्प पूरे राष्ट्र ने लिया है। छात्र चेतना संगठन भी इस संकल्प के साथ है।

 दूसरी महत्वपूर्ण बात यही किया साल छात्र चेतना संगठन का रजत वर्ष है। उन्होंने कहा कि युवाओं को रचनात्मक दिशा देना छात्र चेतना संगठन का मूल ध्येय है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से विस्तार तथा उससे उत्पन्न अवसर और चुनौतियों के प्रति युवाओं को आगाह करते हुए कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रो डॉ0 हनीफ ने कहा कि छात्र चेतना संगठन एक गैर राजनीतिक संगठन है, जो युवाओं को नैतिक दिशा देने का काम करता है। 

इससे 25 वर्षों के इस संगठन के अभियान का क्षेत्र के युवाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा है और इसकी रचनात्मक प्रतिभा निखरी है। इसी का प्रभाव है कि जिले के नोनीहाट की एक छात्रा, जिसके पिता साइकिल पर पावरोटी बेचते हैं, ने प्रथम प्रयास में ही बैंक पीओ की प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे शिक्षा का मतलब केवल नौकरी पाना ना समझे, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए काम करना सर्वोपरि है। जिला कार्यसमिति सदस्य दुर्योधन यादव ने कहा कि भारत विश्व गुरु तभी बन सकता है जब हम सभी इस देश की आत्मा हमें अन्न प्रदान करने वाले किसान को सम्मान दे ताकि उनका बेटा गर्व से कह सके कि किसान पुत्र है। देवघर जिला प्रमुख सुमन यादव ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि छात्र पढ लिखकर बेरोजगार न हो।

 राज्य और केंद्र सरकार मिलकर ऐसी रोजगार परक शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करें कि युवाओं के समय व्यर्थ ना बीते। कार्यक्रम को प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शिवनारायण कुमार ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम संचालन प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रशांत लायक ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन नगर महासचिव राकेश मिश्रा ने किया। कार्यक्रम के सफल संचालन में प्रांत समिति सदस्य अमन दुबे, जिला छात्रा प्रमुख मालोती टुडु, जिला कार्यसमिति सदस्य चंदन पाल, मृत्युंजय मिश्रा, गुलशन गुप्ता, श्याम राय, पिंटू मांझी, सदानंद बाबा, प्रशांत मंडल, प्रेम यादव, परमजीत झा, विवेक गुप्ता, लंबोदराय यादव, सुभाष लायक़, शुभम कुमार शर्मा, स्टेफन मरांडी, राजेश कुरेबा, हीरालाल यादव फुलीन मरांडी, बसंती टुडू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : पंडित रघुनाथ मुर्मू पुस्तकालय सह अध्ययन केंद्र का शुभारंभ, हर गांव में सामुदायिक पुस्तकालय की जरूरत : डॉ0 धूनी सोरेन

दुमका : जामा प्रखंड के 

नवाडीह में रविवार को पंडित रघुनाथ मुर्मू पुस्तकालय सह अध्ययन केंद्र का उदघाटन मुख्य अतिथि डॉ0 धूनी सोरेन ने किया।

 इस अवसर पर कृषि बाजार समिति के पणन सचिव संजय कच्छप, भूमि उपसमाहर्ता विजय मनीष आर लकड़ा, एसपी महिला कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर हनीफ अंसारी, विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता अमिताभ बच्चन सोरेन, जिला सांख्यिकी अधिकारी कुमार अविनाश, मुखिया प्रीति हेंब्रम, संताल आवासीय विद्यालय मसलिया के प्रधानाध्यापक डॉ0 कौशल मुख्य रूप से उपस्थित थे ।

उदघाटन समारोह को संबोधित करते हुए डॉक्टर धूनी सोरेन (इंग्लैंड) ने पुस्तकालय के महत्व को बताया और कहा कि झारखण्ड के हर गांव में एक सामुदायिक पुस्तकालय का होना जरूरी है जिससे की हमारे आने वाले पीढ़ी शिक्षा से जुड़ सके और पुस्तकालय के महत्व को जान सके। लाइब्रेरी मैन एवं पणन सचिव संजय कच्छप ने कहा कि अब इस मुहिम को मजबूती के साथ गांव के युवा के साथ मिलकर मिशन के रूप में ले जाना है। मनीष लकड़ा ने भी पुस्तकालय के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि हम सबों को पुस्तकालय के महत्व समझना चाहिए और अपने बच्चो को शिक्षा से जुड़ाव के दिशा में काम करना चाहिए। 

जिससे हमारे आने वाले पीढ़ी इससे वंचित न हो और हमारा समाज विकास की और अग्रसर हो। अमिताभ बच्चन सोरेन और डॉक्टर हनीफ अंसारी ने भी पुस्तकालय के महत्व पर प्रकाश डाला और किस तरह से पुस्तकालय के संचालन किया जाय और इससे लाभ लिया जा सके, इस पर विस्तार पूर्वक बताया गया। मौके पर महेश चंद्र मुर्मू, प्रेमलाल मुर्मू, चरण मुर्मू, सेवेन मुर्मू, राकेश सोरेन, रोहित मुर्मू, सूर्यदेव हेंब्रम, राजू हेंब्रम सुभाष मुर्मू, अंकित मुर्मू, परमेशल हांसदा, मनोहर मुर्मू, राहुल हेंब्रम, विकास मुर्मू, संजय हांसदा , अविनाश हेंब्रम, माने मरांडी, दुनूच मुर्मू,अभिषेक हेंब्रम, जियाधान मुर्मू, राजेश मुर्मू,  उपस्थित थे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : भाजपा कार्यकर्ता की सड़क दुर्घटना में मौत, परिजनों से मिले सांसद, प्रशासन को मुआवजा देने का दिया निर्देश

दुमका :- भाजपा सांसद सुनील सोरेन ने पार्टी कार्यकर्ता कामदेव सिंह की मौत पर संवेदना जताते हुए जिला प्रशासन को मृतक के परिजनों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। 

बीते शनिवार को मसलिया पश्चिम मंडल के भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता एवं गुमरो बूथ के अध्यक्ष कामदेव सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी।

रविवार को सांसद श्री सोरेन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और वहां मृतक कामदेव सिंह के शव का पोस्टमार्टम करा कर शव को घर भेजने का इंतजाम किया एवं मौके पर मौजूद मृतक के भाई एवं परिजनों को सांत्वना दिया। 

उन्होंने कामदेव सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि मृतक के परिजनों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाए। 

इधर, रविवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में दुमका सांसद शामिल हुए। बूथ संख्या 20 पर सांसद दुमका विधानसभा की जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम को सुना। 

सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह संबोधन काफी उत्साह का संचार करता है और उनके द्वारा कही गई एक - एक बात हमारे लिए प्रेरणादायी होता हैं और हमलोग उस पथ पर आगे बढ़ते हैं।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : रौनियार वैश्य परिषद का होली मिलन समारोह, खूब उड़े अबीर- गुलाल, जमकर थिरके लोग

दुमका :- रौनियार वैश्य परिषद द्वारा रविवार को यज्ञ मैदान में आयोजित होली मिलन समारोह में होली के गीतों के बीच समाज से जुड़े लोग खूब थिरके। देर शाम तक गीत संगीत का दौर चलता रहा। संगठन से जुड़े लोगों ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली की बधाई और शुभकामनाएं दी। 

इससे पूर्व रौनियार वैश्य परिषद के अध्यक्ष महेश प्रसाद साह ने दीप प्रज्वलित कर होली मिलन समारोह का उदघाटन किया। इस अवसर पर सरैयाहाट और लकड़ापहाडी के स्थानीय कलाकारों ने होली गीतों का समां बांधा। 

वही डीजे फ्लोर पर भी लोग जमकर थिरके। मौके पर परिषद के कोषाध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद साह, चुनाव प्रभारी राजकिशोर गुप्ता, कार्यक्रम संयोजक अंकित साह, प्रीतम साह, चंदन साह, अशोक साह, किशोर साह, विकास भगत, गोपाल प्रसाद साह, प्रदीप साह, लक्ष्मी नारायण, गणेश प्रसाद साह, प्रेम प्रसाद साह, विजय कुमार उर्फ मोनू, संजय साह, पूनम भगत, ममता साह, रेणु देवी, मनोरमा कुमारी, गुड़िया कुमारी आदि उपस्थित थी।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : नोट व वोट की राजनीति कर रहा सोरेन परिवार, आदिवासी समाज को बचाना सेंगेल अभियान का लक्ष्य - सालखन मुर्मू


दुमका :- आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि सोरेन परिवार का लक्ष्य आदिवासी समाज का सशक्तिकरण नहीं बल्कि केवल नोट और वोट की राजनीति करना रहा है। 

उन्होंने कहा कि वंशानुगत नियुक्त माझी हड़ाम आदि को जनतांत्रिक और संवैधानिक तरीकों से सुधारने का काम शुरू हो गया है जिसकी झलक दुमका में 27 फरवरी को देखने को मिलेगा।

रविवार को स्थानीय परिसदन में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज और संताल परगना को बचाना और समृद्ध करना आदिवासी सेंगेल अभियान का मुख्य लक्ष्य है जिसके लिए 2023 में सरना धर्म कोड लागू करना, मरांग बुरू (पारसनाथ पहाड़) जैनों के कब्जे से मुक्त करना, संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाना, वोट बैंक की राजनीतिक लाभ के लिए कुर्मी को एसटी बनाने वालों का विरोध करना, वंशानुगत आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार लाना, प्रखंड वार नियोजन नीति लागू करना आदि प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों को असफल बनाने में अब तक  सोरेन परिवार और हर गांव समाज में वंशानुगत नियुक्त अधिकांश अनपढ़, शराब पीने वाले, संविधान- कानून से अनभिज्ञ माझी परगना व्यवस्था के प्रमुख है। 

उन्होंने कहा कि सोरेन परिवार को पांच बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला लेकिन आदिवासी समाज और उसके एजेंडा को आगे बढ़ाने की जगह हमेशा कमजोर किया है। 

नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा आदि मामलों पर समाज सुधार के कामों को अब तक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ हर आदिवासी गांव समाज को चलाने वाले सोशल इंजन की तरह जिम्मेवार ग्राम प्रधान या माझी हड़ाम भी गांव समाज को एकजुट कर समृद्ध करने की बजाय नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा आदि को बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि सोरेन परिवार को बेनकाब कर बेदखल करने के लिए सेंगेल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया है। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : सांसद खेल महोत्सव की तैयारियां शुरू, 4 को केंद्रीय मंत्री करेंगी शुभारंभ

दुमका :- सांसद खेल महोत्सव की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। चार से छह मार्च तक तीन दिनों तक चलनेवाली सांसद खेल महोत्सव का शुभारंभ केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी करेंगी। 

खेल महोत्सव का आयोजन दुमका के इंडोर स्टेडियम और गांधी मैदान में होगा। तीरंदाजी और एथेलेटिक्स का आयोजन गांधी मैदान में जबकि कैरम, शतरंज, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, कराटे, ताइक्वांडो और पावर लिफ्टिंग का आयोजन इंडोर स्टेडियम परिसर में होगा।  

प्रतियोगिता में दुमका संसदीय क्षेत्र के करीब 1200 खिलाड़ियों के भाग लेने की संभावना है। खेल महोत्सव के सह संयोजक उमाशंकर चौबे ने रविवार को आयोजन कमेटी के सदस्यों के साथ इंडोर स्टेडियम में बैठक की और तैयारियों के बाबत कई बिंदुओं पर चर्चा की। 

उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 27 फरवरी से तीन मार्च तक दुमका के इंडोर स्टेडियम में नि:शुल्क निबंधन होगा। 

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : उल्लास जुलूस के साथ होगा मेला का शुभारंभ, राज्य स्तर के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर तक मेला की पहुंच होगी - डीसी

दुमका : राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव का शुक्रवार को उल्लास जुलूस के साथ शुभारंभ किया जाएगा। उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने गुरुवार को कहा कि परम्परा के अनुसार, हिजला मेला महोत्सव पारम्परिक औदात्य, गरिमा और उल्लास से मनाया जायेगा।

राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव में इस वर्ष भी संताल परगना के सभी जिलों के लोगों की भागीदारी होगी।

समाहरणालय सभागार में उपायुक्त की अध्यक्षता में राजकीय जनजातीय हिजला मेला के आयोजन से संबंधित प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। उपायुक्त श्री शुक्ला ने कहा कि झारखंड में संताल परगना के प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका में मयूराक्षी नदी के मनोरम तट पर और हिजला पहाड़ी के सुरम्य तलहटी पर 133 साल से लगने वाला ऐतिहासिक जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 24 फरवरी से तीन मार्च तक आयोजित किया जाएगा।

कल शुक्रवार को उल्लास जुलूस के साथ मेला का शुभारंभ किया जाएगा। जिसके बाद विधिवत रूप से मेला का उदघाटन किया जाएगा। कहा कि मेला क्षेत्र में कुल चार कला मंच बनाए गए हैं जिसमें विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से लोगों का मनोरंजन कराया जाएगा। कहा कि ऐतिहासिक हिजला मेला के शुभारंभ से पूरे संताल परगना प्रमंडल में उमंग भर आता है।

प्रमंडल के सभी छह जिलों में व्यापक रूप से इस मेला का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। राज्य स्तर के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर तक मेला की पहुंच होगी। मेला में लगाये जाने वाले स्टॉल में कृषि के अत्याधुनिक तकनीक के साथ अन्य चीजों को भी दर्शाया जायेगा। कहा कि एक सप्ताह चलने वाले इस मेले में प्रत्येक दिन पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव की गतिविधियों को प्रचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर प्रचार प्रसार किया जायेगा। मेला में शौचालय, पर्याप्त रौशनी, पेयजल, बेहतर साज सज्जा, साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था की गई है।

मौके पर उप निदेशक जनसंपर्क जुगनू मिंज, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अंजना भारती, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

दुमका : मनोहारी दृश्यों का अद्भुत संगम हैं जनजातीय हिजला मेला, जानिए कैसे शुरू हुआ था हिजला मेला, स्पेशल रिपोर्ट..

दुमका : दुमका में प्रकृति के मनोरम दृश्य के बीच संताल परगना का गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास वाला सुप्रसिद्ध राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव शुक्रवार से शुरू हो जाएगा।

आठ दिनों तक चलनेवाला और संताल परगना के प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका से करीब चार किलोमीटर दूर हिजला पहाड़ी के नीचे और मयूराक्षी नदी के तट पर विगत एक शताब्दी से अधिक समय से लगनेवाला यह जनजातीय मेला इस क्षेत्र के मनोहारी दृश्यों का अद्भुत संगम हैं।

मनोरंजन और हाटबाज़ार के साथ साथ यह मेला एकता, सदभाव और भाईचारे का भी प्रतीक हैं। हिजला मेला महोत्सव की तैयारियां अब अंतिम चरणों मे है।

प्रकृति के मनोरम दृश्य के बीच संताल परगना का गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहासवाला हिजला मेला अब 133 वें साल में प्रवेश कर गया हैं। यह मेला इस क्षेत्र की कला, रास, हर्ष, नृत्य और संगीत के माध्यम से इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को बनाये रखने में करीब एक शताब्दी से अधिक समय से प्रयत्नशील रहा हैं। बसंत ऋतु के आगमन के साथ नदियों और झीलों की निश्चल धारा, जंगली पक्षियों की मधुर आवाज और आदिवासी युवको के बांसुरी की मधुर तान ढोल और मांदर की थाप पर थिरकती आदिवासी महिलाओ के नृत्य और संगीत से संताल परगना का पूरा पहाड़ी इलाके के रोम रोम झूम उठता हैं।

धनकटनी के बाद दूर दराज के इलाको में रहनेवाले लोगो से मिलने के लिए इस इलाके के लोग व्याकुल रहते हैं और इनका समागम होता हैं मयूराक्षी नदी के तट पर हर साल लगनेवाला हिजला मेला में। जानकारों के मुताबिक 3 फरवरी 1890 को तत्कालीन उपायुक्त जान. आर. कास्टेयरस ने इस मेले की नींव रखी थी। तब से यह मेला इस क्षेत्र की संस्कृति को कला, रास-रंग और संगीत के माध्यम से प्रदर्शित करने की परंपरा बन गयी। इतिहासकार बताते हैं कि तत्कालीन उपायुक्त जान. आर. कास्टेयरस द्वारा मेला का शुभारम्भ किये जाने के बाद इस क्षेत्र के ग्राम प्रधान, मांझी, परगनैतो के साथ पहाड़ में बैठकर विचार विमर्श करते थे और इस क्षेत्र से संबंधित नियम बनाया करते थे। इस कारण यहाँ बननेवाली नियमावली को अंग्रेजी में 'हिज़ ला' कहा गया और इस पहाड़ का नाम हिजला हो गया और तब से यहाँ का मेला भी हिजला मेला के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

काफी लंबे समय के प्रयासों के बाद इस सुप्रसिद्ध जनजातीय मेला को राजकीय मेला का दर्जा मिला। आठ दिनों तक चलनेवाले इस मेले का अपना सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी हैं। आठ दिनों तक यहाँ तमाम तरह की व्यावसायिक प्रतिष्ठान, प्रदर्शनियों, विभागीय स्टॉल, कृषि, हस्तशिल्प, उत्पाद और मनोरंजन के साधन लगाये जाते हैं। अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेलकूद का आयोजन भी किया जाता हैं।

दरअसल यह मेला मनोरंजन और हाट बाज़ार के साथ ही यहाँ के एकता, सदभाव और भाईचारे का भी प्रतीक हैं, जंहा सभी वर्ग और समुदाय के लोग नृत्य-संगीत के माध्यम से अपनी एकता और सदभाव को प्रदर्शित करते हैं। मेले को कई बार आधुनिक रूप देने का प्रयास किया जाता रहा हालाँकि परिवर्तन के साथ ही यह मेला पुराने ढर्रे ही चल रहा हैं। हालाँकि इतिहासकारों के मुताबिक पिछले सौ सालो में मेले में बदलाव के कई रंग देखने को मिले लेकिन इस बदलाव को इतिहासकार सही नहीं मानते क्योकि इस बदलाव से मेले की मौलिकता पर सवाल उठने शुरू हो जाएंगे।

बताया जाता हैं कि वर्ष 1855 में इस क्षेत्र के लोगो की उपेक्षा और शोषण के खिलाफ उपजे असंतोष के कारण संताल विद्रोह के महानायक सिदो, कान्हू, चाँद और भैरव ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उग्र जेहाद छेड़ दिया था जिसे इतिहास के पन्नो में 'संताल हूल' के नाम से जाना जाता हैं। इस क्रम में अंग्रेज शासको ने सरकार के खिलाफ होनेवाले विद्रोह और आंदोलनकारियो के अध्ययन करने के लिए बिहार के भागलपुर और बंगाल के वीरभूम जिले के कुछ भागो को मिलकर संताल परगना जिले का गठन किया. तब अंग्रेज शासको द्वारा स्थानीय स्तर पर हाट, बाज़ार और मेले को इनके जीवन के एक महत्वपूर्ण कड़ी मानकर इस दिशा में सुधारवादी कदम उठाये जाने लगे। बहरहाल जरुरत इस बात की हैं कि आदिवासी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए इस गौरवशाली मेले की मौलिकता को बचाए रखना होगा ताकि यहाँ आनेवाले हर लोग इस गौरवशाली मेले के अतीत से रूबरू हो सके।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)